थोड़ी देर के बाद वह शख्स फिर से कहीं जाने के लीये नीकला लेकिन इस बार वह ज़ेबा को अपने साथ लेकर जाने लगा. बादल ने देखा तो वह फिर से उनका पीछा करने के लीये तैयार हो गया था. तभी ज़ेबा ने बादल की खिड़की की ओर देखा वह यह जानती थी के बादल उसे और उस शख्स को जरुर देख रहा होगा. तो ज़ेबा ने बादल की खिड़की की ओर देखते हुे कुछ नीचे जमीन पर गीरा दिया था. बादल ने वह देखा और उनके पीछे जाने का अपना इरादा थोड़े देर के लीये बदल दिया. वह शख्स ज़ेबा को लेकर बड़ी सी गाड़ी में चला गया तब बादल अपनें कमरे से नीकला और सीधा उस जगह पर चला गया जहाँ पर ज़ेबा ने कुछ गीराया था. वहाँ जाकर उसने देखा तो वह एक कागज का दुकड़ा था और उसपर लीखा था, " मै इसके साथ एक अनजान जगह पर जा रही हूँ, तुम हमारे पीछे आओ खुदा ने चाहा तो हमारी मुलाकात हो सकती है".
बादल ने वह चिट्टी पढ़ी और वह फ़ौरन उनके पीछे जाने के लीये नीकला. वह बड़ी गाड़ी बादल से काफी दूर जा चुकी थी लेकिन खुदा को भी यह मंजूर नहीं था के दो प्यार करनेवाले इस तरह जुदा हो जाये इसलीये अचानक सड़क पर किसी वजह से जाम लग गया और उतना ही वक्त बादल के लीये काफी था ज़ेबा के करीब पहुँचने के लीये. बादल देखते देखते उस बड़ी गाड़ी के करीब करीब पहुँच गया के जाम खुल गया और सभी गाड़ियाँ चलने लगी थी. बादल ने अपने अफसर को फोन करके इस बात की खबर दे दी और वह भी अभी सतर्क हो चुके थे. फिर वह बड़ी गाड़ी चलती रही और अचानक शहर के बाहर एक वीरान जगह की ओर जाने लगी. अबतक सड़क पर बहोत सी गाड़ियाँ थी उस कारण से बादल को गाड़ी का पीछा करने में कोई मुश्किल नहीं हो रही थी. लेकिन अभी मुख्य रास्ता छोड़कर वह गाड़ी अब अलग ही दिशा में जाने लगी थी. उस रास्ते पर अब गीनीचुनी ही गाडीयाँ दिख रही थी. इस कारण के अब बादल को उस गाड़ी से काफी दुरी बनाकर चलना पड़ रहा था. फिर वह बड़ी गाड़ी काफी दूर जाकर एक बस्ती की तरफ मुड़ी और वहाँ पर जाकर रुक गयी. जैसे तैसे बादल भी उस बस्ती के करीब जाकर पहुँच गया. वह बस्ती के अंदर यूँ ही जा नहीं सकता था इसलीये वह बस्ती के बाहर ही कहीं छिपकर बैठ गया और उनपर नजर रखने लगा. तभी धडधड करती आर्मी की गाड़ियाँ उस बस्ती की तरफ आयी और उस बस्ती की ओर चली गयी.
फिर यकायक वहाँ पर गोलीबारी सुरु हो गयी. थोड़े देर के लीये बादल कुछ भी समझ नहीं पाया था. लेकिन उसने देखा की वह आदमी उसके ही महकमे के थे और उन्होंने उस बस्ती पर हमला किया हुआ है. तब बादल को बस एक बात याद रही और वह ज़ेबा जीसकी जान अभी मुश्किल में थी. फिर बादल भी उस जगह से नीकलकर सीधा बस्ती के अंदर दाखल हुआ. वह सिर्फ और सिर्फ ज़ेबा को ढूंढ ढूंड रहा था और खुदा का करम हुआ के ज़ेबा उसे दिखाई दी. ज़ेबा गोलीबारी से बचने के लीये एक मकान के पीछे छिपी थी. फिर बादल भी छिपकर ज़ेबा के पीछे की ओर गया और उसने ज़ेबा को पकड़ लीया. ज़ेबा को लगा की वह कोई दुश्मन है और उसने उसे धर दबोच लीया है. इसलीये ज़ेबा ने बड़ी ही फुर्ती से पलटवार करते हुये बादल को अपने करतबी पैतरे से एक लात मारी. फिर जब दोनों एकटूसरे से दूर होकर लड़ने के लीये आमने सामने हुये तब ज़ेबा ने देखा की वह बादल है. तब वह शांत हुई और बोली, " बादल आप, मुझे माफ़ कीजियेगा मै समझी के कोई दुश्मन है. फिर बादल बोला, " मै जानता हूँ की आप मुझे दुश्मन समझकर ही आपने मुझपर वार किया. लेकिन आपनें यह पैंतरे कहाँ और कैसे सीखे, आप तो एकदम छुईमुई नाजुक गुड़िया सी थी. लेकिन आप की लात खाने के बाद मुझे कुछ और ही महसूस होने लगा है." अभी ज़ेबा कुछ बोले उस ही वक्त एक गोली आयी और बादल के कंधे को छूकर नीकल गयी. तब बादल बोला, " अभी यह सवाल जवाब यहीं रहने देते है और सबसे पहले हम यहाँ से अपनी जान बचाकर भाग नीकलते है." ऐसा बोलते हुए बादल ज़ेबा को लेकर वहाँ से भाग नीकला.
वह दोनों उस जगह से सटे हुये जंगल की ओर भागे. फिर भागते भागते दोनों ही जंगल की दूसरी ओर नीकल गये. अब वह दोनों भी महफूस थे तो बादल ने अपना फोन नीकाला और किसी को फोन करने लगा. तभी ज़ेबा बोली, किसे फोन कर रहे हो बादल बोला, " हमारे साहाब को फिर ज़ेबा बोली, " वह क्यों" फिर बादल बोला, " हमारे लीये मदत भेजने के लीये. " तभी ज़ेबा ने फोन अपने हाथ में लीया और उस जंगल के समीप बहनेवाली नदी में फेंक दिया. ज़ेबा की इस हरकत से बादल गुस्सा हो गया और ज़ेबा पर चिल्लाकर बोला, " आप ने फोन क्यों फेंक दिया अरे मैं तो.. तभी ज़ेबा ने कहा , " बादल मेरी बात सुनीये, इसका जवाब मै आपको बाद में दूंगी. सबसे पहले एक ऐसी महफूज जगह पर चलीये जहाँ पर हम दोनों सच में महफूज हो." बादल उस वक्त बहोत गुस्से में था और वह कुछ भी सुनने को राजी नहीं था. वह ज़ेबा से ज़िद करने लगा था के तभी ज़ेबा बोली, " बादल, आपको मेरी कसम है. अगर इसके बाद आप मेरी बात को नहीं सुनोगे तो मै अभी आपको हमेशा के लीये छोड़कर चली जाऊँगी." ज़ेबा के मुंह से वह बात सुनकर बादल एकदम से चुप हो गया. वह कुछ बोल नहीं पाया और सोचने लगा की ज़ेबा ऐसा क्यों बोल रही है. फिर दोनों पैदल पैदल चलते हुए मुख्य सड़क पर आगये और वहाँ एक चलती हुई गाड़ी में उन्होंने लिफ्ट ली. फिर दोनों भी शहर के अंदर आये और एक दूसरी जगह जाकर रुक गए. उस जगह पर यासीन पहले से ही मौजूद थी और उसे देखकर बादल एकदम से चौंक गया था. फिर यासीन उन दोनों को लेकर एक दुसरी जगह पर लेकर गयी. वह एक पुरानी बस्ती थी जहाँ पर गरीब लोंग रहते थे. यासीन और ज़ेबा बादल को लेकर एक घर के अंदर चले गये. बादल को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था की क्या चल रहा है. के मन में कई सवाल अभी चल रहे थे लेकिन वह अपने दिल के हातों मजबूर था. उसे
ज़ेबा ने अपनी कसम जो दी थी.
शेष अगले भाग में.........