Self-reliant India on the wings of Tejas in Hindi Anything by Mayuresh Patki books and stories PDF | तेजस के पंखों पर आत्मनिर्भर भारत

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तेजस के पंखों पर आत्मनिर्भर भारत

भारत के रक्षा क्षेत्र में गर्व का एक नया अध्याय लिखा गया है। यह समझौता हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और GE एयरोस्पेस के बीच 7 नवंबर 2025 को किया गया था। इस अनुबंध के तहत GE भारत में बने तेजस Mk1A लड़ाकू विमानों के लिए 97 अत्याधुनिक जेट इंजन की आपूर्ति करेगी। हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने अमेरिका की जनरल इलेक्ट्रिक (GE) कंपनी के साथ लगभग एक अरब डॉलर (₹8,868 करोड़) का ऐतिहासिक समझौता किया है। जो भारत में बने तेजस Mk1A लड़ाकू विमानों को शक्ति प्रदान करेंगे। यह करार ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियानों को नई उड़ान देने वाला साबित हुआ है।

तेजस भारत में पूर्ण रूप से विकसित किया गया हल्का लड़ाकू विमान (Light Combat Aircraft – LCA) है। यह हल्का, तेज़ और आधुनिक तकनीक से लैस है, और अब भारतीय वायुसेना की रीढ़ बनता जा रहा है। HAL और DRDO ने वर्षों के अनुसंधान के बाद इसे तैयार किया है। तेजस आज देश की रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन चुका है। आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली, उत्कृष्ट एवियोनिक्स और सटीक नियंत्रण प्रणाली ने इसे विश्व के हल्के लड़ाकू विमानों में अग्रणी स्थान दिलाया है।

हाल ही में भारतीय वायुसेना प्रमुख ने स्पष्ट कहा था कि भारत के पास लड़ाकू स्क्वाड्रनों की संख्या आवश्यकतानुसार नहीं है। एक स्क्वाड्रन में लगभग 18–20 विमान होते हैं, और वायुसेना को कम से कम 42 स्क्वाड्रन की ज़रूरत है, जबकि फिलहाल यह संख्या 30 के आसपास है। दूसरी ओर, चीन और पाकिस्तान के पास पहले से आधुनिक फाइटर जेट हैं। ऐसे में तेजस Mk1A इंजन का यह सौदा भारतीय वायुसेना के लिए बड़ा राहतभरा कदम साबित हुआ है।

यह करार केवल इंजन खरीद तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें तकनीकी सहयोग और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का रास्ता भी खोला गया है। GE कंपनी भारत में ही इन इंजनों का निर्माण करने को तैयार हो गई है। इससे भारतीय इंजीनियरों को विश्वस्तरीय एयरोस्पेस तकनीक का अनुभव मिलेगा और देश की उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी। तेजस Mk1A में लगने वाला F404-GE-IN20 इंजन बेहद शक्तिशाली और हल्का है, जो विमान की गति, ऊँचाई और मारक क्षमता को बढ़ाएगा।

‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियानों की यह सच्ची सफलता है। भारत अब सिर्फ रक्षा सामग्री आयात करने वाला देश नहीं, बल्कि उत्पादन और निर्यात करने वाला राष्ट्र बन रहा है। तेजस परियोजना के ज़रिए देशभर के हजारों इंजीनियरों, वैज्ञानिकों और उद्योगों को रोजगार और अवसर मिले हैं। इससे भारत का एयरोस्पेस उद्योग अब वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बना रहा है।

तेजस Mk1A अपने पुराने संस्करण से कहीं अधिक सक्षम और डिजिटल है। इसमें अत्याधुनिक AESA रडार, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम, और हल्के मिश्र धातु का प्रयोग किया गया है। इन सुधारों ने इसे और अधिक गतिशील और युद्ध के लिए तैयार बनाया है। नया इंजन इसे ‘फोर्स मल्टीप्लायर’ यानी पूरी वायुसेना की क्षमता बढ़ाने वाला विमान बना देता है।

वर्तमान में भारतीय वायुसेना राफेल, सुखोई-30MKI, मिराज 2000 और मिग-29 जैसे फाइटर जेट का उपयोग करती है। इनमें से कई पुराने विमानों को अब सेवानिवृत्त किया जाना है, और तेजस Mk1A उनकी जगह भरने में सक्षम है। HAL पहले ही 83 तेजस Mk1A विमानों की आपूर्ति का अनुबंध कर चुका है। आने वाले वर्षों में ये विमान चरणबद्ध तरीके से वायुसेना में शामिल होंगे, जिससे भारत 2030 तक अपने लड़ाकू बेड़े को मज़बूत बना सकेगा।

हाल ही में संसद में रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट कहा कि तेजस परियोजना देश की तकनीकी आत्मनिर्भरता का आधार है। HAL और DRDO के कार्य की सराहना करते हुए यह भी बताया गया कि कुछ देशों — जैसे मलेशिया, अर्जेंटीना और फिलीपींस ने तेजस में रुचि दिखाई है। यदि निर्यात समझौते होते हैं, तो भारत रक्षा निर्यात के क्षेत्र में एक नया बाज़ार हासिल करेगा।

यह सौदा भारत-अमेरिका के तकनीकी सहयोग का हिस्सा है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक रणनीतिक संदेश देता है। चीन और पाकिस्तान की बढ़ती निकटता की पृष्ठभूमि में यह साझेदारी दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन बनाए रखने में मदद करेगी। इससे भारत को दीर्घकालिक रूप से तकनीकी क्षमता और उत्पादन शक्ति दोनों में लाभ मिलेगा। भविष्य में HAL और DRDO इस इंजन के कुछ हिस्सों का स्वदेशीकरण करने की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं। यह भारत के अपने जेट इंजन बनाने के सपने को साकार करने की दिशा में एक अहम पड़ाव होगा।

तेजस परियोजना केवल एक रक्षा समझौता नहीं, बल्कि भारत के आत्मविश्वास, तकनीकी क्षमता और वैज्ञानिक प्रगति का प्रतीक है। HAL और GE का यह करार भारतीय वायुसेना को नई ताक़त देगा और देश के युवाओं को विज्ञान और नवाचार के क्षेत्र में ऊँची उड़ान भरने की प्रेरणा देगा। जब दुनिया के ज़्यादातर देश आयात पर निर्भर हैं, तब भारत ने अपना लड़ाकू विमान बनाकर ‘आयातक से निर्माता’ बनने की ऐतिहासिक छलांग लगाई है।

आज भारत का आकाश न केवल सुरक्षित है, बल्कि आत्मनिर्भरता की तेजस रोशनी से जगमगा रहा है,
तेजस के पंखों पर भारत का गर्व उड़ान भर रहा है।