Dil ka Kirayedar by Sagar Joshi

Dil ka Kirayedar by Sagar Joshi in Hindi Novels
सुबह के पाँच बजे। आरती आँगन में झाड़ू लगा रही थी। ठंडी हवा के साथ उसकी साँसों में थकान भी मिल गई थी। माँ खाँस रही थीं और...
Dil ka Kirayedar by Sagar Joshi in Hindi Novels
धीरे-धीरे ज़िंदगी में एक नई लय आने लगी थी।विवेक अब हर शाम नीचे आता, और अमित को पढ़ाने बैठता। आरती रसोई में होती, लेकिन क...
Dil ka Kirayedar by Sagar Joshi in Hindi Novels
(“कभी-कभी शादी प्यार से नहीं, वक़्त के डर से हो जाती है…”)साल गुज़रते गए।आरती अब पच्चीस की नहीं रही।ज़िंदगी जैसे धीरे-धी...