रक्तरेखा by Pappu Maurya in Hindi Novels
Chapter 1

पत्तों की सरसराहट थम चुकी थी।आसमान फट पड़ा था — और मानो देवताओं के क्रोध से बरस रहा था पानी।हर पेड़, हर झाड़ी...