आशु 2 घंटे बीत चुके हैं चिड़िया अभी तक नहीं आई।
भावना बोली -चलो आशु , यु ट्यूब पर देखते हैं कि चिड़िया के छोटे बच्चों को खाना और पानी कैसे दते हैं ।
ठीक है मां यही सही रहेगा, आप 2 मिनट रुको मैं अभी आता हूं कहते हुए आशु कमरे में चला गया।
भावना वही बरांडे में खड़ी थी कि --अचानक उसके कानों में चिड़िया की आवाज सुनाई दी।
भावना ने देखा सामने डाल पर चिड़िया बैठी थी ।
चिड़िया को देखते ही भावना का मन खुशी से झूमने लगा वह तुरंत ही घर के अंदर चली गई और दरवाजा लगा लिया ताकि चिड़िया अपने बच्चों के पास आ सके ।
अंदर जाकर उसने प्रियु और आशु से कहा कि --थोड़ी देर के लिए कोई भी बाहर नहीं जाएगा ।
पर क्यों मां ? दोनों ने एक साथ कहा।
आशु बोला --मां अभी तो आपने कहा कि चिड़िया के बच्चों को खाना और पानी देना है और अब कह रही हो कि कोई बाहर नहीं जाएगा ,
ऐसा क्यों मां !!
भावना ने बड़ी उत्सुकता से कहा --अरे चिड़िया आई है ।
अगर हम बाहर रहे तो चिड़िया फिर से उड़ जाएगी उसे रहने दो अपने बच्चों के साथ कुछ समय के लिए।
आओ हम बस खिड़की से नजारा देखते हैं।
भावना और बच्चे खिड़की से देखते हैं चिड़िया आती है और अपने बच्चों पर पंख फैला कर बैठ जाती है मानो उन्हें प्यार से सहला रही हो।
अपने आलिंगन से उन में ऊर्जा भर रही हो।
बार-बार अपने पंख फड़फड़ती है ,जैसे अपने बच्चों से कह रही हो माफ कर दो .. तुम्हारे लिए मजबूत घोंसला नहीं बना पाई।
जैसे पूछ रही हो अपने बच्चों से --तुम्हें ज्यादा चोट तो नहीं लगी ना ।
अपनी चोंच से उनकी चोच मिलाकर अपना प्यार जताती है। जैसे कह रही हो मैं कितना परेशान हो गई थीं, तुम्हारे लिए पर.. मैं बेबस थी तुम्हें उठा नहीं पा रही थी ।
मुझे माफ़ करना मेरे बच्चों आगे से ऐसा कुछ नहीं होने दूंगी बहुत ख्याल रखुंगी तुम्हारा ।
तुम ठीक हो ना बच्चों ।
बच्चे मां की और देखकर ऐसे निहार रहे थे जैसे कह रहे हो हां मां हम ठीक हैं।
चू चू कर धीमी आवाज में जैसे कह रहे हो मां हम बहुत डर गए थे। अच्छा हुआ तुम जल्दी आ गई।
हां मेरे बच्चों --मुझे भी बहुत चिंता हो रही थी पर मैं कुछ कर नहीं पा रही थी पंख फड़फड़ाती चिड़िया जैसे अपने बच्चों को समझ रही हो।
कभी बच्चों की चोंच से चोंच मिलाकर उन्हें प्यार जताती तो कभी अपने पंखों में समेट लेती जैसे एक मां अपने आंचल में बच्चों को समेट लेती है।
कुछ समय तक यही चलता रहा फिर चिड़िया उड़ गई।
बच्चे दरवाजा खोलकर बाहर आते हैं चिड़िया के बच्चों को देखने के लिए पर ..भावना उन्हें फिर से अंदर ले जाती है।
प्रियु बोली -अब क्यों रोक रही हो मां ,अब तो चिड़िया भी नहीं है ।
भावना बोली-- चलो अंदर चिड़िया बस आती ही होगी अपने बच्चों के लिए खाना लेकर ।
आशु बोला --तुम्हें पता है मां की चिड़िया खाना ही लेने गई होगी।
हां पता है क्योंकि उसका बेटा भी बिल्कुल तुम्हारी तरह ही है, शरारती और चुलबुला तभी तो गिर गया घोसले में से ।
और उसे भूख भी बहुत लगती है तुम्हारी तरह भावना ने आशु के बालों में हाथ फेरते हुए मुस्कुराते हुए कहां ।
इनकी बात चल ही रही थी कि चिड़िया में चोच में दबाकर कुछ ले आई पर सबको खड़ा देखा तो सामने डाल पर ही जाकर बैठ गई।
तभी प्रियु बोली -देखो मां चिड़िया अपने बच्चों के लिए खाना ले आई।
हां तभी तो कह रही थी कि घर में चलो ।
चिड़िया को अपने बच्चों को अच्छे से खाना खिलाने दो।
सब लोग घर में आ जाते हैं।
और चिड़िया अपने घोंसले में, और आते ही अपने बच्चों के मुंह में खाना रखती है जो उसने लेकर आई थी।
*एक मां का अपने बच्चों के प्रति असीम प्रेम*
भावना देख रही थी कि...खाना खिलाने के बाद चिड़िया अपने बच्चों की चोंच से चोंच मिला रही थी जैसे कुछ कह रही हो..