Shabdo ka Boj by DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR

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शब्दों का बोझ by DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR in Hindi Novels
जब कोई चीज़ को बार-बार बोलना पड़े, फिर इन सब का मतलब शून्य हो जाता है।कई बार लगता है कि मैं शब्दों का गुलाम हूँ। हर भावन...
शब्दों का बोझ by DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR in Hindi Novels
चुप्पी की भाषा”June 28, 2025“जब शब्द बेमानी हो जाएँ, तो चुप्पी बोल उठती है।”1. चुप्पी का इन्कारराघव को अब किसी की आवाज़...
शब्दों का बोझ by DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR in Hindi Novels
June 28, 2025“हर बार समझाने की ज़रूरत हो, तो शायद समझने वाला ही ग़लत चुन लिया है।”1. रिश्तों की छाँव में सन्नाटाराघव की...
शब्दों का बोझ by DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR in Hindi Novels
“जब चुप्पी आदत बन जाए, तब शब्द भी पराये लगने लगते हैं।”1. आदत की चुप्पीराघव अब बोलता नहीं था — पर इसका मतलब ये नहीं था क...
शब्दों का बोझ by DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR in Hindi Novels
“जो बात एक बार में न समझे, वो सौ बार सुनकर भी नहीं समझेगा। और जो समझता है, उसे कहने की ज़रूरत नहीं।”1. अंत का आरंभराघव अ...