Such a big truth (Part 4) in Hindi Moral Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | इतना बड़ा सच(भाग 4)

Featured Books
  • रुह... - भाग 4

    ४.पायल और अमिता किसी छोटी-सी बात पर बहस कर ही रही थीं कि तभी...

  • एक रोटी ऐसी भी

    रोटी के लिए इंसान क्या क्या नहीँ करता है मेहनत मजदूरी शिक्षा...

  • Kurbaan Hua - Chapter 35

    संजना ने तुरंत दरवाजा बंद कर लिया और हर्षवर्धन की ओर देखने ल...

  • मेरी जान

    ### **मेरी जान**शाम के 6 बजे थे। दिल्ली की गलियों में ठंडी ह...

  • हमराज - 10

    फिर बादल भी अपने कमरे के अंदर ही रूककर उस शख्स की अगली हरकत...

Categories
Share

इतना बड़ा सच(भाग 4)

"शिखा यहां रही तो हमारी बेटी रमा को भी बिगड़ देगी।बात फैले उससे पहले तलाक की अर्जी दिलवा दो।पंकज की अभी उम्र ही क्या है।इसके लिए अभी बहुत रिश्ते मिल जाएंगे।"
"तुम्हारे बेटे की तो दूसरी शादी हो जाएगी।पर जरा सोचो परित्यक्ता शिखा का क्या होगा?तुम औरत होकर दूसरी औरत की जिंदगी बरबाद करने पर क्यो तुली हो।"
"औरतो को सुधारने का ठेका मेने नही ले रखा है।ऐसी बदमाश,बदचलन, आवारा लड़की को मैं अपने घर मे हरगिज नही रहने दूंगी,"सुधा गुस्से में तीखे स्वर में बोली,"कान खोलकर सुन लो।तुमने अगर अपनी लाडली बहु को घर से नबी निकाला तो मैं अपनी बेटी को लेकर इस घर से चली जाउंगी।मैं अपनी बेटी पर इस कुलक्षणी की छाया अब नही पड़ने दूँगी।"
राम बाबू पत्नी को प्यार से समझाते हुए बोले,"गड़े हुए मुर्दे उखाड़ने से अब कोई फायदा नहीं है।कच्ची उम्र में नादानी मे की गई गलती को नज़र अंदाज़ कर देना ही बुद्धिमानी है।"
पति की बाते सुनकर सुधा आग बबूला हो गई,"सब कुछ जानकर आंखे नही मुंदी जाती।।"
"मुन्दनी पड़ती है।मत भूलो हमारे भी एक बेटी है।उससे भी ऐसी गलती हो सकती है।।,"पत्नी की बाते सुनकर राम बाबू बोले,"तुम अपने दिल पर हाथ रखकर देखो।तुम अगर ऐसी गलती कर देती और फिर तुमहारी शादी नही होती।तब तुम्हारे दिल पर गया गुज़रती?"
"बस रहने दो।बहु के लक्षण छिपाने के लिए पत्नी पर आरोप लगाते हुए तुम्हे शर्म आयी,"सुधा चीत्कार उठी,"हमारे खानदान में ऐसी रीत नही है।मै ऐसा करती तो मेरा बाप कभी मेरा मुँह नही देखता।"
राम बाबू जोर से हंसकर व्यंग्य से बोले,"तुम्हारे बाप और खानदान को अच्छी तरह जानता हूँ।"
"तुम कुछ नही जानते?"सुधा तैश में न जाने क्या बोल गईं।उसकी बातें सुनकर राम बाबू ने अलमारी से अपनी पुरानी फ़ाइल निकाली थी और खोलकर सुधा के सामने रख दी।तीस साल पहले के अखबार की कटिंग जिसे राम बाबू ने बहुत सम्भाल कर रख रखा था।
इसमे सुधा के मोहन के साथ भागने का समाचार छपा था।सुधा कॉलेज में पढ़ती थी तब अपने प्रेमी के साथ भाग गई थी।सुधा उस अखबार की कटिंग देखकर सन्न रह गई।
"शिखा नाबालिग थी और हीरोइन बनने के चक्कर मे एक लड़की के साथ भागी थी।तुम बालिग थी और अपने प्रेमी के साथ भागी थी।एक महीने बाद पकड़ी गई थी।तुम मोहन से शादी करना चाहती थी।लेकिन मोहन ने तुम्हारा इस्तेमाल करने के बाद शादी से इनकार कर दिया था।"
राम बाबू कुछ देर चुप रहकर बोले,"तुम भूली नही हो तो एक बात बता दूं।"
"क्या?"सुधा के मुह से मरी सी आवाज निकली थी।
"तुम्हारे पिता ने चट मंगनी पट ब्याह किया था।सुहाग सेज पर तुम गर्भवती थी,"राम बाबू सत्य उदघाटित करते हुए बोले,"पंकज तुम्हारे उसी प्यार की निशानी है।जिसे तुमने प्यार समझा था।"
पति के मुंह से सच्चाई जानकर सुधा हतप्रद रह गई।उसका अतीत जानते हुए भी पति ने आज तक कुछ नही कहा था।दूसरे के पाप को अपना नाम देकर भी कभी उल्हाना नही दिया था।कुछ देर पहले सुधा बढ़ चढ़ कर बोल रही थी लेकिन पति की बाते सुनकर बोलती बंद हो गई थी।
"तुम्हारे पापा ने मुझे रिश्ता करने से पहले सब कुछ बता दिया था।रमेश ने भी शिखा की उस नादानी को नही छिपाया।मेने रिश्ता करने से पहले पंकज को सब कुछ बताया था।"सारि बाते जानकर सुधा का सिर शर्म से झुक गया।
राम बाबू पत्नी को सीने से लगाकर बोले,"मुझे तुम से कोई शिकायत नही।अगर तुमने आज शिखा को तलाक की बात न कि होती तो में आज भी सब कुछ न बताता।"
पति के सीने से लगकर सुधा सोच रही थी।उसका पति देवता है।शिव ने विष पीकर जिस तरह देवताओ की रक्षा की थी।उसी तरह राम बाबू ने उसे अपनाकर उसे समाज मे इज़्ज़त से जीने का अधिकार
पति की महानता के आगे वह नतमस्तक थी