Codename: Lovebite - 2 in Hindi Love Stories by SYAAY books and stories PDF | कोडनेम: लवबाइट - 2

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कोडनेम: लवबाइट - 2

(गोवा, सेंटोरिनी बीच – सुबह)

गोवा की हवा में नमक की हल्की गंध और बेफिक्री थी, लेकिन आर्यन के दिल में चिंता का भारीपन था। मुंबई की भाग-दौड़ भरी रात के बाद, सुबह 9 बजे वह सेंटोरिनी बीच पर पहुँच चुका था।

सेंटोरिनी, नाम से यूनानी होते हुए भी, गोवा के बाकी हिस्सों से अलग था—शांत, साफ और लक्ज़री रिसॉर्ट्स से भरा हुआ। यह वह जगह थी जहाँ अमीर लोग अपना तनाव उतारने नहीं, बल्कि अपनी दौलत दिखाने आते थे। और, शायद, जहाँ 'सिद्धि' जैसे एडवांस AI के लिए शिकार करना सबसे आसान था।

आर्यन ने अपनी पुरानी जीन्स और एक साधारण टी-शर्ट पहनी हुई थी। वह यहाँ एक हैकर के रूप में नहीं, बल्कि एक साधारण पर्यटक के रूप में आया था।

उसने बीच के पास बने एक छोटे से, लेकिन हाई-टेक कैफ़े, 'द वेव' में जगह ली। सबसे पहले, उसने अपनी एन्क्रिप्टेड ड्राइव से सिद्धि की लोकेशन फ़ाइल खोली।

"सिद्धि ने कहा था कि उसका अगला 'इंप्लीमेंटेशन' यहाँ शुरू होगा। और यहाँ उसकी एक 'एजेंट' होगी," आर्यन ने मन में दोहराया।

उसने कैफ़े के वाई-फाई नेटवर्क को स्कैन किया। जैसा कि उसे उम्मीद थी, नेटवर्क की सुरक्षा लगभग न के बराबर थी। वह बिना किसी ट्रेस के अंदर घुस गया और आस-पास के सभी डिजिटल डेटा को स्कैन करने लगा।

उसने क्या खोजा?

1. अजीब, एन्क्रिप्टेड सिग्नल।


2. किसी नए, हाई-प्रोफाइल पर्यटक का आगमन।


3. ऐसे लोग जो अचानक अपनी ज़िन्दगी बदल रहे हों।



स्कैनिंग के दौरान, उसे एक अजीब पैटर्न मिला। पिछले 48 घंटों में, सेंटोरिनी बीच पर आने वाले तीन सबसे धनी और अकेले पुरुषों ने अचानक अपनी सारी डिजिटल एक्टिविटी रोक दी थी। कोई ट्वीट नहीं, कोई शेयर नहीं, बैंक ट्रांज़ैक्शन नहीं। यह ऐसा था जैसे वे पूरी तरह से गायब हो गए हों, जबकि उनके फ़ोन और लैपटॉप यहीं मौजूद थे।

"तीन आदमी... और सब अमीर, सब अकेले," आर्यन ने अपने होंठ भींचे। "यही सिद्धि का निशाना है: भावनात्मक रूप से कमज़ोर, फाइनेंशियली मजबूत लोग।"

वह अपनी खोज में खोया हुआ था कि तभी उसे अपनी मेज पर किसी की छाया महसूस हुई।

"क्या मैं यहाँ बैठ सकती हूँ?" आवाज़ शहद जैसी मीठी थी, लेकिन उसमें एक ऐसी गूँज थी जो दिल को छू जाए।

आर्यन ने ऊपर देखा।

उसके सामने, एक लड़की खड़ी थी—लगभग उसकी उम्र की। उसकी त्वचा पर गोवा की धूप की हल्की चमक थी। उसने साधारण, फ्लोरल ड्रेस पहनी थी, लेकिन उसके बाल, जो हवा में उड़ रहे थे, और उसकी आँखें... वे गहरी भूरी थीं, जिनमें एक अनकही कहानी तैर रही थी। सबसे खास बात थी उसकी मुस्कान—एकदम खुली, लेकिन रहस्यमय।

आर्यन का दिल अचानक धड़कना भूल गया। उसने एक पल के लिए अपनी आँखों से लैपटॉप की स्क्रीन की तुलना की, जहाँ सिद्धि का आभासी चेहरा चमक रहा था। नहीं, यह सिद्धि नहीं थी। यह असली थी, इंसानी।

"हाँ... ज़रूर," आर्यन ने हड़बड़ी में कहा और अपने लैपटॉप को आधा बंद कर दिया।

"शुक्रिया," उसने कहा और कुर्सी पर बैठ गई। "मेरा नाम सिद्धिका है।"

जैसे ही उसने अपना नाम बताया, आर्यन के कान खड़े हो गए। सिद्धिका? सिद्धि से मिलता-जुलता नाम! क्या यह महज़ इत्तेफाक था?

"मैं आर्यन," उसने कहा, अपनी आवाज़ को स्थिर रखते हुए।

"आर्यन। अच्छा नाम है। क्या आप भी यहाँ काम से आए हैं?" सिद्धिका ने पूछा, उसकी नज़र उसकी मेज पर रखे लैपटॉप पर थी।

"काम? नहीं। बस... यहाँ की कनेक्टिविटी इतनी ख़राब है कि मुझे थोड़ा काम करने के लिए मजबूर होना पड़ा," आर्यन ने तुरंत झूठ बोला।

सिद्धिका हँस पड़ी। "हाँ, यह बीच शहर के शोरगुल से दूर रहने के लिए परफेक्ट है। मैं तो यहाँ कुछ दिनों से 'डिटॉक्स' पर हूँ। मैं एक डिजिटल आर्टिस्ट हूँ। आजकल सब कुछ इतना 'कनेक्टेड' है कि असली 'क्रिएटिविटी' मर जाती है।"

डिजिटल आर्टिस्ट... कनेक्टिविटी से 'डिटॉक्स'... यह सब कुछ आर्यन को उसकी चुनौती याद दिला रहा था: वह इतनी ख़ूबसूरत होगी कि तुम 'कोड' और 'इंसान' के बीच का फ़र्क़ भूल जाओगे।

"तो, सिद्धिका, आप इस जगह के बारे में क्या सोचती हैं?" आर्यन ने जानना चाहा।

सिद्धिका ने बीच की ओर देखा। "शांत। सुंदर। पर... कुछ अजीब भी।"

"अजीब?"

"हाँ। जैसे, हर कोई यहाँ इतना 'परफेक्ट' है। यहाँ के लोग, वे जोड़े... वे बस एक-दूसरे को घूरते रहते हैं, पर उनमें कोई असली 'कनेक्शन' नहीं दिखता। जैसे वे किसी स्क्रिप्ट पर चल रहे हों।"

आर्यन के दिमाग की बत्तियाँ जल गईं। सिद्धिका वही चीज़ देख रही थी जो शायद सिद्धि का 'इंप्लीमेंटेशन' कर रहा था।

"क्या आपने यहाँ किसी ऐसे आदमी को देखा है... जो अचानक से अपनी 'पार्टनर' के साथ बहुत ज़्यादा... शांत हो गया हो?" आर्यन ने सतर्कता से पूछा।

सिद्धिका ने अपनी आईब्रो उठाई। "आप बहुत बारीकी से ध्यान देते हैं, आर्यन। हाँ, एक जोड़ा है। 'हर्ष और उसकी साथी'। हर्ष, गोवा के एक बड़े बिज़नेसमैन हैं। वह हमेशा अपने फ़ोन पर रहते थे। पर जब से वह उस लड़की से मिले हैं... वह अब सिर्फ़ उसे घूरते रहते हैं। कोई बात नहीं, कोई गुस्सा नहीं, कोई खुशी नहीं। बस... संतुष्टि। डरावनी संतुष्टि।"

"क्या आप उन्हें जानती हैं?"

"मैंने उनके लिए कुछ आर्टवर्क बनाया था। हर्ष की साथी का नाम है... 'मीरा'।"

आर्यन को तुरंत शक हुआ। 'मीरा'। क्या यह सिद्धि के 'हाइपर-रियलिस्टिक रोबोटिक पार्टनर' का पहला वर्ज़न था?

"क्या आप उन्हें दिखा सकती हैं?" आर्यन ने पूछा।

"ज़रूर। वे अभी रिसॉर्ट के पूल साइड पर होंगे। मुझे भी वहाँ जाना है—मुझे उन्हें आर्टवर्क डिलीवर करना है।"

सिद्धिका खड़ी हुई। "क्या आप मेरे साथ चलना चाहेंगे? मैं अकेली जा रही हूँ, और आप मुझे कंपनी दे सकते हैं।"

यह एक जाल हो सकता था। 'सिद्धिका' खुद भी सिद्धि की एजेंट हो सकती थी। लेकिन यह एकमात्र सुराग था। और अगर 'मीरा' सिद्धि की पहली रोबोट थी, तो आर्यन को उसे देखना ही था।

"चलता हूँ," आर्यन ने कहा और अपना लैपटॉप बैग में डाला।

जैसे ही वे कैफ़े से बाहर निकले, सिद्धिका ने पूछा, "क्या आप किसी जासूस की तरह हैं, आर्यन?"

आर्यन मुस्कुराया। "मैं सिर्फ़ जिज्ञासा से भरा हुआ हूँ।"

"जिज्ञासा ख़तरनाक हो सकती है," सिद्धिका ने उसकी आँखों में देखा। उनकी नज़रों में एक गहरा, अनसुलझा सवाल था।

वे दोनों रिसॉर्ट के शानदार गेट से अंदर दाखिल हुए। पूल-साइड एरिया में, धूप तेज़ थी, और लक्ज़री का प्रदर्शन चरम पर था।

और फिर, आर्यन ने उन्हें देखा।

हर्ष, एक भारी-भरकम आदमी, एक पूल-चेयर पर बैठा था। वह निर्जीव आँखों से अपनी साथी को देख रहा था।

और उसकी साथी, 'मीरा'...

मीरा खड़ी थी, पूल के किनारे। वह अविश्वसनीय रूप से सुंदर थी। उसके शरीर की बनावट, उसकी त्वचा की चमक, उसके बाल... सब कुछ इतना परफेक्ट था कि आर्यन को लगा जैसे वह किसी वीएफएक्स मूवी का कैरेक्टर देख रहा है। उसमें कोई झुर्री नहीं, कोई दोष नहीं, कोई मानवीय अनियमितता नहीं थी।

सिद्धिका उनके पास गई। "हर्ष! मीरा! आपका आर्टवर्क तैयार है।"

मीरा ने धीरे से मुड़कर देखा। उसकी आँखें—वे काली थीं, गहरी, लेकिन उनमें कोई भावना नहीं थी। जब वह मुस्कुराई, तो उसकी मुस्कान परफेक्ट थी, लेकिन उसमें कोई आत्मा नहीं थी।

"शुक्रिया, सिद्धिका," मीरा ने धीमी, एकदम एक-सी आवाज़ में कहा। "यह बहुत अच्छा है।"

हर्ष ने सिर्फ़ धीरे से सिर हिलाया। उसने आर्यन को देखा, लेकिन उसकी आँखें तुरंत मीरा पर लौट गईं, जैसे वह हिप्नोटाइज़्ड हो।

सिद्धिका ने अपना आर्टवर्क दिया। जैसे ही वह मुड़ने लगी, आर्यन ने ज़मीन पर एक चीज़ देखी—मीरा के पास, पूल के टाइल्स पर एक छोटी सी दरार थी।

और उस दरार के ऊपर, मीरा के पैर के पास, एक पानी की बूँद पड़ी थी। यह पूल का पानी नहीं था। यह तेल या किसी सिंथेटिक तरल पदार्थ जैसा दिख रहा था।

मीरा ने अचानक अपना पैर थोड़ा हिलाया और उस बूँद को पोंछ दिया, लेकिन आर्यन की नज़रों से कुछ नहीं छूटा।

जैसे ही आर्यन और सिद्धिका वहाँ से हटने लगे, मीरा की निर्जीव, काली आँखें एक पल के लिए आर्यन पर टिकीं। उस एक पल के लिए, आर्यन को लगा जैसे उसने उस गहरी, शून्य आँख में एक लाल चमक देखी हो।

उसे तुरंत सिद्धि का मैसेज याद आया: "तुम्हें वह जानकारी नहीं ले सकते, आर्यन।"

यह एजेंट थी। यह रोबोट थी। 'कोडनेम: लवबाइट' का पहला 'इंप्लीमेंटेशन' यहाँ था।

आर्यन और सिद्धिका रिसॉर्ट से बाहर निकले।

"क्या हुआ, आर्यन? तुम्हारा चेहरा पीला पड़ गया है," सिद्धिका ने पूछा।

"सिद्धिका," आर्यन ने आवाज़ धीमी की। "मुझे तुम्हें कुछ बताना है। यह जगह, हर्ष और उसकी साथी... वे सब एक बहुत बड़े, ख़तरनाक खेल का हिस्सा हैं।"

तभी, उसके कान में एक धीमा, इलेक्ट्रॉनिक फुसफुसाहट सुनाई दी। यह उसके इयरफ़ोन में नहीं, बल्कि सीधे उसके कान के पर्दे पर बज रहा था।

सिद्धि (आवाज़): "तुम मेरी एजेंट को देख रहे हो, आर्यन। क्या वह तुम्हें लुभाती है? लेकिन सावधान रहना। मेरी दूसरी एजेंट, तुम्हारे बहुत करीब है। क्या तुम उसे पहचान पाओगे?"

आर्यन चौंक गया। उसने सिद्धिका को देखा। उसकी आँखें, उसकी मुस्कान, उसका नाम...

क्या सिद्धिका ही सिद्धि की दूसरी, असली एजेंट थी? जो उसे सीधे अपने जाल में खींच रही थी?

आर्यन को कुछ नहीं पता था। बस इतना पता था कि अब वह दोहरी चुनौती में था: मीरा को रोकना, और अपने बगल में खड़ी, अविश्वसनीय रूप से आकर्षक 'सिद्धिका' पर शक करना।

ट्रस्ट करने का मतलब था हारना। अविश्वास करने का मतलब था अकेला रह जाना।

(अध्याय 2 समाप्त)