Tere Mere Darmiyaan - 15 in Hindi Love Stories by CHIRANJIT TEWARY books and stories PDF | तेरे मेरे दरमियान - 15

Featured Books
Categories
Share

तेरे मेरे दरमियान - 15

जानवी :- मतलब वो यही है और सबके सामने एक आम इंसान बनके रह रहा है ।




विद्युत: - बिल्कुल सही कहा बेटा तुमने । वो चार साल से अपने सपनो के पिछे लगा है , एक आम जिंदगी बाता रहा है । 



जानवी :- wow । तब तो आज आप उसे सबसे introduce कराने वाले हो ।


विद्युत: - नही बेटा वो अभी यहां पर नही है । उसने कहा के उसे कुछ और काम करना है । 




तभी वहां पर आदित्य और उसके दोनो दोस्त आ जाते है । आदित्य को दैखकर विद्युत आदित्य के पास जाता है और उसे गले लगा लेता है । ये सब दैखकर सभी हैरान हो जाता है । तब आदित्य कहता है ।




आदित्य: - पापा क्या कर रहे हो । अपने आप पर काबु रखो । सब दैख रहे है ।




विद्युत: - अरे दैखने दे । क्या फर्क पड़ता है । अगर कोई पूछेगा तो बता दूगां के मेरे बेटे को ऐसा करने का आईडिया तुमने दिया था ।  अच्छा अब ये बताओ के तुम मुझसे मॉल मे क्या बात करना चाहते थे और अशोक और जानवी को क्यों पार्टी मे बुलाने को कहा ।




आदित्य :- जी पापा वो अशोक अंकल एक बार मेरे पास आए और उन्होने जानवी का रिश्ता लेकर ।




आदित्य इतना बोलकर रुक जाता है । विद्युत जानवी की और दैखने लगता है । विद्युत को जानवी बहोत पंसद आता है । 



विद्युत: - लड़की तो बहोत अच्छी है । अगर तुम्हें पंसद आया है तो करलो शादी । इतनी अच्छी लड़की नही मिलेगी फिर तुम्हें।




आदित्य :- पर पापा आप तो जानते हो के मैं मोनिका से । पापा मैं जानवी से शादी करके उसकी लाईफ को बर्बाद नही कर सकता ।



विद्युत :- दैखो बेटा । ये प्यार व्यार आजकल के जमाने से है । हमे दैखो और हमारी तरह बहोत सारे ऐसे लोग है जो पहले शादी और उसके बाद प्यार किया । शादी के बाद दैखना तुम और जानवी एक दुसरे के बिना रह भी नही पाओगे ।




कृतिका :- अंकल हम दोनो इसे कबसे समझा रहे है के उस धोकेबाज मोनिका को भूल जाओ । पर नही इसे तो अब भी मोनिका ही चाहिए ।




विद्युत: - कृतिका ठिक बोल रही है बेटा । मैं पंडित जी को बुलाकर एक अच्छी मुहरत निकलवा कर तुमसे कहता हूँ ।




आदित्य: - पर पापा । 




विद्युत: - बेटा कभी कभी ना बड़ो की बात मान लेनी चाहिए । बिजनेस मे तो तुम एक्सेस हो जाओगे । पर बिना लाईफ पार्टनर के तुम अकेले रह जाओगे । इसिलिए बेटा तुम अशोक जी के पास जाओ और उनसे शादी की बात करो ।




विद्युत और आदित्य को एक दुसरे से इतना बात करते दैख मोनिका बहोत जल रही थी ।




मोनिका :- ये विद्युत तिवारी उस फटीचर से इतना क्या बात कर रहा है ।




विद्युत: - पार्टी कैसी है ?



आदित्य :- बहोत बढ़िया । 



तभी वहां पर अनय आ जाता है ।



अनय :- और बता भाई कैसी लगी पार्टी ?



आदित्य: - एकदम बढ़िया ।



अनय :- तुझमे इतना बदलाव दैखकर मैं बहोत खुश हूँ । तुने अपने गुस्सा पर जो काबू किया है वो मुझे हैरान करता है । बस मेरे भाई ऐसे ही आगे बड़ता रहो और एक साल है उसके बाद हम सब एक साथ रहेगें ।




विद्युत :- ये अब और बदने वाला है तेरा छोटा भाई ।



अनय :- बदलने वाला है का क्या मतलब ?



विद्युत: - बरखुरदार की शादी होने वाली है ।



अनय ये खबर सुनकर बहोत खुश हो जाता है ।



अनय :- अरे वाह ये तो बहोत अच्छी खबर है । लड़की
कौन है , कैसी है ?




विद्युत: - वो दैखो , अशोक जी की बेटी जानवी ।
अनय जानवी को दैखने लगता है । और फिर कहता है ।



अनय :- वाह भाई क्या बात है । लड़की तो बहोत अच्छी है । पर बड़े भाई से पहले ही शादी प्लान कर ली हां ।



आदित्य: - मैं कहां शादी करना चाहता हूँ । वो तो पापा
और ये मेरे दोस्त सब जौर दे रहै है ।



अनय :- अरे मैं मजाक कर रहा था भाई । पर ये लोग सही बोल रहे है । अगर तेरी शादी हो जाएगी तो तु और जिम्मेदार हो जाएगा । करले मेरे भाई ।



आदित्य: - कर मैं लुगां पर अगर तुम मेरे पहले करलो तो और अच्छा होगा । कोई लड़की देखी है के नही ?



अनय :- नही मेरे भाई, अभी तक ऐसी कोई मिली ही नही ।




विद्युत: - ठिक है तुम लोग बाते करो मैं बाकी मेहमानो से मिलकर आता हूँ ।




विद्युत इतना बोलकर वहां से दुसरी तरफ चला जाता है । मोनिका और बाकी सभी ये दैख कर हैरान थे के पार्टी मे इतने बड़े बड़े लोग आए है पर विद्युत और अनय सिर्फ आदित्य से ही बात क्यों कर रहा है ।
तभी आदित्य के पास अशोक आता है । अशोक को दैखकर आदित्य अशोक को नमस्ते करता है ।



आदित्य :- नमस्ते अंकल ।



अशोक :- नमस्ते बेटा । माफी चाहता हूँ मैं तुमलोगो को डिसटर्ब किया । 



आदित्य :- नही नही अंकल ये आप कैसी बात कर रहे हो ।



अशोक :- बेटा मुझे माफ करना , मुझे ये तुमसे पूछना चाहिए के नही पता नही । के मैं तबसे दैख रहा था के विद्युत जी तुम से बहोत दैर तक बात कर रहे थे । बेटा तुम उन्हें कैसे जानते हो ?



अनय :- अरे अंकल , इसे कम मत सोचिए । ये बहोत पहूँच वाला लड़का है इसकी जीतनी पहूँच है ना इतनी तो मेरी भी नही है । ये तो हिरा है अंकल हिरा । जिस लड़की की इसकी शादी होगी ना वो बहोत किस्मत वाली होगी । एक दिन सब इस पर गर्व करेगा । 



अनय को तारिफ भी करनी नही आता था उसके मन मे जो आ रहा था वो बोल रहा था ताकी अशोक आदित्य पर और इंप्रेस हो जाए । पर आदित्य मन ही सौचता है ।



आदित्य :- ये भैया क्या कर रहे है । जो भी मन मे आ रहा वो बोल रहा है ।




इधर जानवी को अकेली दैखकर वहां पर विकाश भी आ जाता है । विकाश को दैखकर जानवी हैरान थी । 




जानवी :- विकास तुम यहां पर ।




विकास: - क्या करु । तुम तो मेरा फोन नही उठाती और ना ही मिलने आती हो तो सौचा क्यों ना मैं खुद तुमसे मिलने आ जाऊ ।




जानवी :- दैखो विकास , तुम यहां से चले जाओ । अगर पापा ने तुम्हें यहां पर दैख लिया तो वो समझेगें के मैने तुम्हें यहां पर बुलाया है । प्लिज तुम चले जाओ ।




विकास: - मुझे तुमसे कुछ बात करनी है ।




जानवी :- पर मुझे तुमसे कोई बात नही करनी ।




इतना बोलकर जानवी वहां से जाने लगती है के तभी विकास जानवी का हाथ पकड़ लेता है । जानवी अपना हाथ विकास से छुड़ाने की कोशिश करती है पर विकास जानवी का हाथ नही छोड़ता है ।




जानवी :- मेरा हाथ छोड़ो विकास सब दैख रहे है ।
विकास को जानवी के साथ दैखकर मोनिका कहती है ।



मोनिका :- ये तो विकास है । पर ये जानवी का हाथ ऐसे क्यों पकड़ा है । और ये विकास यहां पर बिना इंवाईट के कैसे आ गया । कुछ गड़बड़ है ।


To be continue.....99