वो सोच ही रही थी कि इस बात से वो खुश हो या नहीं क्यू की उसे वो बात पता चला चली थी जो वह कब से सुनना चाहती थी, और खुश भी क्यू ना हो वो जिस लड़के को पसंद करती है वो भी उसे करता पसंद करता है तो खुशी तो होगी ही।दूसरी ओर प्रीतम का भी यही हाल था पर प्रीतम से ज्यादा विष्णु प्रीतम के लिए खुश था।विष्णु ने जट से बोला हेय प्रीतम एक काम क्यू नहीं करता अभी नीलिमा को मैसेज करदे और उसे कैंपस में बुला ले,प्रीतम ने कहा आइडिया अच्छा है पर कैम्पस सही जगह नहीं है एक काम करता हु लाइब्रेरी में बुला लेता हु पर ये चिट्ठियां इतने टाइम से कौन भेज रहा हैं ये पता लगा लू फिर हम बात करेंगे,पहले पक्का न हो जाए तब तक बात कैसे कर सकता हु।
विष्णु ने कहा ये बात भी ठीक हैं पहले पता लगाते है फिर कुछ सोचते हैं।ऐसा बोलकर दोनों जिसने प्रीतम के हाथ में कागज दिया था उसे ढूंढ ने लगे,विष्णु ने बोला वो इस तरफ से आया था ओर वहा थर्ड ईयर की क्लास है तो वो स्टूडेंट थर्ड ईयर का ही होगा और वो दोनों उस क्लास की तरफ बढ़ गए।इस तरफ नीलिमा भी सोच में थी तभी नैना ने आकर बोला नीलिमा में कब से देख रही हु तू यही खड़ी है फिर उसने नीलिमा को चिढाने के इरादे से कहा कही प्रीतम का इंतजार तो नहीं हो रहा?ऐसा बोलने पर भी नीलिमा के चहेरे पर कुछ खास खुशी ना देख नैना बोली क्या बात है तू कुछ परेशान लग रही है मुझे बता हो सकता है में तेरी हेल्प कर सकू!
नीलिमा ने नैना को वो कागज दिखाते हुए बोला मुझे किसी ने दिया पर किसने दिया मुझे नहीं पता ओर मुझे तो ये समझ में नहीं आ रहा हैं मेरे ओर प्रीतम के बारे में हमारे दो के अलावा किसे पता है और कैसे पता चला?नैना ने चौंकते हुए कहा यार ये तो सच में टैंशन वाली बात है हमे पता लगाना चाहिए ये काम किसका है। ऐसा बोलकर वो दोनों भी कॉरिडोर में आगे बढ़ गए ।
विष्णु ओर प्रीतम ने जानने की कोशिश की पर कुछ खास पता नहीं चला।तभी प्रीतम को एक आइडिया आया ओर वो बोला एक बात तुमने नोटिस की ये चिट्ठियां मुझे तब ही मिलती हैं जब हम कॉलेज कैम्पस के इस साइड वाले हिस्से में होते हैं,इस चिट्ठी पे हम कोई कदम नहीं उठाते कल वो हमे फिर से चिट्ठी देगा और हम उस लड़के को भागने का मौका नहीं देंगे उसे दबोच के सारी बातें उगलवा लेंगे।ये सुन विष्णु मजाकिए अंदाज मे बोला वाह भाई तू तो मेरी बोली बोलने लगा,आखिर है किसका भाई!
यह कह कर दोनों वह से चले गए दूसरे दिन वो इसी जगह आकर चिट्ठी का इंतजार करने लगे पर कोई चिट्ठी नहीं आई दोनों निराश होकर चले गए और नीलिमा से मिले बिना ही घर चले गए।तीसरे दिन प्रीतम ओर विष्णु उसी जगह से गुजरे तभी प्रीतम के हाथ में एक लड़के ने चिट्ठी थमाई पर इस बार वो भाग न सका विष्णु ने उसे भागने से पहले ही पकड़ लिया।दूसरी ओर कोरिडोर के एक कोने में खड़े लड़के की सांसे विष्णु के हाथ में उस लड़के का हाथ देख तेज हो रही थी। दोनों भाइयों ने उस लड़के को एक तरफ ले जा कर उससे पूछताछ शुरू की उस लड़के के न बताने पर थोड़ा बहोत धमकाया।
धमकाने पर उस लड़के ने डरते हुए कहा मेरा नाम योगेश है ये चिट्ठियां में सिर्फ आप तक पहुंचाने का काम करता हु,हमारे क्लास का एक लड़का है वो मुझे भेजता है मुझे नहीं पता इसमें क्या लिखा होता हैं और क्यू में तो बस वो मुझे देता है और उसे लेकर आप तक पहुंचाता हु,ओर उसकी बातों से लगता है आप उसे अच्छी तरह से जानते हो।विष्णु ओर प्रीतम ने उस लड़के को छोड़ते हुए एकदूसरे की ओर देखकर एक साथ ही बोल उठे क्या ये वही है? विष्णु बोला पर वो ऐसा क्यों करेगा प्रीतम ने बोला मुझे नहीं पता पर ये बड़ा अजीब लग रहा हैं।
दोनों दौड़ते हुए थर्ड ईयर के क्लास रूम में जा पहुंचे पर वो लड़का उसे वहां नहीं मिला तो वो दोनों बाहर कॉरिडोर में आए प्रीतम ने कहा तू उसे यह ढूंढ में कैम्पस ओर कैंटीन में देख आता हु पर उससे पहले पढ़ तो सही इस बार क्या लिखा है चिट्ठी में प्रीतम ने बोला अरे हां ये तो भूल ही गया ये कहके उसने चिट्ठी खोली उसमें लिखा था नीलिमा को अब इंतजार मत करवाओ जल्दी से इजहार कर दो।ये पढ़के प्रीतम ने कहा अब तो उसे जल्दी से जल्दी ढूंढना पड़ेगा ये कह के वो आगे बढ़ने ही वाला था कि विष्णु प्रीतम को एक कोने की ओर इशारा करते हुए बोला वो देख प्रीतम वो वहां दुबक के खड़ा है।प्रीतम ने वहां देखा तो एक लड़का एक कोने में खड़ा था है वहीं है बोल के प्रीतम ने उसकी ओर कदम बढ़ाए।उस लड़के ने अपनी ओर उन दोनों को आता हुआ देख भागने की कोशिश की पर प्रीतम ने रोक लिया उसका कंधा पकड़कर अपनी ओर घुमाया वो कोई और नहीं बल्कि आकाश था।
आकाश ने अनजान होकर पूछा अरे प्रीतम,विष्णु क्या बात है तुम दोनों यहां?विष्णु ने कड़क आवाज में बोला ज्यादा बनो मत आकाश तुम्हे पता है हम यहां क्यू आए है।ये सुन आकाश ने सिर झुका लिया ओर बोला ओह तो तुम्हे आखिर पता चल ही गया ।प्रीतम ने कहा हा आकाश हमे पता चल गया पर ये सब क्या है?मुझे तो लगा था......उसकी बात काटते हुए आकाश बोला तुम्हे लगा थी कि नीलिमा को में पसंद करता हु यही ना?प्रीतम ने कहा हा अगर तुम उसे सच में पसंद करते हो तो फिर ये सब क्या है?
आकाश ने मुस्कुराते हुए कहा में तो बस तुम्हारी हेल्प कर रहा हूं।विष्णु ने भड़कते हुए कहा अगर तुम उसे पसंद करते हो तो प्रीतम की हेल्प क्यों करना चाहते हो?नीलिमा को प्रपोज करने की जगह तुम प्रीतम को क्यों सब बता रहे हो और उसकी हेल्प क्यों कर रहे हो?ये सुनकर आकाश हंस दिया ये देख प्रीतम ने कहा आकाश तू हंस के तुम नहीं बच सकते हमारे सवालों का जवाब दो आखिर क्यू किया तुमने ये सब?