Adakaar - 61 in Hindi Crime Stories by Amir Ali Daredia books and stories PDF | अदाकारा - 61

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अदाकारा - 61

*अदाकारा 61*

 
     मेहर को घर पर छोड़ने के बाद बेहराम पुलिस स्टेशन आया।वहाँ ब्रिजेश की जगह इंस्पेक्टर मोहन कुमार ड्यूटी पर थे।
 
बेहरामने पहले मोहन को अपना वकीलात का आइडेंटिटी कार्ड दिखाकर अपना परिचय देते हुए कहा।
 
"इंस्पेक्टर साहब।में एडवोकेट बेहराम।मुझे सुनील से मिलना है।"
 
तो मोहनने कहा।
 
"वकील साहब में आपको सुनील से मिलने की परमिशन नहीं दे सकता।"
 
"क्यों?अगर आप नहीं दे सकते तो कौन दे सकता है?मुझे उनसे मिलना जरूरी है भाई।"
 
बेहरामने रिक्वेस्ट करते हुए कहा।
 
"यह केस ब्रिजेश सर के हाथ में है।और वह आज सुबह बैंगलोर गए हैं।सुनील से मिलना है तो उनकी परमिशन लेने के बाद आप मिल सकते है।वह शाम तक वापस आ जाएँगे। अगर आपको सुनील से मिलना हैं तो शाम को आइए।"
 
मोहन का जवाब सुनकर बेहराम थोड़े निराश स्वर में बोला।
 
"ठीक है सर मैं शाम को आऊँगा।वैसे कितने बजे तक आएँगे सर?"
 
"आप पाँच बजे के बाद कभी भी आ सकते हैं।"
 
    वहां ब्रिजेश बैंगलोरमे होटल पवन इन में पहुंच गया जिसका ज़िक्र सुनील ने किया था।
होटल मैनेजर को अपना परिचय देते हुए बोला।
 
"मैं मुंबई से इंस्पेक्टर ब्रिजेश हूँ।आपसे कुछ पूछताछ करने आया हूँ।"
 
"हाँ।बोलिए आप क्या जानना चाहते हैं सर?"
 
ब्रिजेशने अपने मोबाइल पर सुनील की फ़ोटो दिखाते हुए पूछा।
 
"क्या आप उन्हें पहचानते हैं?"
 
मैनेजर ने सुनील की फ़ोटो देखकर कहा।
 
"यह तो हमारे रेगुलर कस्टमर हैं सर।इनका नाम सुनील है।ये महीने में दो बार चार पांच दिन के लिए अपनी कंपनी के काम से आते हैं।बहुत अच्छे आदमी हैं।क्या उनके साथ कोई हादसा हुआ है?"
 
मैनेजर ने फ़िक्र मंद आवाज़ में पूछा।
 
"मैं भी आपसे यही पूछना चाहता हूँ पिछली बार वह कब आए थे और यहाँ कितने दिन रुके थे।और क्या उनके साथ कोई एक्सीडेंट यहां हुआ था?"
 
"सर।सुनील सर 16 सितंबर को आए थे।और उन्होंने 20 तारीख तक के लिए कमरा बुक किया था।लेकिन उन्होंने एक दिन पहले यानी कल शाम को कमरा चेक आउट कर लिया था।लेकिन जाते समय वह वॉशरूम में फिसल कर गिर गए थे और उसके कारण उनके माथे पर चोट लग गई थी।"
 
मैनेजर ने खुलासा करते हुए कहा।
 
"अच्छा?उनका घाव कैसा था और किस डॉक्टर ने उनका इलाज किया था?"
 
ब्रिजेश ने दूसरा सवाल पूछा।जवाब में मैनेजर ने कहा।
 
“कोई ऐसा सीरियस घाव नहीं था जिसके लिए डॉक्टर के पास जाने की ज़रूरत हो।होटल का फर्स्ट एड ही काफ़ी था।उनके सर पर होटल बॉय ने पट्टी बांध दी थी।”
 
ब्रजेश को जो जानकारी चाहिए थी वह मिलने के बाद वह उठा और मैनेजर से हाथ मिलाते हुए बोला।
 
“कोऑपरेशन के लिए थैंक यू मैनेजर।”
 
“लेकिन सर।आपने यह नहीं बताया कि सुनील सर को हुआ क्या है?”
 
“होटल में टीवी है ना?न्यूज़ देखते रहो।ओर होटल से बाहर भी एक दुनिया हे उसको अपडेटेड करते रहो।”
 
यह कहकर बृजेश एयरपोर्ट के लिए निकल पड़ा।
 
   बेहराम और मेहर के जाने के बाद शर्मिला को लगा कि बेहराम को शायद शक हो गया होगा कि मैं उर्मिला नहीं हूँ।तो वह ज़रूर कुछ न कुछ करेगा।
 और वह भी कब तक इस तरह उर्मिला बन कर रह सकती है?वह जानती थी कि ज़्यादा दिन तक उर्मिला बन कर नही रह सकती।उसे जल्द से जल्द उर्मिला के इस लेबल से बाहर निकलने का कोई रास्ता निकालना होगा।
फील हाल तो वह खुद सामने आकर यह कहने से डर रही थी कि मैं शर्मिला हूँ और जिसका मर्डर हुआ है वह उर्मिला है। 
क्योंकि असली कातिल अभी तक पुलिस के गिरफ्त मे आया नहीं था।अगर कातिल को पता चला गया कि शर्मिला ज़िंदा है तो वह मेरे पीछे पड़ जाएगा।
 और शर्मिला को ये बात भी समझ नहीं आ रही थी कि कातिल उसे क्यों आखिर मारना क्यू चाहता है?मैंने उसका आखिर बिगाड़ा क्या है?और वह कौन हो सकता है?
 वह अपने दिमाग पर ज़ोर देकर सोचने लगी। की उसने कब कब ओर किस किससे पंगा लिया था?उसके दिमाग में सबसे पहला नाम सुनील का आया।लेकिन उसने तुरंत उस नाम चौकड़ी लगा दी।जीजूने गुस्से में उसे धमकी भले ही दी थी।लेकिन वह ऐसा करने की हिम्मत कभी नहीं करेगा।फिर दूसरा नाम जो उसके दिमाग में आया वह रंजन था।क्योंकि उसने भी उसे देख लेने की धमकी दी थी। लेकिन यहां भी उसे लगा कि वह नादान है और सिर्फ बेवकूफी वाली बातें ही कर सकता है।यानी वह सिर्फ धमकी दे सकता है उनके तो फिल्म में करोड़ों रुपये लगे हैं।वह मेरा मर्डर नहीं करवा सकता।और अब उसके दिमाग में एक तीसरा नाम उभरा।
 जब उसने उस नाम के बारे में बहुत गौर से सोचा तो आखिरकार उसे यह पक्का यकीन होने लगा कि वह यह काम कर सकता है।हां। यक़ीनन हंड्रेड परसेंट वोही कातिल हो सकता है।
 
(शर्मिला को आखिरकार किस पर शक हुआ था?कौन है वह?क्या उसका शक सही था?)