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तेरी मेरी यारी By Ashish Kumar Trivedi

ग्रीनवुड पब्लिक स्कूल की छुट्टी का समय हो रहा था। स्कूल के बाहर आइसक्रीम बेचने वाले आकर खड़े हो गए थे। एक काले रंग की वैन दो बार स्कूल के सामने से गुज़र चुकी थी।

छुट्टी की घंटी...

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आम का बगीचा By pooja

'और मास्टर जी, आजकल फिर यहीं...?'


चंदन ने अपनी लहराती साइकल की तेज़ रफ़्तार को जान- बूझकर ब्रेक लगाया और घंटी बजाकर मास्टर जी को जगाते हुए पूछा।


जून की तपती दुपहर...

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विवान द सुपर स्टार By Himanshu Singh

विवान महज दो महीने का लड़का था जो बालपन में ही बड़ा खुश मिजाज था। उसके चेहरे पर हर पल हल्की सी मुस्कुराहट रहती थी।

विवान के होने से पहले उसके माता-पिता ने उसके पालन पोषण, उसको किस...

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श्रेष्ठ बाल कथाएं By MB (Official)

एक छोटा सा गाँव था जहाँ सुंदर बगीचे, ऊँचे-ऊँचे पेड़ और रंग-बिरंगे फूल खिले रहते थे। इसी गाँव में एक छोटा सा घर था जिसमें एक प्यारी सी बिल्ली मिन्नी और एक नन्हा सा चूहा चीकी रहते थे...

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पर-कटी पाखी By Anand Vishvas

बालक के माता और पिता, दो पंख ही तो होते हैं उसके, जिनकी सहायता से बालक अपनी बुलन्दियों की ऊँचे से ऊँची उड़ान भर पाता है। एक बुलन्द हौसला होतें हैं, अदम्य-शक्ति होते हैं और होते हैं...

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दानी की कहानी By Pranava Bharti

दानी अक्सर अपनी तीसरी पीढ़ी के बच्चों को अपने ज़माने की कहानियाँ सुनाती हैं | बच्चों को भी बड़ा मज़ा आता है क्योंकि उनके लिए आज का माहौल ही सब कुछ है | वो कहाँ जानते हैं दानी के ज़माने...

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गोलू भागा घर से By Prakash Manu

आखिर जिस बात की बिल्कुल उम्मीद नहीं थी, वही हुई। गोलू घर से भाग गया।

गोलू के मम्मी-पापा, बड़ा भाई आशीष और दोनों दीदियाँ ढूँढ़-ढूँढ़कर हैरान हो गईं। रोते-रोते उसकी मम्मी का बुरा...

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मुल्ला नसरुद्दीन के चंद छोटे किस्से By MB (Official)

सर्दियों का पूरा मौसम नसरुद्दीन ने अपने बगीचे की देखरेख में बिताया. वसंत आते ही हर तरफ मनमोहक फूलों ने अपनी छटा बिखेरी. बेहतरीन गुलाबों और दूसरे शानदार फूलों के बीच नसरुद्दीन को कु...

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मोनू , बब्बू और शेर महाशय By Premyad kumar Naveen

मीना अपने लड़के को दवा लाने को कहती है,और मोनू अपनी टूक टूक (सायकल) में सवार हो कर पर्चा हाथ मे लेकर निकलने लगता है। वो अपने घर के मुख्य दरवाजे के पास पहुँचा ही होता है,की तभी घर के...

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एक था ठुनठुनिया By Prakash Manu

एक था ठुनठुनिया। बड़ा ही नटखट, बड़ा ही हँसोड़। हर वक्त हँसता-खिलखिलाता रहता। इस कारण माँ का तो वह लाड़ला था ही, गाँव गुलजारपुर में भी सभी उसे प्यार करते थे।

गाँव में सभी आकर ठुन...

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तेरी मेरी यारी By Ashish Kumar Trivedi

ग्रीनवुड पब्लिक स्कूल की छुट्टी का समय हो रहा था। स्कूल के बाहर आइसक्रीम बेचने वाले आकर खड़े हो गए थे। एक काले रंग की वैन दो बार स्कूल के सामने से गुज़र चुकी थी।

छुट्टी की घंटी...

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आम का बगीचा By pooja

'और मास्टर जी, आजकल फिर यहीं...?'


चंदन ने अपनी लहराती साइकल की तेज़ रफ़्तार को जान- बूझकर ब्रेक लगाया और घंटी बजाकर मास्टर जी को जगाते हुए पूछा।


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विवान द सुपर स्टार By Himanshu Singh

विवान महज दो महीने का लड़का था जो बालपन में ही बड़ा खुश मिजाज था। उसके चेहरे पर हर पल हल्की सी मुस्कुराहट रहती थी।

विवान के होने से पहले उसके माता-पिता ने उसके पालन पोषण, उसको किस...

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एक छोटा सा गाँव था जहाँ सुंदर बगीचे, ऊँचे-ऊँचे पेड़ और रंग-बिरंगे फूल खिले रहते थे। इसी गाँव में एक छोटा सा घर था जिसमें एक प्यारी सी बिल्ली मिन्नी और एक नन्हा सा चूहा चीकी रहते थे...

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पर-कटी पाखी By Anand Vishvas

बालक के माता और पिता, दो पंख ही तो होते हैं उसके, जिनकी सहायता से बालक अपनी बुलन्दियों की ऊँचे से ऊँची उड़ान भर पाता है। एक बुलन्द हौसला होतें हैं, अदम्य-शक्ति होते हैं और होते हैं...

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दानी की कहानी By Pranava Bharti

दानी अक्सर अपनी तीसरी पीढ़ी के बच्चों को अपने ज़माने की कहानियाँ सुनाती हैं | बच्चों को भी बड़ा मज़ा आता है क्योंकि उनके लिए आज का माहौल ही सब कुछ है | वो कहाँ जानते हैं दानी के ज़माने...

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गोलू भागा घर से By Prakash Manu

आखिर जिस बात की बिल्कुल उम्मीद नहीं थी, वही हुई। गोलू घर से भाग गया।

गोलू के मम्मी-पापा, बड़ा भाई आशीष और दोनों दीदियाँ ढूँढ़-ढूँढ़कर हैरान हो गईं। रोते-रोते उसकी मम्मी का बुरा...

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मुल्ला नसरुद्दीन के चंद छोटे किस्से By MB (Official)

सर्दियों का पूरा मौसम नसरुद्दीन ने अपने बगीचे की देखरेख में बिताया. वसंत आते ही हर तरफ मनमोहक फूलों ने अपनी छटा बिखेरी. बेहतरीन गुलाबों और दूसरे शानदार फूलों के बीच नसरुद्दीन को कु...

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मोनू , बब्बू और शेर महाशय By Premyad kumar Naveen

मीना अपने लड़के को दवा लाने को कहती है,और मोनू अपनी टूक टूक (सायकल) में सवार हो कर पर्चा हाथ मे लेकर निकलने लगता है। वो अपने घर के मुख्य दरवाजे के पास पहुँचा ही होता है,की तभी घर के...

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एक था ठुनठुनिया By Prakash Manu

एक था ठुनठुनिया। बड़ा ही नटखट, बड़ा ही हँसोड़। हर वक्त हँसता-खिलखिलाता रहता। इस कारण माँ का तो वह लाड़ला था ही, गाँव गुलजारपुर में भी सभी उसे प्यार करते थे।

गाँव में सभी आकर ठुन...

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