Mann ki Gunj - 2 in Hindi Poems by Rajani Technical Lead books and stories PDF | मन की गूंज - भाग 2

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मन की गूंज - भाग 2

मन की गूंज, न सुनाई देती है कभी,
पर यह भीतर से आती है, कभी चुपके से, कभी तीव्र।
हर विचार, हर भावना, उसका एक स्वर होता है,
जो कभी शांत, कभी हलचल में डूबा होता है।

हम सबका मन, एक महल जैसा है,
जहाँ पर विचारों का मेला होता है।
हर विचार, एक आवाज़ है, जो गूंजती है भीतर,
कभी सुख की, कभी दुख की, कभी शांति की, कभी बौछार की।

मन की गूंज को समझ पाना सरल नहीं,
यह अपनी राह खुद बनाता है, कभी चुप, कभी गूंजता है अनमिन।
यह न तो किसी से छुपती है, न दिखती है बाहर,
पर अंदर की दुनिया में, यह हमेशा रहती है तैयार।

जब खुशी मिलती है, यह गूंजती है जैसे गीत,
जब दर्द होता है, यह होती है एक दारुण अंधेरी रात की रीत।
मन की गूंज कभी कम नहीं होती,
यह बस हमारे भीतर से बाहर फैल जाती है, जैसे आग की लपटें लहराती।

हर व्यक्ति की गूंज अलग होती है,
किसी की हल्की, किसी की तेज़, किसी की चुप, किसी की गहरी।
पर क्या तुमने कभी सोचा है,
जो कुछ भी होता है, वह सब उसी गूंज का हिस्सा है?

हम जब किसी से प्रेम करते हैं,
तो मन की गूंज एक मधुर ध्वनि बन जाती है।
हम जब दुखी होते हैं,
तो वह गूंज एक कराह बन जाती है।
लेकिन इन दोनों के बीच, जो बीच की आवाज़ होती है,
वही तो असली संगीत होता है, वही जीवन का असली रूप होता है।

हमारे मन की गूंज ही हमारी पहचान है,
जो हमें राह दिखाती है, जो हमारे फैसलों का कारण है।
इसी गूंज में छिपा है हमारा हर एक सत्य,
इसी गूंज में खो जाता है हमारे हर एक अस्तित्व का गूढ़ अर्थ।

हर गूंज, चाहे वह सुख हो या दुख,
हमारे अस्तित्व का हिस्सा बन जाती है, हमारे जीवन की आवाज़ बन जाती है।
मन की गूंज को जब समझ पाते हैं,
तभी हम खुद को पूरी तरह से महसूस कर पाते हैं, तभी हम अपना असली रूप पा सकते हैं।

कभी सुनो उस गूंज को, जो तुम्हारे भीतर बजी,
कभी समझो उस आवाज़ को, जो तुम्हारे दिल में बजती रही।
मन की गूंज ही हमें हमें रास्ता दिखाती है,
और अंततः यही गूंज हमें सही दिशा में ले जाती है।

मन की गूंज कभी छुपती नहीं, यह हमेशा से व्यक्त होती है,
कभी आक्रोश में, कभी शांति में, यह अपनी पहचान खुद बनाती है।
क्या तुमने महसूस किया है उस गूंज को,
जब तुम अकेले होते हो और भीतर की आवाज़ तुम्हें निरंतर पुकारती रहती है?

जब भी जीवन में चुनौतियाँ आती हैं,
मन की गूंज एक हलचल की तरह बढ़ती है।
यह हमें सवाल करती है, फिर भी आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है,
कभी हम समझ नहीं पाते, लेकिन यह हमें अपने सही रास्ते पर ले आती है।

जब हम किसी से अपार प्रेम करते हैं,
तब मन की गूंज गहरी होती है, हर धड़कन से मिलती है।
और जब वह प्रेम बिखरता है, टूटता है,
तो वह गूंज एक खालीपन बन जाती है, जैसे समुद्र का गहरा ठंडा पानी।

मन की गूंज से ही आत्मा की आवाज़ भी जुड़ी होती है,
यह वह शक्ति है, जो हमें आत्म-संवेदन की ओर मार्गदर्शन देती है।
कभी हमारी गूंज हमारी असुरक्षाओं को व्यक्त करती है,
तो कभी यह हमें भीतर की स्थिरता और विश्वास का एहसास भी दिलाती है।

मन की गूंज तभी असली अर्थ पाती है, जब हम इसे समझने की कोशिश करते हैं।
हम अपनी दैनिक जद्दोजहद में, गुम होते हुए, कभी इसे नजरअंदाज करते हैं,
लेकिन जब हम खुद से रूबरू होते हैं, तब हमें इसका अहसास होता है,
कि यही गूंज हमें हमारे असली स्व को पहचानने में मदद करती है।

मन की गूंज न तो बाहरी दुनिया से प्रभावित होती है,
यह एक स्वच्छंद यात्रा है, जो हमारे भीतर ही रची जाती है।
यह कभी चुप होती है, कभी गहरी, कभी हलचल में लहराती है,
पर इसे सुनने के लिए, हमें अपनी रफ्तार को थोड़ा धीमा करना पड़ता है।

मन की गूंज हमें यह याद दिलाती है,
कि हमारी यात्रा केवल बाहरी दुनिया तक सीमित नहीं है।
यह हमें अपनी आंतरिक दुनिया से जोड़ती है,
और हमें हमारे वास्तविक उद्देश्य की ओर मार्गदर्शन देती है।

मन की गूंज कभी शांत नहीं होती,
यह एक निरंतर धारा की तरह चलती रहती है,
जब तक हम इसे सुनने और समझने की कोशिश नहीं करते,
यह हमें अपनी शक्ति और दिशा के बारे में कोई संकेत नहीं देती।

हमारी पहचान, हमारा अस्तित्व, हर एक विचार और भावना,
इन सभी का मूल होता है—मन की गूंज।
जब हम इसे समझते हैं, तब हम खुद को सही दिशा में आगे बढ़ते हुए पाते हैं,
और यही गूंज हमें अपने जीवन के उद्देश्य को पहचानने में मदद करती है।

मन की गूंज एक यात्रा है, जो हमें भीतर से बाहर की ओर ले जाती है,
यह एक आंतरिक आह्वान है, जो हमें जीवन की सच्चाई और हमारे उद्देश्य का बोध कराती है।
जब हम इसे महसूस करते हैं, तब हम अपने आप को समझ पाते हैं,
और तब जीवन की पूरी गूंज एक सुंदर संगीत में बदल जाती है।