Quotes by GANESH TEWARI 'NESH' (NASH) in Bitesapp read free

GANESH TEWARI 'NESH' (NASH)

GANESH TEWARI 'NESH' (NASH)

@ganeshptewarigmail.com064906


मृदुभाषी इस‌ जगत में, मिलते हैं हर ठौर।
हितभाषी पर जगत में, नहीं मिलें इस दौर।। दोहा--131
(नैश के दोहे से उद्धृत)
-------गणेश तिवारी 'नैश'

Read More

जो रमते प्रभु भजन में. रहते भय से दूर। ग्रह अनिष्ट प्रभु नाम से . होते चकनाचूर।। दोहा--130
(नैश के दोहे से उद्धृत)
गणेश तिवारी 'नैश'

Read More

लक्ष कोटि के बाद भी. रहता मनुज अशान्त। रहती तृष्णा उम्र भर. नहीं हुयी यह शान्त।। दोहा--129
(नैश के दोहे से उद्धृत)
----गणेश तिवारी 'नैश'

Read More

वह समर्थ जो जगत में. नहीं हुआ संलिप्त। जगती में असमर्थ वह. जो विषयों में लिप्त।। दोहा--128
(नैश के दोहे से उद्धृत)
-----गणेश तिवारी 'नैश'

Read More

पीछे पीछे प्रभु चलें. आगे चलता भक्त। भक्त चरण रज के लिए. ईश हुआ आसक्त।। दोहा--१२७
(नैश के दोहे से उद्धृत)
----गणेश तिवारी 'नैश'

Read More

धन दौलत को छोड़कर. रखे ईश का भाव। सुख असीम उसको मिले. गद्गद रहे स्वभाव।। दोहा--126
(नैश के दोहे से उद्धृत)
--- गणेश तिवारी 'नैश'

Read More

इंद्रिय को वश में किया. हुआ पूर्ण वह शान्त। ईश भजन के लिए वह. रहता सदा अशान्त।। दोहा--125
(नैश के दोहे से उद्धृत)
----गणेश तिवारी 'नैश'

Read More

मिला. उसी में हो गया. जो मानव संतुष्ट। हर्ष शोक से परे वह. रहे सदा ही तुष्ट।। दोहा--124
(नैश के दोहे से उद्धृत)
----गणेश तिवारी 'नैश'

Read More

इस जग में जो हो गया. राग द्वेष से मुक्त। संत पुरुष कहते उसे. रहे हर्ष से युक्त।। दोहा--123
(नैश के दोहे से उद्धृत)
-----गणेश तिवारी 'नैश'

Read More

करे रमण जो आत्म में. रहे आत्म में नित्य। नहीं कर्म उसके लिए. वह होता कृतकृत्य।। दोहा--122
(नैश के दोहे से उद्धृत)
----गणेश तिवारी नैश'

Read More