hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • पाखी

    पाखी अन्नदा पाटनी खुले मैदान में एक बडे़ समारोह का आयोजन था । चारों तरफ़ हरे भरे...

  • हूफ प्रिंट - 8

    हूफ प्रिंट Chapter 8 पिछली सुनवाई में दोनों पक्षों ने अपने अपने पक्ष की दलील पेश...

  • मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - 21

    मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन कहानी 21 लेखिका: ज्योति द्विवेदी दास्तान-ए-पैनडेमिक ‘कभी किसी ग...

फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 5 By Sarvesh Saxena

आफताब - " अरे आलम " |आलम -" जी भाई जान"|आफताब -" यह पुलिस इतनी सारी क्यों घूम रही है और मार्केट में इतनी अफरा-तफरी, जैसे कोई शैतान आने वाला हो"| आफताब ने पड़ोसी दुकानदार आलम से कहा...

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पाखी By Annada patni

पाखी अन्नदा पाटनी खुले मैदान में एक बडे़ समारोह का आयोजन था । चारों तरफ़ हरे भरे पेड़, मनमोहक महक लिए ठंडी बयार के झोंके और पास में बहती हुई छोटी सी साफ़ सुथरी नदी । भला इस से सुंद...

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देह की दहलीज पर - 9 By Kavita Verma

साझा उपन्यास देह की दहलीज पर संपादक कविता वर्मा लेखिकाएँ कविता वर्मा वंदना वाजपेयी रीता गुप्ता वंदना गुप्ता मानसी वर्मा कथाकड़ी 9 अब तक आपने पढ़ा :-मुकुल की उपेक्षा से कामिन...

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हूफ प्रिंट - 8 By Ashish Kumar Trivedi

हूफ प्रिंट Chapter 8 पिछली सुनवाई में दोनों पक्षों ने अपने अपने पक्ष की दलील पेश की थी। आज उन्हें गवाह पेश करने व उनसे सवाल जवाब करने थे। जज कार्तिक रंगनाथ ने कोर्ट की कार्यवाही आर...

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उदासियों का वसंत - 1 By Hrishikesh Sulabh

उदासियों का वसंत हृषीकेश सुलभ (1) वे चले जा रहे थे। श्लथ पाँव। छोटी-सी मूठवाली काले रंग की छड़ी के सहारे। यह छड़ी कुछ ही दिनों पहले, ......कल ही, उनकी ज़िन्दगी में जबरन शामिल हुई थी,...

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कहानी किससे ये कहें! - 6 - अंतिम भाग By Neela Prasad

कहानी किससे ये कहें! नीला प्रसाद (6) ‘मैं तो सिर्फ बातें करने आई थी।' ‘तो बातें ही करो न! पर स्पर्शों से’, अय्यर सहजता से ‘आप’ से ‘तुम’ पर उतर आए थे। ‘सर, मैं कोई बाजारू औरत नह...

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सुनो पुनिया - 4 - अंतिम भाग By Roop Singh Chandel

सुनो पुनिया (4) बलमा के ढोल का स्वर भी तेज से तेजतर होता जा रहा था. बलमा झूम रहा था. उसके हाथ स्वतः चल रहे थे---जैसे उनमें मशीन लगा दी गई हो. और मशीन रामभरोसे के हाथों में भी जैसे...

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कुबेर - 31 By Hansa Deep

कुबेर डॉ. हंसा दीप 31 सब शिशुओं का नामकरण किया गया। मैरी ने सबको एक प्यारा-सा नाम दिया जो ध से शुरू होता था। अपने भाई डीपी के असली नाम के अक्षर धनंजय के ध से, धरा, ध्वनि और धानी ती...

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मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - 21 By Neelima Sharma

मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन कहानी 21 लेखिका: ज्योति द्विवेदी दास्तान-ए-पैनडेमिक ‘कभी किसी गिटारिस्ट को गिटार बजाते वक्त हंसते देखा है?’ ‘नहीं न? उसने ऐसा किया नहीं कि लोग उससे पूछने लगेंगे, भ...

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बेटी - भाग -१ By Anil Sainger

मेरी शादी हुए पाँच साल हो गए हैं लेकिन मैं आजतक न तो अपने पति को और न ससुराल वालों को समझ पाई हूँ | सब कहते हैं कि दुनिया बदल रही है साथ ही हमारे देश की सोच भी बदल रही है | मगर मुझ...

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आमा के ख़मा करो By Rita Gupta

आमाके ख़मा करो प्रबीर ने उसदिन बाबा को अकेले में बड़बड़ाते हुए पाया था. कमरे में दरवाजे की तरफ पीठ किये बैठे बाबा को अकेले में खुद से बाते करतें देख प्रबीर का मन भर आया था....

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ध्वनियों के दाग  By कल्पना मनोरमा

“संयक्त परिवार में अक्सर दोपहर तक के घर के काम निपटाते- निपटाते औरतें थककर चूर हो जातीं हैं , तो उन्हें लगता कि उनके बच्चे भी थोड़ी देर उनसे दूर रहें, उनके पास न आएँ लेकिन साथ में...

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चंपा पहाड़न - 6 By Pranava Bharti

चंपा पहाड़न 6 मह्तू जैक्सन साहब का विश्वासपात्र बावर्ची भी था और ड्राइवर भी | रात के अंधेरों में ऊबड़-खाबड़ रास्तों में से किस प्रकार गन्तव्य तक पहुँचा जा सकता है, वह बखूबी जानता...

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घेराव - 3 - अंतिम भाग By PANKAJ SUBEER

घेराव (कहानी पंकज सुबीर) (3) ‘तीन चार हज़ार तो होने ही चाहिए। हमने इसको राजनैतिक रूप नहीं दिया है, हर सच्चे हिंदू को बुलाया है जिसे भी लगता है कि मुसलमानों के इशारे पर एक तेरह साल...

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हकदारी By Deepak sharma

हकदारी “उषा अभी लौटी नहीं है”- मेरे घर पहुँचते ही अम्मा ने मुझे रिपोर्ट दी| “मैं सेंटर जाता हूँ|” मैं फिक्र में पड़ गया| दोपहर बारह से शाम छह बजे तक का समय उषा एक कढ़ाई सेंटर पर बिता...

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होने से न होने तक - 15 By Sumati Saxena Lal

होने से न होने तक 15. यश आते ही रहते हैं। जौहरी परिवार का भी ऊपर आना जाना बना रहता है। न जाने कब और कैसे यश उनके बच्चों से घुल मिल गए थे। विनीत अपनी मैथ्स की प्राब्लम्स जमा करता रह...

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किसी ने नहीं सुना - 8 By Pradeep Shrivastava

किसी ने नहीं सुना -प्रदीप श्रीवास्तव भाग 8 सुबह का माहौल बहुत तनावपूर्ण रहा। सूजा चेहरा, सूजी आंखें लिए नीला ने सारा काम किया। मुझ पर गुस्सा दिखाते हुए बच्चों पर चीखती चिल्लाती रही...

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गेहूं की खरीद By Amitabh Mishra

गेहूं की खरीद वह गेंहू इकठ्ठा खरीदने का समय था । मई का महीनासाल दर साल बढ़ते तापमान का रिकॉर्ड तोड़ता मौसम, गेहूं के उत्पादन कारिकॉर्ड तोड़ता, उसके साथ बढ़ते भावों का भ...

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फ्लाई किल्लर - 5 - अंतिम भाग By SR Harnot

फ्लाई किल्लर एस. आर. हरनोट (5) वह चुपचाप कौवे की कथा सुन रहा था। हालांकि उसके मन में कई प्रश्न थे पर वह शांत बना रहा। कौवा बताए जा रहा था......... अब समस्या यह थी जीवन कुमार कि इन...

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कोरोना समय में बाजारवाद By Husn Tabassum nihan

कोरोना समय में बाजारवाद राजन की किराना की दुकान में लॉक डाउन का ऐलान होते ही सन्नाटा पसर गया। मण में सोंचा, एक दम नकारा हो गया? दूसरे ही दिन 6 साल की बेटी बुलबुल ने सूचना दी कि- &...

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हाँ मेरी बिट्टु By Hrishikesh Sulabh

हाँ मेरी बिट्टु हृषीकेश सुलभ उसके आते ही मेरा कमरा उजास से भर गया। ‘‘भाई साहब! नमस्ते!......मैं अन्नी हूँ,.... अन्नी।’’ मुझे भौंचक पाकर वह खिलखिला उठी। फिर बहुत सहजता और विश्वास स...

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लॉटरी. By Pawan Chauhan

लॉटरी पिछले कल हुई वर्षा ने सर्दी का पूर्ण अहसास करा दिया था। बादल भी आॅंख मिचैली का खेल बंद कर चुके थे। बादल रहित नीला आसमान आज सूर्य के रास्ते में कोई रूकावट पैदा करने के मूड़ में...

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लकवा By Shobhana Shyam

रीमा भौचक्की सी रिक्शा में बैठी थी| आँखे देख तो सामने रहीं थी, लेकिन उन्हें दिखाई कुछ और ही दे रहा था| शहर के सबसे व्यस्त बाजारों में से एक की एक गली में है उसका घर| गली से बाहर आत...

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जगत का जंजाल-संसृति By Shivraj Anand

(मनुष्यों को अपने हृदय की सु बुद्धि से दीपशिखा जलाने चाहिए।उन्हे इक दुसरे के मध्य भेदभाव डालकर मौजमस्ती नही करनी चाहिए।मौजमस्ती दो पल की भूल है उनके कुबुद्धि का फल शूल है) इस प्रकृ...

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पानी पी लूंगा (रोज़ा) By Afzal Malla

में टैब १० साल का था २००५ में ओर रमज़ान महीना आ रहा था. तो सब लोग तैयारी कर रहे थे ओर में भी साथ में सबके खुशी से तैयारी में लगा था मेने कभी रोजा रखा तो नही था पर सब तैयारी करे...

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फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 5 By Sarvesh Saxena

आफताब - " अरे आलम " |आलम -" जी भाई जान"|आफताब -" यह पुलिस इतनी सारी क्यों घूम रही है और मार्केट में इतनी अफरा-तफरी, जैसे कोई शैतान आने वाला हो"| आफताब ने पड़ोसी दुकानदार आलम से कहा...

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पाखी By Annada patni

पाखी अन्नदा पाटनी खुले मैदान में एक बडे़ समारोह का आयोजन था । चारों तरफ़ हरे भरे पेड़, मनमोहक महक लिए ठंडी बयार के झोंके और पास में बहती हुई छोटी सी साफ़ सुथरी नदी । भला इस से सुंद...

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देह की दहलीज पर - 9 By Kavita Verma

साझा उपन्यास देह की दहलीज पर संपादक कविता वर्मा लेखिकाएँ कविता वर्मा वंदना वाजपेयी रीता गुप्ता वंदना गुप्ता मानसी वर्मा कथाकड़ी 9 अब तक आपने पढ़ा :-मुकुल की उपेक्षा से कामिन...

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हूफ प्रिंट - 8 By Ashish Kumar Trivedi

हूफ प्रिंट Chapter 8 पिछली सुनवाई में दोनों पक्षों ने अपने अपने पक्ष की दलील पेश की थी। आज उन्हें गवाह पेश करने व उनसे सवाल जवाब करने थे। जज कार्तिक रंगनाथ ने कोर्ट की कार्यवाही आर...

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उदासियों का वसंत - 1 By Hrishikesh Sulabh

उदासियों का वसंत हृषीकेश सुलभ (1) वे चले जा रहे थे। श्लथ पाँव। छोटी-सी मूठवाली काले रंग की छड़ी के सहारे। यह छड़ी कुछ ही दिनों पहले, ......कल ही, उनकी ज़िन्दगी में जबरन शामिल हुई थी,...

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कहानी किससे ये कहें! - 6 - अंतिम भाग By Neela Prasad

कहानी किससे ये कहें! नीला प्रसाद (6) ‘मैं तो सिर्फ बातें करने आई थी।' ‘तो बातें ही करो न! पर स्पर्शों से’, अय्यर सहजता से ‘आप’ से ‘तुम’ पर उतर आए थे। ‘सर, मैं कोई बाजारू औरत नह...

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सुनो पुनिया - 4 - अंतिम भाग By Roop Singh Chandel

सुनो पुनिया (4) बलमा के ढोल का स्वर भी तेज से तेजतर होता जा रहा था. बलमा झूम रहा था. उसके हाथ स्वतः चल रहे थे---जैसे उनमें मशीन लगा दी गई हो. और मशीन रामभरोसे के हाथों में भी जैसे...

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कुबेर - 31 By Hansa Deep

कुबेर डॉ. हंसा दीप 31 सब शिशुओं का नामकरण किया गया। मैरी ने सबको एक प्यारा-सा नाम दिया जो ध से शुरू होता था। अपने भाई डीपी के असली नाम के अक्षर धनंजय के ध से, धरा, ध्वनि और धानी ती...

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मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - 21 By Neelima Sharma

मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन कहानी 21 लेखिका: ज्योति द्विवेदी दास्तान-ए-पैनडेमिक ‘कभी किसी गिटारिस्ट को गिटार बजाते वक्त हंसते देखा है?’ ‘नहीं न? उसने ऐसा किया नहीं कि लोग उससे पूछने लगेंगे, भ...

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बेटी - भाग -१ By Anil Sainger

मेरी शादी हुए पाँच साल हो गए हैं लेकिन मैं आजतक न तो अपने पति को और न ससुराल वालों को समझ पाई हूँ | सब कहते हैं कि दुनिया बदल रही है साथ ही हमारे देश की सोच भी बदल रही है | मगर मुझ...

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आमा के ख़मा करो By Rita Gupta

आमाके ख़मा करो प्रबीर ने उसदिन बाबा को अकेले में बड़बड़ाते हुए पाया था. कमरे में दरवाजे की तरफ पीठ किये बैठे बाबा को अकेले में खुद से बाते करतें देख प्रबीर का मन भर आया था....

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ध्वनियों के दाग  By कल्पना मनोरमा

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चंपा पहाड़न - 6 By Pranava Bharti

चंपा पहाड़न 6 मह्तू जैक्सन साहब का विश्वासपात्र बावर्ची भी था और ड्राइवर भी | रात के अंधेरों में ऊबड़-खाबड़ रास्तों में से किस प्रकार गन्तव्य तक पहुँचा जा सकता है, वह बखूबी जानता...

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घेराव - 3 - अंतिम भाग By PANKAJ SUBEER

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हकदारी By Deepak sharma

हकदारी “उषा अभी लौटी नहीं है”- मेरे घर पहुँचते ही अम्मा ने मुझे रिपोर्ट दी| “मैं सेंटर जाता हूँ|” मैं फिक्र में पड़ गया| दोपहर बारह से शाम छह बजे तक का समय उषा एक कढ़ाई सेंटर पर बिता...

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होने से न होने तक 15. यश आते ही रहते हैं। जौहरी परिवार का भी ऊपर आना जाना बना रहता है। न जाने कब और कैसे यश उनके बच्चों से घुल मिल गए थे। विनीत अपनी मैथ्स की प्राब्लम्स जमा करता रह...

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किसी ने नहीं सुना - 8 By Pradeep Shrivastava

किसी ने नहीं सुना -प्रदीप श्रीवास्तव भाग 8 सुबह का माहौल बहुत तनावपूर्ण रहा। सूजा चेहरा, सूजी आंखें लिए नीला ने सारा काम किया। मुझ पर गुस्सा दिखाते हुए बच्चों पर चीखती चिल्लाती रही...

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गेहूं की खरीद By Amitabh Mishra

गेहूं की खरीद वह गेंहू इकठ्ठा खरीदने का समय था । मई का महीनासाल दर साल बढ़ते तापमान का रिकॉर्ड तोड़ता मौसम, गेहूं के उत्पादन कारिकॉर्ड तोड़ता, उसके साथ बढ़ते भावों का भ...

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फ्लाई किल्लर - 5 - अंतिम भाग By SR Harnot

फ्लाई किल्लर एस. आर. हरनोट (5) वह चुपचाप कौवे की कथा सुन रहा था। हालांकि उसके मन में कई प्रश्न थे पर वह शांत बना रहा। कौवा बताए जा रहा था......... अब समस्या यह थी जीवन कुमार कि इन...

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कोरोना समय में बाजारवाद By Husn Tabassum nihan

कोरोना समय में बाजारवाद राजन की किराना की दुकान में लॉक डाउन का ऐलान होते ही सन्नाटा पसर गया। मण में सोंचा, एक दम नकारा हो गया? दूसरे ही दिन 6 साल की बेटी बुलबुल ने सूचना दी कि- &...

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हाँ मेरी बिट्टु By Hrishikesh Sulabh

हाँ मेरी बिट्टु हृषीकेश सुलभ उसके आते ही मेरा कमरा उजास से भर गया। ‘‘भाई साहब! नमस्ते!......मैं अन्नी हूँ,.... अन्नी।’’ मुझे भौंचक पाकर वह खिलखिला उठी। फिर बहुत सहजता और विश्वास स...

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लॉटरी. By Pawan Chauhan

लॉटरी पिछले कल हुई वर्षा ने सर्दी का पूर्ण अहसास करा दिया था। बादल भी आॅंख मिचैली का खेल बंद कर चुके थे। बादल रहित नीला आसमान आज सूर्य के रास्ते में कोई रूकावट पैदा करने के मूड़ में...

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लकवा By Shobhana Shyam

रीमा भौचक्की सी रिक्शा में बैठी थी| आँखे देख तो सामने रहीं थी, लेकिन उन्हें दिखाई कुछ और ही दे रहा था| शहर के सबसे व्यस्त बाजारों में से एक की एक गली में है उसका घर| गली से बाहर आत...

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जगत का जंजाल-संसृति By Shivraj Anand

(मनुष्यों को अपने हृदय की सु बुद्धि से दीपशिखा जलाने चाहिए।उन्हे इक दुसरे के मध्य भेदभाव डालकर मौजमस्ती नही करनी चाहिए।मौजमस्ती दो पल की भूल है उनके कुबुद्धि का फल शूल है) इस प्रकृ...

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पानी पी लूंगा (रोज़ा) By Afzal Malla

में टैब १० साल का था २००५ में ओर रमज़ान महीना आ रहा था. तो सब लोग तैयारी कर रहे थे ओर में भी साथ में सबके खुशी से तैयारी में लगा था मेने कभी रोजा रखा तो नही था पर सब तैयारी करे...

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