पहाड़ों में ठंडी हवा का मौसम था। मनाली की सड़कों पर धुंध ऐसे फैली थी जैसे बादलों ने ज़मीन पर डेरा डाल दिया हो। इसी धुंध के बीच धीरे से एक बस रुकती है, और उससे उतरता है Kaushik।
पच्चीस साल का, शांत, हल्के से उदास चेहरे वाला, और आंखों में वो गहराई जो किसी टूटे हुए इंसान की कहानी कह जाती है। वह मनाली घूमने नहीं आया था, वह आया था अपने भीतर की खाली जगह से भागने।
होमस्टे की मालिक उसे देखकर मुस्कुराई,
“आज शाम संगीत नाइट है। आ जाना। अच्छा लगेगा।”
Kaushik बस हल्की मुस्कान देता है। अंदर से जानता था, अच्छा लगना उसके बस में नहीं रहा।
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कहानी की दूसरी तरफ…
उसी वादी में रहती थी Ayesha।
तेईस साल की, उसकी हंसी में इतनी मिठास कि कोई भी थकान भूल जाए। सुबह बच्चों को पढ़ाती थी, शाम को गाना गाती थी, और पूरा गांव उसे अपने दिल से चाहता था।
लेकिन Ayesha के दिल की एक दुनिया किसी को नहीं दिखती थी।
उसकी मां कैंसर से जूझ रही थीं और इलाज का पूरा बोझ उसी पर था।
फिर भी वो मुस्कुराती रहती, जैसे दर्द को उसने आदत बना लिया हो।
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पहली मुलाकात
संगीत नाइट शुरू हो चुकी थी।
लोग खुश, चाय की खुशबू हवा में, और Kaushik एक कोने में खड़ा चुपचाप दुनिया को देख रहा था।
उसी वक्त स्टेज पर आई Ayesha।
गुलाबी शॉल, बेहद सादगी, और आंखों में अजीब-सी गहराई।
उसने गाना शुरू किया…
“तेरा ज़िक्र हो, या तेरी याद आए, दिल बस तेरी तरफ ही भाग जाए…”
Kaushik ने जीवन में बहुत आवाजें सुनी थीं, पर ऐसा दर्द पहली बार सुना था।
जैसे किसी ने अपने टूटे हुए दिल को सुरों में ढाल दिया हो।
गाना खत्म हुआ।
Kaushik अनजाने ही उसके करीब चला गया।
“तुम बहुत सुंदर गाती हो।” Kaushik ने कहा।
Ayesha ने धीरे से मुस्कुराकर कहा,
“आवाज़ से ज्यादा दर्द अच्छा गाता है।”
यहीं से उनकी कहानी शुरू होती है।
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धीरे-धीरे जो बढ़ने लगा था…
अगले कुछ दिनों में Kaushik और Ayesha रोज मिलने लगे।
कभी झरने के पास, कभी नदी किनारे, कभी बस किसी चाय की दुकान पर।
Ayesha अपनी हंसी से Kaushik को ठीक कर रही थी,
और Kaushik अपनी शांति से Ayesha के दिल की थकान कम कर रहा था।
एक दिन Ayesha ने पूछा,
“तुम लिखते हो न?”
Kaushik थोड़ा झिझककर बोला,
“हाँ, पर अब लिखने का मन नहीं करता।”
Ayesha हंस पड़ी,
“शब्द भी बच्चे जैसे होते हैं। प्यार से बुलाओ, वापस आ जाएंगे।”
Kaushik उस एक लाइन को दिल में संभाल कर रख लेता है।
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लेकिन हर खूबसूरत कहानी में एक छुपा दर्द होता है…
Kaushik ने नोटिस किया कि Ayesha कभी-कभी अचानक चुप हो जाती थी।
फोन कॉल्स छोड़ देती थी।
आंखें लाल हो जाती थीं।
एक शाम Kaushik ने पूछा,
“तुम ठीक तो हो? कोई बात है जो बता नहीं रही?”
Ayesha ने पहली बार उसकी नजरों से नजरें चुरा लीं।
“हर बात बतानी जरूरी नहीं होती Kaushik। कुछ दर्द… हम अकेले ही झेलते हैं।”
Kaushik ने उसका हाथ पकड़ा।
“अगर तुम लड़ रही हो… तो मैं तुम्हारे साथ हूं।”
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तूफान की पहली दस्तक
अगले दिन होमस्टे की मालिक ने Kaushik को बताया,
“Ayesha की मां को कैंसर है। पिछले कई महीनों से इलाज चल रहा है। और खर्च… वो खुद उठा रही है।”
Kaushik का दिल अंदर तक हिल गया।
वो भागता हुआ गांव पहुंचा।
Ayesha घर के बाहर बैठी थी, आंखों में आंसू, हाथ कांपते हुए।
Kaushik धीरे से उसके पास बैठा,
“तुमने बताया क्यों नहीं?”
Ayesha टूटे स्वर में बोली,
“क्योंकि मैं किसी पर बोझ नहीं बनना चाहती।
और तुम पहले ही अपने दर्द में डूबे हो…”
Kaushik ने उसका हाथ कसकर पकड़ा।
“Ayesha, पहली बार किसी ने मेरे दिल को फिर से धड़काया है।
तुम्हारा दर्द… मेरा भी है।”
Ayesha उसके सीने पर सिर रखकर धीमे से रो पड़ी।
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दो दिलों की खामोश कबूलियत
Ayesha ने धीमे से पूछा,
“अगर मैं एक दिन टूट गई… तो?”
Kaushik ने उसके बाल सहलाते हुए कहा,
“तो मैं तुम्हें संभाल लूंगा।
किस्मत चाहे जो कर ले… मैं तुम्हारा साथ नहीं छोड़ने वाला।”
उन दोनों के लिए यह खामोश पल ही प्यार की पहली कबूलियत था।
लेकिन असली कहानी यहां से शुरू होती है।
उनके प्यार की परीक्षा अभी बाकी थी।
एक ऐसा मोड़ आने वाला था जो दोनों की जिंदगी को हमेशा के लिए बदल देगा…
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