Adakaar - 59 in Hindi Crime Stories by Amir Ali Daredia books and stories PDF | अदाकारा - 59

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अदाकारा - 59

*अदाकारा 59*

 
    जयदेवने रंजन के बेडरूम का दरवाज़ा पुरी ताकत से खटखटाया।
रंजनने हड़बड़ाकर दरवाज़ा खोला।
 
"क्या बात है पापा?ये कोई बाहर बुलाने का तरीका है?"
 
"कमीने ये तुने क्या कर दीया?"
 
रंजन जयदेव के गुस्से को बिल्कुल समझ नहीं पाया।
उसने भी गुस्से से पलटकर पूछा।
 
"गालियां क्यों दे रहे हो?बताओ तो सही के क्या हुआ है?"
 
"शर्मिला के साथ क्या किया तुने?"
 
जयदेव की तनाव ओर क्रोध के कारण साँसें फूल रही थीं।
 
"मैंने तो उसे सिर्फ़ धमकी दी है।मेरे लड़कों ने उसकी कार का शीशा तोड़ दिया है।और मैंने उसे धमकाया है कि अगर उसने हमारी शूटिंग तुरंत पूरी नहीं करवाई तो देख लेना हम आगे क्या करेंगे।"
 
रंजनने एकदम शांति से कहा। 
क्योंकि उसे अभी तक पता नहीं चला था कि शर्मिला की हत्या हो गई है।
 
"अरे कमीने।तुम्हारे गुंडोंने उस लड़की को खत्म कर दिया है।अब हमारी फिल्म का क्या होगा?"
 
जयदेव अब भी केवल अपनी फिल्म को लेकर चिंतित था।इसलिए उसने अपने कपाल पर हथेली मारते हुए कहा।
 
"नामुमकिन।हमले के बाद मैंने खुद शर्मिला से बात की थी।और उसकी आवाज़ से ऐसा नहीं लग रहा था कि वो हमले से जरा भी डरी हो। आपको किसने बताया कि......"
 
"मल्होत्रा का कॉल आया था।वो कह रहा था कि टीवी पर खबर आ रही है।"
 
"चलो देखते हैं।"
 
पिता-पुत्र दोनों लिविंग रूम में आ गए और रंजन ने टीवी चालू किया।
टीवी पर न्यूज़ चल रही थी।
 
"हत्यारे का शर्मिला को मारने का क्या इरादा हो सकता है?यह एक जटिल पहली है।हत्यारे ने शर्मिला के घर से कुछ भी चुराया नहीं है। हत्यारेने घर में किसी भी चीज़ को छूआ तक नहीं।वह शर्मिला के घर में सिर्फ़ हत्या के इरादे से ही घुसा था।"
 
खबर देखने के बाद रंजन की आवाज़ भी ढीली पड़ गई।और उसके हाथ पांव भी ढीले पड़ गए।
 
"डैडी।कौन हो सकता है वो?और उसने उसे क्यों मारा होगा?"
 
रंजन के इस सवाल ने जयदेव को और भी गुस्सा दिला दिया।वह झल्लाते हुवे बोला। 
 
"अब मुझे क्या पता?मुझे तो अब भी तुम पर ही शक है कि ये क़त्ल तुमने ही किया होगा। मुझे तुम्हारे गुस्से का अंदाज़ा है।वो लड़की जब तुम्हारे आगे झुकी नहीं तो तुमने..."
 
बोलते-बोलते जयदेवने अपना चेहरा दोनों हथेलियों में छिपा लिया और फफक फफक रो पड़ा।
 
   "बोलो मल्होत्रा।उस दिन शूटिंग पर क्या हुआ था?और याद रखना झूठ बोलने की जरा सी भी कोशिश मत करना।"
 
जैसे ही मल्होत्रा पुलिस स्टेशन पहुँचा बृजेश ने उसे रिमांड पर लेते हुए कहा।
 
"साहब।रंजन की नीयत शर्मिला मैम के लिए अच्छी नहीं थी।वो किसी भी तरह उनका शरीर भोगना चाहता था।वो किसी भी तरह से उसे पाना चाहता था।उस दिन हम गाने की शूटिंग कर रहे थे।संगीत की ताल पर उन्हें डांस करना था।रंजन को शर्मिला के पीछे खड़ा होकर उनकी कमर पकड़कर स्टेप करना था।लेकिन वह डांस करते-करते जानबूझकर शर्मिला के ब्रेस्ट को छू लेता था।ओर इस वजह से शर्मिला तिलमिला गईं और उसने रंजन को थप्पड़ मार दिया।तो रंजन ने भी उन्हें देख लेने की धमकी दी थी।"
 
मल्होत्राने जो सेट पर घटना घटी थी वह बृजेश को सच सच बता दिया।
 
"तो क्या यह हो सकता है।कि रंजन इस क़त्ल में शामिल हो?"
 
"वह बहुत ज़िद्दी और पागल लड़का है।हां हो सकता है की उसने ही अपनी दी हुई धमकी पर अमल किया हो ओर यह हत्या की हो।या फिर किसीसे करवाई हो।"
 
मल्होत्राने खुलकर जो कहना था कह दिया। बृजेशने उसे विदा करते हुए कहा।
 
"तुम अभी जा सकते हो मल्होत्रा।लेकिन याद रहे ये शहर छोड़कर कहीं नहीं जाना।जब हमें तुम्हारी ज़रूरत होगी हम तुम्हें फिर बुलायेगे।"
 
"ठीक है सर।"
 
मल्होत्रा को विदा करने के बाद अब बृजेश रंजन के घर के लिए निकल पड़ा।
 
रंजन के घर पहुंच कर बृजेशने उसे हथकड़ी लगाई और उसे पुलिस स्टेशन ले आया। बृजेश ने उसे अपने सामने बिठाया और गोल गोल घुमाकर ना पूछ्ते हुवे।सीधा सीधा सख्ती से पूछा।
 
"तुमने शर्मिला की हत्या क्यों की?"
 
रंजन ने दृढ़ता से इनकार किया।ओर चीखते हुए कहा।
 
"मैंने तुमसे कहा ना कि मैंने उसकी हत्या नहीं की है।"
 
बृजेश को रंजन का यह लहजा बिल्कुल पसंद नहीं आया।
पहले तो मल्होत्रा ने जब कहा कि रंजन की नीयत शर्मिला के लिए ठीक नहीं थी ओर वो शर्मिला से संबंध भी बनाना चाहता था।ओर शूटिंग के दौरान शर्मिला के ब्रेस्ट को उसने छुए थे।यह सब सुनकर ही वो आग बबूला तो हो ही चुका था।उस पर रंजन के ऐसे तेवर देख कर उसका गुस्सा ओर भड़क उठा।उसने खिंच कर रंजन के गाल पर थप्पड़ रसीद कीया।
 
रंजन गाल पर पड़े थप्पड़ से स्तब्ध रह गया। वह एक अमीर प्रोड्यूसर का बेटा था और उसे यकीन नहीं हो रहा था कि कोई उस पर इस तरह हाथ भी उठा सकता है।
बृजेशने उसे थप्पड़ मारने के बाद दाँत पीसते हुवे कहा।
 
"अपनी आवाज़ नीची रख... रईस जादे।शूटिंग के बहाने किसी औरत के अंगों को छूना एक गुनाह है।उस औरत को देख लेने की धमकी देना भी गुनाह है।"
 
यह कहकर बृजेश ने उसे फिर से थप्पड़ मारने के लिए हाथ उठाया। 
तभी रंजन ने हाथ जोड़ते हुए कहा।
 
"इंस्पेक्टर साहब।प्लीज़ मेरी बात सुनिए।"
 
"जल्दी बोल।"
 
"यह सच है कि मैंने..मैंने शर्मिला को डराने के लिए साढ़े दस बजे उसकी कार पर हमला जरूर करवाया था।लेकिन उसकी हत्या मैंने नहीं करवाई मेरा उसकी हत्या से कोई लेना देना नहीं है।"
 
(बृजेश को पूरा यकीन था कि शर्मिला की हत्या या तो सुनील ने की थी या फ़िर रंजन ने। पाठकों आपको क्या लगता हैं?)