🌌 एपिसोड 45 — “जब कलम ने वक़्त को लिखना शुरू किया”
(कहानी: मेरे इश्क़ में शामिल रुमानियत है)
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🌙 1. वक़्त के परे एक आवाज़
रात का सन्नाटा जैसे किसी अदृश्य जादू में जकड़ा था।
दिल्ली की हलचल बहुत पीछे छूट चुकी थी —
अब सिर्फ़ रूह की कलम का स्टूडियो नीली रौशनी में डूबा था।
रूहाना फर्श पर बैठी थी, उसकी उंगलियाँ अब भी नीली चमक से भरी थीं।
कलम उसके सामने रखी थी — मगर इस बार वो शांत नहीं थी।
वो हल्के-हल्के कंपन कर रही थी,
जैसे कोई पुरानी रूह उसमे साँस ले रही हो।
अर्जुन ने दरवाज़ा खोला —
“रूहाना… सब ठीक है?”
उसने सिर उठाया।
“नहीं अर्जुन। कुछ बदल रहा है।
वक़्त… जैसे इस कमरे में ठहर गया है।”
अर्जुन ने चारों ओर देखा।
घड़ी की सुईयाँ सचमुच थम चुकी थीं।
पंखा, हवा, यहाँ तक कि बाहर की बारिश की आवाज़ भी गायब थी।
अचानक —
कलम ज़मीन से उठी और हवा में तैरने लगी।
फिर उसने लिखा —
> “समय अब शब्दों में कैद है।
जो लिखा जाएगा, वही घटेगा।”
रूहाना और अर्जुन ने एक-दूसरे की ओर देखा।
उनकी साँसें भारी हो गईं।
रूहों की दुनिया अब सिर्फ़ हवेली तक सीमित नहीं थी —
अब वो उनके वर्तमान में उतर आई थी।
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🌧️ 2. आर्या का रहस्यमयी रूप
अगली सुबह आर्या फिर आई।
मगर इस बार उसकी चाल, उसकी आवाज़ — सब कुछ बदला हुआ था।
वो धीरे-धीरे कमरे में दाखिल हुई और बोली,
“अब तुम दोनों तैयार हो… उस पन्ने के लिए जो अभी लिखा नहीं गया।”
रूहाना ने पूछा,
“कौन-सा पन्ना?”
आर्या ने कलम की ओर इशारा किया।
“वो पन्ना जो तुम्हारे भविष्य को तय करेगा।
हर प्रेम कहानी का एक ऐसा पन्ना होता है जिसे कोई नहीं लिखता —
वो खुद समय लिखता है।”
अर्जुन ने कहा,
“मतलब ये कलम अब वक़्त को लिखने लगी है?”
आर्या मुस्कराई,
“हाँ… और अब जो लिखा जाएगा, वो मिटाया नहीं जा सकेगा।”
रूहाना की आँखों में चमक थी,
“तो फिर लिखने दो इसे —
क्योंकि मेरा इश्क़ अब अधूरा नहीं रहना चाहिए।”
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🔥 3. शब्दों से निकला दरवाज़ा
आर्या ने हाथ बढ़ाया —
कलम खुद हवा में घूमने लगी।
नीली स्याही दीवार पर गिरने लगी,
और कुछ ही सेकंड में दीवार पर एक दरवाज़ा उभर आया —
स्याही का बना हुआ, मगर असली जैसा।
वो दरवाज़ा चमक रहा था,
और भीतर से आवाज़ आ रही थी —
“आओ… वहाँ जहाँ कहानियाँ जिंदा रहती हैं।”
अर्जुन ने रूहाना का हाथ थामा,
“अगर वहाँ जाने से हमारी कहानी पूरी होती है,
तो चलो — इस बार डर से नहीं, रूह से चलें।”
दोनों ने उस नीले दरवाज़े को पार किया।
पल भर में, कमरा, रोशनी, सब गायब हो गया।
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🌌 4. नीली दुनिया में प्रवेश
वे अब एक ऐसी जगह थे जहाँ आसमान कागज़ का था,
धरती स्याही की,
और हवा में शब्द तैर रहे थे।
रूहाना ने विस्मय से कहा,
“ये कौन सी जगह है?”
आर्या की आवाज़ चारों ओर से गूँजी —
“ये वो जगह है जहाँ हर अधूरी कहानी अपना अंत लिखती है।
यहाँ लेखक नहीं, भावनाएँ जिंदा रहती हैं।”
अर्जुन ने देखा —
आसमान पर उनके नाम चमक रहे थे —
“रूहाना 💫 अर्जुन”
और नीचे लिखा था —
> “इन दोनों का प्रेम, हर जन्म की कहानी का केंद्र बनेगा।”
रूहाना की आँखें भर आईं।
“तो ये वही अनंत रुमानियत है जिसके बारे में कलम ने लिखा था…”
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🌠 5. समय का निर्णय
अचानक हवा में सुनहरी लहरें उठीं।
एक स्वर गूँजा —
“अगर तुम्हारा प्रेम सच्चा है,
तो इसे शब्दों से नहीं, त्याग से साबित करो।”
अर्जुन ने उसकी ओर देखा,
“त्याग?”
“हाँ,” आवाज़ बोली,
“वक़्त चाहता है कि तुममें से एक इस कलम का हिस्सा बन जाए —
ताकि दूसरे की कहानी सदा लिखी जा सके।”
रूहाना ने चौंककर कहा,
“इसका मतलब… एक को रूह बनना होगा?”
अर्जुन ने उसकी हथेली पकड़ी,
“तो फिर मुझे जाने दो।
तुम लिखोगी, मैं स्याही बनूँगा।”
रूहाना ने रोते हुए कहा,
“नहीं अर्जुन, अगर तुम स्याही बनोगे तो मैं शब्द नहीं लिख पाऊँगी।”
कलम हवा में उठी और दोनों के बीच आ गई।
उससे चमकदार लकीरें निकलीं —
जैसे निर्णय खुद वक़्त ले रहा हो।
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🌙 6. रूह का वचन
नीली लकीरें अर्जुन की छाती से होकर उसके हाथों में समा गईं।
वो मुस्कराया,
“अब मैं हर उस अक्षर में रहूँगा जिसे तुम लिखोगी।”
रूहाना ने उसकी ओर बढ़कर कहा,
“और मैं हर उस कहानी में रहूँगी जो तुम पूरी करोगे।”
कलम ने खुद ब खुद अंतिम पंक्ति लिखी —
> “रूहों के लिए वक़्त नहीं रुकता,
वो बस नई भाषा चुन लेता है।”
अगले ही पल अर्जुन की देह नीली रोशनी में बदल गई —
वो गायब हो गया,
मगर रूहाना के हाथ में अब एक नई कलम थी —
जिसकी निब से अर्जुन की धड़कनें सुनाई दे रही थीं।
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💫 7. अंतिम पंक्ति की शुरुआत
रूहाना ने आँखें बंद कीं और लिखा —
“आज मैंने अपने इश्क़ को शब्दों में नहीं, रूह में जिया।”
कागज़ पर नीली रौशनी फैली और दीवारों से सुनहरी लिपि उभर आई —
> “जहाँ प्रेम शब्दों से आगे बढ़े,
वहीं से अनंत कहानी शुरू होती है।”
आर्या की आवाज़ फिर आई,
“अब तुम सच्ची लेखक नहीं रहीं, रूहाना —
अब तुम वक़्त की लेखिका हो।”
रूहाना मुस्कराई,
“और ये कलम अब सिर्फ़ लिखेगी नहीं —
वो महसूस करेगी।”
वो खिड़की के पास जाकर बोली,
“अर्जुन… अब हर कहानी में तुम्हारा नाम होगा।”
नीली हवा में एक हल्की आवाज़ आई —
“और हर शब्द में तुम्हारी साँस।”
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🌙 एपिसोड 45 हुक लाइन:
> “जब इश्क़ रूह बन जाए, तो वक़्त भी उसे पढ़ने लगता है —
क्योंकि अब हर कहानी की स्याही में धड़कन शामिल है।” 💙