ग़ज़ल - सहारा में चल के देखते हैं - 2 alka agrwal raj द्वारा Poems में हिंदी पीडीएफ

Gazal - Sahara me Chal ke Dekhte Hain by alka agrwal raj in Hindi Novels
ख़ुलूस ओ प्यार के सांचे में ढल के देखते हैं।

जफ़ा की क़ैद से बाहर निकल के देखते हैं।।



हम अपने आप को थोडा बदल के देखते हैं।

चलो के हम भी हक़ी...