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Puneet Katariya

Puneet Katariya

@puneetkatariya2436
(20)

#Albert hall , JAIPUR

आज मैं अपने दोस्तों के साथ बैठा था, पर चुप था। अक्सर मैं ऐसे ही चुप रहता हूं, जब लोग मेरे सामने होते हैं। मेरी चुप्पी कभी-कभी दूसरों को अजीब लगती है, और आज भी ऐसा ही हुआ। मेरे एक दोस्त ने मेरे दूसरे दोस्त से पूछा, "ये चुप क्यों है? ये तो तुम्हारा दोस्त है, तुम तो जानते हो न?" तो उसने जवाब दिया, "मुझे नहीं पता, यह ऐसा ही रहता है।"

वो सवाल मेरे भीतर गूंज रहा था। मैंने खुद को सफाई देने के लिए कहा, "मेरे बारे में किसी को नहीं पता, मैं किसी को अपने बारे में ज्यादा नहीं बताता।" और यह बात मैंने गर्व के साथ कही, मानो खुद को justify कर रहा था। लेकिन कुछ समय बाद, जब मैंने यह बात एक और दोस्त से शेयर की, तो उसने मेरी सोच को एक नई दिशा दी। उसने कहा, "यह जरूरी नहीं कि तुमने कभी अपने बारे में बताया नहीं, कि तुम क्या पसंद करते हो, क्या चीज़ें तुम्हें खुश करती हैं, या तुम चुप क्यों रहते हो। हकीकत तो यह है कि शायद कभी किसी ने तुम्हें इतना खास माना ही नहीं, कि वह तुम्हारे बारे में जानने की कोशिश करें।"

उसकी बातों ने मुझे अंदर से झकझोर दिया। मैं हमेशा यह सोचता था कि मेरी चुप्पी मेरी पर्सनल स्पेस का हिस्सा है, और मैं इसे अपनी पहचान बना चुका था। लेकिन उसने जो कहा, वह बिल्कुल सही था। क्या वाकई, कभी किसी ने मुझे इतना समझने की कोशिश की, कि मैं कौन हूं और क्यों चुप रहता हूं? क्या कभी किसी ने मुझे उस तरह से देखा, जैसे मैं खुद को देखता हूं?

कभी-कभी हम अपनी चुप्पी को अपने गहरे विचारों और निजीता के प्रतीक के रूप में देखते हैं, पर असल में यह भी हो सकता है कि लोग हमारी चुप्पी को अनदेखा कर देते हैं। उन्हें लगता है कि हम या तो कुछ छुपा रहे हैं या फिर हम उतने महत्वपूर्ण नहीं हैं कि हमारे बारे में जानने का प्रयास करें। यह स्थिति बहुत कुछ हमारे भीतर के खालीपन और अकेलेपन की भी पहचान हो सकती है, जो हम दूसरों से छिपाने की कोशिश करते हैं।

इसने मुझे यह सिखाया कि कभी-कभी हमें अपनी चुप्पी का कारण दूसरों से नहीं, बल्कि खुद से पूछने की जरूरत होती है। क्या हम खुद को वाकई पूरी तरह से समझते हैं? क्या हमने कभी अपनी चुप्पी की असल वजह को पहचानने की कोशिश की है? और सबसे महत्वपूर्ण, क्या हम खुद को उस तरह से खास मानते हैं जैसे हम दूसरों से उम्मीद करते हैं कि वे हमें देखे?

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चाँदनी भी शर्मा जाए अगर तुम्हारी सुंदरता से अपना नूर मिलाए, और हवाएँ भी ठहर जाएँ जब तुम्हारे लहराते बालों को छूने की ख्वाहिश करें। तुम स्वर्ग की वो अप्सरा हो, जो इस धरती पर उतरकर भी अपनी दिव्यता नहीं खोई।

तुम्हारी आँखें… उफ्फ़! नागिन की तरह नशीली, जिनमें बस एक बार देखने भर से इंसान अपनी सारी सुध-बुध खो दे। उनमें गहराई भी है, जादू भी और एक ऐसा रहस्य भी, जिसे सुलझाने का जी चाहे, पर उसमें खुद ही खो जाने का डर भी लगे।

तुम्हारे बाल… जैसे स्वयं महादेव की जटाएँ, घने, रहस्यमय और उस सृष्टि के रहस्य को समेटे हुए, जिसे छूकर कोई भी खुद को धन्य समझे। जब ये बाल लहराते हैं, तो लगता है जैसे समंदर की लहरें भी इनकी नकल करने लगें।

तुम कोई आम लड़की नहीं, तुम वो कविता हो जिसे लिखने के लिए शायर सदियों से कलम उठाए बैठा था। वो अधूरी कहानी, जिसे मुकम्मल करने की ख्वाहिश हर दिल में छुपी होती है।

अब इन जादुई आँखों को थोड़ी देर के लिए बंद करो, इन सुंदर जटाओं को हल्का सा झटककर तकिए पर बिखरा दो, और सपनों की दुनिया में चली जाओ, जहाँ सिर्फ तुम्हारी हँसी गूँजती हो, और तुम्हारी सुंदरता का जादू बरकरार रहे।

**शुभ रात्रि**

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मैं एक पुस्तक लिख रहा हूँ— **"आत्मा की खोज: तीसरी आँख से परे"**। यह मेरे आध्यात्मिक सफर की यात्रा है, जहाँ मैं उन गूढ़ ग्रंथों से प्राप्त ज्ञान को एक रोचक कहानी के रूप में प्रस्तुत करूंगा, जिन्होंने मेरी सोच को नया आयाम दिया। **"रहस्य," "अवचेतन मन की शक्ति," "सन्यासी जिसने अपनी संपत्ति बेच दी," "ध्यान के चमत्कार"** जैसी पुस्तकों से सीखे गए सिद्धांतों को मैंने अपने अनुभवों से जोड़कर समझने का प्रयास किया है।

इसके साथ ही, मैं **विपासना में सीखी गई प्राचीन ध्यान पद्धति** को सरल भाषा में प्रस्तुत करूंगा, ताकि ध्यान के वास्तविक चमत्कार को महसूस किया जा सके और इसे अपने जीवन में सहज रूप से अपनाया जा सके।


अब, मैं आपके सुझाव चाहता हूँ—
**क्या इस पुस्तक को अध्याय-दर-अध्याय अपलोड किया जाए या पूरी पुस्तक एक साथ प्रकाशित करूं?**
आपकी राय मेरे लिए मूल्यवान होगी। 🙏

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प्यार, जो कभी सबसे खूबसूरत एहसास हुआ करता था, अब एक मजाक सा लगता है।

गढ़ गणेश जी जाते हुए तीन बुधवार हो गए। हर बार वहां एक लड़की से मुलाकात होती थी—रिया। आज पहली बार उसने मुझसे बात की। वह प्यारी थी, पर उसकी आँखों में एक अजीब सी उदासी थी। मैं शायद उससे वैसे बात नहीं कर पाया, जैसे कोई अच्छा दोस्त करता। मेरी चुप रहने की आदत अक्सर सही होती है, लेकिन आज शायद नहीं। हो सकता है, अगर मैं थोड़ा खुलकर बोलता, तो वह अपने मन का बोझ हल्का कर पाती। पर मैं चुप रहा... हमेशा की तरह।

घर लौटते वक्त दिमाग में एक ख्याल आया—अब तक जितने भी लोग मेरे दोस्त बने हैं, वे सभी किसी न किसी सच्चे प्यार में टूटे हुए मिले। और यही वजह है कि अब मुझे प्यार पर यकीन ही नहीं होता। हर बार जब किसी की कहानी सुनता हूँ, तो लगता है कि यह भी बस एक और अधूरी दास्तान है। प्यार, जो कभी सबसे खूबसूरत एहसास हुआ करता था, अब एक मजाक सा लगता है।

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ℕ𝕠 𝕥𝕚𝕥𝕝𝕖 𝕥𝕙𝕚𝕤 𝕥𝕚𝕞𝕖....

Today I tried something different ...but why? Because I want , 😂😂
so here it is..........
महकते इन फूलों की कतार में,
बिखरती इन हवाओं की बहार में,
क्या है ये मांझरा समझ नहीं आ रहा
दिखती है वो मुझे बरसती बूँदों की फुहार में ।

ये दुनिया, ये जहाँ, ये आसमां ,कभी पूरा देखा ही नहीं मैने,
फिर भी अपनी लगती है वो इस बेगाने संसार मे....
दिखती है वो मुझे बरसती बूँदों की फुहार में ।

कभी हकीकत, कभी फसाना, एक सपना सा लगती है वो ,
देखने उसकी झलक महफ़िल सजी है दिल के सभागार में....
दिखती है वो मुझे बरसती बूँदों की फुहार में ।

देखा था उस दिन गीले खुले बालों में हाथों को जोड़े हुए,
शायद मांग रही थी किसी को सावन के सोमवार में....
क्यूँ दिखती है वो मुझे बरसती बूँदों की फुहार में ।

गलती से नजर टकरा गई उसकी नजरों के गहरे समंदर से ,
फिर तो फसना ही था लहरों की मंझदार मे......
दिखती है वो मुझे बरसती बूँदों की फुहार में।

वो उसका नजरें झुकाना, झुकाके उठाना उफ़ क्या कहु मैं ,
ऐसा लगता हैं जैसे रोशनी छा गई हो वीरान बाजार मे.....
दिखती है वो मुझे बरसती बूँदों की फुहार में।

मै तो ठहरा गरीब पर दिल बड़ा अमीर है मेरा शायद,
आजाए एक मुस्कान उसके चेहरे पर ऐसा क्या दू उपहार मे..
दिखती है वो मुझे बरसती बूँदों की फुहार में।

.....#𝙅𝙪𝙨𝙩 𝙖 𝙨𝙖𝙮𝙖𝙧𝙞.....😅😅
There is lack of something........
I think (Feelings) 😜😜
----- by प्रतिभा

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YouTube wala IAS Officer

यूपीएससी का है सिलेबस विशाल,
किताबें तगड़ी, मेहनत कमाल।
लेकिन युवा आजकल, सोचें और क्या?
उन्हें यूट्यूब पर देखने को जो मिल रहा है DM की power ।
फोन में खोए, बस सपने देख रहे हैं वाह वाह।

“सपना तो बड़ा है, अफसर बनना है,
पर पढ़ाई की राह पर, अक्सर मुंह मोड़ना है।”
कभी गूगल पर खोजे "कैसे बने IAS",
फिर कुछ देर में खो जाएं इंस्टा या फेसबुक के पास।

कभी कुछ घंटे किताबों में बिताए,
फिर मोबाइल की स्क्रीन पर आंखें लगाए।
सपने दिखते हैं, अफसर की कुर्सी पर बैठन के ,
पर मेहनत की जगह वीडियो में खो जाते है।

यूपीएससी का रास्ता है कठिन और लंबा,
अगर मेहनत नहीं, तो हर सपना है झूठा।
सिर्फ सपना देखना नहीं, जिंदा करना है,
सफलता पाने के लिए खुद को तपाना है।

लेकिन ये युवा तो फिर भी बस कहते हैं,
"आज भी बस एक मोटिवेशनल वीडियो, कल से पढ़ाई करेंगे।"
यूपीएससी की राह में अगर यही आलस्य है,
तो समझो भाई, अफसर बनने की ख्वाहिश बस एक माया है।

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होली सिर्फ रंगों का त्यौहार नहीं है, यह एक अदृश्य जादू है जो दिलों को एक-दूसरे से जोड़ता है। जैसे ही रंग उड़ते हैं, वैसे ही किसी गहरे रंजिश, दूरी, और घावों को भी धुल जाते हैं। होली उस पल की याद दिलाती है, जब एक-दूसरे के चेहरों पर हंसी, और दिलों में प्रेम की रंगीन बौछार होती है।

आजकल हम सब कहीं न कहीं अपने-अपने संसार में खो गए हैं। किसी से मिलते हैं, तो बस बातों में रहते हैं; दिल से दिल नहीं जुड़ पाते। लेकिन होली, उस पुराने समय की याद दिलाती है, जब रिश्ते रंगों से नहीं, भावनाओं से रंगते थे। यह हमें यह सिखाती है कि जीवन में रंग भरे नहीं तो, बस एक सादा सा चित्र बनकर रह जाता है।

इस होली पर, उन रंगों को अपने भीतर भी फैलाइए, जो आप दूसरों से पाना चाहते हैं—आदर, सच्चाई, और प्रेम। होली केवल एक दिन का उत्सव नहीं, यह एक नई शुरुआत है, जिसमें हर रंग के साथ हम खुद को फिर से पहचानते हैं और अपनी दुनिया को थोड़ा और सुंदर बनाते हैं।

"रंगों से नहीं, रिश्तों से होली मनाइए, हर दिल को सच्चे रंगों से सजाइए।"

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