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Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Poems in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cultures. Th...Read More


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  • काव्यजीत - 5

    1.एक ख्वाबों का जहां सजा कर दिल मेंसंग तेरे मै आईचाहतों की हसीन दुनिया भीथी मैने...

  • मेरे अनुभव मेरे ऐहसास

    ️️ मेरे अनुभव मेरे एहसास सोचा है मैंने आज.क्यों न... कलम उठकर कर दूं इनका पर्दा...

  • मेरे शब्द मेरी पहचान - 19

    ---- कुछ कहना था जो रह गया ----* क्या कहना था पता नहीं पर कुछ कहना था जो रह गया...

काव्यजीत - 5 By Kavya Soni

1.एक ख्वाबों का जहां सजा कर दिल मेंसंग तेरे मै आईचाहतों की हसीन दुनिया भीथी मैने सजाईक्यों तुमने मुहब्बत मेरी बिसराईबिखरे ख़्वाब जब मिलीरुसवाईये दर्द की कहानी कैसे लफ्जों में बयां...

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गुलदस्ता - 11 By Madhavi Marathe

            ६२   जीने की चाह क्या होती है यह बात जिन क्षणों ने, सामने से मृत्यू देखा है उनको पुछना चाहिये कितनीही वेदनाओं से भरी जिंदगी हो फ...

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में और मेरे अहसास - 88 By Darshita Babubhai Shah

ये कैसा हसीन गुनाह करना चाहते हो l क़ायनात को फिरदौस बनाना चाहते हो ll   सब को अपने जैसा दिल वाला ना समझ l सखी खुद से ही खुद को हराना चाहते हो ll   बड़े बेईमान, पढ़े लिखे...

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मेरे अनुभव मेरे ऐहसास By Devaki Ďěvjěěţ Singh

️️ मेरे अनुभव मेरे एहसास सोचा है मैंने आज.क्यों न... कलम उठकर कर दूं इनका पर्दाफाश ️️बस इतना सा जान लो मुझको....दिल की क़लम से लिखते हैं अपने ज़ज्बात....चेहरे पर लिए फिरते हैं ढाई...

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मेरे शब्द मेरी पहचान - 19 By Shruti Sharma

---- कुछ कहना था जो रह गया ----* क्या कहना था पता नहीं पर कुछ कहना था जो रह गया ।समझना बाकी था अभी मेरा कुछ बताना था जो रह गया ।अभी तो जी भर के पढ़ा ही नहीं कुछ लिखना था जो रह गया...

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मेरे अल्फाज़ By Desai Pragati

1] प्रकृति प्रकृति को ख़रीद ने चला हे इंसान,जिसकी गोद में बड़ा हुवा उसीका भूल के अहेसान.कुदरत की दी गई चिज़ो पर हक जमाने चला हे,विपता के लिए फिर तैयार रहो जो होगा घमासान.कोई चाँद प...

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मुक्त हो जाना चाहा मैने By Suman Kumavat

हाँ.. मुक्त हो जाना चाहा मैने सारे स्नेह बंधनो से अपने ही बनाये तमाम घेरो से और तुम्हारे बनाये मर्यादा की चौखटों से मुक्त होकर उड़ जाना चाहती हूँ धुंए की तरह दूर आसमान के अनाम कोनो...

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कविता संग्रह By DINESH KUMAR KEER

1 बिछड़न......... जब अगले साल यही वक़्त आ रहा होगा... ये कौन जानता है कौन किस जगह होगा... तू मेरे सामने बैठा है और मैं सोचता हूँ... के आते लम्हों में जीना भी इक सज़ा होगा... यही जगह...

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शैलेन्द्र बुधौलिया की कवितायेँ - 7 By शैलेंद्र् बुधौलिया

    दोहा   होरी के हुड़दंग में सब यैसे हुरयात ऊँच नीच छोटे बड़े आपस में मिलजात   एक दूजे को परस्पर जब हम रंग लगात मूठा देत गुलाल कौ भेदभाव मिट जात   भुला ईर...

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हम तो सोच रहे थे भैया अब अच्छे दिन आएंगे By शैलेंद्र् बुधौलिया

हमको यह मालूम नहीं था एक  दिन हम पछताएंगे ! हम तो सोच रहे थे भैया अब अच्छे दिन आएंगे !!   मुझको यह मालूम नहीं था, ऐसे भी दिन आएंगे ! सच्चाई पर चलते चलते, एक दिन हम पछताएंगे !!   वह...

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गज़ल By pradeep Kumar Tripathi

हमारी ग़जल है हमारी ग़जल है तो हमें सुनाईएगाउनसे तो कह दो की बस आईएगा हमारा है जिक्र और हमारा रहेगाआप का जो आए तो मुकर जाईएगा हमारी ग़जल है तो हमें सुनाईएगाउनसे तो कह दो की बस आईएग...

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घूंघट काये उघारें, ठाड़ीं भुन्सारे सें द्वारें By शैलेंद्र् बुधौलिया

बुन्देली कविता    घूंघट काये  उघारें ! ठाड़ीं भुन्सारे सें द्वारें!  रूखे बार कजर बिन अखियां भीतर सें मन मारें!  ठाड़ीं भुन्सारे सें द्वारें!  कैसीं हो अनमनी तुम्हाई सूरत पै हैरानी ,...

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शब्द नहीं एहसास है - 2 By Shruti Sharma

----- आज भी इन्तेज़ार है -----जो सबको मिल जाता है अक्सर बचपन में उस दोस्त का मुझे आज भी इन्तेज़ार है। स्कूल में जो तुम्हारे साथ बैठेसाथ आए और साथ घर जाएजो जी भर तुमसे बातें करें और...

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शैलेन्द्र बुधौलिया के दोहे By शैलेंद्र् बुधौलिया

भारत से लाहौर भई बस सेवा प्रारंभ ! ख़ुद खों ऊंचों जान के भओ  नवाज़ को दंभ !! 18 उत लाहौरी लाल सें  मिलो अटल को हाथ ! इतें कारगिल में करी घुसपैठिन ने घात !!    19 पुंज बटालिक कारगिल ह...

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साहब बदले हैं दलाल नहीं बदला है ! By शैलेंद्र् बुधौलिया

साहब बदले हैं दलाल नहीं बदला है !   किस साल बदला है मेरा हाल नहीं बदला है , सीता सागर या तरणताल नहीं बदला है ! दिल्ली- पंजाब में जाकर के कोई देखे , सिर्फ बदली है दुकान माल नहीं बदल...

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धीरू भाई अम्बानी By शैलेंद्र् बुधौलिया

                                               धीरू भाई अम्बानी को समर्पित धरती पे  धन के धुरंधर थे  धीरुभाई  धन धाम धरम  धरा पे  छोड़ के  गए!  धीरे-धीरे धीरज से धन जो कमाया था वो...

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हरिवंश राय बच्चन द्वारा अमिताभ बच्चन By शैलेंद्र् बुधौलिया

                                            हरिवंश राय बच्चन जी को समर्पित सुत को 'सरस्वती' ने स्वयं सिखाये शब्द शब्द-शब्द में स्वरूप सत्य का समा गये! पुण्य से 'प्रताप' के प्रवर्तक...

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दतिया गौरव गान By शैलेंद्र् बुधौलिया

दतिया गौरव गान   (1)   सुनो सुनों दतिया का गौरव गान सुनो, इसमें बसता सच्चा हिन्दुस्तान सुनो यहां सिंघ की निर्मल धारा नित कल कल करती है ये सनक, सनंदन, सनत् सनातन की पावन धरती है सर्...

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एकांत By शैलेंद्र् बुधौलिया

।।।  एकांत ।।।     (1)                      ..................   सब ने देखा फूल सा खिलता सदा जिसका बदन । कोई क्या जाने कि वह कैसे जिया एकांत में ।।   जिन लवों की बात सुन सब खिलखिला...

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प्यार की कविताएँ: रातों की कहानी By बैरागी दिलीप दास

भाग 1 चाँदनी रातों में छाया एक सपना,प्यार की कहानी जगमगाती है यहाँ।एक बेहद खूबसूरत तस्वीर बनाती है,प्यार की कविताएँ यहाँ बहाती हैं।हर रात जब रातों की गहराई छाती है,दिल की धड़कनों क...

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हर सांस पे मेरी By बैरागी दिलीप दास

(१)माँ तू ने सबकुछ दिया हमें,तेरे बिना जग सुना सा था।आंसू तेरे ही थे मेरे,हर सांस में बस तू ही समाई।तेरी जागीर बस मेरी जिंदगी ,मेरे आगे तेरे लिए संसार कुछ भी नहींतू जीवन का आधार थी...

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दो पल की राहत में By बैरागी दिलीप दास

(1)दो पल की राहत में ना भूलाओ जिंदगी की चाहत को,दिल की धड़कनों से सुनो प्यार की आहट को।ज़िंदगी के रंग बदले, फूल खिलें या मुरझायें,प्यार का आगाज़ हर पल नया सवेरा ले आयें।मुस्कानों की...

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बेटियाँ.. By Pari Boricha

घर की लक्ष्मी होती हैं बेटियाँ घर-आँगन की रंगोली होती है बेटियाँ परिवार के चेहरे की मुस्कान होती हैं बेटियाँ बेटियों से ही घर की रोनक होती है क्योकि,घर का उजाला होती है बेटियाँ ......

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तेरे लबों की मुस्कान: इश्क़ के राज़ By बैरागी दिलीप दास

भाग 1तेरे लबों की मुस्कान: इश्क़ के राज़इश्क़ भरी ये दुनिया है, रंग लाती हर छांव,तेरे लबों की मुस्कान से जगमगाती हैं सारी रात।उन क़दमों की आहट से उठती हैं धूप की बौछार,तेरे लबों की...

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काव्यजीत - 5 By Kavya Soni

1.एक ख्वाबों का जहां सजा कर दिल मेंसंग तेरे मै आईचाहतों की हसीन दुनिया भीथी मैने सजाईक्यों तुमने मुहब्बत मेरी बिसराईबिखरे ख़्वाब जब मिलीरुसवाईये दर्द की कहानी कैसे लफ्जों में बयां...

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गुलदस्ता - 11 By Madhavi Marathe

            ६२   जीने की चाह क्या होती है यह बात जिन क्षणों ने, सामने से मृत्यू देखा है उनको पुछना चाहिये कितनीही वेदनाओं से भरी जिंदगी हो फ...

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में और मेरे अहसास - 88 By Darshita Babubhai Shah

ये कैसा हसीन गुनाह करना चाहते हो l क़ायनात को फिरदौस बनाना चाहते हो ll   सब को अपने जैसा दिल वाला ना समझ l सखी खुद से ही खुद को हराना चाहते हो ll   बड़े बेईमान, पढ़े लिखे...

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मेरे अनुभव मेरे ऐहसास By Devaki Ďěvjěěţ Singh

️️ मेरे अनुभव मेरे एहसास सोचा है मैंने आज.क्यों न... कलम उठकर कर दूं इनका पर्दाफाश ️️बस इतना सा जान लो मुझको....दिल की क़लम से लिखते हैं अपने ज़ज्बात....चेहरे पर लिए फिरते हैं ढाई...

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मेरे शब्द मेरी पहचान - 19 By Shruti Sharma

---- कुछ कहना था जो रह गया ----* क्या कहना था पता नहीं पर कुछ कहना था जो रह गया ।समझना बाकी था अभी मेरा कुछ बताना था जो रह गया ।अभी तो जी भर के पढ़ा ही नहीं कुछ लिखना था जो रह गया...

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मेरे अल्फाज़ By Desai Pragati

1] प्रकृति प्रकृति को ख़रीद ने चला हे इंसान,जिसकी गोद में बड़ा हुवा उसीका भूल के अहेसान.कुदरत की दी गई चिज़ो पर हक जमाने चला हे,विपता के लिए फिर तैयार रहो जो होगा घमासान.कोई चाँद प...

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मुक्त हो जाना चाहा मैने By Suman Kumavat

हाँ.. मुक्त हो जाना चाहा मैने सारे स्नेह बंधनो से अपने ही बनाये तमाम घेरो से और तुम्हारे बनाये मर्यादा की चौखटों से मुक्त होकर उड़ जाना चाहती हूँ धुंए की तरह दूर आसमान के अनाम कोनो...

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कविता संग्रह By DINESH KUMAR KEER

1 बिछड़न......... जब अगले साल यही वक़्त आ रहा होगा... ये कौन जानता है कौन किस जगह होगा... तू मेरे सामने बैठा है और मैं सोचता हूँ... के आते लम्हों में जीना भी इक सज़ा होगा... यही जगह...

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शैलेन्द्र बुधौलिया की कवितायेँ - 7 By शैलेंद्र् बुधौलिया

    दोहा   होरी के हुड़दंग में सब यैसे हुरयात ऊँच नीच छोटे बड़े आपस में मिलजात   एक दूजे को परस्पर जब हम रंग लगात मूठा देत गुलाल कौ भेदभाव मिट जात   भुला ईर...

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हम तो सोच रहे थे भैया अब अच्छे दिन आएंगे By शैलेंद्र् बुधौलिया

हमको यह मालूम नहीं था एक  दिन हम पछताएंगे ! हम तो सोच रहे थे भैया अब अच्छे दिन आएंगे !!   मुझको यह मालूम नहीं था, ऐसे भी दिन आएंगे ! सच्चाई पर चलते चलते, एक दिन हम पछताएंगे !!   वह...

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गज़ल By pradeep Kumar Tripathi

हमारी ग़जल है हमारी ग़जल है तो हमें सुनाईएगाउनसे तो कह दो की बस आईएगा हमारा है जिक्र और हमारा रहेगाआप का जो आए तो मुकर जाईएगा हमारी ग़जल है तो हमें सुनाईएगाउनसे तो कह दो की बस आईएग...

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घूंघट काये उघारें, ठाड़ीं भुन्सारे सें द्वारें By शैलेंद्र् बुधौलिया

बुन्देली कविता    घूंघट काये  उघारें ! ठाड़ीं भुन्सारे सें द्वारें!  रूखे बार कजर बिन अखियां भीतर सें मन मारें!  ठाड़ीं भुन्सारे सें द्वारें!  कैसीं हो अनमनी तुम्हाई सूरत पै हैरानी ,...

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शब्द नहीं एहसास है - 2 By Shruti Sharma

----- आज भी इन्तेज़ार है -----जो सबको मिल जाता है अक्सर बचपन में उस दोस्त का मुझे आज भी इन्तेज़ार है। स्कूल में जो तुम्हारे साथ बैठेसाथ आए और साथ घर जाएजो जी भर तुमसे बातें करें और...

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शैलेन्द्र बुधौलिया के दोहे By शैलेंद्र् बुधौलिया

भारत से लाहौर भई बस सेवा प्रारंभ ! ख़ुद खों ऊंचों जान के भओ  नवाज़ को दंभ !! 18 उत लाहौरी लाल सें  मिलो अटल को हाथ ! इतें कारगिल में करी घुसपैठिन ने घात !!    19 पुंज बटालिक कारगिल ह...

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साहब बदले हैं दलाल नहीं बदला है ! By शैलेंद्र् बुधौलिया

साहब बदले हैं दलाल नहीं बदला है !   किस साल बदला है मेरा हाल नहीं बदला है , सीता सागर या तरणताल नहीं बदला है ! दिल्ली- पंजाब में जाकर के कोई देखे , सिर्फ बदली है दुकान माल नहीं बदल...

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धीरू भाई अम्बानी By शैलेंद्र् बुधौलिया

                                               धीरू भाई अम्बानी को समर्पित धरती पे  धन के धुरंधर थे  धीरुभाई  धन धाम धरम  धरा पे  छोड़ के  गए!  धीरे-धीरे धीरज से धन जो कमाया था वो...

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हरिवंश राय बच्चन द्वारा अमिताभ बच्चन By शैलेंद्र् बुधौलिया

                                            हरिवंश राय बच्चन जी को समर्पित सुत को 'सरस्वती' ने स्वयं सिखाये शब्द शब्द-शब्द में स्वरूप सत्य का समा गये! पुण्य से 'प्रताप' के प्रवर्तक...

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दतिया गौरव गान By शैलेंद्र् बुधौलिया

दतिया गौरव गान   (1)   सुनो सुनों दतिया का गौरव गान सुनो, इसमें बसता सच्चा हिन्दुस्तान सुनो यहां सिंघ की निर्मल धारा नित कल कल करती है ये सनक, सनंदन, सनत् सनातन की पावन धरती है सर्...

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एकांत By शैलेंद्र् बुधौलिया

।।।  एकांत ।।।     (1)                      ..................   सब ने देखा फूल सा खिलता सदा जिसका बदन । कोई क्या जाने कि वह कैसे जिया एकांत में ।।   जिन लवों की बात सुन सब खिलखिला...

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प्यार की कविताएँ: रातों की कहानी By बैरागी दिलीप दास

भाग 1 चाँदनी रातों में छाया एक सपना,प्यार की कहानी जगमगाती है यहाँ।एक बेहद खूबसूरत तस्वीर बनाती है,प्यार की कविताएँ यहाँ बहाती हैं।हर रात जब रातों की गहराई छाती है,दिल की धड़कनों क...

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हर सांस पे मेरी By बैरागी दिलीप दास

(१)माँ तू ने सबकुछ दिया हमें,तेरे बिना जग सुना सा था।आंसू तेरे ही थे मेरे,हर सांस में बस तू ही समाई।तेरी जागीर बस मेरी जिंदगी ,मेरे आगे तेरे लिए संसार कुछ भी नहींतू जीवन का आधार थी...

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दो पल की राहत में By बैरागी दिलीप दास

(1)दो पल की राहत में ना भूलाओ जिंदगी की चाहत को,दिल की धड़कनों से सुनो प्यार की आहट को।ज़िंदगी के रंग बदले, फूल खिलें या मुरझायें,प्यार का आगाज़ हर पल नया सवेरा ले आयें।मुस्कानों की...

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बेटियाँ.. By Pari Boricha

घर की लक्ष्मी होती हैं बेटियाँ घर-आँगन की रंगोली होती है बेटियाँ परिवार के चेहरे की मुस्कान होती हैं बेटियाँ बेटियों से ही घर की रोनक होती है क्योकि,घर का उजाला होती है बेटियाँ ......

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तेरे लबों की मुस्कान: इश्क़ के राज़ By बैरागी दिलीप दास

भाग 1तेरे लबों की मुस्कान: इश्क़ के राज़इश्क़ भरी ये दुनिया है, रंग लाती हर छांव,तेरे लबों की मुस्कान से जगमगाती हैं सारी रात।उन क़दमों की आहट से उठती हैं धूप की बौछार,तेरे लबों की...

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