सांकल - 3 - अंतिम भाग Zakia Zubairi द्वारा Moral Stories में हिंदी पीडीएफ

Saankal by Zakia Zubairi in Hindi Novels
सांकल ज़किया ज़ुबैरी (1) क्या उसने अपने गिरने की कोई सीमा तय नहीं कर रखी? सीमा के आंसुओं ने भी बहने की सीमा तोड़ दी है...। इंकार कर दिया रुकने से....।...