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Chirag Vora

Chirag Vora Matrubharti Verified

@chiragvora055249
(156)

मैं तो रास्ते में मिल गया था तुझे,
शायद तलाश तुझे किसी और की थी..!!

तू जा तो रहा है किसी की खातिर छोड़ के मुझे,
ये ना हो कि तुझे लौट के यहीं आना पड़े..!!

सब ठीक होने तक...

सब खत्म हो जाता हैं

इतना अथाह प्रेम करने के पश्चात भी जिसे,
ना तो मेरा प्रेम समझ आया और ना मैं,

उसके जीवन में मेरे ना होने से भी
उसें क्या फ़र्क़ पड़ेगा अब

कल्पना •

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मुझे लगता है औरतें पागल हैं जो सोचती हैं कि वो पुरुषों के बराबर हैं।

वो उनसे कई गुना बड़ी है।

अगर आप उसे शुक्राणु दोगे
वह बालक बना देगी।
मकान दोगे, घर बना देगी
परचूनी दोगे, खाना बना देगी
मुस्कुराहट दोगे, दिल दे देगी।

औरत को कुछ भी दो वह उसे बड़ा बना देती है..!

विलियम गोल्डिंग साहित्य दृष्टि

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हृदय से प्रेमिका व्यवहार से माँ और श्रृंगार से अर्धांगिनी हो तुम मेरे जीवन में माँ के बाद एकमात्र महत्वपूर्ण स्त्री हो तुम..

अज्ञात •

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ख़ुशी पैसों पर नहीं, परिस्थितियों पर निर्भर करती है,
एक बच्चा गुब्बारा ख़रीद कर खुश था तो दूसरा उसे बेच कर और तीसरा उसे फोड़ कर ।

अज्ञात •

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प्यार एक पूंजीवादी विचार है,
लड़कियों के सपने में राजकुमार आते हैं
मज़दूर नहीं।

अज्ञात •

फ़िर एक वक़्त ऐसा भी आता है जब कुछ बहुत ख़ास सी दोस्तियाँ भी सिर्फ फ़ोन की कॉन्टैक्ट लिस्ट तक सीमित रह जाती हैं..!

अज्ञात

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तीन लोग हमेशा परेशान रहते हैं,
मददगार, वफादार और दिल के साफ़

बाकी चापलूस तो हर कहीं अपनी
जगह बनाकर फिट हो जाते हैं..!

अज्ञात

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