hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


Languages
Categories
Featured Books
  • होने से न होने तक - 11

    होने से न होने तक 11. चलने से पहले आण्टी ने एक लिफाफा मेरी तरफ बढ़ाया था। ‘‘यह क्...

  • मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - 10

    क्वारंटाइन...लॉक डाउन...कोविड 19... कोरोना के नाम रहेगी यह सदी। हम सब इस समय एक...

  • छोछक

    ‘बधाई हो, लाला हुआ है’ अस्पताल के रिसेप्शन के सामने सरोज की सास प्रेमावती अपनी स...

चोर. By Pawan Chauhan

चोर रात के खाने का निबाला अभी मुहॅं में डाला ही था कि चोरऽऽ चोरऽऽ का शोर मेरे कानों से टकराया। मैं चैंका लेकिन यह सोचकर खाने में मशगूल हो गया कि रोज़ रात को गॉव में रहने लगे ईंट बना...

Read Free

चंपा पहाड़न - 2 By Pranava Bharti

चंपा पहाड़न (2) अठारह-उन्नीस वर्ष की चंपा शहर के किसी सलीके से परिचित नहीं थी | यद्धपि हमारे देशभक्तों की कुर्बानियों से देश आज़ाद होने के पूरे आसार थे किन्तु यह तो तथ्य था ही कि अंग...

Read Free

होने से न होने तक - 11 By Sumati Saxena Lal

होने से न होने तक 11. चलने से पहले आण्टी ने एक लिफाफा मेरी तरफ बढ़ाया था। ‘‘यह क्या है आण्टी ?’’मैंने पूछा था। ‘‘यह चार हज़ार रुपए हैं। नौकरी ज्वायन करने से पहले अपने कुछ कपड़े बनवा ल...

Read Free

ये चकलेवालियां, ये चकलेबाज - 2 By Neela Prasad

ये चकलेवालियां, ये चकलेबाज नीला प्रसाद (2) दोपहर लंच टाइम था। खाना खाकर सब अपनी -अपनी टोली में बैठे गपिया रहे थे। इसी बहाने काम की एकाध बात भी हो जा रही थी कि किसने, कौन -सी फाइल द...

Read Free

किसी ने नहीं सुना - 4 By Pradeep Shrivastava

किसी ने नहीं सुना -प्रदीप श्रीवास्तव भाग 4 डेढ़-दो महीने में ही हम दोनों के संबंध अंतरंगता की सारी सीमा तोड़ने को मचल उठे। दीपावली की छुट्टी के बाद जब वह ऑफ़िस आई तो बहुत ही तड़क-भड़क क...

Read Free

सीप में बंद घुटन.... - 2 - अंतिम भाग By Zakia Zubairi

सीप में बंद घुटन.... ज़किया ज़ुबैरी (ब्रिटेन) (2) “अब मेरा यही काम रह गया है कि मै तेरा जी बहलाऊं.....? मज़दूरी तू करेगा..?.तेरे पेट का नरख कौन भरेगा..?” एयर कन्डीशन कमरे मे गदीले क़...

Read Free

कापुरुष By Kishanlal Sharma

बस से उतरकर देवेन वेटिंग रूम में चला आया था।वेटिंग रूम मे प्रवेश करते ही उसकी नज़र वहां बैठी औरत पर पड़ी थी।उसे देखकर चोंकते हुए बोला"तुम यहां?""देवेन तुम?"श्वेता,देवेन को देखकर आश्च...

Read Free

हस तुस अर कोरोना By Chinmayee

1st लक्डाउन् खतम होने मे बस् 1 दिन् बाकि था। लेकिन उस् एक दिन का इन्तेजार खुसि को ऐसा था जैसे क प्यासे को पानि का रेहता हे। पर शुभा का एक न्युज् सारे उमिद् पे पानि फैर् दिया था ।...

Read Free

धनिया - 3 By Govardhan Yadav

धनिया गोवर्धन यादव 3 गहरी नींद में सो रही धनिया। चर्र-मर्र चर्र-मर्र की आवाज सुनकर वह जाग गई। उसने ध्यान से उस आवाज को पहचानने की कोशिश की “अरे- ये तो बैलगाडिय़ों की चलने की आवाज है...

Read Free

मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - 10 By Neelima Sharma

क्वारंटाइन...लॉक डाउन...कोविड 19... कोरोना के नाम रहेगी यह सदी। हम सब इस समय एक चक्र के भीतर हैं और बाहर है एक महामारी। अचानक आई इस विपदा ने हम सबको हतप्रभ कर दिया हैं | ऐसा समय इस...

Read Free

काले कोस, अंधेरी रातें - 2 By Kavita Sonsi

काले कोस, अंधेरी रातें (2) मैं जानती तो हूँ सबकुछ, फिर भी न जाने क्यों अवाक हो उठती हूँ ...जैसे पहली बार सुन रही हूँ यह सब कुछ ...गडमड से कई दृष्ट आँखों में कौंधते हैं – एक पेपरवे...

Read Free

कुबेर - 26 By Hansa Deep

कुबेर डॉ. हंसा दीप 26 बेहद निराशा हुई। समझ गया वह। एक के बाद एक मालिक बदल गए थे। सालों का अंतराल था, चीज़ें तो बदलनी ही थीं। लेकिन करता क्या, मन तो नहीं बदला था न वह तो वही देखना च...

Read Free

क्या फर्क पडना चाहिए ? By Afzal Malla

क्या हमे किसी की बात से फर्क पड़ना चाहिए ?, पर क्यो ? जब के हम क्या करते है, हम कोन है हमारी परिस्थिति क्या है ये किसी को पता नही है, ना ही ये पता है की हम कैसे माहौल म...

Read Free

छोछक By Renu Yadav

‘बधाई हो, लाला हुआ है’ अस्पताल के रिसेप्शन के सामने सरोज की सास प्रेमावती अपनी समधिन मनोहरी देवी से गले मिलते हुए कहती हैं । ‘आपको भी बधाई बहन जी... कौन-से रूम है लाला’ ? ‘रूम नं....

Read Free

मेरी आवाज़ By Shivraj Anand

मेरे मुख-मंडल में सिर्फ एक ही बात का मसला लगा रहता है । दिनों-दिन हो रहे दंगा-फसाद, चोरी-डकैती ..जैसे विषयों पर उलझा रहता हूँ आखिर ऐसे लूट पात कब तक चलेंगे ..? ऐसे में क्या हम अपने...

Read Free

और कहानी मरती है - 1 By PANKAJ SUBEER

और कहानी मरती है (कहानी - पंकज सुबीर) (1) कहानी के पात्र आज फिर बग़ावत पर उतारू हैं, ऐसा पिछले एक सप्ताह से हो रहा है। अपनी इस कहानी को जब भी आगे बढ़ाने का प्रयास करता, इसके पात्र फ़...

Read Free

फ्लाई किल्लर - 2 By SR Harnot

फ्लाई किल्लर एस. आर. हरनोट (2) उसका माथा पसीने से तरबतर था। जितना पोंछता उतना ही गीला हो जाता। अपने को इतना कमजोर और असहाय कभी महसूस नहीं किया जितना उसने इन दिनों बैंक की लाइन में...

Read Free

काफिर तमन्नाएं By Husn Tabassum nihan

काफिर तमन्नाएं मै अमीरनबाई हूँ। उम्र यही कोई 80-85। वक्त के चढ़ाव-उतार खूब देखती रही हूँ। कभी अशरफियों की मलिका थी। आज फुटपाथ पे अमरूद लगाती हूँ। चंद सिक्कों की कमाई पर जिंदगी धकेल...

Read Free

बापवाली ! By Deepak sharma

बापवाली ! “बाहर दो पुलिस कांस्टेबल आए हैं,” घण्टी बजने पर बेबी ही दरवाज़े पर गयी थी, “एक के पास पिस्तौल है और दूसरे के पास पुलिस रूल. रूल वाला आदमी अपना नाम मीठेलाल बताता है. कहता ह...

Read Free

बिकी हुई लड़कियां - 3 - अंतिम भाग By Neela Prasad

बिकी हुई लड़कियां नीला प्रसाद (3) ‘और एक अच्छा लड़का जुगाड़ने की भी’, तरु बोली. ‘आंटी, हम बानी को जल्दी- से- जल्दी ब्याह देना चाहते हैं. दिल्ली में यह सब कोई सोचता नहीं होगा कि बूढ...

Read Free

सुकून By Renu Gupta

सुकून “पापा..... पापा..... अरे मुग्द्धा, पापा को कहीं देखा है क्या? अपने कमरे में नहीं हैं। बाहर लॉन में भी नहीं हैं। कहां गए?" "अरे वहीं कहीं होंगे। ठीक से देखो, जाएंगे क...

Read Free

देह की दहलीज पर - 3 By Kavita Verma

साझा उपन्यास देह की दहलीज पर लेखिकाएँ कविता वर्मा वंदना वाजपेयी रीता गुप्ता वंदना गुप्ता मानसी वर्मा *** कथा कड़ी 3 उस दिन कामिनी अन्य दिनों की अपेक्षा शाम से पहले ही घर आ ग...

Read Free

बाड़े का हीरो By Govind Sen

बाड़े का हीरो गोविन्द सेन इन दिनों पीपलवाला बाड़ा यानि जम्बू गली की एक जीवन्त कोशा एक विशेष उत्तेजना से ग्रस्त है। कोई सीटी बजा रहा है तो कोई गुनगुना रहा है। हर कोई जता रहा है अपने ह...

Read Free

अन्नदाता By Amitabh Mishra

अन्नदाता दुनिया इधर की उधर हो जाए । सूरज उगना भूल जाए। मौसम कैसा भी हो, आंधी तूफान हो, सर्दी हो, गर्मी कि बरसात हो, मगनीराम जी नियमित रूप सेरोज सुबह शाम चीटियों को आटा डालने जाए...

Read Free

इला न देणी आपणी By Dr Lakshmi Sharma

इला न देणी आपणी मैं एकटक उसे देखे जा रही हूँ, अपलक. जनक के पूर्वज निमि अगर इस कलियुग में भी पलकों पर ही रहते हैं तो वो निश्चिन्त ही इस समय स्वयं की पलकें झपकाना भी भूल गए होंगे. सच...

Read Free

फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 3 By Sarvesh Saxena

रात आठ बजे....चारों दोस्त मंजेश के यहां मिलते हैं, मिलकर खाना बनाते हैं, और शराब पीकर खूब हंसी मजाक करते हैं |मंजेश - “अरे अर्पित जरा टीवी तो ऑन कर” |अर्पित टीवी ऑन करता है |मोहित...

Read Free

परवरिश में कमी By Saroj Verma

परवरिश में कमी...!! भाईसाहब! थोड़ी जगह मिल जाएगी क्या? बैठने के लिए,राधेश्याम जी ने सीट पर बैठे सहयात्री से पूछा।। हां.. हां..क्यो नही भाईसाहब, बहुत जगह हैं अभी,एक जन तो आराम...

Read Free

अँधेरे का गणित - 3 - अंतिम भाग By PANKAJ SUBEER

अँधेरे का गणित (कहानी पंकज सुबीर) (3) आज फ़िर वो सी.एस.टी. की आरक्षण कतार में था, अभी दो रोज़ पहले ही तो उसने यहाँ आकर क़स्बे का रिज़र्वेशन रद्द करवाया था, पर तन्मय तो जा चुका था, यह...

Read Free

दम-दमड़ी By Deepak sharma

दम-दमड़ी रेलवे लाइन के किनारे बप्पा हमें पिछले साल लाए थे. “उधर गुमटी का भाड़ा कम है,” लगातार बिगड़ रही माँ की हालत से बप्पा के कारोबार ने टहोका खाया था, “बस, एक ख़राबी है. रेल बहुत पा...

Read Free

एक निकाह ऐसा भी By Husn Tabassum nihan

एक निकाह ऐसा भी ‘‘रूक जाईए...रूक जाईए.........एैसे नहीं होगा निकाह...‘‘ -अचानक पीछे से आती आवाज ने पण्डाल में बैठे सभी लोगों को चौंका दिया। खुद क़ाजी जी को भी। ये आवाज दुल्हन के पित...

Read Free

सांकल - 3 - अंतिम भाग By Zakia Zubairi

सांकल ज़किया ज़ुबैरी (3) “माँ, मैं उसको दो फ़्लैट्स, आपके दिए तमाम जेवर और पांच हज़ार पाउण्ड कैश भी दे रहा हूँ। ज़ेवर देने में आपको समस्या तो नहीं होगी क्योंकी आप औरतों को जेवर से...

Read Free

भीड़ में - 7 - अंतिम भाग By Roop Singh Chandel

भीड़ में (7) ’पोते का तिलक है---जाना ही पड़ेगा. नए कपड़े भी बनवाना होगा. पता नहीं बैंक में कितने पैसे हों. कई महीनों से पास बुक की एंट्री नहीं करवाई. कल जाकर चेक करना चाहिए. लखनऊ जाने...

Read Free

चोर. By Pawan Chauhan

चोर रात के खाने का निबाला अभी मुहॅं में डाला ही था कि चोरऽऽ चोरऽऽ का शोर मेरे कानों से टकराया। मैं चैंका लेकिन यह सोचकर खाने में मशगूल हो गया कि रोज़ रात को गॉव में रहने लगे ईंट बना...

Read Free

चंपा पहाड़न - 2 By Pranava Bharti

चंपा पहाड़न (2) अठारह-उन्नीस वर्ष की चंपा शहर के किसी सलीके से परिचित नहीं थी | यद्धपि हमारे देशभक्तों की कुर्बानियों से देश आज़ाद होने के पूरे आसार थे किन्तु यह तो तथ्य था ही कि अंग...

Read Free

होने से न होने तक - 11 By Sumati Saxena Lal

होने से न होने तक 11. चलने से पहले आण्टी ने एक लिफाफा मेरी तरफ बढ़ाया था। ‘‘यह क्या है आण्टी ?’’मैंने पूछा था। ‘‘यह चार हज़ार रुपए हैं। नौकरी ज्वायन करने से पहले अपने कुछ कपड़े बनवा ल...

Read Free

ये चकलेवालियां, ये चकलेबाज - 2 By Neela Prasad

ये चकलेवालियां, ये चकलेबाज नीला प्रसाद (2) दोपहर लंच टाइम था। खाना खाकर सब अपनी -अपनी टोली में बैठे गपिया रहे थे। इसी बहाने काम की एकाध बात भी हो जा रही थी कि किसने, कौन -सी फाइल द...

Read Free

किसी ने नहीं सुना - 4 By Pradeep Shrivastava

किसी ने नहीं सुना -प्रदीप श्रीवास्तव भाग 4 डेढ़-दो महीने में ही हम दोनों के संबंध अंतरंगता की सारी सीमा तोड़ने को मचल उठे। दीपावली की छुट्टी के बाद जब वह ऑफ़िस आई तो बहुत ही तड़क-भड़क क...

Read Free

सीप में बंद घुटन.... - 2 - अंतिम भाग By Zakia Zubairi

सीप में बंद घुटन.... ज़किया ज़ुबैरी (ब्रिटेन) (2) “अब मेरा यही काम रह गया है कि मै तेरा जी बहलाऊं.....? मज़दूरी तू करेगा..?.तेरे पेट का नरख कौन भरेगा..?” एयर कन्डीशन कमरे मे गदीले क़...

Read Free

कापुरुष By Kishanlal Sharma

बस से उतरकर देवेन वेटिंग रूम में चला आया था।वेटिंग रूम मे प्रवेश करते ही उसकी नज़र वहां बैठी औरत पर पड़ी थी।उसे देखकर चोंकते हुए बोला"तुम यहां?""देवेन तुम?"श्वेता,देवेन को देखकर आश्च...

Read Free

हस तुस अर कोरोना By Chinmayee

1st लक्डाउन् खतम होने मे बस् 1 दिन् बाकि था। लेकिन उस् एक दिन का इन्तेजार खुसि को ऐसा था जैसे क प्यासे को पानि का रेहता हे। पर शुभा का एक न्युज् सारे उमिद् पे पानि फैर् दिया था ।...

Read Free

धनिया - 3 By Govardhan Yadav

धनिया गोवर्धन यादव 3 गहरी नींद में सो रही धनिया। चर्र-मर्र चर्र-मर्र की आवाज सुनकर वह जाग गई। उसने ध्यान से उस आवाज को पहचानने की कोशिश की “अरे- ये तो बैलगाडिय़ों की चलने की आवाज है...

Read Free

मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - 10 By Neelima Sharma

क्वारंटाइन...लॉक डाउन...कोविड 19... कोरोना के नाम रहेगी यह सदी। हम सब इस समय एक चक्र के भीतर हैं और बाहर है एक महामारी। अचानक आई इस विपदा ने हम सबको हतप्रभ कर दिया हैं | ऐसा समय इस...

Read Free

काले कोस, अंधेरी रातें - 2 By Kavita Sonsi

काले कोस, अंधेरी रातें (2) मैं जानती तो हूँ सबकुछ, फिर भी न जाने क्यों अवाक हो उठती हूँ ...जैसे पहली बार सुन रही हूँ यह सब कुछ ...गडमड से कई दृष्ट आँखों में कौंधते हैं – एक पेपरवे...

Read Free

कुबेर - 26 By Hansa Deep

कुबेर डॉ. हंसा दीप 26 बेहद निराशा हुई। समझ गया वह। एक के बाद एक मालिक बदल गए थे। सालों का अंतराल था, चीज़ें तो बदलनी ही थीं। लेकिन करता क्या, मन तो नहीं बदला था न वह तो वही देखना च...

Read Free

क्या फर्क पडना चाहिए ? By Afzal Malla

क्या हमे किसी की बात से फर्क पड़ना चाहिए ?, पर क्यो ? जब के हम क्या करते है, हम कोन है हमारी परिस्थिति क्या है ये किसी को पता नही है, ना ही ये पता है की हम कैसे माहौल म...

Read Free

छोछक By Renu Yadav

‘बधाई हो, लाला हुआ है’ अस्पताल के रिसेप्शन के सामने सरोज की सास प्रेमावती अपनी समधिन मनोहरी देवी से गले मिलते हुए कहती हैं । ‘आपको भी बधाई बहन जी... कौन-से रूम है लाला’ ? ‘रूम नं....

Read Free

मेरी आवाज़ By Shivraj Anand

मेरे मुख-मंडल में सिर्फ एक ही बात का मसला लगा रहता है । दिनों-दिन हो रहे दंगा-फसाद, चोरी-डकैती ..जैसे विषयों पर उलझा रहता हूँ आखिर ऐसे लूट पात कब तक चलेंगे ..? ऐसे में क्या हम अपने...

Read Free

और कहानी मरती है - 1 By PANKAJ SUBEER

और कहानी मरती है (कहानी - पंकज सुबीर) (1) कहानी के पात्र आज फिर बग़ावत पर उतारू हैं, ऐसा पिछले एक सप्ताह से हो रहा है। अपनी इस कहानी को जब भी आगे बढ़ाने का प्रयास करता, इसके पात्र फ़...

Read Free

फ्लाई किल्लर - 2 By SR Harnot

फ्लाई किल्लर एस. आर. हरनोट (2) उसका माथा पसीने से तरबतर था। जितना पोंछता उतना ही गीला हो जाता। अपने को इतना कमजोर और असहाय कभी महसूस नहीं किया जितना उसने इन दिनों बैंक की लाइन में...

Read Free

काफिर तमन्नाएं By Husn Tabassum nihan

काफिर तमन्नाएं मै अमीरनबाई हूँ। उम्र यही कोई 80-85। वक्त के चढ़ाव-उतार खूब देखती रही हूँ। कभी अशरफियों की मलिका थी। आज फुटपाथ पे अमरूद लगाती हूँ। चंद सिक्कों की कमाई पर जिंदगी धकेल...

Read Free

बापवाली ! By Deepak sharma

बापवाली ! “बाहर दो पुलिस कांस्टेबल आए हैं,” घण्टी बजने पर बेबी ही दरवाज़े पर गयी थी, “एक के पास पिस्तौल है और दूसरे के पास पुलिस रूल. रूल वाला आदमी अपना नाम मीठेलाल बताता है. कहता ह...

Read Free

बिकी हुई लड़कियां - 3 - अंतिम भाग By Neela Prasad

बिकी हुई लड़कियां नीला प्रसाद (3) ‘और एक अच्छा लड़का जुगाड़ने की भी’, तरु बोली. ‘आंटी, हम बानी को जल्दी- से- जल्दी ब्याह देना चाहते हैं. दिल्ली में यह सब कोई सोचता नहीं होगा कि बूढ...

Read Free

सुकून By Renu Gupta

सुकून “पापा..... पापा..... अरे मुग्द्धा, पापा को कहीं देखा है क्या? अपने कमरे में नहीं हैं। बाहर लॉन में भी नहीं हैं। कहां गए?" "अरे वहीं कहीं होंगे। ठीक से देखो, जाएंगे क...

Read Free

देह की दहलीज पर - 3 By Kavita Verma

साझा उपन्यास देह की दहलीज पर लेखिकाएँ कविता वर्मा वंदना वाजपेयी रीता गुप्ता वंदना गुप्ता मानसी वर्मा *** कथा कड़ी 3 उस दिन कामिनी अन्य दिनों की अपेक्षा शाम से पहले ही घर आ ग...

Read Free

बाड़े का हीरो By Govind Sen

बाड़े का हीरो गोविन्द सेन इन दिनों पीपलवाला बाड़ा यानि जम्बू गली की एक जीवन्त कोशा एक विशेष उत्तेजना से ग्रस्त है। कोई सीटी बजा रहा है तो कोई गुनगुना रहा है। हर कोई जता रहा है अपने ह...

Read Free

अन्नदाता By Amitabh Mishra

अन्नदाता दुनिया इधर की उधर हो जाए । सूरज उगना भूल जाए। मौसम कैसा भी हो, आंधी तूफान हो, सर्दी हो, गर्मी कि बरसात हो, मगनीराम जी नियमित रूप सेरोज सुबह शाम चीटियों को आटा डालने जाए...

Read Free

इला न देणी आपणी By Dr Lakshmi Sharma

इला न देणी आपणी मैं एकटक उसे देखे जा रही हूँ, अपलक. जनक के पूर्वज निमि अगर इस कलियुग में भी पलकों पर ही रहते हैं तो वो निश्चिन्त ही इस समय स्वयं की पलकें झपकाना भी भूल गए होंगे. सच...

Read Free

फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 3 By Sarvesh Saxena

रात आठ बजे....चारों दोस्त मंजेश के यहां मिलते हैं, मिलकर खाना बनाते हैं, और शराब पीकर खूब हंसी मजाक करते हैं |मंजेश - “अरे अर्पित जरा टीवी तो ऑन कर” |अर्पित टीवी ऑन करता है |मोहित...

Read Free

परवरिश में कमी By Saroj Verma

परवरिश में कमी...!! भाईसाहब! थोड़ी जगह मिल जाएगी क्या? बैठने के लिए,राधेश्याम जी ने सीट पर बैठे सहयात्री से पूछा।। हां.. हां..क्यो नही भाईसाहब, बहुत जगह हैं अभी,एक जन तो आराम...

Read Free

अँधेरे का गणित - 3 - अंतिम भाग By PANKAJ SUBEER

अँधेरे का गणित (कहानी पंकज सुबीर) (3) आज फ़िर वो सी.एस.टी. की आरक्षण कतार में था, अभी दो रोज़ पहले ही तो उसने यहाँ आकर क़स्बे का रिज़र्वेशन रद्द करवाया था, पर तन्मय तो जा चुका था, यह...

Read Free

दम-दमड़ी By Deepak sharma

दम-दमड़ी रेलवे लाइन के किनारे बप्पा हमें पिछले साल लाए थे. “उधर गुमटी का भाड़ा कम है,” लगातार बिगड़ रही माँ की हालत से बप्पा के कारोबार ने टहोका खाया था, “बस, एक ख़राबी है. रेल बहुत पा...

Read Free

एक निकाह ऐसा भी By Husn Tabassum nihan

एक निकाह ऐसा भी ‘‘रूक जाईए...रूक जाईए.........एैसे नहीं होगा निकाह...‘‘ -अचानक पीछे से आती आवाज ने पण्डाल में बैठे सभी लोगों को चौंका दिया। खुद क़ाजी जी को भी। ये आवाज दुल्हन के पित...

Read Free

सांकल - 3 - अंतिम भाग By Zakia Zubairi

सांकल ज़किया ज़ुबैरी (3) “माँ, मैं उसको दो फ़्लैट्स, आपके दिए तमाम जेवर और पांच हज़ार पाउण्ड कैश भी दे रहा हूँ। ज़ेवर देने में आपको समस्या तो नहीं होगी क्योंकी आप औरतों को जेवर से...

Read Free

भीड़ में - 7 - अंतिम भाग By Roop Singh Chandel

भीड़ में (7) ’पोते का तिलक है---जाना ही पड़ेगा. नए कपड़े भी बनवाना होगा. पता नहीं बैंक में कितने पैसे हों. कई महीनों से पास बुक की एंट्री नहीं करवाई. कल जाकर चेक करना चाहिए. लखनऊ जाने...

Read Free