ग़ज़ल - सहारा में चल के देखते हैं by alka agrwal raj in Hindi Novels
*****ग़ज़ल**** 1212     1122     1212   22/112 ख़ुलूस ओ प्यार के सांचे में ढल के देखते हैं। जफ़ा की क़ैद से बाहर निकल के देखत...
ग़ज़ल - सहारा में चल के देखते हैं by alka agrwal raj in Hindi Novels
अलका "राज़ "अग्रवाल ️️ ****ग़ज़ल ******   क्या नया अपना लें सारा  सब पुराना छोड़ दें। लोग कहते हैं हमें गुज़रा ज़माना छोड़ दें।...
ग़ज़ल - सहारा में चल के देखते हैं by alka agrwal raj in Hindi Novels
ये जो नफ़रत है कम होने को जो तैयार हो जाए। महब्बत फिर ज़माने में गुले गुलज़ार हो जाए।।   तिरी नज़रे इनायत का अगर इज़हार हो जा...