*अदाकारा 65*
शर्मिलाने पहले सोचा कि बाथरूम जाकर दरवाज़ा अंदर से बंद कर लेना चाहिए।लेकिन वो ये भी जानती थी कि जैसे कातिलने मेन डोर अपनी ताकत के बलबूते से खोल दिया था।वैसे ही वो बाथरूम का दरवाज़ा भी खोल सकता है या तोड़ भी सकता है।और फिर उसके बाद उसेसे बचने के लिए उससे अपनी जान बचाने के लिए संघर्ष तो करना ही पड़ेगा।उसके बाद भी तो उसका सामना करना है?तो क्यों न अभी से इसके लिए तैयारी कर ली जाए?
और उसे एक तरकीब सूझी बाथरूम मे जाकर छिपने के बजाय वो किचन की तरफ भागी और किचन में आकर वो एक के बाद एक दराज खोलकर चेक करने लगीं।वह मिर्च पाउडर ढूंढ रही थी।आखिर में उसे एक दराज में से मिर्च पाउडर मिल गया।उसने उस मिर्च पाउडर को अपनी मुट्ठी मे भरली और किचन के दरवाज़े के पीछे सर्तक होकर खड़ी हो गई।अपनी सांसे रोककर।
कातिल दरवाज़ा खोलकर फ्लैट में घुस चुका था।उसने मैन दरवाजा फ़िर से बंद कर दिया ओर अब वह फ्लेट मे शर्मिला को अपनी चकोर नज़रों से ढूंढ ने लगा।
वह शर्मिला को ढूंढकर उसे खत्म करना चाहता था।पहले उसने दोनों बेडरूम की तलाशी ली।सबसे पहले बिस्तर के नीचे उसने झांक कर देखा लेकिन शर्मिला वहाँ नहीं थी। उसने अलमारी के डोर बारी बारी खोल खोल कर देखे।लेकिन शर्मिला वहां भी नहीं मिली। फिर उसने बाथरूम में भी जाकर चेक किया तो वो वहाँ भी नहीं थी।वह थोड़ा सा निराश जरूर हुआ लेकिन उसे यह यकीन था कि शर्मिला यहीं है और अगर वो यहां है तो देर सवेर वह उसके हाथ ज़रूर आ ही जाएगी। उसने बहुत प्यार से शर्मिला को पुकारा।
“शर्मिला डार्लिंग।तुम मुझे क्यों परेशान कर रही हो?तुम्हारा ऊपर जाने का टिकट तो पहले ही कन्फर्म हो चुका है।तो तुम्हें जाना तो होगा ही है ना?आखिर कब तक मुझसे यूं लुका छिपी खेलती रहोगी?”
शर्मिला कांपती हुई सांसे रोक कर किचन के दरवाज़े के पीछे छिपके खड़ी हुई थी और अपनी मुठ्ठीमें उसने मिर्च पाउडर भर कर रखी हुवी थीं।
“आओ रानी बाहर आओ।देखो तुम्हारे धोखे मे मुझे तुम्हारी मासूम ओर निर्दोष बहन की जान लेनी पड़ी ओर अब वह तुम्हारा ऊपर आने का इंतज़ार कर रही होगी है ना?तो तुम अपनी बहन को इंतज़ार क्यों करवा रही हो?”
कातिल बड़बड़ाता हुआ अब धीरे-धीरे किचन की तरफ ही बढ़ रहा था।
“हर जगह तुम्हें मैने तलाश कर लिया जानू। तुम कही नहीं मिली।तो अब मुझे लगता है कि तुम्हें किचन में ही होना चाहिए।तुम शायद तुम्हारे इस मेहमान के लिए चाय-पानी का इंतज़ाम कर रही होगी।है ना?लेकिन मुझे चाय नहीं चाहिए डार्लिंग तुम्हारी जान चाहिए। प्लीज़ सामने आकर मुझे अपनी जान दे दो ना।”
चाकू हाथ में घुमाते हुए वह किचन की ओर ही चला आ रहा था।
"देखो।मैं तुम्हें ज़्यादा तकलीफ़ भी नहीं दूंगा मेरी जान।तेरी बत्तख की तरह नाज़ुक ओर सुराहीदार गर्दन को घोंट कर या इस चाकू से काटकर सिर्फ़ दो मिनट मे तुझे जहन्नुम मे भेज दूँगा ...... ओ.ओ.मां..आ..आ...आ.."
जैसे ही बड़बड़ाते हुवे कातिलने किचन मे पांव रखा।वहां शर्मिला मिर्च पाउडर मुट्ठी मे लिए तैयार ही खड़ी थी।उसने तुरंत आदमी की आँखों में मिर्च पाउडर फेंक दी।और वह जलन के मारे कराह उठा।बेतहाशा चिल्ला उठा।
इस वक्त शर्मिला और कातिल दोनों ही किचन में थे।उनके बीच सिर्फ़ एक हाथ की ही दूरी थी।
कातिल आँखों में पड़े मिर्च पाउडर की वजह से लगभग अंधा हो गया था।वह एक हाथ से अपनी आँखें मसलने लगा था।और दूसरे हाथ में पकड़े चाकू को अंधाधुंध इधर उधर घुमाने लगा था।शर्मिला को लगा कि यहाँ से निकलने का यही सही मौका है और वह कातिल के करीब से मेन दरवाज़े की ओर भागी।और कातिल का जो चाकू वाला हाथ जो हवा में तेजी से लहरा रहा था।उस चाकू के वार से शर्मिला अपने आप बचा न पाई।चाकू शर्मिला के कंधे से लेकर पीठ तक को छूता हुआ निकला।
तेज़ चाकूने अपना काम अच्छे से कर दिया था।शर्मिला की कोमल त्वचा कंधे से पीठ तक चीर गई वह ज़ख्मी हो गई थी।एक गहरा ज़ख्म शर्मिला के कंधे और पीठ पर हुआ था ओर वहां से खून का जैसे फव्वारा बह रहा था।शर्मिला के मुँह से एक डरावनी चीख निकली।
ठीक उसी समय बृजेश दरवाज़े पर पहुँचा था। शर्मिला के मुख से निकली भयंकर जान लेवा चीख सुनकर उसे लगा कि शायद उसने आने मे देर कर दी है।उसने की हॉल में मास्टर चाबी डालकर दरवाज़ा खोला और अंदर आ गया।
कातिल को अंदाजा हो गया था कि उसके चाकूने अपना काम अच्छी तरह से किया है। तो अब उसने पहले आँखें मलते हुए किचन मे सिंक को ढूँढ़ा और अपनी दोनों हथेलियों में पानी भरकर वह अपनी आँखों पर छींटे मारने लगा।
शर्मिला किचन से भाग कर जख्मी हालत मे हॉल में आई लेकिन वह दरवाजे तक नहीं पहुंच पाई।शर्मिला होल मे आकर अधमरी हालत में फ़र्श पर गिरी पड़ी।शर्मिला के चारों ओर खून का एक तालाब सा भर गया था। बृजेश दरवाजा खोल कर अंदर आया ओर दौड़ कर शर्मिला को अपनी बाहों में थाम कर उसे गले से लगा लिया।
“शर्मी।शर्मी…शर्मी।”
शर्मिलाने कुछ सेकेंड के लिए आँखें खोलीं और बृजेश को देखकर धीरे से मुस्कुराई और वह बेहोश हो गई।
ब्रजेशने जेब से फ़ोन निकाला और सबसे पहले 108 पर वह कॉल कर रहा था।
की उसी समय कातिल हाथ में चाकू लिए हॉल में आया ओर बृजेश के ठीक पीछे आकर खडा हो गया।
(हत्यारा कौन था?पाठकों क्या आपने हत्यारे को पहचान लिया?शर्मिला का क्या होगा?क्या वो मर जाएगी या?पढ़िए आखिरी एपिसोड में)