hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • एक दुनिया अजनबी - 7

    एक दुनिया अजनबी 7- उसकी बुद्धि उसे कुछ सोचने का अवसर ही न देती | ब्लैंक हो गया थ...

  • सुलझे...अनसुलझे - 12

    सुलझे...अनसुलझे परिवार यह बात सन 2001 की है| जब एक दिन अचानक ही मेरा मन हुआ कि क...

  • लहराता चाँद - 23

    लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 23 साहिल जब घर पहुँचा शैलजा ने दरवाज़ा...

एक दुनिया अजनबी - 7 By Pranava Bharti

एक दुनिया अजनबी 7- उसकी बुद्धि उसे कुछ सोचने का अवसर ही न देती | ब्लैंक हो गया था वह ! गलतियाँ करके बार-बार माफ़ी माँगने पर भी जब उसे मन की अँधेरी गलियों में सीलन की जगह एक भी किरण...

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बात बस इतनी सी थी - 36 - अंतिम भाग By Dr kavita Tyagi

बात बस इतनी सी थी 36. मंजरी के जाते ही मधुर मुझसे बोला - "चंदन डियर ! आज की तेरी रात बदरंग हो चुकी है ! लेकिन इसके लिए तू मुझे गाली मत देना ! मैं पहले ही सॉरी बोल देता हूँ !" "क्या...

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सुलझे...अनसुलझे - 12 By Pragati Gupta

सुलझे...अनसुलझे परिवार यह बात सन 2001 की है| जब एक दिन अचानक ही मेरा मन हुआ कि कुछ समय उन अनाथ बच्चों को भी दिया जाये| जिनके भी शायद कुछ अनसुलझे अन्तरद्वंदों हो और मैं उनको सुलझा प...

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लहराता चाँद - 23 By Lata tejeswar renuka

लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 23 साहिल जब घर पहुँचा शैलजा ने दरवाज़ा खोला। साहिल अंदर आकर सोफ़े पर बैठा। शैलजा दरवाज़ा बंदकर साहिल के पास बैठी। साहिल अपनी माँ की गोद में स...

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होड़ By Deepak sharma

होड़ किशोर का दुर्भाव और अपना अभाव बार-बार मेरे सामने आ खड़ा होता है| मेरा उस से ज़्यादा पॉइंट हासिल करना क्यों गलत था? किशोर क्यों सोचता था मैं अपने को मनफ़ी कर दूँ? घटा लूँ? उससे कमत...

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BOYS school WASHROOM - 7 By Akash Saxena "Ansh"

यश भी अपनी क्लास मे पहुँचता है.... क्लास शुरू होती है पर यश मानो क्लास मे होकर भी वहां नहीं होता... उसकी एक आंख घड़ी पर और एक आँख उन तीनो पर गढ़ी होती है... वो बस इंतज़ार कर रहा होता...

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रिक्तता By Goodwin Masih

रिक्तता लिफ्ट से निकल कर आर्यन कार पार्किंग की तरफ मुड़ा ही था कि गुलाबी रंग की साड़ी में लिपटी नीलिमा को देखकर ठिठक गया। ‘‘नीलिमा और यहां...?’’ उसने मन में कहा और नीलिमा के सामने जा...

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इमली की चटनी में गुड़ की मिठास - 1 By Shivani Jaipur

भाग-1 बहुत देर से शालिनी छत पर खड़ी बारिश में भीग रही थी! कहने को तो बूंदें तन पर पड़ रही थीं पर भीग उसका मन भी रहा था जहां एक अनजानी सी ज्वाला लपलपाते हुए उसके मन को अनजाने ही झुल...

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पलुआ By रामगोपाल तिवारी

कहानी पलुआ रामगोपाल भावुक चौधरी रामनाथ ने किसी तरह पलुआ क...

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सिस्टर्ज़ मैचिन्ग सेन्टर By Deepak sharma

सिस्टर्ज़ मैचिन्ग सेन्टर कस्बापुर के कपड़ा बाज़ार का ‘सिस्टर्ज़ मैचिन्ग सेन्टर’ बाबूजी का है| सन्तान के नाम पर बाबूजी के पास हमीं दो बहनें हैं : जीजी और मैं| जीजी मुझ से पाँच साल बड़ी ह...

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बर्फ के अंगारे By Goodwin Masih

बर्फ के अंगारे खून को जला देने वाली जून की तपती दुपहरी। लोगों के शरीर से पसीना चूह रहा था। दिल्ली रेलवे स्टेशन पर बैठी लाजो अपने गांव जाने वाली गाड़ी की प्रतीक्षा कर रही थी। उसके मु...

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लता सांध्य-गृह - 5 By Rama Sharma Manavi

पूर्व कथा जानने के लिए पिछले अध्याय अवश्य पढ़ें। पंचम अध्याय-----------------गतांक से आगे….--------------- पांचवें कमरे में रहते हैं पचपन वर्षीय अविवाहित नीलेश,मस्तमौला, ब...

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बेनज़ीर - दरिया किनारे का ख्वाब - 2 By Pradeep Shrivastava

भाग -२ अम्मी ने यह पता चलते ही कोहराम खड़ा कर दिया। लेकिन तब वह पांच छोटे-छोटे बच्चों के साथ अब्बू की ज्यादतियों के सामने कमजोर पड़ गईं। अब्बू के झांसें में आकर वह अपना जमा-जमाया काम...

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मिशन सिफर - 5 By Ramakant Sharma

5. राशिद एक नई शरूआत करने के लिए हॉस्टल के मेनगेट के पास खड़ा कादरी भाई का इंतजार कर रहा था। सामान के नाम पर उसके पास एक बैग ही था जिसमें उसके पहनने के कपड़े, कुछ कॉपियां-किताबें और...

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मंगत पहलवान By Deepak sharma

मंगत पहलवान ‘कुत्ता बँधा है क्या?’ एक अजनबी ने बंद फाटक की सलाखों के आर-पार पूछा| फाटक के बाहर एक बोर्ड टंगा रहा- कुत्ते से सावधान! ड्योढ़ी के चक्कर लगा रही मेरी बाइक रुक ली| बाइक म...

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मौजी By रामगोपाल तिवारी

कहानी मौजी रामगोपाल भावुक सूर्य डूबने को हो रहा था। चरवाहे पशु लेकर घर लौ पड़े थे। गाँव के लोग अपने पशुओं को लेने, गाँव के बाहर हनुमा...

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लाजवंती By Abdul Gaffar

लाजवंती (कहानी) लेखक - अब्दुल ग़फ़्फ़ार _______ मेरा नाम लाजवंती है लेकिन गांव घर के लोग दुलार से मुझे लाजो कह के बुलाते हैं। नेपाल, भूटान और बांग्लादेश, हमारे गांव से बहुत दूर नही...

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अपने-अपने कारागृह - 5 By Sudha Adesh

अपने-अपने कारागृह-4 अपने बच्चों को सफलता की ऊंचाइयां छूते देखकर न केवल उसे वरन अब अजय को भी उसके निर्णय पर गर्व का अहसास होने लगा था । वह भी महसूस करने लगे थे कि कभी-कभी बच्चों की...

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आपकी आराधना - 13 By Pushpendra Kumar Patel

भाग - 13 मिस्टर अग्रवाल की ये बातें सुनकर आराधना फूली न समायी और सोंच कर ही पागल सी हो गयी। शायद ये किसी सपने से कम न हो, पर सपने भी तो एक दिन सच हो सकते ह...

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नया सबेरा By Goodwin Masih

नया सबेरा हाॅस्पिटल के आपातकालीन कक्ष में प्रवेश करते ही स्नेहा ने वहां मौजूद नर्स को अपना परिचय देते हुए कहा, ‘‘सिस्टर, मेरा नाम स्नेहा है। मैं एक दैनिक समाचार-पत्र के लिए बतौर पत...

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बड़े लोग By Alka Agrawal

सीता को उस दिन काम पर जाने में देर हो गई थी। आजकल उसके सास ससुर आए हुए थे गाँव से, इसलिए जल्दी-जल्दी करते हुए भी समय उसके हाथ से फिसल जाता था। वह उनकी सेवा भी पूरे मन से करती थी। उ...

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बिछोह By Deepak sharma

बिछोह बहन मुझ से सन् १९५५ में बिछुड़ी| उस समय मैं दस वर्ष का था और बहन बारह की| “तू आज पिछाड़ी गयी थी?” एक शाम हमारे पिता की आवाज़ हम बहन-भाई के बाल-कक्ष में आन गूँजी| बहन को हवेली की...

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दो आँसू By Ramnarayan Sungariya

कहानी-- दो आँसू --आर.एन. सुनगरया...

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स्लेट-बत्ती By रामगोपाल तिवारी

कहानी स्लेट-बत्ती रामगोपाल भावुक कुन्दर की शादी की तैयारियां की जा रही हैं। गाँव की औरतें पंगत के लिए गेहू...

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ऐसा तो न सोचा था !! By Pranava Bharti

ऐसा तो न सोचा था !!-------------------------- यूँ उसकी रुकमा से कोई ऐसी दोस्ती नहीँ थी कि वह इतने अन्तराल के पश्चात उसेउसकी एकदम याद आ जाती । परन्तु जब मामी जी का फ़ोन आया...

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ज़िन्दगी सतरंग.. - 2 By Sarita Sharma

लोग कोरोना से कम पुलिस के डर से घरों में बैठे थे..इसलिए मौका देखकर बाहर घूम रहे थे और जैसे ही पुलिस की गाड़ी का सायरन सुनाई पड़ता, तो दौड़ कर घरों में दुबक जाते..शाम के 6:30 बजे होंगे...

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एक दुनिया अजनबी - 7 By Pranava Bharti

एक दुनिया अजनबी 7- उसकी बुद्धि उसे कुछ सोचने का अवसर ही न देती | ब्लैंक हो गया था वह ! गलतियाँ करके बार-बार माफ़ी माँगने पर भी जब उसे मन की अँधेरी गलियों में सीलन की जगह एक भी किरण...

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बात बस इतनी सी थी - 36 - अंतिम भाग By Dr kavita Tyagi

बात बस इतनी सी थी 36. मंजरी के जाते ही मधुर मुझसे बोला - "चंदन डियर ! आज की तेरी रात बदरंग हो चुकी है ! लेकिन इसके लिए तू मुझे गाली मत देना ! मैं पहले ही सॉरी बोल देता हूँ !" "क्या...

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सुलझे...अनसुलझे - 12 By Pragati Gupta

सुलझे...अनसुलझे परिवार यह बात सन 2001 की है| जब एक दिन अचानक ही मेरा मन हुआ कि कुछ समय उन अनाथ बच्चों को भी दिया जाये| जिनके भी शायद कुछ अनसुलझे अन्तरद्वंदों हो और मैं उनको सुलझा प...

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लहराता चाँद - 23 By Lata tejeswar renuka

लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 23 साहिल जब घर पहुँचा शैलजा ने दरवाज़ा खोला। साहिल अंदर आकर सोफ़े पर बैठा। शैलजा दरवाज़ा बंदकर साहिल के पास बैठी। साहिल अपनी माँ की गोद में स...

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होड़ By Deepak sharma

होड़ किशोर का दुर्भाव और अपना अभाव बार-बार मेरे सामने आ खड़ा होता है| मेरा उस से ज़्यादा पॉइंट हासिल करना क्यों गलत था? किशोर क्यों सोचता था मैं अपने को मनफ़ी कर दूँ? घटा लूँ? उससे कमत...

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BOYS school WASHROOM - 7 By Akash Saxena "Ansh"

यश भी अपनी क्लास मे पहुँचता है.... क्लास शुरू होती है पर यश मानो क्लास मे होकर भी वहां नहीं होता... उसकी एक आंख घड़ी पर और एक आँख उन तीनो पर गढ़ी होती है... वो बस इंतज़ार कर रहा होता...

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रिक्तता By Goodwin Masih

रिक्तता लिफ्ट से निकल कर आर्यन कार पार्किंग की तरफ मुड़ा ही था कि गुलाबी रंग की साड़ी में लिपटी नीलिमा को देखकर ठिठक गया। ‘‘नीलिमा और यहां...?’’ उसने मन में कहा और नीलिमा के सामने जा...

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इमली की चटनी में गुड़ की मिठास - 1 By Shivani Jaipur

भाग-1 बहुत देर से शालिनी छत पर खड़ी बारिश में भीग रही थी! कहने को तो बूंदें तन पर पड़ रही थीं पर भीग उसका मन भी रहा था जहां एक अनजानी सी ज्वाला लपलपाते हुए उसके मन को अनजाने ही झुल...

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पलुआ By रामगोपाल तिवारी

कहानी पलुआ रामगोपाल भावुक चौधरी रामनाथ ने किसी तरह पलुआ क...

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सिस्टर्ज़ मैचिन्ग सेन्टर By Deepak sharma

सिस्टर्ज़ मैचिन्ग सेन्टर कस्बापुर के कपड़ा बाज़ार का ‘सिस्टर्ज़ मैचिन्ग सेन्टर’ बाबूजी का है| सन्तान के नाम पर बाबूजी के पास हमीं दो बहनें हैं : जीजी और मैं| जीजी मुझ से पाँच साल बड़ी ह...

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बर्फ के अंगारे By Goodwin Masih

बर्फ के अंगारे खून को जला देने वाली जून की तपती दुपहरी। लोगों के शरीर से पसीना चूह रहा था। दिल्ली रेलवे स्टेशन पर बैठी लाजो अपने गांव जाने वाली गाड़ी की प्रतीक्षा कर रही थी। उसके मु...

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लता सांध्य-गृह - 5 By Rama Sharma Manavi

पूर्व कथा जानने के लिए पिछले अध्याय अवश्य पढ़ें। पंचम अध्याय-----------------गतांक से आगे….--------------- पांचवें कमरे में रहते हैं पचपन वर्षीय अविवाहित नीलेश,मस्तमौला, ब...

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बेनज़ीर - दरिया किनारे का ख्वाब - 2 By Pradeep Shrivastava

भाग -२ अम्मी ने यह पता चलते ही कोहराम खड़ा कर दिया। लेकिन तब वह पांच छोटे-छोटे बच्चों के साथ अब्बू की ज्यादतियों के सामने कमजोर पड़ गईं। अब्बू के झांसें में आकर वह अपना जमा-जमाया काम...

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मिशन सिफर - 5 By Ramakant Sharma

5. राशिद एक नई शरूआत करने के लिए हॉस्टल के मेनगेट के पास खड़ा कादरी भाई का इंतजार कर रहा था। सामान के नाम पर उसके पास एक बैग ही था जिसमें उसके पहनने के कपड़े, कुछ कॉपियां-किताबें और...

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मंगत पहलवान By Deepak sharma

मंगत पहलवान ‘कुत्ता बँधा है क्या?’ एक अजनबी ने बंद फाटक की सलाखों के आर-पार पूछा| फाटक के बाहर एक बोर्ड टंगा रहा- कुत्ते से सावधान! ड्योढ़ी के चक्कर लगा रही मेरी बाइक रुक ली| बाइक म...

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मौजी By रामगोपाल तिवारी

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लाजवंती By Abdul Gaffar

लाजवंती (कहानी) लेखक - अब्दुल ग़फ़्फ़ार _______ मेरा नाम लाजवंती है लेकिन गांव घर के लोग दुलार से मुझे लाजो कह के बुलाते हैं। नेपाल, भूटान और बांग्लादेश, हमारे गांव से बहुत दूर नही...

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अपने-अपने कारागृह - 5 By Sudha Adesh

अपने-अपने कारागृह-4 अपने बच्चों को सफलता की ऊंचाइयां छूते देखकर न केवल उसे वरन अब अजय को भी उसके निर्णय पर गर्व का अहसास होने लगा था । वह भी महसूस करने लगे थे कि कभी-कभी बच्चों की...

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आपकी आराधना - 13 By Pushpendra Kumar Patel

भाग - 13 मिस्टर अग्रवाल की ये बातें सुनकर आराधना फूली न समायी और सोंच कर ही पागल सी हो गयी। शायद ये किसी सपने से कम न हो, पर सपने भी तो एक दिन सच हो सकते ह...

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नया सबेरा By Goodwin Masih

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बड़े लोग By Alka Agrawal

सीता को उस दिन काम पर जाने में देर हो गई थी। आजकल उसके सास ससुर आए हुए थे गाँव से, इसलिए जल्दी-जल्दी करते हुए भी समय उसके हाथ से फिसल जाता था। वह उनकी सेवा भी पूरे मन से करती थी। उ...

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बिछोह By Deepak sharma

बिछोह बहन मुझ से सन् १९५५ में बिछुड़ी| उस समय मैं दस वर्ष का था और बहन बारह की| “तू आज पिछाड़ी गयी थी?” एक शाम हमारे पिता की आवाज़ हम बहन-भाई के बाल-कक्ष में आन गूँजी| बहन को हवेली की...

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दो आँसू By Ramnarayan Sungariya

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स्लेट-बत्ती By रामगोपाल तिवारी

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ऐसा तो न सोचा था !! By Pranava Bharti

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ज़िन्दगी सतरंग.. - 2 By Sarita Sharma

लोग कोरोना से कम पुलिस के डर से घरों में बैठे थे..इसलिए मौका देखकर बाहर घूम रहे थे और जैसे ही पुलिस की गाड़ी का सायरन सुनाई पड़ता, तो दौड़ कर घरों में दुबक जाते..शाम के 6:30 बजे होंगे...

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