*अदाकारा 53*
शर्मिला बुर्का पहने हुए इन्फिनिटी मॉल में खरीदारी में व्यस्त थीं।उसने अपने लिए एक पंजाबी ड्रेस पसंद किया और उसे पहनकर देखने के लिए ट्रायल रूम अभी वो पहुंची ही थी ठीक उसी समय उसका मोबाइल बज उठा।
मेतो दीवानी हो गई
प्यार में तेरे खो गई।
अन नॉन नंबर से फोन था इसलिए उसने पहली बार उसे अनदेखा कर दिया।लेकिन तुरंत ही दूसरी बार वही नंबर से फिर से कॉल आई।तो इस बार उसने फोन उठा लिया।
"कौन?"
सामने रंजन था।
"कैसी हैं मैडम?आपको चोट तो नहीं लगी है ना?गाड़ी का फ्रंट कांच को नुकसान पहुँचाने के लिए माफ़ी चाहता हूँ।अभी तो मैंने सिर्फ़ गाड़ी का आगे का शीशा ही तुड़वाया है लेकिन याद रखना अगर तुमने मेरी फिल्म पूरी नहीं की तो मैं तुम्हारा चेहरा ऐसा कर दूँगा कि तुम किसी और की फिल्म में काम करने लायक नहीं रहोगी।"
रंजन ने एक खुली धमकी देते हुए फोन काट दिया।
रंजन की धमकी सुनकर शर्मिला कुछ पल के लिए अवाक सी रह गईं।पहले तो उसे समझ ही नहीं आया कि यह आदमी क्या कहना चाहता है?
और फिर अचानक उसके दिमाग़ में एक रोशनी सी चमकी।ओर घबराहट में उसके माथे पर पसीना आने लगा उसने तुरंत उर्मिला को फ़ोन मिलाया।
"हेलो।उर्मि।क्या तु ठीक है?"
इस हमले से उर्मिला बहुत डर गई थी।
उसके मुँह से हल्की-सी काँपती हुई आवाज़ निकली।
"शर्मी।किसी ने कार पर हमला किया है।ओर उन्होंने आगे का कांच तोड़ दिया..."
"कांच को छोड़।तुजे तो कुछ नहीं हुआ है ना?"
"नहीं।पर मुझे बहुत डर लग रहा है।"
"इस वक्त तु कहाँ है?"
"मॉडल टाउन से सात बंगलों वाली सड़क पर।"
"ओह!तु मोस्ली घर के करीब पहुंचने आई थीं।तु वहां से पैदल ही अगर जा सकती है तो चली जा घर पर।घर पहुँच कर रिलेक्स हो जा मैं अभी पहुंचती हूँ।फिर पुलिस में FRI दर्ज करा दूँगी।"
उर्मिलाने घर पहुंच कर सबसे पहले फ्रिज से ठंडे पानी की बोतल निकाली और उसमें से उसने दो घूँट पानी गले से नीचे उतारा और वह सोफ़े पर पैर लंबे करके आराम से बैठ गई। कार पर हुए हमले के डर के कारण उसका कलेजा अभी भी ज़ोर-ज़ोर से कांप रहा था। वो आँखें मूंद कर गहरी सांसे लेते हुए उस डर को अपने दिल से निकालने की कोशिष करने लगी।
तभी उसे एक धीमी और कर्कश आवाज़ सुनाई दी।
"कैसी हो जानू?"
वह हड़बड़ाकर सोफ़े से उठ खड़ी हो गई। उसकी नजर के सामने सिर से पाँव तक काले लिबास से ढका हुवा एक नकाबपोश व्यक्ति खड़ा था।
अभी तक सड़क पर हुवे हमले की घबराहट थमी भी नहीं थी।ओर उसके सामने आकर खड़ी हुई इस नई मुसीबत ने उसे हिलाकर रख दिया।
"कौन..कौन हो तुम?"
"मैं?हाँ..हाँ..हाँ"
वह व्यक्ति ठंडे लहजे में हँसा।
और उसकी रहस्यमयी हँसी डरी हुई उर्मिला को ओर डरा गई।
"क्या..क्या काम है?"
"तो पहले मैं तुजे काम बताऊँ?या पहले तुजे मैं कौन हूँ ये बताऊं?"
उर्मिला आँखें फाड़े उसे पहचानने की कोशिश कर रही थी।उसकी छाती ज़ोर-ज़ोर से धड़क रही थी।
"चल।पहले मैं तुझे अपना काम ही बताता हु। जिस तरह फ़िल्मों में डबल रॉल होते हैं वैसे ही यहाँ मैं डबल रोल में हूँ।मैं तेरा प्रेमि भी हूँ और तेरा जल्लाद भी।"
" य..याने?"
उर्मिला के माथे से पसीने की बूंदे टपकने लगी थी।
"क्या..क्या चाहिए तुझे?"
"हम्मम।ये हुई ना मुद्दे की बात।तो सुन पहले मुझे तेरी यह कोमल नाज़ुक और मक्खन सी सुंदर बॉडी चाहिए।और फिर इसके अंदर बस रही तेरी आत्मा।"
पाँच-दस सेकंड तक सन्नाटा छा गया।
उस व्यक्तिने फ़िर ठंडी आवाज़ में कहा।
"चलो अब अपने कपड़े उतारो और ये बॉडी मेरे हवाले करो मैडम।"
उर्मिला का शरीर तिनके की तरह काँप रहा था।
और वह व्यक्ति ठंडे स्वर में बोले जा रहा था।
"अगर आप अपने कपड़े अपने हाथों से उतारेंगी ना।तो आपके मरने के बाद आपके कपड़े किसी बेचारी गरीब के काम आ जाएँगे। और पत्ता है?मुझे तो कपड़े उतारना आता ही नहीं हे।मुझे तो बस उन्हें फाड़ना ही आता है। फिर वे फटे हुए कपड़े चिंदी बनके रह जाएंगे किसी काम नहीं आएँगे।क्योंकि वे खून से भी तो लथपथ होंगे।"
उर्मिला अब समझ गई कि वह व्यक्ति क्या सोच रहा था क्या चाहता हे।
उसे लगा कि अगर उसे इस जालिम के पंजों से निकलना है तो दरवाज़ा खोलकर फ्लैट से बाहर निकलना ही एकमात्र रास्ता है।
उस व्यक्ति का धीरे धीरे बड़बड़ाना जारी था। उर्मिला को ऐसा लगा कि वह व्यक्ति सिर्फ़ बड़बड़ाने में लगा है ओर उसका ध्यान उस पर नहीं हे इसलिए वह अचानक दरवाज़े की ओर तेज़ी से दौड़ी।
(क्या उर्मिला उस रहस्यमय व्यक्ति के हाथों से बच पाएगी?या शर्मिला समय पर आकर उसे बचा लेगी?)