Tere Mere Darmiyaan - 30 in Hindi Love Stories by CHIRANJIT TEWARY books and stories PDF | तेरे मेरे दरमियान - 30

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तेरे मेरे दरमियान - 30


रेखा हल्दी लगाते हूए कहती है -----



रेखा :- हमेशा खुश रहो । जानवी बहोत प्यारी बच्ची है , तुम दोनो की जोड़ी की किसीकी नजर ना लगे ।
रेखा के इतना कहने पर आदित्य और सभी खुश हो जाता है पर रघुनाथ और मोनिका गुस्से से रेखा को ही दैख रहा था ।


शाम का समय था , रघुनाथ मोनिका और विकी एक साथ बैठे थे तभी मोनिका कहती है ----



मोनिका : - कहा आके फंस गयी मैं , विकी तुम एक काम करो , हमे घर तक छोड़ दो ।



विकी :- नही मैं ऐसा नही कर सकता , अनय सर हमे यहां शादी तक रुकने को कहा , अगर तुम चली जाओगी तो मैं उनसे कहूँगा ।


मोनिका : - जो मैं नही चाहती थी वही मुझे दैखना पड़ रहा है । पता नही आदित्य ने विद्युत तिवारी को क्या पाठ पड़ाया है । जो वो लोग इसके लिए इतना खर्च कर रहे है ।


रघुनाथ : - मैं समझ गया , वो हमे जलाने के लिए जान बुझकर यहां बुलवाया है ताकी वो हमे ये दिखाना चाहता है के वो इतना बड़ी मेशन मे शादी कर रहा है । पर वो ये नही जानता के मै भी रघुनाथ हूँ , उसकी खुशी मे आग लगा दूगां मैं ।



तभी वहां पर जानवी आ जाती है और कहती है -----
जानवी :- किसकी खुशी मे आग लगाने वाले हो आप ।
जानवी के अचानक से आ जाने पर सभी घबरा जाता है ।


जानवी फिर से कहती है ----



जानवी :- अरे हमे तो पता चले के किसकी खुशी मे आग लगाने वाले आप लोग ।



रघुनाथ जानवी के बात का कोई जवाब नही देता है । तब मोनिका कहती है ---



मोनिका :- हम आपस मे कुछ भी बात करे पर तुम चोर की तरह हमारी बात सुनोगी ये नही पता था ।


जानवी :- मैं चोर की तरह तुमलोगो बात नही सुन रही हूँ । यहां मेरी शादी हो रही है और मैं कही भी आ जा सकती हूँ पर तुमलोग फिर से आ गए आदित्य की खुशी को बर्बाद करने ।




मोनिका :- ओ हेलो । हमे अनय सर ने इंवाईट किया है और अगर हमे पता होता के यहां पर तुम लोगो की शादी हो रही है तो मैं यहां कभी नही आती ।
जानवी :- अच्छी बात है , पार्टी मे आए हो इंज्वाय करो , पर अगर आदित्य के बारे मे गलत सोच रही हो तो मुझसे बच के रहना ।




तभी विकी कहता है ----



विकी :- तुम मोनिका से ऐसे बात नही कर सकती ।



जानवी :- तुम तो यहां के मैनेजर हो ना । दैखना इन लोगो पर खास ध्यान रखना ताकी ये कुछ गड़बड़ ना कर सके । क्योकी इस पार्टी मे अगर कुछ भी गलत हुआ तो जवाब तो तुम्हें ही देना होगा । 



मोनिका जानवी से कहती है ----



मोनिका: - जानवी तुम्हारी और मेरी कोई दुश्मनी तो नही है । मैं तुमसे थोड़ी ना कुछ कह रही हूँ और ना ही तुमसे कोई बदला लेना है । पर मुझे समझ मे नही आ रहा है के तुम उस आदित्य से शादी क्यों कर रही हो । तुम कहां और वो आदित्य कहां ।




तभी वहां पर आदित्य आ जाता है और कहता है ----
आदित्य :- तुम अभी भी मेरे बारे मे इतना सोचती हो । मुझे पता ही नही था । मुझे तो लगा था के तुमने मुझे भूला दिया होगा ।



मोनिका :- मुझे तुम जैसो को याद रखना भी नही है । वो तो मैं जानवी को तुम्हारा सच्चाई बता रही थी । 



आदित्य :- मेरी सच्चाई, How sweet of you . पर क्या पता है तुम्हें मेरे बारे मे ।




मोनिका :- यही के तुम एक नम्बर के टुच्चे इंसान हो , कैसे पैसो के लिए तुम जानवी के आगे पिछे घुम रहे हो । और इस भोली भाली लड़की को अपने प्यार मे फंसा कर इसका जिंदगी नर्क बना रहे हो ।




आदित्य :- मैं पैसे के पिछे के भाग रहा हूँ । और तुम मोनिका, तुमने क्या किया । मैने तुम्हारे लिए दुनिया को छोड़ा और तुमने पैसो के लिए मुझे छोड़ दिया ।



विकी गुस्से से कहता है ----



विकी :- तु जानता नही मैं कौन हूँ और क्या कर सकता हूँ ।



आदित्य :- और मैं तुझे दौ बार बता चुका हूँ के मैं कौन हूँ और क्या कर सकता हूँ ।




मोनिका :- तुम अपने आपको समझते क्या हो । मुझे हमेशा से एक सक्सेसफुल इंसान चाहिए था ना के तुम्हारे जैसे लूजर । जो मेरे लिए गिफ्ट तक खरीद नही सकता वो जिदंगी भर मेरा क्या ख्याल रखेगा ।



आदित्य :- अच्छा तो इसने आज तक तुम्हें ऐसा क्या दिया है 



मोनिका अपने गले मे पहने हार को दिखाते हूए कहती है ----



मोनिका: - ये दैख रहे हो , ये हार एक करोड़ का है । इसे कहते है प्यार । और तुम मेरे लिए एक रिंग तक खरीद नही पाए ।



आदित्य हसते हूए कहता है -----



आदित्य :- हा हा .... ये नकली हार । तुम्हें लगता है के ये असली है ।



आदित्य की बात को सुनकर विकी परेशान हो जाता है , विकी अपना पसीना पोछने लगता है ।



मोनिका :- वाह वाह । जब खरीदने का औकात नही है तो दुसरे के दिए गिफ्ट पर जलन होती है । 



जानवी कहती है ----



जानवी :- आदित्य तुम्हें कैसे पता के ये हार नकली है ?




आदित्य :- हिरो की और उसके खरीदार के औकात की बहोत पता होता है ।



मोनिका: - छी: आदित्य । मुझे तो तुमसे बात करने मे भी सरम आती है । कितने घटिया आदमी हो तुम , जब खुद कुछ कर नही सकते तो दुसरो पर सवाल उठाते हो । जानवी अब भी समय है , अब तो तुमने अपनी आंखो से दैख लिया ना कैसा इंसान है ये । मैं तो अब भी कहती हूँ के छोड़ दो इसे और बचालो अपनी जिंदगी ।




जानवी आदित्य से कहती है ------



जानवी :- नही आदित्य । ये हार दैखने मे ही असली लग रहा है। तुम Jealousy मे किसी को ऐसा नही बोल सकते ।



आदित्य :- मैं सच बोल रहा हूँ । अगर तुम्हें भी भरोसा नही है तो जाओ और इसे चेक करा कर लाओ । अगर मेरा बात झूट निकली तो मैं खुद यहां से चुप चाप चला जाउगां । और फिर अपना मुह तुम लोगो को नही दिखाउगां ।



आदित्य के इतने Confidence से कहने पर विकी परेशान हो जाता है और जानवी और मोनिका हैरान ।



तब मोनिका कहती है ------



मोनिका: - अच्छी बात है ये अच्छा है , इससे जानवी की भी जिंदगी बर्बाद होने से बच जाएगी । विकी तुम अभी किसीको बुलाओ और यही पर सबके सामने चेक कराओ । 



मोनिका के इतना कहने पर विकी परेशान हो जाता है । विकी अप पसिना पोछते हूए कहता है -------



विकी :- छोड़ो ना मोनिका , क्यों इसका मुह लगना । ये जाने हिरो का हार कैसा होता है , कभी दैखा होगा तब ना । ये सिर्फ हमारे बिच मन मुटाव कराना चाहता है ।
मोनिका विकी के ऐसा कहने पर हैरान थी उसे अब आदित्य के बातो पर भरोसा होने लगा था । मोनिका

फिर कहती है -----



मोनिका: - विकी , ये हार असली तो है ना ?



To be continue......180