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ओए 4 दिन की चाहत में क्या, चार चांद लगा दिए जब गिरे अर्श से फर्श पे तो क्या, स्वाभिमान गिरा दिए - Rover prashant
काश कोई तो ऐसा हो जिस पर सांस भी कुर्बां करूं जो बेशर्ती से इश्क करें मैं पागलों सा प्यार करूं काश कोई तो ऐसा हो जो मुझसे मुझसा प्यार करें मेरे ला-मौजूदी पर, मेरा इंतजार करें... rover prashant
कोई तो हो, जो हम पर भी मरे दिलों जान से, बेइंतहा प्यार करे | - Rover prashant
बातों ही बातों में मैं ये बात भूल गया | खोया मैं बस इतना की औकात भूल गया || - Rover prashant
ये चाहत नहीं उल्फत है तुमसे आदत नहीं इबादत है तुमसे कैसे कहें हम तुमसे जांनां हमें बेइंतहा मोहब्बत है तुमसे तुम मान भी सम्मान भी तुम ही मेरा अभिमान भी हर नफ़स में बसता तू मेरे है बसता तुझमें जान भी... तु पाक का प्रतीक है इल्लत मुझमें कतिक है तू है मेरा और मुझ में भी मुझमें तू शरीक है...
एक सपना है मेरा, मेरे सफर में तुम साथ रहो हाँ, हमसफर हो तुम हर सफर मे साथ रहो - Rover prashant
जो मिल गया आसानी से तो क्या ही कदर करोगे l अगर खो गया वो भीड़ में, तो फिर. तुम ढूंढते ही फिरोगे || - Rover prashant
अर्धांगिनी, प्रेम, प्रतीक्षा हो तुम, ईश्वर से मांगी हुई इच्छा हो तुम | - Rover prashant
मेरी प्रथम प्राथमिकता तुम और तुम्हारा पता नहीं | सारा कुसूर हमारा था पर तुम्हारा कोई खता नहीं || - Rover prashant
आखिर क्या है कर्म ? यह कुछ अलग नहीं बस आपका ही प्रतिबिंब है| ये आपके किए का परिणाम है और यही कटु सत्य है और सत्य यही है कि आपका वर्तमान का नियत ही भविष्य की नियति तय करती है | हालांकि… कर्म सुनने में जितना सरल है यह उतना ही जटिल है या कहे तो जितना जटिल हम सोचते हैं उतना ही सरल है ||| - Rover prashant
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