रात के ठीक 11:47 बजे मोबाइल की घंटी बजी।
आयुष नींद में था, लेकिन इतनी रात को कॉल देखकर चौंक गया।
नंबर अनजान था। उसने झिझकते हुए रिसीव किया —
“हेलो?”
दूसरी ओर से हल्की, काँपती हुई आवाज़ आई, “हेलो... आयुष?”
आवाज़ जानी-पहचानी लगी, पर वह यक़ीन नहीं कर पाया।
“कौन बोल रहा है?”
“मैं... नेहा बोल रही हूँ।”
आयुष का दिल एक पल को थम गया।
नेहा... वही लड़की जो तीन साल पहले सड़क हादसे में मर गई थी।
वो बुदबुदाया, “ये मज़ाक कौन कर रहा है?”
“मज़ाक नहीं, सच्चाई है,” आवाज़ बोली, “किसी पर भरोसा मत करना... वो तुम्हारे घर में ही है।”
लाइन कट गई।
आयुष की सांसें तेज़ हो गईं।
उसने खुद को समझाया कि ये कोई प्रैंक है।
लेकिन तभी दीवार पर टंगी नेहा की पुरानी फ़ोटो धीरे-धीरे हिलने लगी, जबकि पंखा बंद था।
एक ठंडी हवा का झोंका आया, और लाइट्स झपक गईं।
वो डर गया और कमरे से बाहर निकला।
लिविंग रूम में उसका रूममेट रोहन बैठा था, टीवी बंद, हाथ में कॉफी का कप।
“क्या हुआ?” रोहन ने पूछा।
“कुछ नहीं... बस नींद नहीं आ रही,” आयुष बोला।
रोहन ने मुस्कुराते हुए पूछा, “फोन आया था न? नेहा का?”
आयुष ने चौंककर उसकी तरफ देखा, “तुम्हें कैसे पता?”
रोहन हँसा, पर उसकी आँखों में एक अजीब चमक थी।
“क्योंकि वही मुझे भी पुकार रही थी।”
“क्या बकवास कर रहे हो?”
“तीन साल पहले की बात याद है?” रोहन बोला, “तुम कार चला रहे थे... और ब्रेक फेल हो गया था।
तुम बच गए, लेकिन नेहा मर गई।”
“वो हादसा था!” आयुष चिल्लाया।
“नहीं,” रोहन बोला, “वो हादसा मैंने करवाया था।
मुझे नहीं पता था कि वो तेरे साथ होगी। मैं तो तुझे खत्म करना चाहता था, क्योंकि वो तुझसे प्यार करती थी... मुझसे नहीं।”
आयुष के चेहरे पर सन्नाटा था।
उसने पीछे हटते हुए कहा, “तुम पागल हो गए हो।”
रोहन की मुस्कान अब विकृत हो चुकी थी।
वो धीरे-धीरे आगे बढ़ा और किचन से चाकू उठा लिया।
अचानक बिजली चली गई। घर अंधेरे में डूब गया।
एक पल बाद — एक तेज़ चीख़ गूँजी।
सुबह दरवाज़ा अंदर से बंद मिला।
पुलिस दरवाज़ा तोड़कर अंदर आई।
ज़मीन पर रोहन की लाश पड़ी थी।
उसके चेहरे पर डर का ऐसा भाव था जैसे उसने कुछ देखा हो... कुछ अलौकिक।
टेबल पर मोबाइल पड़ा था, स्क्रीन अब भी जल रही थी।
उस पर लिखा था —
“1 Missed Call: नेहा 📞 (11:47 PM)”
पुलिस ने कॉल रिकॉर्ड देखा —
वो कॉल तीन साल पुरानी तारीख़ से आया था,
26 अक्टूबर 2022, वही रात... जब नेहा की मौत हुई थी।
और ठीक उसी समय —
आयुष का नाम अब भी नेहा के आख़िरी कॉल लॉग में दिख रहा था।
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अंत।
आप को ये कहानी पसंद आई होगी और आप मुझे बहुत सारा प्यार देंगे ये कहानी आप दिल से पढ़के अपनी राय जरूर लिखना तो मैं इसका दूसरा पार्ट भी बना सकू । मैं आभारी हु मातृभारती की इस एप्लिकेशन का की इसने मुझे मौका दिया आप सब के साथ इस कहानी को शेर करने का मौका दिया आप सबलॉग मुझे प्यार दीजिए और मेरी कहानी को आगे बढ़ाने में सहकार करिए और ऐसे ही कहानी के लिए मुझे फोलो करे और आप सब प्यार करे शुक्रिया मातृभारती आप का बहुत बहुत हे ध्यानवाद आप के साथ काम करके अच्छा लगा मुझे शुक्रिया आपका