sisakati Wafa- ek adhuri Mohabbat ki mukmmal Dastan - 21 in Hindi Love Stories by Babul haq ansari books and stories PDF | सिसकती वफ़ा: एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल दास्तान - 21

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सिसकती वफ़ा: एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल दास्तान - 21


                       भाग 2 | अध्याय 6

              बाबुल हक़ अंसारी

                      “तहख़ाने की चीख़”

पिछले अध्याय से…

“अगर सच्चाई तक पहुँचना है, तो हवेली के तहख़ाने में उतरना होगा।
वहीं मिलेगा तुम्हें उस शख़्स का नाम… जिसने मोहब्बत को ग़द्दारी बना दिया।”



रात की हवा भारी थी। हवेली की दीवारों पर लगी पुरानी पेंटिंग्स जैसे किसी अनकहे डर में सिमट रही थीं।
नायरा ने टॉर्च जलाते हुए तहख़ाने के जंग लगे दरवाज़े को खोला — चर्रर्रर्र...

उस आवाज़ ने सन्नाटा चीर दिया।

युवराज ने धीमे स्वर में कहा,
“तुम्हें यक़ीन है, नीचे जाना चाहिए?”

नायरा ने दृढ़ नज़रों से कहा,
“अब पीछे मुड़ने का वक्त नहीं है।”

वो दोनों धीरे-धीरे पत्थर की सीढ़ियाँ उतरने लगे। हर कदम के साथ अँधेरा और गाढ़ा होता जा रहा था, और हवा में नमी के साथ एक अजीब-सी सड़ांध घुली थी।

अचानक युवराज के पैर के नीचे कोई चीज़ चटकी —
वो झुककर देखने लगा… एक टूटी हुई काँच की पायल थी।

नायरा ने काँपते स्वर में कहा,
“वो जिसकी पायल हवेली में गूँजती थी…”

टॉर्च की रौशनी सीधी दीवार पर पड़ी —
वहाँ खून जैसे सूखे निशान थे, जिन पर उंगलियों से कुछ लिखा गया था:

 “झूठ और साज़िश के नीचे दबा सच साँस ले रहा है…”



अचानक कमरे के कोने में एक पुराना संगीत बॉक्स अपने आप बजने लगा।
वही अधूरी धुन — जो नायरा ने डायरी में पढ़ी थी।

“ये कैसे…?” – नायरा की आवाज़ काँप गई।

युवराज ने पास जाकर बॉक्स खोला — अंदर एक पुराना कैसेट रखा था, जिस पर लिखा था:
“आर्यन – आख़िरी रेकॉर्डिंग”

उसने कैसेट को पुरानी टेप मशीन में डाला।
आवाज़ आई —

 “अगर ये आवाज़ तुम्हारे कानों तक पहुँची है, तो समझो… वो अब भी ज़िंदा है।”



फिर कुछ सेकंड की ख़ामोशी।
और अचानक… एक चीख़!
जैसे किसी को ज़िंदा दफनाया गया हो।

नायरा और युवराज दोनों सिहर गए।
टॉर्च की रोशनी एकाएक बुझ गई।

अँधेरे में किसी की परछाईं दीवार पर उभरी —
और उसी वक़्त वो धुन दोबारा गूँजी, इस बार किसी इंसान की आवाज़ के साथ…

 “नायरा… देर मत करना… वो लौट आया है…”



नायरा का दिल धक्‌ से रह गया।
“कौन… वो…?”

और तभी एक तेज़ झोंके के साथ तहख़ाने का दरवाज़ा अपने आप बंद हो गया।
चारों ओर सिर्फ़ अँधेरा, और दीवारों से आती धीमी-धीमी कराहने की आवाज़ें…



     “परछाईं का नाम

अँधेरा अब पहले से ज़्यादा घना था।
टॉर्च बुझ चुकी थी, लेकिन नायरा के भीतर की लौ अभी भी जल रही थी।
दीवारों से आती कराहें अब धीरे-धीरे किसी आवाज़ में बदल रही थीं—
जैसे कोई पास खड़ा होकर धीरे से बोल रहा हो,
“क्यों आई हो यहाँ…?”

नायरा ने काँपते स्वर में कहा —
“मैं सच जानने आई हूँ… आर्यन और श्रेया की आख़िरी कहानी सुनने।”

हवा में ठंड बढ़ गई।
युवराज ने जेब से लाइटर जलाया।
हल्की रौशनी में तहख़ाने की एक दीवार पर पुराना आईना नज़र आया —
उस पर धूल जमी थी, मगर भीतर कुछ हिलता हुआ दिखाई दे रहा था।

नायरा धीरे-धीरे आगे बढ़ी…
और जैसे ही उसने आईने की सतह को छुआ,
आईने के अंदर धुंध के बीच श्रेया का चेहरा उभरा —
वही आँखें, वही बिखरे बाल, वही मुस्कान जो अब एक दर्द में तब्दील हो चुकी थी।

“आर्यन…” — उसने फुसफुसाया —
“वो मरा नहीं था, नायरा… उसे मिटाया गया।”

नायरा की साँसें थम गईं।
“किसने…?”

आईने में श्रेया की परछाईं ने जवाब दिया —
“जिसने हवेली को विरासत कहा…
वही इस मोहब्बत का ग़द्दार था — अयान।”

नायरा का शरीर ठंडा पड़ गया।
“अयान? यानी आर्यन का सबसे क़रीबी दोस्त…?”

श्रेया की परछाईं ने सिर झुकाया —
“हाँ… वही जिसने हमारे सपनों को सोने की ज़ंजीरों में बाँध दिया।
आर्यन की हर धुन उसने चुरा ली,
और जब आर्यन ने सच्चाई बताने की कोशिश की…
उसे इसी तहख़ाने में कैद करवा दिया।”

अचानक लाइटर बुझ गया —
और अँधेरे में किसी के कदमों की आवाज़ गूँजी।
भारी, धीमे, मगर साफ़।

युवराज ने पीछे मुड़कर देखा —
दरवाज़े के पास कोई खड़ा था।
उसकी आकृति दिख नहीं रही थी, लेकिन उसकी आवाज़ पहचानी सी थी।
 “तुम बहुत गहराई में उतर आई हो, नायरा…”



वो स्वर सर्द और ख़तरनाक था।

“अयान…!” — नायरा ने चिल्लाया।

परछाईं आगे बढ़ी।
“तुम्हें जो जानना था, वो जान चुकी।
अब बस एक आख़िरी धुन बाकी है —
वो धुन, जो आर्यन ने मेरे लिए नहीं, तुम्हारे लिए छोड़ी थी।”

नायरा हतप्रभ रह गई।
“मेरे लिए…?”

अयान की आँखें अब स्पष्ट दिख रही थीं — उनमें जुनून और अपराध दोनों जल रहे थे।

 “क्योंकि तुम उसकी आख़िरी मोहब्बत हो, नायरा।
और मैं वो शख़्स… जिसने उस मोहब्बत को हमेशा के लिए दफ़नाया।”

एक बिजली सी गिरी, और तहख़ाने की छत से धूल झर पड़ी।
श्रेया की परछाईं चीख़ उठी —
“नायरा! भागो… वो आर्यन की रूह को क़ैद कर चुका है!”

टेप मशीन अपने आप चलने लगी —
और उसमें से वही अधूरी धुन फिर बजने लगी।
मगर इस बार… उस धुन के पीछे आर्यन की टूटती हुई आवाज़ आई —

 “अगर नायरा ये सुने… तो समझ लेना, साज़ अब भी अधूरा नहीं… बस इंतज़ार है कि कोई मेरे सुर पूरे करे…”



नायरा के आँसू बह निकले।
“आर्यन…” — उसने धीमे से कहा — “मैं तुम्हारा अधूरा साज़ पूरा करूँगी…”

और उसी क्षण तहख़ाने की दीवार काँप उठी —
आईना चटक गया, और उसके पीछे छिपा एक पुराना दरवाज़ा खुल गया…
जहाँ से हवा नहीं, बल्कि रौशनी बह निकली।

अध्याय समापन…

  अगले अध्याय में:
नायरा उस गुप्त दरवाज़े से गुज़रेगी, जहाँ आर्यन की आख़िरी धुन छिपी है।
वहीं मिलेगा उसे वो सच — जो मोहब्बत और ग़द्दारी के बीच की आख़िरी सीमा मिटा देगा।