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Pandit Sumit Joshi

Pandit Sumit Joshi

@joshibook253485
(1)

मरा नहीं हूँ, और जिंदा भी नहीं हूँ…

मैं वो ख्वाब हूँ जो खुली आँखों में कैद है,
एक आवाज़ हूँ जो किसी के कानों तक नहीं पहुंचती।
मैं धड़कन हूँ, मगर एहसास से खाली,
एक लम्हा जो वक़्त के दरमियान अटका है।

मैं साया हूँ, मगर रोशनी से दूर,
एक रास्ता हूँ, मगर मंज़िल से महरूम।
मैं सांस लेता हूँ, पर जिंदा होने का अहसास नहीं,
शरीर हूँ, मगर रूह से जैसे जुदा हूँ।

शायद मैं एक अधूरी दास्तान हूँ,
जिसका न कोई आग़ाज़ है, न कोई अंजाम।
या फिर मैं वो सवाल हूँ,
जिसका जवाब किसी के पास नहीं…

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सवालों में नहीं आते, जवाबों में नहीं आते
कुछ ऐसे क़िस्से होते, जो किताबों में नहीं आते।

वो क़िस्से याद हैं किसके, मैं तुमसे कह नहीं सकता,
कि मैं ये झूठ कहता, अब वो ख़्वाबों में नहीं आते।
ना ख़्वाब मेरे हैं जिंदा, ना ख़याल उसका बाक़ी,
बस एक सिलसिला सा है, जो दिल से कभी जाता नहीं।

ना इसमें उसकी गलती थी, ना ही गलती हमारी थी,
हम दोनों ही मजबूर थे, वक़्त की लाचारी थी।
वो महलों की परी थी, अप्सरा थी, राजकुमारी थी,
और हमारी हर ख़ुशी पर, ग़रीबी की पहरेदारी थी।

उसकी मुस्कान चाँद जैसी, उसकी चाल हिरण जैसी,
और हम तो मिट्टी के खिलौने, जो टूटें बिना किसी साज़िश के।
वो देखती थी आसमान को, अपने पर फैलाने को,
और हम देखते थे ज़मीन को, अपने घर बचाने को।

उसके ख़्वाब सुनहरे थे, मेरे ख़्वाब अधूरे थे,
उसकी दुनिया रौशन थी, मेरे दिन भी अंधेरे थे।
वो चाहती थी चाँद को, जो उसके पास आ भी जाता,
और हमें अपनी रोटी के लिए सूरज तक जाना पड़ता।

ना उसका कसूर था, ना वक़्त का, ना हालात का,
हम दोनों की ज़िंदगियां बस थीं, अलग-अलग सौगात का।
वो अपने महल में थी खुश, हम अपनी झोंपड़ी में उदास,
लेकिन दिलों के वो क़िस्से, रहते हैं आज भी पास।

आज भी याद आता है वो, उसकी बातों की मिठास,
उसकी आँखों का वो जादू, उसकी आवाज़ का एहसास।
पर ये किस्से अब मेरे हैं, एक अधूरी कहानी के,
जो सवालों में नहीं आते, जवाबों में नहीं आते।

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❤️ Love you miss you Maa ❤️

मेरे हर दुख को वो दूर से पहचानती थी
मेरी मां मुझे सबसे ज्यादा जानती थी

मैने कोई बात कभी समझाई नही उसे
बिना कहे ही वो सारी बाते जानती थी

उसकी मार में वो प्यार क्या निराला था
जब मेरी मां जिंदा थी मैं बड़ा किस्मतवाला था

मुझे नहीं था पता तू इतनी दूर चली जायेगी
मैं पुकारूंगा और कभी वापस नहीं आएगी

ये दुनिया मुझे हर पल ठोकर खिलाती है
जब भी गिरता हूं मां मुझे तेरी याद आती है

मैं उठ कर आपने आंसु खुद पोंछ लेता हूं
अपने दिल में तेरी तस्वीर चूम लेता हूं

इस दुनिया के बाकी सब रिश्ते मतलबी हैं मां
जैसी तू थी ये वैसे बिल्कुल नही है मां

मैं हर रोज जन्नत में दाखिल होता था
मां तेरी गोद में मैं जब सर रख के सोता था

ऐ खुदा तेरे पास आने की मेरी चाह और बढ़ गई है
क्योंकि मुझे पता है मेरी मां तेरे ही पास गई है

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