ग़ज़ल - सहारा में चल के देखते हैं by alka agrwal raj in Hindi Novels
*****ग़ज़ल**** 1212     1122     1212   22/112 ख़ुलूस ओ प्यार के सांचे में ढल के देखते हैं। जफ़ा की क़ैद से बाहर निकल के देखत...