चिड़िया अपने बच्चों की चोंच से चोंच मिला रही थी। जैसे कह रही हो कि--बेटा आज जो तुम स्वस्थ और सुरक्षित हो उसका कारण अकेली में ही नहीं हुं कोई और भी है जिन्होंने तुम्हें बचाया है ।
तुम्हें सुरक्षित लाकर अपने घर में रखा है।
चूचू की धीमी आवाज में जैसे बच्चे पूछ रहे हो और कौन है मां जो हमे तुम्हारी तरह सुरक्षित रख सकता है।
कुछ इंसान होते हैं बेटा जो अपनी ही तरह जानवरो और पशु पक्षियों का भी ख्याल रखते हैं।
उन्हें में से एक फैमिली भावना की भी है।
वह भी मेरी ही तरह तुम्हारे लिए बहुत परेशान थे, पंख फड़फड़ती चिड़िया अपने बच्चों को समझा रही थी।
चिड़िया के बच्चे चुपचाप थे जैसे मां की बात ध्यान से सुन रहे हो।
तभी भावना बरांडे में आती है कुछ काम के लिए तो चिड़िया आहट पाकर तुरंत फिर से उड़ जाती है और सामने जाकर डाल पर बैठ जाती है।
भावना उधर ही खड़ी रहती है और अपने बच्चों को आवाज देती है आसु बाहर आ जाओ टेबल लेकर।
आंसू मां की आवाज सुनते ही टेबल लेकर बाहर आ जाता है पीछे से प्रियु भी आती है।
भावना टेबल पर चढ़कर बच्चों को देखती है।
बच्चे घोसले में बैठे थे और उनकी आंखें खुली थी।
भावना को देखते ही बच्चे चू चू करने लगे जैसे डर रहे हो।
भावना बोली शांत हो जाओ मैं तुम्हें नुकसान नहीं पहुंचाऊंगी मैं सिर्फ तुम्हें देखने आई हूं कि तुम ठीक हो कि नहीं पर... बच्चे कहां समझने वाले थे भावना की बातें।
वह बस चू चू करने में लगे थे।
भावना को समझ आ गया कि बच्चे असहज महसूस कर रहे हैं तो भावना टेबल के नीचे उतर आई।
नीचे खड़े प्रिय और आसु अपनी मां से बोले--मां हमें भी देखना है चिड़िया के बच्चे।
भावना बोली ठीक है देख लो पर जल्दी देख लेना क्योंकि बच्चे डर रहे हैं असहज महसूस कर रहे हैं।
दोनों बच्चे बारी-बारी चिड़िया के बच्चोंको देखते हैं ।
सामने डाल पर बैठी चिड़िया सब कुछ देख रही थी पर इस बार वह पंख फड़फड़ाते हुए नहीं आई ।
बस वह सब देखती रही क्योंकि उसे यकीन हो गया था की भावना की फैमिली उसके बच्चों को नुकसान नहीं पहुंचाएगी बल्कि उनकी सुरक्षा करेगी ।
और चिड़िया डाल से उड़ कर कहीं और चली जाती है शायद अपने बच्चों के लिए खाना पानी लेने या फिर तिनके लाने।
भावना और बच्चे भी अंदर जाकर अपने-अपने काम में लग जाते हैं।
भावना और उसके बच्चे रोज आकर चिड़िया के बच्चों की आवाज सुनते और बहुत खुश होते थे
दो दिन बाद ...
सुबह-सुबह प्रियु ने देखा कि घोसले से चिड़िया के बच्चों की आवाज नहीं आ रही थी उसे लगा जैसे धोसला खाली हो गया है।
प्रियु तुरंत अंदर गई और टेबल उठा लाई।
टेबल पर चढ़कर उसने देखा खोसला सचमुच खाली था।
प्रियु दौड़कर अंदर गई और मां और भाई को बताया की चिड़िया और उसके बच्चे घोसले में नहीं है।
भावना हाथ का काम छोड़कर तुरंत बाहर आ गई साथ में आसु और प्रियु भी थे ।
उन्होंने देखा चिड़िया सच में नदारद थी।
फिर भावना की नजर सामने पेड़ पर बैठी चिड़िया पर गई वह अपने दोनों बच्चों के साथ बैठीं थीं।
भावना अपने बच्चों से बोली देखो वो रही चिड़िया अपने बच्चों के साथ।
सब देखते हैं कि ---चिड़िया के बच्चे थोड़ी दूर उड़ कर जाते और आकर फिर मां के पास बैठ जाते।
भावना कहती है देखो बेटा चिड़िया अपने बच्चों को उड़ना सिखा रही है।
और जैसे ही चिड़िया की नजर भावना पर और उनके बच्चों पर पढ़ती है चिड़िया पंख फड़फड़ती हुई आती है और... उनके करीब से निकल जाती है।
आसु एक बार फिर डर जाता है और पीछे हट जाता है।
चिड़िया दोबारा आती है और आसु के करीब से पंख फड़फड़ाते हुए निकल जाती है और सामने डाल पर अपने बच्चों के साथ जाकर बैठ जाती है।
आसु डरते हुए भावना से बोला --चलो मां अंदर चलते हैं नहीं तो ये चिड़िया मुझे चोंच मार देगी।
भावना बोली --नहीं आसु डरो मत ऐसी कोई बात नहीं है।
वह तो बस तुम्हारा धन्यवाद कर रही है और..