hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • ज़िन्दगी सतरंग.. - 2

    लोग कोरोना से कम पुलिस के डर से घरों में बैठे थे..इसलिए मौका देखकर बाहर घूम रहे...

  • बात बस इतनी सी थी - 30

    बात बस इतनी सी थी 30. तेरह दिन तक मैं उसकी जिंदगी के राजमहल की एक-एक खिड़की पर झ...

  • मिशन सिफर - 2

    2. राशिद हमेशा की तरह उस दिन भी नमाज-ए मग़रिब अदा करने के लिए पास की मस्जिद में...

ज़िन्दगी सतरंग.. - 2 By Sarita Sharma

लोग कोरोना से कम पुलिस के डर से घरों में बैठे थे..इसलिए मौका देखकर बाहर घूम रहे थे और जैसे ही पुलिस की गाड़ी का सायरन सुनाई पड़ता, तो दौड़ कर घरों में दुबक जाते..शाम के 6:30 बजे होंगे...

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आपकी आराधना - 11 By Pushpendra Kumar Patel

भाग - 11 रात के 9 बज रहे थे आराधना और मनीष डिनर के लिए बैठे, न जाने दोनों की भूख कहाँ गायब थी पर आराधना ने इतने प्यार से आलू और भिंडी की सब्जी बनाई ह...

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टूटते भ्रम By Goodwin Masih

टूटते भ्रम मैं सुबह को उस गली से गुजरता, तो वह अपनी छत पर या छत पे बने कमरे की खिड़की पे खड़ी नजर आती। उसे देखकर अनायास ही मेरी दृष्टि उस पर चली जाती। एक दिन वह मुझे देखकर मुस्करायी...

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बात बस इतनी सी थी - 30 By Dr kavita Tyagi

बात बस इतनी सी थी 30. तेरह दिन तक मैं उसकी जिंदगी के राजमहल की एक-एक खिड़की पर झाँकता हुआ भटकता फिरता रहा, लेकिन मुझे ऐसा कहीं कोई सुराग या ऐसा कोई रास्ता नहीं मिला, जहाँ से मैं उस...

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मिशन सिफर - 2 By Ramakant Sharma

2. राशिद हमेशा की तरह उस दिन भी नमाज-ए मग़रिब अदा करने के लिए पास की मस्जिद में गया हुआ था। नमाज अदा करने के बाद उसने इमाम साहब की तकरीर बहुत ध्यान से सुनी। वही बातें थीं जो अल्फाज...

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लता सांध्य-गृह - 4 By Rama Sharma Manavi

पहले की कथा जानने के लिए पिछले अध्याय अवश्य पढ़ें।चतुर्थ अध्याय---------------गतांक से आगे…. चौथे कमरे में रहते हैं दिवाकर जी अपनी धर्मपत्नी रोहिणी जी के साथ। वे एक कस्बे से...

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सुलझे...अनसुलझे - 6 By Pragati Gupta

सुलझे...अनसुलझे कहीं थी मज़बूरी...तो कहीं ------------------------------ आज सेंटर की सीढ़ियों को चढ़ते समय अनायास ही मेरी नज़र एक औरत पर गई। जो कुछ ज्यादा ही सिकुड़कर सेंटर की बेंच के ए...

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लहराता चाँद - 17 By Lata tejeswar renuka

लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 17 दूसरे दिन की सुबह के सूरज के साथ किरणें भी टूटी हुई खिड़की की मध्य से कमरे के अंदर प्रवेश कर रही थी। पूरा कमरा धूल मिट्टी से भरा हुआ था।...

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गवाक्ष - 47 - अंतिम भाग By Pranava Bharti

गवाक्ष 47== कॉस्मॉस सत्यनिधि और उसका अंतिम स्पर्श भुला नहीं पा रहा था, उसकी याद उसे कहीं कोई फाँस सी चुभा जाती । कितने अच्छे मित्र बन गए थे निधी और वह छोटा सा बालक जिसका पि...

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बाजा-बजन्तर By Deepak sharma

बाजा-बजन्तर बाजा अब बजा कि बजा दोपहर में| नयी किराएदारिन को देखते ही मैं और छुटकू उछंग लेते हैं| वह किसी स्कूल में काम करती है और सुबह उसके घर छोड़ते ही बाजा बंद हो जाता है और इस सम...

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अपने-अपने कारागृह - 4 By Sudha Adesh

अपने अपने कारागृह - 3 अजय का हजारीबाग स्थानांतरण हो गया था । नक्सली एरिया था पर जब काम करना है तो कहीं भी स्थानांतरण हो जाना ही पड़ता है । वैसे भी वह सदा सुरक्षाकर्मियों के साथ ही...

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कम्मो डार्लिंग By Goodwin Masih

कम्मो डार्लिंग ‘‘नीतेश !...’’ चिर-परिचित आवाज को सुनकर नीतेश के कदम जहां-के-तहां स्थिर हो गये। पीछे घूमकर देखा, तो आश्चर्य से आँखें खुली-की-खुली रह गयीं। ‘‘ऐसे क्या देख रहे हो नीते...

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अनाम रिश्ता By Akhilesh Srivastava

कहानी अनाम रिश्ता...

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जिंदगी-सुकून कहाँ है ? By S Choudhary

पिछले कुछ दिनों से मन बड़ा विचलित, दुखी सा था। मुझे कुछ नही हुआ लेकिन लोगो को देखकर मुझे चिंता हो रही थी। यहाँ हर कोई ऐसे परेशान है जैसे जिंदगी कोई बहुत भारी सामान हो। सब लोग सुकून...

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जिंदगी मेरे घर आना - 25 - अंतिम भाग By Rashmi Ravija

भाग- 25 (अंतिम भाग ) अब डैडी के लिए मन्नत वाली बात मनगढ़ंत थी, ये नेहा और शरद दोनों जानते थे पर कुछ कह नहीं सकते. लम्बी, घुमावदार, बलखाती सडक पर दौड़ती जीप और आसमान में खरगोश के छौने...

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दुनिया में शादी की कुछ विचित्र रस्में By S Sinha

आलेख - दुनिया में शादी की कुछ विचित्र रस्में पूरे विश्व में शादी को एक महत्त्वपूर्ण सामाजिक और पारिव...

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पर उपदेश कुशल बहुतेरे By Saroj Prajapati

मीना ने आज अपने घर पर सत्यनारायण की छोटी सी पूजा रखी हुई थी। वह अभी तैयारी कर ही रही थी कि उसकी ननंद आ गई। उन्हें देखते ही वह खुश होते हुए बोली "अरे वाह दीदी, कितने सही समय पर आए...

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इतना बड़ा सच(भाग 4) By Kishanlal Sharma

"शिखा यहां रही तो हमारी बेटी रमा को भी बिगड़ देगी।बात फैले उससे पहले तलाक की अर्जी दिलवा दो।पंकज की अभी उम्र ही क्या है।इसके लिए अभी बहुत रिश्ते मिल जाएंगे।""तुम्हारे बेटे की तो दूस...

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उलझन - 18 - अंतिम भाग By Amita Dubey

उलझन डॉ. अमिता दुबे अठारह तब तक घर आ गया था। अंशिका अपने घर चली गयी। पापा ने गाड़ी मोड़कर आॅफिस के लिए निकलने से पहले सौमित्र से कहा - ‘जानते हो सोमू आजकल एन0सी0इ0आर0टी0, मानव संसाधन...

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कतरा भर ज़िन्दगी By Goodwin Masih

कतरा भर ज़िन्दगी आईटी मास्टर माइंड के नाम से जाना जाने वाला अविनाश इनफाॅरमेशन टेक्नाॅलोजी की हर सीढ़ी पर चढ़ने के लिए आतुर था। इण्टर की परीक्षा पास करने के बाद जब उसने इनफाॅरमेशन टेक्...

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संदूक में सपना By Poonam Gujrani Surat

कहानी - संदूक में सपनासंदूक में सपनामैं कब से अनमनी सी बैठी कभी अतीत की झांकियों में खो रही थी, कभी वर्तमान में लौट रही थी तो कभी भविष्य का सपना देखने की कोशिश कर रही थी पर कहीं ‌भ...

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इक समंदर मेरे अंदर - 26 - अंतिम भाग By Madhu Arora

इक समंदर मेरे अंदर मधु अरोड़ा (26) रविवार आने में देर ही कितनी लगती थी। उस दिन भी वह सुबह जल्‍दी उठी और नाश्‍ते की तैयारी करने लगी। इतने में ससुर किचन में आये और बोले – ‘कामना, हम...

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कैसी आधुनिकता, कैसी मानसिकता By Annada patni

कैसी आधुनिकता, कैसी मानसिकता अन्नदा पाटनी कावेरी का फ़ोन आया," क्या कर रही है ? आजा बैठेंगे। चाय वाय पियेंगे ।" मैं बोली," क्या ख़ाली बैठी है ? "अरे क्या ख़ाली,ख़ाली होते हुए भी भर...

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दशरथ By Deepak sharma

दशरथ “मैं अपना नाम बदलूँगा|” मैंने माँ से कहा| अगले दिन मुझे अपना हाईस्कूल का फॉर्म भरना था और मेरे अध्यापकगण ने मुझे बताया था कि जो भी नाम और जन्मतिथि उस फॉर्म में दर्ज करूँगा फिर...

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कंचन दी By Goodwin Masih

कंचन दी ’’डायरी....? यह किसकी डायरी है और मेरी किताबों में कहाँ से आई ?’’ उस अनजानी डायरी को देखकर राधिका ने अपने मन में कहा और अपने दिमाग पर जोर देकर उस डायरी के बारे में सोचने लग...

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ज़िन्दगी सतरंग.. - 2 By Sarita Sharma

लोग कोरोना से कम पुलिस के डर से घरों में बैठे थे..इसलिए मौका देखकर बाहर घूम रहे थे और जैसे ही पुलिस की गाड़ी का सायरन सुनाई पड़ता, तो दौड़ कर घरों में दुबक जाते..शाम के 6:30 बजे होंगे...

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आपकी आराधना - 11 By Pushpendra Kumar Patel

भाग - 11 रात के 9 बज रहे थे आराधना और मनीष डिनर के लिए बैठे, न जाने दोनों की भूख कहाँ गायब थी पर आराधना ने इतने प्यार से आलू और भिंडी की सब्जी बनाई ह...

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टूटते भ्रम By Goodwin Masih

टूटते भ्रम मैं सुबह को उस गली से गुजरता, तो वह अपनी छत पर या छत पे बने कमरे की खिड़की पे खड़ी नजर आती। उसे देखकर अनायास ही मेरी दृष्टि उस पर चली जाती। एक दिन वह मुझे देखकर मुस्करायी...

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बात बस इतनी सी थी - 30 By Dr kavita Tyagi

बात बस इतनी सी थी 30. तेरह दिन तक मैं उसकी जिंदगी के राजमहल की एक-एक खिड़की पर झाँकता हुआ भटकता फिरता रहा, लेकिन मुझे ऐसा कहीं कोई सुराग या ऐसा कोई रास्ता नहीं मिला, जहाँ से मैं उस...

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मिशन सिफर - 2 By Ramakant Sharma

2. राशिद हमेशा की तरह उस दिन भी नमाज-ए मग़रिब अदा करने के लिए पास की मस्जिद में गया हुआ था। नमाज अदा करने के बाद उसने इमाम साहब की तकरीर बहुत ध्यान से सुनी। वही बातें थीं जो अल्फाज...

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लता सांध्य-गृह - 4 By Rama Sharma Manavi

पहले की कथा जानने के लिए पिछले अध्याय अवश्य पढ़ें।चतुर्थ अध्याय---------------गतांक से आगे…. चौथे कमरे में रहते हैं दिवाकर जी अपनी धर्मपत्नी रोहिणी जी के साथ। वे एक कस्बे से...

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सुलझे...अनसुलझे - 6 By Pragati Gupta

सुलझे...अनसुलझे कहीं थी मज़बूरी...तो कहीं ------------------------------ आज सेंटर की सीढ़ियों को चढ़ते समय अनायास ही मेरी नज़र एक औरत पर गई। जो कुछ ज्यादा ही सिकुड़कर सेंटर की बेंच के ए...

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लहराता चाँद - 17 By Lata tejeswar renuka

लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 17 दूसरे दिन की सुबह के सूरज के साथ किरणें भी टूटी हुई खिड़की की मध्य से कमरे के अंदर प्रवेश कर रही थी। पूरा कमरा धूल मिट्टी से भरा हुआ था।...

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गवाक्ष - 47 - अंतिम भाग By Pranava Bharti

गवाक्ष 47== कॉस्मॉस सत्यनिधि और उसका अंतिम स्पर्श भुला नहीं पा रहा था, उसकी याद उसे कहीं कोई फाँस सी चुभा जाती । कितने अच्छे मित्र बन गए थे निधी और वह छोटा सा बालक जिसका पि...

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बाजा-बजन्तर By Deepak sharma

बाजा-बजन्तर बाजा अब बजा कि बजा दोपहर में| नयी किराएदारिन को देखते ही मैं और छुटकू उछंग लेते हैं| वह किसी स्कूल में काम करती है और सुबह उसके घर छोड़ते ही बाजा बंद हो जाता है और इस सम...

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अपने-अपने कारागृह - 4 By Sudha Adesh

अपने अपने कारागृह - 3 अजय का हजारीबाग स्थानांतरण हो गया था । नक्सली एरिया था पर जब काम करना है तो कहीं भी स्थानांतरण हो जाना ही पड़ता है । वैसे भी वह सदा सुरक्षाकर्मियों के साथ ही...

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कम्मो डार्लिंग By Goodwin Masih

कम्मो डार्लिंग ‘‘नीतेश !...’’ चिर-परिचित आवाज को सुनकर नीतेश के कदम जहां-के-तहां स्थिर हो गये। पीछे घूमकर देखा, तो आश्चर्य से आँखें खुली-की-खुली रह गयीं। ‘‘ऐसे क्या देख रहे हो नीते...

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अनाम रिश्ता By Akhilesh Srivastava

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जिंदगी-सुकून कहाँ है ? By S Choudhary

पिछले कुछ दिनों से मन बड़ा विचलित, दुखी सा था। मुझे कुछ नही हुआ लेकिन लोगो को देखकर मुझे चिंता हो रही थी। यहाँ हर कोई ऐसे परेशान है जैसे जिंदगी कोई बहुत भारी सामान हो। सब लोग सुकून...

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जिंदगी मेरे घर आना - 25 - अंतिम भाग By Rashmi Ravija

भाग- 25 (अंतिम भाग ) अब डैडी के लिए मन्नत वाली बात मनगढ़ंत थी, ये नेहा और शरद दोनों जानते थे पर कुछ कह नहीं सकते. लम्बी, घुमावदार, बलखाती सडक पर दौड़ती जीप और आसमान में खरगोश के छौने...

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दुनिया में शादी की कुछ विचित्र रस्में By S Sinha

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इतना बड़ा सच(भाग 4) By Kishanlal Sharma

"शिखा यहां रही तो हमारी बेटी रमा को भी बिगड़ देगी।बात फैले उससे पहले तलाक की अर्जी दिलवा दो।पंकज की अभी उम्र ही क्या है।इसके लिए अभी बहुत रिश्ते मिल जाएंगे।""तुम्हारे बेटे की तो दूस...

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उलझन - 18 - अंतिम भाग By Amita Dubey

उलझन डॉ. अमिता दुबे अठारह तब तक घर आ गया था। अंशिका अपने घर चली गयी। पापा ने गाड़ी मोड़कर आॅफिस के लिए निकलने से पहले सौमित्र से कहा - ‘जानते हो सोमू आजकल एन0सी0इ0आर0टी0, मानव संसाधन...

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कतरा भर ज़िन्दगी By Goodwin Masih

कतरा भर ज़िन्दगी आईटी मास्टर माइंड के नाम से जाना जाने वाला अविनाश इनफाॅरमेशन टेक्नाॅलोजी की हर सीढ़ी पर चढ़ने के लिए आतुर था। इण्टर की परीक्षा पास करने के बाद जब उसने इनफाॅरमेशन टेक्...

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संदूक में सपना By Poonam Gujrani Surat

कहानी - संदूक में सपनासंदूक में सपनामैं कब से अनमनी सी बैठी कभी अतीत की झांकियों में खो रही थी, कभी वर्तमान में लौट रही थी तो कभी भविष्य का सपना देखने की कोशिश कर रही थी पर कहीं ‌भ...

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इक समंदर मेरे अंदर - 26 - अंतिम भाग By Madhu Arora

इक समंदर मेरे अंदर मधु अरोड़ा (26) रविवार आने में देर ही कितनी लगती थी। उस दिन भी वह सुबह जल्‍दी उठी और नाश्‍ते की तैयारी करने लगी। इतने में ससुर किचन में आये और बोले – ‘कामना, हम...

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कैसी आधुनिकता, कैसी मानसिकता By Annada patni

कैसी आधुनिकता, कैसी मानसिकता अन्नदा पाटनी कावेरी का फ़ोन आया," क्या कर रही है ? आजा बैठेंगे। चाय वाय पियेंगे ।" मैं बोली," क्या ख़ाली बैठी है ? "अरे क्या ख़ाली,ख़ाली होते हुए भी भर...

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दशरथ By Deepak sharma

दशरथ “मैं अपना नाम बदलूँगा|” मैंने माँ से कहा| अगले दिन मुझे अपना हाईस्कूल का फॉर्म भरना था और मेरे अध्यापकगण ने मुझे बताया था कि जो भी नाम और जन्मतिथि उस फॉर्म में दर्ज करूँगा फिर...

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कंचन दी By Goodwin Masih

कंचन दी ’’डायरी....? यह किसकी डायरी है और मेरी किताबों में कहाँ से आई ?’’ उस अनजानी डायरी को देखकर राधिका ने अपने मन में कहा और अपने दिमाग पर जोर देकर उस डायरी के बारे में सोचने लग...

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