Mother... the identity of our existence - 2 in Hindi Love Stories by Soni shakya books and stories PDF | मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 2

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मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 2

कुछ दिनों बाद...

एक सुबह जैसे ही प्रियु  ने बरांडे का गेट खोला।

उसे चू चू की आवाज सुनाई दी, सुनते ही वह दौड़कर अंदर गई और मां और भाई को बुला कर ले आई।

और खुशी से झूम कर बोली सुनो मां --चिडिया के बच्चो की‌ आवाज ।

आवाज सुनकर भावना भी बहुत खुश हुई और आशु ‌से बोली- जाओ  टेबल उठा कर ले आओ अपन देखेंगे चिड़िया के बच्चों को। 

आशु तुरंत ही अंदर से टेबल उठा लाया।

सामने डाल पर बैठी चिड़िया सब देख रही थी और जैसे ही आशु टेबल पर चढ़ा  बच्चों को देखने के लिए,,

सामने डाल पर बैठी चिड़िया तुरंत ही उड़ कर आशु के पास से पंख फड़फड़ाते हुए निकल गई ।

आशु डर के मारे टेबल से उतर गया और पीछे हट गया।

फिर चिड़िया दुबारा आई और आशु के बिल्कुल पास से पंख फैलाते हुए निकल गई ।

 भावना वहीं खड़े-खड़े सब देख रही थी,

उसे समझने में देर ना लगी की एक मां अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए परेशान हो रही है ।

भावना ने प्रियु और आसु  को अंदर जाने के लिए कहा और फिर वह खुद भी अंदर चली गई। 

थोड़ी देर बाद भावना फिर बाहर निकल कर आई ।

चिड़िया घोसले पर पंख फैलाए बैठी थी भावना को देखते ही उड़ कर सामने डाल पर जाकर बैठ गई ‌।

भावना ने घोंसले की तरफ देखा फिर चिड़िया की ओर देखकर बोली --तुम्हारे बच्चों को नुकसान नहीं पहुंचा रहे थे सिर्फ देख रहे थे ‌।

चिड़िया भावना को ऐसे देख रही थी जैसे भावना की बात को समझ गईं हो।

इतना कह कर भावना घर के अदर आ गई , आते ही बच्चों को समझाने लगी देखो बेटा --

तुम दोनों बार-बार बाहर मत जाना चिड़िया अपने बच्चों के लिए असहज महसूस कर रही है उसे लग रहा है तुम उसके बच्चों को उठा लोगे या नुकसान पहुंचाओगे ।

पर मां तुम्हें कैसे मालूम की चिड़िया क्या सोच रही है प्रियु बोली 

मुझे पता है बस ,और तुम दोनों भी इस बात का ख्याल रखना कहकर भावना अपने काम में लग गई।

अगले दिन से .....

भावना प्रियु और आंसू सब चिड़िया के घोसले  पर नजर रखते,

आते जाते ख्याल रखते कहीं कोई और दूसरा पक्षी आकर नुकसान ना पहुंचाए ।

चिड़िया भी बाहर जाती और थोड़ी-थोड़ी देर में लौट कर आ जाती ।

कभी दाना लेकर आती और बच्चों के मुंह में डालती तो कभी तिनके लाकर घोंसला मजबूत करती ।

चिड़िया रोज यही करती दिन भर दाना तिनका लाती और रात में आकर पंख फैलाकर उसमें अपने बच्चों को ढक लेती और सो जाती ।

आज सुबह ..

चिड़िया के बच्चों के चहकने की आवाज कुछ तेज हो गई थीं जिससे पता चल रहा था कि बच्चे कुछ बड़े हो गए हैं ।

भावना बाहर खड़े सुन रही थी और देख भी रही थी उसका मन कुछ आशंकित था ।

प्रियु और आशु ने पूछा क्या हुआ मां इतनी परेशान क्यों लग रही हो ?

भावना ने अपनी शंका मन मे ही रख ली और बोली --कुछ नहीं 

बस आज मौसम कुछ बदला-बदला सा लग रहा है ।

आशु बोला हां मां  लग रहा है जैसे बारिश होने वाली है , देखो हवा भी चल रही है। 

भावना ने ठंडी आह भरते हुए कहा--सही कह रहे हो।

मां तुम चिड़िया और उसके बच्चों के लिए परेशान हो ना।

हां बेटा कहीं हवा उनके घर को नुकसान ना पहुंचा दे ।

ऐसा कुछ नहीं होगा मां तुम तो यूं ही परेशान हो रही हो ।

भावना घर में जाकर काम में व्यस्त हो जाती है पर उसका मन बाहर ही लगा था ।

रात हो चुकी थी लेकिन हवा आंधी नहीं आई ना ही कोई बारिश हुई।

भावना ने चैन की सांस ली और फिर सब अंदर जाकर सो गए।

दुसरी सुबह....