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अटल विचार, अटल ध्येय, अटल थे जिनके काम, भारत माँ का दीपक जलाया, बढ़ाया देश का मान। संघ की शाखा में बोया, सेवा का बीज महान, आरएसएस ने रचा था नेता, नाम था अटल विहान। शब्दों के जादूगर थे, कवि मन के थे अनमोल, नेतृत्व का दीपक जलाया, दिखाया प्रगति का मार्ग खोल। पोखरण की धरती पर गूँजा उनका उद्घोष, परमाणु शक्ति से बनाया भारत को अटल और जोश। कारगिल की वीरगाथा, साहस की वो परिभाषा, सैनिकों के प्रति सम्मान, अटल का था विश्वास। "जय जवान, जय किसान" का दिया उन्होंने नारा, हर दिल में जगाया स्वाभिमान, हर गाँव तक पहुँचाया सहारा। संवाद, शांति, पराक्रम के वो थे अद्भुत संगम, संघर्षों में तपकर बने वो नेतृत्व का युगधर्म। सड़कों से जोड़े गाँव-शहर, हर कोना पास किया, "स्वर्णिम चतुर्भुज" का सपना, धरातल पर साकार किया। हर शब्द उनका अमृत था, हर कदम उनका प्रेरणा, अटल बिहारी जी का जीवन, देशभक्ति की परिभाषा। संघ की मिट्टी से उपजे, सत्यनिष्ठा जिनका आधार, भारत माँ के सच्चे सपूत, अटल जी से बना संसार। शताब्दी पर अर्पण करते, ये श्रद्धा के फूल, आपके कर्मों से रोशन है भारत का हर मूल। अटल थे, अटल हैं, अटल रहेंगे युगों तक, आपके सपनों का भारत, रहेगा सदा चिरंतन तक। - ©️ जतिन त्यागी
॥ प्रेम की नन्ही सी चाहत ॥ कभी हमने भी चाहा था, कोई हो जो समझे हमें, हर दर्द को, हर चिंता को, अपना समझे, बिना कहे हमें। चाहिए था हमें भी एक आंचल, जिसमें सुकून की गर्मी हो, जो हमारे थके हुए दिन में, कुछ पल की राहत हो। कोई हो जो माथे पर चूमे, खुशियों की रौशनी में खो जाए, जब भी हम टूटे हो, दिल से, उसे फिर से जोडने आ जाए। हमें भी चाहिए वो 'साथ', जो कभी न छोड़े, न मुड़े, जो हर पल हमें ताकत दे, और हमारी खुशी में जुड़े। गालों पे वो थपकी, वो प्यार, जो कहे, "तुम्हें चाहिए नहीं डर, हमेशा तुम हो मेरे पास, चलो, इस सफर में साथ चलें, हर बार।" यही है हमारी प्रेम की ख्वाहिश, सारी ज़िन्दगी में एक साथी, जो हो हमारे हर दर्द का इलाज, हमारी दुनिया की सच्ची साथी। - ©️ जतिन त्यागी
।। वंदे मातरम्।। धरा मेरी है ज्ञान की, विज्ञान की धरा, संस्कृति के मान की सम्मान की धरा, मैं सिर्फ एक देश नहीं एक सोच हूं, सभ्यतायों में श्रेष्ठ सभ्यता की खोज हूं, मैं जोड़ने की सोच के ही संग चलूंगा, अखंड था, अखंड हूं ,अखंड रहूंगा ।। हर कदम अलग जुबां, अलग ही रीत है, और तरह तरह के यहां पे गीत है, मैं प्रीत का ही गीत वो अभंग रहूंगा, अखंड था, अखंड हूं, अखंड रहूंगा ।। माना के कई धर्म कई पंथ हैं यहां, और अलग अलग सभी के ग्रंथ हैं यहां, फिर भी एकता का स्त्रोत मैं प्रचंड रहूंगा अखंड था, अखंड हूं, अखंड रहूंगा ।। कई है लोग, साथ में कई विचार है, अलग-अलग गुलों की जैसे एक बहार है, मैं द्वंद्व में भी योग का सुगंध रहूंगा, अखंड था, अखंड हूं, अखंड रहूंगा ।। कई वीर जन्में धरती पे मेरी, कई वीर अमर कहलाये, उन वीरों की वीरता का घमंड रहूंगा, अखंड था, अखंड हूं, अखंड रहूंगा ।।
7 दिसंबर 1937 को जन्म लिया, एक साधारण बालक, जिसने बड़े सपने सिला। परिवार का नाम था, पर खुद को बनाया, देश के लिए सेवा का दीप जलाया। टाटा के घराने में कदम रखा जब, संघर्षों की राहों से पार किया हर दम। उनके दिल में था देश का बड़ा सपना, देश को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाना। छोटे उद्योगों से शुरू की कहानी, हर चुनौती को मान ली, बनी नई निशानी। टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, और टाटा टी, हर क्षेत्र में फैलाया अपना नाम और रोशनी। "नैनो" से गरीबों के सपने साकार किए, "टाटा कंसल्टेंसी" ने डिजिटल युग में सितारे छुए। कभी नहीं झुके, कभी नहीं थमे, दुनिया के हर कोने में कामयाबी के दीप जलाए। उनका दिल हमेशा समाज के लिए धड़कता था, ग़रीबों और युवाओं के सपनों को समझता था। दिया दान, दिया रोजगार, दिया देश को सम्मान, हर कदम पर उन्होंने किया देश का उत्थान। आज जब वो दुनिया से विदा हुए हैं, हर दिल में उनका नाम जिंदा हुआ है। उनकी कहानी एक प्रेरणा बनकर रहेगी, हर युवा के सपनों में रोशनी भरेगी। आज उनके जाने से आँखें नम हैं, पर उनका संघर्ष और प्रेम अमर रहेगा हर दम। रतन टाटा, आपका योगदान हम नहीं भूलेंगे, आपके आदर्शों से ही हम आगे बढ़ेंगे। "आपकी राहें हमें दिखाएंगी मंज़िल का रास्ता, "रतन टाटा जी आप हमारे दिलों में हमेशा रहेंगे, आपके सपनों से हम आगे बढ़ते रहेंगे।" - ©️ जतिन त्यागी
बजरंग दल का जोश अनोखा, वीर हनुमान का साथी है देखा। धर्म की रक्षा, सेवा का व्रत, हर संकट में ये रहता अविरत। वीर शिवाजी की धरा के सपूत, राष्ट्र प्रेम में हैं अडिग ये दूत। धर्म की मशाल हाथ में लिए, भारत माता के चरणों में जीए। गर्व से कहते "जय श्रीराम," हर दिल में भरते देश का मान। आधि-व्याधि जो भी आए सामने, बजरंगी रणबांकुरे कभी न थमने। सत्य-अहिंसा, धर्म-वीरता, इनके जीवन का अद्भुत नाता। राष्ट्रहित में सदा तत्पर, इनके बलिदान से धरा भी निखर। बजरंग दल की जय-जयकार, राष्ट्र का गौरव, सच्चा उपहार। हनुमान के आशीर्वाद से चमके, बजरंगी वीर सदा अडिग रहें। - ©️ जतिन त्यागी
----------मेरी आँखों से देखना----------- नज़्मों को पढ़ना मेरे गीतों को समझना तुम दुनिया को जीना मेरी आँखों से देखना। उम्र के साथ साथ तज़ुर्बे भी बढ़ते हैं सबके वक़्त सिखाए कुछ तो वक़्त से सीखना। तेरी आँखों में अश्क बनकर खुशी और गम के मिलूंगा कभी कभी मैं तुमसे तुम देखना। कुछ वादे तेरे बाकी हैं निभाने के लिए जिसका रह जायेगा जितना हिसाब में लिखना। कांटे दोस्त बनकर करते हैं हिफाज़त गुल की बचाकर फूलों को मेरे हमनवा हवा से रखना। जो दिखता है चहरों पर होता नहीं है अकसर हम जैसा मिले कोई तो दिल से ही परखना।
मतदान करो, ये है अधिकार हमारा, राष्ट्रहित के संग बढ़ाएं उजियारा। हर वोट है अमूल्य, हर मत है महान, रखें एकता की लौ, बनाएं नया जहाँ। भ्रष्टाचार को करें हम सब मिलकर ख़त्म, संगठित होकर चलें, ये है हमारी कसम। नारी, बच्चे, बुजुर्ग, सबकी आवाज़ बनें, राष्ट्रहित की राह में, हम सभी मिलकर चलें। शक्ति है वोट में, बदलें सूरत ये देश, सनातन संस्कृति की सुरक्षा, ये है आज का निर्णय विशेष। हर बूथ पर पहुंचे, हर दिल में हो जोश, मतदान से ही बनेगा, सच्चा भारत, अच्छी सोच।" - ©️ जतिन त्यागी
मैं स्वयंसेवक मुझे न चाह है जयगान की । मैं स्वयंसेवक मुझे परवाह न यशगान की । मैं पूजा का पुष्प हू आराध्य माता भारती । मैं स्वयंसेवक मुझे न चाह है जयगान की ॥ परम मंगलवत्सला माँ, गोद मे जिसकी पला मैं-2 जिस धरा के अन्न-जल, से नित्यप्रतिपल हूं बढ़ा मैं । प्राणदीप से मैं उतारू-2 उस धरा की आरती ...। । मैं स्वयंसेवक मुझे ...॥ धर्मपथ पे मैं चला हूं , अटल यह विश्वास मेरा -2 सुजन रक्षण असुर मर्दन श्रेष्ठ जीवन कार्य मेरा । धर्म हित महायुद्ध को हे-2 माँ मुझे ललकारती । । मैं स्वयंसेवक मुझे ....॥ अग्निपथ पर मैं चला हूं, छोड़ सुखमय मार्ग जग का-2 कण्टको से पूर्ण पथ पर नित्य हे स्वीकार चलना श्रेष्ठतम बलिदान की-2 हे मातृभू अधिकारी । मैं स्वयंसेवक मुझे ....॥ ना रहे कुछ भिन्नता अब बन सकूं मैं अंश तेरा-2 बिंदुबनकर संघसरिता कर सकूं अभिषेक तेरा । तव चरण पर वन्दना-2 स्वीकार हे माँ भारती । । मैं स्वयंसेवक मुझे न चाह है जयगान की । मैं स्वयंसेवक मुझे परवाह ना यशगान की । मैं पूजा का पुष्प हूं, आराध्य माता भारती । मैं स्वयंसेवक मुझे ....॥
दिखावे के लिए हमसे, वफ़ादारी ना की जाए। मोहब्बत है तो है, वर्ना कोई अदाकारी न की जाए।। असली चाहत क्या है, ये मतलब भी समझा जाए। दिल की गहराइयों में जो नज़र आए, कोई मोहब्बत का नकली रंग न चढ़ाया जाए।। सच्चे दिल की पहचान छुपी न रह जाए, दिल से दिल का रिश्ता नजर आए, बस इसी बात की इबादत की जाए। फरेब के रंग से सच्चाई को मिलाया न जाए, सच्ची मोहब्बत में बस दिल से दिल मिलाया जाए।। - ©️ जतिन त्यागी
"जो मिल जाए सहजता से, उसकी कोई बात नहीं है, विशेषता तब है पाई, जब कठिनाई राह में आती है। जिनकी जिद न छूटी कभी, उनकी मेहनत रंग लाई, वो सफल होते हैं सच्चे में, जो कहते थे मुक़द्दर लिखाई।" - ©️ जतिन त्यागी
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