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GANESH TEWARI 'NESH' (NASH)

GANESH TEWARI 'NESH' (NASH)

@ganeshptewarigmail.com064906


ज्ञानी इस संसार में, रखे नहीं अनुराग। ज्यों चम्पा के फूल से, रखे न भँवरा राग।। दोहा--236
(नैश के दोहे से उद्धृत)
-----गणेश तिवारी'नैश'

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सत्वगुणी के पतन में, होता मति‌ का‌ नाश। पाप पुण्य में फर्क का मिट जाता आभास।। दोहा--235
(नैश के दोहे से उद्धृत)
---गणेश तिवारी 'नैश'

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सत्वगुणी को चाहिए, करे सत्व में वास। चूक हुयी यदि तनिक‌ भी,
रज‌‌ तम‌ करे निवास।। दोहा--234
(नैश के दोहे से उद्धृत)
-----गणेश तिवारी 'नैश'

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ज्ञानी करता भोग जब, रहता पूर्ण अलिप्त। ज्यों बेगारी का पुरुष, कभी न होता लिप्त।। दोहा--233
(नैश के दोहे से उद्धृत)
-----गणेश तिवारी 'नैश'

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ब्रह्मानन्दी न रखे, जग‌ से तनिक खिंचाव। जैसे नृप में न रहे,
भिक्षाटन का भाव।। दोहा--232
(नैश के दोहे से उद्धृत)
-----गणेश तिवारी 'नैश'

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ज्ञानी का जग वस्तु‌ से, होता‌ नहीं खिंचाव। ज्यों गन्ना से तृप्त गज, रखे न कड़ुआ भाव।। दोहा--231
(नैश के दोहे से उद्धृत)
---गणेश तिवारी 'नैश'

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मातु लक्ष्मी का मनुज, कर सकता उपयोग। माँ के स्वामी मत बनो, करो न इनसे भोग।। दोहा--230
(नैश के दोहे से उद्धृत)
----गणेश तिवारी 'नैश'

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मिले लक्ष्मी भाग्य से, और मिले सन्तान। लिखा मनुज के भाग्य में, वही मिले भुगतान।। दोहा--229
(नैश के दोहे से उद्धृत)
----गणेश तिवारी 'नैश'

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सदाचार तप दान यश, अरु जा सकती भूति। पर जाते ही सत्य के, समझो गयी विभूति।।
दोहा--228
(नैश के दोहे से उद्धृत)
------गणेश तिवारी 'नैश'

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जब तक रुचिकर‌ जग लगे, मिले न ईश्वर भक्ति। जग से होगी अरुचि जब, मिले जगत‌ से मुक्ति।। दोहा--227
(नैश के‌ दोहे से उद्धृत)
---गणेेश तिवारी 'नैश'

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