छुपा हुआ इश्क़ — एपिसोड 17
शीर्षक: प्रेम की अमरता
(जब प्रेम हर अंत के पार, समय और मृत्यु को अर्पित होकर अमरता का स्पर्श करता है)1. स्वप्न और यथार्थ का संगमप्रेम सरोवर की घाटी अब सुबह-शाम नए रंगों में नहाई हुई लगती थी।
चारों ओर फूलों की महक और हवा में एक अदृश्य स्पंदन महसूस होता।
शोध एवं संगीत विद्यालय में विनय, प्रिया और अन्य विद्यार्थी “प्रेम की अमरता” को खोजने में जुटे थे।
विनय अक्सर सूर्योदय के समय झील के किनारे बैठता और सोचता—क्या प्रेम सच में अमर हो सकता है?एक सुबह झील के जल में हल्की लहर उभरी और विनय को अपने पुराने जीवन की झलक दिखी—
वह, प्रिया, नंदिनी, और कभी तमाम ऐसे लोग जिनकी आत्माएँ इस घाटी से जुड़ी थीं।
प्रिया ने पूछा, “क्या प्यार इतना ताकतवर है कि वह मृत्यु के भी पार चला जाए?”
विनय ने मुस्कराकर कहा, “अगर आत्मा कभी समाप्त नहीं होती, तो प्रेम भी तो उसी के साथ अमर होता है।”2. मृत्यु के पार—प्रेम की पुकारएक दिन घाटी में एक वृद्ध साधु पहुंचे, जिनके चेहरे पर एक विचित्र तेज था।
वह आते ही विनय और प्रिया के सामने बैठे और बोले—
“मैं मृत्यु का संदेशवाहक हूँ, पर प्रेम के आगे असहाय हूँ।
मुझसे सभी डरते हैं, पर प्रेम मुझसे नहीं डरता।
यदि तुम्हारा संगीत और प्रेम सच में सच्चा है, तो मुझे अमरता का अनुभव दो।”सभा सन्न रह गई। झील की सतह हल्की सुनहरी हो गई।
प्रिया ने अपने सितार से एक ध्यानगीत छेड़ा, विनय ने ढोलक पर सुर दिए।
मंत्रमुग्ध होकर साधु ने प्रार्थना की, “प्रेम मृत्यु के द्वार को खोल दे।”
झील की नीली चमक साधु के चारों ओर फैल गई, और उन पर एक तेज़ प्रकाश मंडराने लगा।अचानक साधु का स्वर बदल गया—“मैं अमर हो गया, क्योंकि अब मैंने प्रेम को समझ लिया।
मृत्यु का काम है एक अंत देना, जबकि प्रेम हर अंत को आरंभ में बदल देता है।”3. आत्मा की अमरता की खोजसंगीत विद्यालय में शोधकर्ताओं ने प्रेम-ऊर्जा के प्रभाव को और गहराई से मापना शुरू किया।
डॉ. समर ने अपने रिसर्च में लिखा,
“जब कोई प्रेम के भाव, क्षमा या गहरे रिश्तों के साथ ध्यान करता है, उसकी चेतना में ऐसी तरंगें उभरती हैं, जिनका कंपन काल से परे और मृत्यु के बाद भी दर्ज रहता है।
यह झील आत्माओं की डायरी है—कभी भी, किसी भी युग की याद यहाँ खींची जा सकती है।”प्रिया ने गाया:
“आत्मा जब प्रेम से गाती है,
तो उसकी गूंज अमर हो जाती है।”4. घाटी की नई पीढ़ीकुछ वर्षों में विद्यालय और घाटी में प्रेम की अमरता की बातें दूर-दूर तक फैल गईं।
अब यहाँ हर पीढ़ी के लोग आते—कुछ टूटे दिल, कुछ खोजते विद्यार्थी, कुछ साधक।
हर शाम प्रिया और विनय एक संगीत रचना प्रस्तुत करते, जिसमें आत्मा और प्रेम का अमर रूप झलकता।एक दिन एक छोटी बच्ची, ईशा, आई—उसने अपनी माँ को खो दिया था और हर रात डरकर सोती थी।
विनय ने उसे झील के पास ले जाकर एक धुन सिखाई,
“जो चला गया, वह गुम नहीं। वह प्रेम बन कर तुम्हारे पास है।”
ईशा ने धीरे-धीरे मुस्कुराना और खुले मन से संगीत गाना शुरू किया।
लोग कहते हैं, उस दिन झील के जल में इंद्रधनुष बिखर गया था।5. ब्रह्मांड में प्रेम की अमरताडॉ. समर की टीम ने पाया कि जब घाटी में एक साथ सौ से अधिक लोग प्रेम भावनाओं में गाते या ध्यान करते, तब झील की ऊर्जा पूरे क्षेत्र में रेडियो-सिग्नल की तरह फैल जाती।
उनकी गणना के अनुसार, यह ऊर्जा एक दिन पूरे ब्रह्मांड में पहुँच सकती है—प्रेम की गूंजें तारों, ग्रहों तक!
प्रिया ने एक कविता में लिखा—
“हम सितारों तक पुकार भेजते हैं,
प्रेम के बीज बोते हैं,
अनंत गगन हमारा श्रोता बन जाता है।”6. संगम और विरासतप्रेम सरोवर अब प्रेम और अमरता की प्रयोगशाला बन गई थी।
यहाँ आकर हर आत्मा अपने भीतर की टोह पाती,
प्रेम की शक्ति को अनुभव करती,
और उसे जीवन के हर चरण में उत्सव की तरह जीती।विनय ने अपने अनुभवों से सीखकर कहा,
“जहाँ प्रेम है, वहाँ जीवन अजर-अमर है।
हर कहानी, हर गीत, हर स्मृति—
सब इस झील के जल की तरह बार-बार जन्म लेते रहते हैं।”7. समापन—यात्रा का अगला पड़ावसमय के चक्र में दिन बदलते गए।
घाटी की हवा में अब उम्मीद, साहस और प्रेम की वरदान छायी थी।
ईशा अब एक होनहार गायिका बन चुकी थी, जो अपने गीतों में प्रेम की अमरता बांटती।
विनय, प्रिया और सभी शिक्षक—अब उन्हें “प्रेम के अमर साधक” कहा जाता था।झील अब भी गाती थी—
हर अंत के पार, हर मृत्यु के बाद—
प्रेम वही रहता है,
अमर, नीला, और सबको जोड़ने वाला।(एपिसोड समाप्त — अगला भाग: “नई आत्मा, नया विहान” में प्रेम अनंत यात्रा की और नई अंतर्स्वर लाएगा…)