*अदाकारा 44*
रंजन दूल्हे के लिबासमें मंडप में बैठा है। और तभी विवाह समारोह संपन्न करा रहे पंडितजीने आवाज़ लगाई।
"दुल्हन पधराइए सावधान।"
और शर्मिला शर्माते हुए रंजन के बगल में रखे बाजोठ पर आकर बैठ गई।पंडितजी ने पहले उन दोनो के हाथों में हाथ मिला कर हस्त मिलाप करवाया।और फिर रंजन और शर्मिला ने अग्निकुंड के आसपास चार फेरे लिए।
शर्मिला की बिदाई होने लगी।
ओर लाउड स्पीकर से यह बिदाई गीत बजने लगा।
डोली चढ़के दुल्हन ससुराल चली
डोली चढ़के
कैसी हसरतें बाबुलकी देखे गली
डोली चढ़के।
होटल सूबा इंटरनेशनल की छठी मंज़िल पर स्थित सिक्स ज़ीरो नाइन कमरे को शर्मिला और रंजन के हनीमून के लिए सजाया गया था।आलीशान और विशाल बिस्तर पर फूल बिछाए गए थे।और उस बिस्तर पर शर्मिला लाल साड़ी में लंबा घूँघट निकालकर सिकुड़कर बैठी थीं।
तभी रंजन हाथ में फूलों का गुलदस्ता लिए उन्हें सूंघते हुए धीरे-धीरे मदभरी चाल चलते हुए कमरे में दाखिल हुआ।रंजन के कमरे में आते ही शर्मिला के ह्रदय की गति ओर बढ़ गई।शर्म से पानीपानी होते हुए वो और थोड़ा सिकुड़ गई।रंजन पलथी मार कर उसके बगल में पलंग पर बैठ गया।उसके बगल में बैठते ही शर्मिला का दिल ओर तेज़ी से धड़कने लगा।
रंजनने गुलदस्ता तोड़कर उसके फूल एक-एक करके शर्मिला पर फेंकने शुरू कर दिए।और वो नाज़ुक फूल उसके नाज़ुक शरीर से टकराने की कारण शर्मिला काँपने लगी।
रंजनने गुलदस्ते के सारे फूल एक एक करके शर्मिला पर फेंक कर पूरे कर लिए।
फिर रंजनने शर्मिला का घूँघट उसके चेहरे से धीरे धीरे हटा दिया।घूंघट हटते ही शर्मिला और भी ज्यादा शर्माकर सिकुड़ गई।रंजन ने गहरी साँस भरते हुए कहा।
"शर्मिला।तुम सचमुच रंभा या मेनका का साक्षात् अवतार हो।नहीं.बल्कि तुम उन दोनों अप्सराओं से भी ज़्यादा सुंदर हो।"
रंजनने अपनी उंगलियाँ शर्मिला के मक्खन जैसे गालों पर प्यार से फिराईं और आगे बोला।
"तुम उन दोनों अप्सराओं से भी ज़्यादा कोमल और नाज़ुक हो।"
शर्मिलाने पहली बार अपना चेहरा उठाया और रंजन की ओर देखा।उसके टमाटर जैसे लाल होंठ देखकर रंजन मानो मंत्रमुग्ध हो गया। उसने धीरे से अपने हल्के गुलाबी होंठ शर्मिला के होंठों पर रख दिए।
और फिर धीरे-धीरे रंजनने शर्मिला के शरीर से एक-एक करके कपड़े उतारने शुरू कर दिए।
शर्मिला का बगैर कपड़ों का खूबसूरत जिस्म अब रंजन के सामने था।रंजन को लगा जैसे शर्मिला ऊपर से नीचे तक मोम में ढली कोई गुड़िया हो।वह बड़ी-बड़ी आँखों से शर्मिला को एक टक देख रहा था।शर्मिला का वस्त्र हीन बदन देखकर रंजन की आंखों से जैसे आग की लपटें निकलने लगीं।और उन लपटों की गर्मी से मोम की मूर्ति बन चुकी शर्मिला मानो पिघलने लगी।रंजन स्तब्ध होकर उसे पिघलते हुवे देखता रहा।
देखते-देखते ही शर्मिला पूरी तरह पिघलकर रंजन की आँखों के सामने मोम के द्रव्य में बदल गई।
रंजन बड़ी-बड़ी आँखों से उस द्रव्य को देख रहा था।और अचानक अब वह पिघला हुआ द्रव्य उसकी ओर बढ़ने लगा।रंजन डर गया और बिस्तर से उतरने लगा।लेकिन उस मोम के द्रव्यने उसके पैर जकड़ लिए थे।
और वह चिल्ला उठा।
"नहीं।नहीं।नहीं।"
कहकर वह छटपटाने लगा।लेकिन वो प्रवाही उसे धीरे धीरे निगलने लगा था।ओर वह ज़ोर ज़ोर से चिल्लाये जा रहा था।लेकिन वह द्रव्य उसे कहां छोड़ने वाला था।वो द्रव्य उसे निगलता ही जा रहा था।और वह ज़ोर-ज़ोर से चीखने लगा।वह बे तहासा चिल्लाए जा रहा था।
"बचाओ।बचाओ।कोईतो बचाओ।"
उसकी मौत की चीख पुकार सुनकर उसके नौकर।उसकी माँ मालती और पिता जयदेव उसके कमरे की ओर दौड़े दौड़े आए।और बाहर से ज़ोर-ज़ोर से दरवाज़ा खटखटाने लगे।
"रंजन।रंजन बेटा।क्या हुआ?दरवाज़ा खोलो।"
मोम का वह तरल पदार्थ अब भी रंजन को निगलता ही जा रहा था।रंजन का पूरा शरीर उस तरल पदार्थ में डूब चुका था।सिर्फ़ उसकी गर्दन का ऊपर का हिस्सा याने केवल उसकी मुंडी ही अब डूबने से बची थी।
और रंजन अभी भी चिल्लाये जा रहा था।
"बचाओ।बचाओ।"
दरवाज़े पर खड़े जयदेवने नौकरों को हुक्म दिया।
"दरवाज़ा तोड़ दो।"
और जयदेव समेत सभी नौकर दरवाज़ा तोड़ने की कोशिश करने लगे।
अब रंजन बिस्तर से नीचे गिर पड़ा।
और गिरते ही वह बद हवास होकर दरवाज़े की तरफ़ दौड़ा।
कमरे में स्थित फूल एसी मे भी वह पसीने से तरबतर हो चुका था।
उसने जल्दी से दरवाज़ा टूटे उससे पहले उसे खोल दिया।
मालती और जयदेव ने उसे गले से लगा लिया।
"क्या हुआ बेटा?"
मालतीने उसके पसीने से तरबत्तर सिर पर हाथ फेरते हुए पूछा।
तो उसने डरी हुई नज़रों से बिस्तर की तरफ़ देखा।लेकिन वहाँ सिर्फ बिस्तर ही था।
वह मोम का तरल पदार्थ वहा कहीं नहीं था। और बिस्तर पर एक फूल भी नहीं था।
उसने काँपती आवाज़ में पूछा।
"मै।मैं कहाँ हूँ?"
जयदेव ने आश्चर्य से पूछा।
"मैं कहाँ हूँ?क्या मतलब?तुम अपने घर पर ही हो?और कहाँ हो सकते हो?"
"मै तो होटल कमरे में था?ओर..ओर शर्मिला कहाँ गई?"
रंजन ने आँखें फाड़कर पूछा।
अब जयदेव के समझ मे आया।
उसने अपनी डरी हुई पत्नी मालती से कहा,
"इस कमबख्त ओर निकम्मे लड़केने सिर्फ सपना देखा है।इसने शर्मिला के चक्करमे खुद के साथ हमारी भी रात खराब कर दी है।"
(शर्मिला के सपने देखने लगे रंजन का क्या अंजाम होगा?जानने के लिए पढ़ते रहें)