hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • Jashn in Corona

    ये कहानी शुरू होती है, उत्तर प्रदेश मे स्थित जिले के एक छोटे से गांव से । मैं जि...

  • पसंद अपनी अपनी - 1

    "बिजली घर-बिजली घर---ऑटोवाला ज़ोर ज़ोर से आवाज लगा रहा था।उमेश को देखते ही ऑटो वाल...

  • लाईट हाउस...

    लाईट हाउस... पूजा करने के बाद समय काटने के लिए सविता जी एक पत्रिका लेकर बाहर ड्र...

उदासियों का वसंत - 3 - अंतिम भाग By Hrishikesh Sulabh

उदासियों का वसंत हृषीकेश सुलभ (3) दिन सिमट रहा था। अब साँझ का झिटपुटा घिरने लगा था। रोज़ तीसरे पहर बरसने वाले बादल आज जाने कहाँ आवारगी करते रहे! अपनी तिपहरी कहीं और बिताकर अब पहुँचन...

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कुबेर - 34 By Hansa Deep

कुबेर डॉ. हंसा दीप 34 एक बार बाबू कुछ ऐसी सोच में डूबे चल रहे थे कि पत्थर से टकराकर भड़ाम गिरे थे। हाथ-पैर बुरी तरह छील गए थे। लोगों ने उन्हें उठाया था और थोड़ी देर बैठने के लिए कह...

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फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 6 By Sarvesh Saxena

शहर की स्थिति दिन ब दिन और गंभीर होती जा रही थी हर कोई इस कोरोना नाम के वायरस से खौफजदा था और इस लॉक डाउन ने सभी की मुश्किलें और बढ़ा दी थी लेकिन इस लाइलाज बीमारी से बचने का और कोई...

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Jashn in Corona By इंदर भोले नाथ

ये कहानी शुरू होती है, उत्तर प्रदेश मे स्थित जिले के एक छोटे से गांव से । मैं जिले और गांव का नाम नहीं रखना चाहता है क्योंकि ये कहानी ही नहीं बल्कि एक सच्ची घटना भी है। ये कहानी आध...

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झगड़ों में गाँव By महेश रौतेला

झगड़ों में गाँव:पहाड़ों में एक अद्भुत शान्ति होती है,अगर महसूस कर सको तो। समाज में कहीं आपसी मेलजोल है तो कहीं संघर्ष-विवाद की घटनाएं भी देखने को मिलती हैं।प्यार का अपना गणित भी होता...

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बेटी - भाग-४ By Anil Sainger

यह सब उस जमाने तक ठीक था जब औरत घर से बाहर नहीं निकलती थीं | तब वह केवल घर और बच्चों तक ही सीमित थीं | आज वक्त बदल चुका है | आज औरत पढने-लिखने से लेकर पैसा कमाने तक पुरुष के बराबर...

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पसंद अपनी अपनी - 1 By Kishanlal Sharma

"बिजली घर-बिजली घर---ऑटोवाला ज़ोर ज़ोर से आवाज लगा रहा था।उमेश को देखते ही ऑटो वाले ने पूछा था।"कमलानगर जाना है।""कमलानगर के लिए बिजलीघर से बस मिलेगी,"ऑटोवाला बोला,"आइये।आपकेे बैठते...

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लाईट हाउस... By Dr Vinita Rahurikar

लाईट हाउस... पूजा करने के बाद समय काटने के लिए सविता जी एक पत्रिका लेकर बाहर ड्राइंग रूम में आकर सोफे पर बैठ गई। पढ़ने से अधिक अच्छा तरीका दूसरा नहीं होता है समय काटने का और उन्हें...

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महामाया - 3 By Sunil Chaturvedi

महामाया सुनील चतुर्वेदी अध्याय – तीन अखिल ने खिड़की के सामने लगा परदा हटाया और खिड़की खोल दी। ताजी ठंडी हवा का एक झोंका कमरे में प्रवेश कर गया। हवा के झोंके के साथ ही खिड़की के रास्ते...

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देह की दहलीज पर - 11 By Kavita Verma

साझा उपन्यास देह की दहलीज पर संपादक कविता वर्मा लेखिकाएँ कविता वर्मा वंदना वाजपेयी रीता गुप्ता वंदना गुप्ता मानसी वर्मा कथाकड़ी 11 अब तक आपने पढ़ा :- मुकुल की उपेक्षा से कामि...

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हूफ प्रिंट - 13 - अंतिम भाग By Ashish Kumar Trivedi

हूफ प्रिंट Chapter 13 चंदर ने अपना जुल्म कबूल कर लिया। अपने बयान में उसने सारी कहानी सुनाई। बचपन से ही चंदर को फिल्मों का बहुत शौक था। अक्सर वह स्कूल से भाग कर फिल्में देखने जाता थ...

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तस्वीर में अवांछित - 3 - अंतिम भाग By PANKAJ SUBEER

तस्वीर में अवांछित (कहानी - पंकज सुबीर) (3) लड़की ने जो टीवी पर फिल्म देख रही थी अंदर जाकर कुछ सामान ज़ोर से पटका और फिर किसी खिड़की या शायद दरवाज़े को ज़ोर से लगाया। सारी की सारी...

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निर्मम अंधेरे By Husn Tabassum nihan

निर्मम अंधेरे ‘‘ हे....दीदी, तू हिजड़ी है का ?‘‘ -छुटके ने तपाक से बोला तो डेहरी पर से लहसुन का झाबा उतारती नैय्या भीतर तक सुलग गई। छुटके को घूर कर निहारा। वह जैसे उसकी निंगाहों के...

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होने से न होने तक - 18 By Sumati Saxena Lal

होने से न होने तक 18. कौशल्या दीदी उठ कर खड़ी हो गयी थीं और खाना शुरू कराने के लिए सबकी प्लेटों में परोसने लगी थीं। सब लोग अपनी अपनी बातें कहने लगे थे। थोड़ी ही देर में अलग अलग अनुभव...

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किसी ने नहीं सुना - 11 By Pradeep Shrivastava

किसी ने नहीं सुना -प्रदीप श्रीवास्तव भाग 11 इस बार उसके और ज़्यादा इठला के बोलने ने मुझे एकदम सचेत कर दिया, कि यह उस एरिया में चलती-फिरती गर्म गोश्त की दुकान है जो खुद ही माल भी है...

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रक्षाबंधन के बहाने By Rita Gupta

रक्षाबंधन पिछले तीन-चार या शायद उस से भी अधिक महीनों से भैया ने मुझे फोन नहीं किया था। गाहे बगाहे मैं जब फोन करती, भैया से बातें हो नहीं पाती। भाभी अलबत्ता उनकी व्यस्तता का रोना र...

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लाचारी By Rajesh Kumar

समझ में आता है कि किस प्रकार कोई व्यक्ति ना चाहते हुए भी दुनिया की चमक धमक से समझौता करता है उसे पता होता है कि शासन तंत्र के बहुत सारे निर्णय गलत हैं वह बहुत कुछ लिखना भी चाहता है...

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कागज के टुकड़े By Archana Anupriya

"कागज के टुकड़े" -अर्चना अनुप्रिया सुबह से ही घर में हंगामा था।सारी सोसायटी के लोग महेशनाथ जी के घर के आगे जमा हो रहे थे। कल रात कोई चोर महेशनाथ जी की तिजोरी ही चुराकर ले गया था। स...

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ऐसा हाे तो By HARIYASH RAI

कहानी ऐसा हो तो ......... हरियश राय बी. ए करने के बाद बैजनाथ को एक मैन्‍यूफैक्‍चरिंग कंपनी में एकाउंटस का काम करने का मौका मिला तो उसने इस मौक़े को अपने हाथ से जाने नहीं दि...

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मौसम चुनाव का By sonal singh

राजनीति अब काली कोठरी है। सत्ता सुख आज परम सुख माना जा रहा है। राजनीति में शरण लेना हमेशा मुनाफा का ज़रिया है आज का दिन में। राजनीति में शरण लेने का आनंद मानो स्वर्ग में अपसरा मिल...

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चंपा पहाड़न - 8 - अंतिम भाग By Pranava Bharti

चंपा पहाड़न 8. चंपा अब लगभग पैंतालीस वर्ष की होने को आई थी, उसका यज्ञादि का नित्य कर्म वैसे ही चलता लेकिन गुड्डी के विवाह के पश्चात वह फिर से बंद कोठरी के एकाकीपन से जूझने लगी थी| ह...

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थप्पड़ By Shobhana Shyam

सुबह के साढ़े आठ बजे थे, राकेश का कहीं अता पता नहीं था| सुबह सात बजे शिप्रा ढाई महीने की बेटी पीकू को तैयार कर मंदिर जाने के लिए घर के आंगन में खड़े स्कूटर तक पहुंची ही थी कि राकेश...

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रस--- प्रवाह By Neelam Kulshreshtha

रस--- प्रवाह नीलम कुलश्रेष्ठ [ नीलम कुलश्रेष्ठ की सरोगेसी पर आधारित `हंस `में प्रकाशित व `उस महल की सरगोशियां में `उनके कहानी संग्रह में संकलित ये कहानी एक दस्तावेज है क्योंकि अब व...

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मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - अनुभव By Neelima Sharma

मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन अनुभव लॉकडाउन कहानियों का सफ़र क्या आप सब में से कभी किसी ने ऐसे दिनों की कल्पना की थी कि सारी दुनिया ठहर जायेगी ? फरवरी में छुट पुट खबर सुन रही थी कि चीन में ऐसीअज...

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हां, पर एक शर्त है By Lajpat Rai Garg

हां, पर एक शर्त है सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त अस्सी वर्षीय आनन्द प्रकाश जीवन का अन्तिम समय अकेले रहकर बिता रहा था, क्योंकि उसकी धर्मपत्नी का देहान्त हो चुका था। दोनों बेटे विदेश म...

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दायरों के दरम्यां By Husn Tabassum nihan

दायरों के दरम्यां अचानक सुबह फोन बजा तो अब्बा चैंक पड़े। रिसीव किया तो पता चला अगले महीने अफजल यू.पी. आ रहा है। बता रहा था कि -‘‘ अब्बू, अगर अल्लाह ने चाहा तो मैं अगले महीने की 12 त...

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स्वयंसिद्धा By Renu Gupta

स्वयंसिद्धा सुखिया का पोर पोर आज बुरी तरह से दुख रहा था। रोम रोम में असहनीय दर्द की टीस उठ रही थी और वह सोच रही थी, यह मैंने क्या कर डाला। बिना सोचे समझे बिरजू जैसे लड़के से श...

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लोकतंत्र के पहरुए By padma sharma

लोकतंत्र के पहरुए अपनी मस्ती में थे वे सब ...। सुख में इतने डूबे कि आँख मूंदे भीतर तक डूब कर इन क्षणों को जी लेना चाहते थे वे, जो जगना की वजह से उन्हें देखने को मिले। सन्तो और जगना...

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पाखी By Annada patni

पाखी अन्नदा पाटनी खुले मैदान में एक बडे़ समारोह का आयोजन था । चारों तरफ़ हरे भरे पेड़, मनमोहक महक लिए ठंडी बयार के झोंके और पास में बहती हुई छोटी सी साफ़ सुथरी नदी । भला इस से सुंद...

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उदासियों का वसंत - 3 - अंतिम भाग By Hrishikesh Sulabh

उदासियों का वसंत हृषीकेश सुलभ (3) दिन सिमट रहा था। अब साँझ का झिटपुटा घिरने लगा था। रोज़ तीसरे पहर बरसने वाले बादल आज जाने कहाँ आवारगी करते रहे! अपनी तिपहरी कहीं और बिताकर अब पहुँचन...

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कुबेर - 34 By Hansa Deep

कुबेर डॉ. हंसा दीप 34 एक बार बाबू कुछ ऐसी सोच में डूबे चल रहे थे कि पत्थर से टकराकर भड़ाम गिरे थे। हाथ-पैर बुरी तरह छील गए थे। लोगों ने उन्हें उठाया था और थोड़ी देर बैठने के लिए कह...

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फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 6 By Sarvesh Saxena

शहर की स्थिति दिन ब दिन और गंभीर होती जा रही थी हर कोई इस कोरोना नाम के वायरस से खौफजदा था और इस लॉक डाउन ने सभी की मुश्किलें और बढ़ा दी थी लेकिन इस लाइलाज बीमारी से बचने का और कोई...

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Jashn in Corona By इंदर भोले नाथ

ये कहानी शुरू होती है, उत्तर प्रदेश मे स्थित जिले के एक छोटे से गांव से । मैं जिले और गांव का नाम नहीं रखना चाहता है क्योंकि ये कहानी ही नहीं बल्कि एक सच्ची घटना भी है। ये कहानी आध...

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झगड़ों में गाँव By महेश रौतेला

झगड़ों में गाँव:पहाड़ों में एक अद्भुत शान्ति होती है,अगर महसूस कर सको तो। समाज में कहीं आपसी मेलजोल है तो कहीं संघर्ष-विवाद की घटनाएं भी देखने को मिलती हैं।प्यार का अपना गणित भी होता...

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बेटी - भाग-४ By Anil Sainger

यह सब उस जमाने तक ठीक था जब औरत घर से बाहर नहीं निकलती थीं | तब वह केवल घर और बच्चों तक ही सीमित थीं | आज वक्त बदल चुका है | आज औरत पढने-लिखने से लेकर पैसा कमाने तक पुरुष के बराबर...

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लाईट हाउस... By Dr Vinita Rahurikar

लाईट हाउस... पूजा करने के बाद समय काटने के लिए सविता जी एक पत्रिका लेकर बाहर ड्राइंग रूम में आकर सोफे पर बैठ गई। पढ़ने से अधिक अच्छा तरीका दूसरा नहीं होता है समय काटने का और उन्हें...

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महामाया - 3 By Sunil Chaturvedi

महामाया सुनील चतुर्वेदी अध्याय – तीन अखिल ने खिड़की के सामने लगा परदा हटाया और खिड़की खोल दी। ताजी ठंडी हवा का एक झोंका कमरे में प्रवेश कर गया। हवा के झोंके के साथ ही खिड़की के रास्ते...

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देह की दहलीज पर - 11 By Kavita Verma

साझा उपन्यास देह की दहलीज पर संपादक कविता वर्मा लेखिकाएँ कविता वर्मा वंदना वाजपेयी रीता गुप्ता वंदना गुप्ता मानसी वर्मा कथाकड़ी 11 अब तक आपने पढ़ा :- मुकुल की उपेक्षा से कामि...

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हूफ प्रिंट - 13 - अंतिम भाग By Ashish Kumar Trivedi

हूफ प्रिंट Chapter 13 चंदर ने अपना जुल्म कबूल कर लिया। अपने बयान में उसने सारी कहानी सुनाई। बचपन से ही चंदर को फिल्मों का बहुत शौक था। अक्सर वह स्कूल से भाग कर फिल्में देखने जाता थ...

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तस्वीर में अवांछित - 3 - अंतिम भाग By PANKAJ SUBEER

तस्वीर में अवांछित (कहानी - पंकज सुबीर) (3) लड़की ने जो टीवी पर फिल्म देख रही थी अंदर जाकर कुछ सामान ज़ोर से पटका और फिर किसी खिड़की या शायद दरवाज़े को ज़ोर से लगाया। सारी की सारी...

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निर्मम अंधेरे By Husn Tabassum nihan

निर्मम अंधेरे ‘‘ हे....दीदी, तू हिजड़ी है का ?‘‘ -छुटके ने तपाक से बोला तो डेहरी पर से लहसुन का झाबा उतारती नैय्या भीतर तक सुलग गई। छुटके को घूर कर निहारा। वह जैसे उसकी निंगाहों के...

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किसी ने नहीं सुना -प्रदीप श्रीवास्तव भाग 11 इस बार उसके और ज़्यादा इठला के बोलने ने मुझे एकदम सचेत कर दिया, कि यह उस एरिया में चलती-फिरती गर्म गोश्त की दुकान है जो खुद ही माल भी है...

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रक्षाबंधन के बहाने By Rita Gupta

रक्षाबंधन पिछले तीन-चार या शायद उस से भी अधिक महीनों से भैया ने मुझे फोन नहीं किया था। गाहे बगाहे मैं जब फोन करती, भैया से बातें हो नहीं पाती। भाभी अलबत्ता उनकी व्यस्तता का रोना र...

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लाचारी By Rajesh Kumar

समझ में आता है कि किस प्रकार कोई व्यक्ति ना चाहते हुए भी दुनिया की चमक धमक से समझौता करता है उसे पता होता है कि शासन तंत्र के बहुत सारे निर्णय गलत हैं वह बहुत कुछ लिखना भी चाहता है...

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कागज के टुकड़े By Archana Anupriya

"कागज के टुकड़े" -अर्चना अनुप्रिया सुबह से ही घर में हंगामा था।सारी सोसायटी के लोग महेशनाथ जी के घर के आगे जमा हो रहे थे। कल रात कोई चोर महेशनाथ जी की तिजोरी ही चुराकर ले गया था। स...

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ऐसा हाे तो By HARIYASH RAI

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मौसम चुनाव का By sonal singh

राजनीति अब काली कोठरी है। सत्ता सुख आज परम सुख माना जा रहा है। राजनीति में शरण लेना हमेशा मुनाफा का ज़रिया है आज का दिन में। राजनीति में शरण लेने का आनंद मानो स्वर्ग में अपसरा मिल...

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चंपा पहाड़न 8. चंपा अब लगभग पैंतालीस वर्ष की होने को आई थी, उसका यज्ञादि का नित्य कर्म वैसे ही चलता लेकिन गुड्डी के विवाह के पश्चात वह फिर से बंद कोठरी के एकाकीपन से जूझने लगी थी| ह...

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सुबह के साढ़े आठ बजे थे, राकेश का कहीं अता पता नहीं था| सुबह सात बजे शिप्रा ढाई महीने की बेटी पीकू को तैयार कर मंदिर जाने के लिए घर के आंगन में खड़े स्कूटर तक पहुंची ही थी कि राकेश...

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रस--- प्रवाह By Neelam Kulshreshtha

रस--- प्रवाह नीलम कुलश्रेष्ठ [ नीलम कुलश्रेष्ठ की सरोगेसी पर आधारित `हंस `में प्रकाशित व `उस महल की सरगोशियां में `उनके कहानी संग्रह में संकलित ये कहानी एक दस्तावेज है क्योंकि अब व...

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मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - अनुभव By Neelima Sharma

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हां, पर एक शर्त है By Lajpat Rai Garg

हां, पर एक शर्त है सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त अस्सी वर्षीय आनन्द प्रकाश जीवन का अन्तिम समय अकेले रहकर बिता रहा था, क्योंकि उसकी धर्मपत्नी का देहान्त हो चुका था। दोनों बेटे विदेश म...

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स्वयंसिद्धा By Renu Gupta

स्वयंसिद्धा सुखिया का पोर पोर आज बुरी तरह से दुख रहा था। रोम रोम में असहनीय दर्द की टीस उठ रही थी और वह सोच रही थी, यह मैंने क्या कर डाला। बिना सोचे समझे बिरजू जैसे लड़के से श...

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लोकतंत्र के पहरुए By padma sharma

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पाखी By Annada patni

पाखी अन्नदा पाटनी खुले मैदान में एक बडे़ समारोह का आयोजन था । चारों तरफ़ हरे भरे पेड़, मनमोहक महक लिए ठंडी बयार के झोंके और पास में बहती हुई छोटी सी साफ़ सुथरी नदी । भला इस से सुंद...

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