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GANESH TEWARI 'NESH' (NASH)

GANESH TEWARI 'NESH' (NASH)

@ganeshptewarigmail.com064906


मृग मरीचिका जगत यह, नहीं यहाँ कुछ सत्य। ठीक कहा है किसी ने, सब कुछ यहाँ असत्य ।। दोहा-- 193
(नैश‌ के दोहे से उद्धृत)
---गणेश तिवारी 'नैश'

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पानी जैसा बुलबुला, पल‌ दो पल ठहराव। कल आया वह चला अब, नर का यही स्वभाव।। दोहा--192
(नैश के दोहे से उद्धृत)
----गणेश तिवारी 'नैश'

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टूटा काँसा जिस तरह , रहता‌ है निःशब्द। उसी‌ तरह से‌ तुम रहो,
बोलो मत कटु शब्द।। दोहा-191
(नैश के दोहे से उद्धृत)
----गणेश तिवारी 'नैश'

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पाप कर्म करते समय, मूढ़ न जाने पाप। स्वयं जला‌‌‌ जो अग्नि से, करता वह अनुताप। दोहा--190
(नैश के दोहे से उद्धृत)
-----गणेश तिवारी 'नैश'

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पाप कर्म करते समय, मूढ़ न जाने पाप। स्वयं जला‌‌‌ जो अग्नि से, करता वह अनुताप। दोहा--190
(नैश के दोहे से उद्धृत)
-----गणेश तिवारी 'नैश'

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तृष्णा में जो फँस‌ गया, उसका हुआ अनर्थ। बँधा हुआ खरगोश ज्यों, कूदे फाँदे व्यर्थ। दोहा-189
(नैश के दोहे से उद्धृत)
----गणेश तिवारी 'नैश'

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ऐसा होगा एक दिन, नहीं बचेगा साख। प्राण रहित निर्जीव तन, जलकर होगा ऱाख। दोहा-188
(नैश के दोहे से उद्धृत)
------गणेश तिवारी 'नैश'

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नहीं जानते अज्ञ यह, मरना जीवन धर्म। जब जानेंगे लोग‌ यह, होगा नहीं अधर्म।। दोहा--187
(नैश के दोहे से उद्धृत)
----गणेश तिवारी -नैश'

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वैर वैर से न हुआ, वैर कभी भी शान्त। हुआ शान्त जब भी कभी, यह अवैर से शान्त।। दोहा--186
(नैश के दोहे से उद्धृत)
---गणेश तिवारी 'नैश'

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हरि सुमिरन में‌ जो‌ लगा, छोड़ जगत का मोह। खींचे वह‌ निज भक्त ज्यों, खींचे चुम्बक लोह।।
‌‌दोहा--185
(नैश के दोहे से उद्धृत)
----गणेश तिवारी 'नैश'

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