Bondage (of Tangled Relationships) - Part 76 in Hindi Love Stories by Maya Hanchate books and stories PDF | बंधन (उलझे रिश्तों का) - भाग 76

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बंधन (उलझे रिश्तों का) - भाग 76

चैप्टर 76 





यह सोचकर खुद पर ही गुस्सा उतर रहा था।
वनराज और कार्तिक अपनी अपनी सोच पर गुम है कि तभी उन्हें एक कार की रुकने की आवाज आती है ।

जिसकी वजह से दोनों की नजर ज्यादा ज्यादा गेट पर जाती है तो वह देखते हैं कि कार से आरोही उतर रही है।


जिसे देखकर कार्तिक को 108 वोल्ट का गुस्सा चढ़ जाता है। इस वक्त कार्तिक को आरोही पर कुछ ज्यादा ही गुस्सा आरहा था। 
उसे ऐसा लग रहा था जैसे जो शिवाय की जिंदगी में हो रहा है उसे सब की जिम्मेदार आरोही है अगर आरोही उनकी जिंदगी में नहीं आती तो उसका दोस्त इतने दर्द में नहीं होता। 
वह तिल तिल कर कर नही तड़पता।

अब आगे 


आरोही और शशांक दोनों कार से उतर कर मेंशन की तरफ जाने लगते हैं। लेकिन तभी शशांक की नजर कार्तिक और वनराज के ऊपर जाती है जिसकी वजह से वह उनकी तरफ चला जाता है। 



 
शशांक के पीछे-पीछे आरोही भी आती है। 

शशांक आकर वनराज और कार्तिक से गले मिलता है ,उनके हाल-चाल पूछता है।।

जिसका जवाब वनराज एक फेक स्माइल देकर देता है।
 
"सब कुछ एकदम बढ़िया है तुम बताओ तुम्हारा क्या हाल-चाल है?

सगाई की तैयारी कैसी हो रही है अगर कुछ मदद चाहिए तो बताने में हिचकिचाना मत,,।

"सब कुछ सही चल रहा है, सगाई की ऑलमोस्ट पूरी तैयारी हो चुकी है वैसे भी इस बार सगाई कुछ ग्रैंड नहीं होने वाली है। 

बस कुछ करीबी रिश्तेदार और फैमिली मेंबर सी रहेंगे। जिसकी वजह से कुछ ज्यादा तैयारी नहीं करनी है,,। शशांक बिना लाद लपेट ही अपनी बात करता है।

उसकी बात सुनकर वनराज एक हल्की स्माइल देता है।


तभी आरोही उन दोनों को बीच में ही रोक कर अपने चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान लेकर, पूछती है "वनराज भैया, क्या बता सकते हो कि बच्चे कहां है वह क्या है ना मुझे आर्य और संवि को अपने साथ शॉपिंग पर ले जाना है। 

मैंने उनसे प्रॉमिस किया था कि मैं उन्हें शॉपिंग पर ले जाऊंगी तो आप बता सकते हो कि बच्चे कहां है,वह मुझे शॉपिंग के लिए लेट हो रहा है? 

उसके बाद सुनकर वनराज को अब समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या जवाब दे । कैसे बताएं कि शिवाय बच्चों को लेकर वापस अमेरिका के लिए चला गया है। 

वनराज एक टक आरोही को देखते हुए यह बात अपने मन में सोच रहा था। आरोही के चेहरे पर बहुत ज्यादा खुशी थी। वनराज उसकी चेहरे की खुशी को गायब होते नहीं देख सकता था। 

कहीं ना कहीं वनराज आरोही को पालकी और सांची की तरह ही मानता था। वह जानता था कि यह सब कुछ जो हो रहा है इसमें आरोही की कुछ भी गलती नहीं है।


लेकिन वहीं दूसरी तरफ कार्तिक को तो ऐसा लग रहा था जैसे शिवाय की जिंदगी की उत्तल-पुथल आरोही की वजह से है। वो ही शिवाय की दर्द का कारण है।

(guys , आप सब को नहीं लगता कि कार्तिक को ज्यादा ही सोच रहा है शिवाय की जिंदगी का दर्द का जिम्मेदार खुद शिवाय ही है ,ना? आपको क्या लगता है? प्यार शिवाय को हुआ आरोही से, बदला शिवाय लेना चाहता था, अब पछता खुद शिवाय रहा है ,तो इसमें आरोही की क्या गलती है? 
उल्टा देखा जाए तो यहां विक्टिम शिवाय नहीं आरोही है। मेरा तो मन कर रहा है जाकर दो थप्पड़ कार्तिक को लगाओ और उनको उनकी गलतियों का एहसास दिलाओ) ये में करुंगी लेकिन अभी नहीं बाद में अब हम लोग कहानी के अंदर चलते हैं। 

आरोही , वनराज को अपनी तरफ यूं देखता पाती है तो वह उसे सवाल करती है "भैया आप खामोश क्यों है मैं आपसे कुछ पूछ रही हूं प्लीज बताइए ना संवि और आर्य कहां है? तरुण शॉपिंग मॉल में मेरा वेट कर रहा है प्लीज जल्दी बताइए बहुत देर हो रही है? 

वनराज आरोही की बात सुनकर अपने ख्यालों से बाहर आता है और आरोही को कुछ कहने वाला था कि तभी उसके कानों में कार्तिक की गुस्से से भरी आवाज पड़ती है।

"अगर तुम्हें शॉपिंग के लिए लेट हो रहा है तो तुम शॉपिंग के लिए जा सकती हो वैसे भी तुम्हारा यहां आना वेस्ट हो गया है। ।

 वह लोग या नहीं है वह लोग जा चुके हैं ।। उसकी आवाज में एक भारीपन था।,,

वनराज कार्तिक की बात सुनकर उसकी तरफ देखता है तो इस समय कार्तिक का हाथ मूट्टी में बनी हुई थी, उसकी आंखें अजीब सी नफरत से आरोही को देख रही थी। 
 जिसकी वजह से वनराज जल्दी से आरोही को कार्तिक की नजरों से बचाने के लिए खुद दोनों के बीच आकर खड़ा होता है। 

तो वही शशांक को कार्तिक कि इस लहेजे में बात बिल्कुल पसंद नहीं आती है।

कार्तिक आगे कुछ और बोल पाता , उससे पहले ही वनराज कहता है "आरोही शिवाय बच्चों को लेकर बाहर गया है। जिसकी वजह से तुम बच्चों को शॉपिंग पर इस बार नहीं ले का जा सकती हो?

वनराज की बात सुनकर आरोही का excited भरा चेहरा मायूस हो जाता है।

        उसके आंखों में जो चमक थी वह एकदम से गायब हो जाती है।
      
 जो सुबह से उसके चेहरे पर नूर दिख रहा था वह नूर उसके चेहरे से ऐसे गायब होता है जैसे हवा में भाप गायब होता है।

 आरोही अपनी नजरों को नीचे झुका लेती है, वह अपनी मायूसी को किसी को नहीं दिखाना चाहती थी लेकिन तभी उसके दिमाग में एक आईडिया आता है ।

तो वह अपने चेहरे पर वापस चमक लाते हुए वनराज से कहती है "भैया आप बता सकते हो कि शिवाय बच्चों को लेकर कहां गया है मैं उन दोनों को वहीं से पिकअप कर कर शॉपिंग के लिए चली जाऊंगी?,,

उसकी बात सुनकर वनराज को तो कुछ समझ नहीं आता है वह तो अपने सर पर हाथ रखकर आरोही को क्या जवाब दे यह सोच रहा था? गहरी सांस लेकर वनराज बताता है।

"वह लोग आउट ऑफ स्टेशन गए हैं ।जिसकी वजह से तुम आज उन्हें अपने साथ नहीं ले का जा सकती हो।

  और वैसे भी तुम्हारी सगाई की शॉपिंग बहुत ही ज्यादा इंपोर्टेंट है तुम्हें अपने शॉपिंग के लिए जाना चाहिए।

 बच्चों के साथ कभी और शॉपिंग कर लेना। वनराज आरोही से ,बड़े सफाई के साथ झूठ बोल देता है।

वनराज की बात सुनकर एक बार फिर से आरोही के चेहरे पर मायूसी छा गई थी। 

तो कार्तिक को गुस्सा आ रहा था, कि आखिर वनराज भाई! आरोही को क्यों नहीं बता रहे की उसकी वजह से ही शिवाय फिर से देश छोड़कर चला गया है?

ना खुद सच्चाई आरोही को बता रहे हैं ना उसे बताने दे रहे हैं। वनराज ने कसकर कार्तिक को पकड़ा हुआ था जिसकी वजह से कार्तिक चाहकर भी आरोही पर अपना गुस्सा नहीं उतर सकता था।

कार्तिक जैसे तैसे कर कर अपना गुस्से को कंट्रोल कर रहा था तो वही शशांक और वनराज आरोही को शॉपिंग पर जाने के लिए मना रहे थे। 

तभी आरोही के फोन पर तरुण का कॉल आता है । जिसे देखकर आरोही उन तीनों से अलग हो जाती है। 

आरोही एक तरफ आकर कॉल को उठाती है तो दूसरी तरफ से तरुण की डेसपरेट भारी आवाज आती है "जान कहां हो तुम कितनी देर से मैं मॉल में तुम्हारा वेट कर रहा हूं। कब तक तुम आओगी। 
तरुण , आरोही को जवाब देने का मौका ही नहीं दे रहा था। वह एक साथ में ही आरोही से इतना सवाल पूछता है।" जान में तुमसे इतनी देर से सवाल कर रहा हूं और तुम मुझे जवाब देने की वजह खामोश हो?,,


तरुण की ऐसी डेसपरेट भरी आवाज सुनकर आरोही के चेहरे पर शर्मीली मुस्कान आती है।।

वह तरुण से कहती है 1 मिनट बाबा एक गहरी सांस तो ले लो और मुझे मौका भी तो दो जवाब देने का? तब से तुम्हें सवाल कर रहे हो तो मैं जवाब कहां से दूं?

आरोही की बात सुनकर वही तरुण को अपनी गलती समझ आता है तो वह कुछ नहीं बोलता है। 

आरोही उसके खामोशी को महसूस कर कर उसे सब कुछ बता देती है कि उसे इतनी देर क्यों हो रही है? 

आरोही की सारी बात सुनकर तरुण को अच्छा नहीं लगता है। क्योंकि वह देख रहा था कि जब से बच्चे उनकी लाइफ में आए हैं आरोही का ध्यान उसे पर से बहुत ही काम हो गया है उसकी हर बात में बच्चों का जिक्र होता है। उसे अब सच में आर्य और संवि से बहुत ही ज्यादा जलन हो रही थी। मतलब यह है कि आजकल आरोही की दुनिया बच्चों के इर्द-गिर्द घूमती है।

और यह बात वही नहीं बल्कि बाकी सब लोग भी नोटिस कर रहे थे।

तरुण आरोही को समझाते हुए कहता है जान बच्चों के साथ शॉपिंग अगली बार कर लेंगे वैसे भी वह लोग आउट ऑफ स्टेशन गए हैं ना इस बार हम दोनों ही शॉपिंग कर लेंगे.......... ऐसे बोल कर आरोही को समझाता है ,


आरोही तरुण की बातों को अच्छे से समझ जाती है तो वह तारून से कहती है एक काम करो जब तक मैं शॉपिंग के लिए आती हूं तब तक बाकी सब की शॉपिंग कर लो।

आरोही की बात सुनकर तरुण अपने चेहरे पर बड़ी मुस्कुराहट लेकर कहता है "जैसा हुकुम मेरे आका का,, इतना कहकर वह कॉल कट कर देता है।

तरुण के कॉल कट करते ही आरोही भी शशांक और वनराज के पास जाती है। 

 और शशांक से कहती है चलिए भैया हम बच्चों के साथ शॉपिंग कभी और कर लेंगे वैसे भी बहुत देर हो चुकी है।

शशांक आरोही की बात मानकर वनराज और कार्तिक से अलविदा कहकर शॉपिंग के लिए चला जाता है। 

उन दोनों के जाते ही वनराज कार्तिक को छोड़ता है और उसकी तरफ मुड़कर देखा है। 

कार्तिक वनराज की घूरती नजर ‌ को अपने ऊपर देखता पाकर वह अपने आंखों को नीचे झुका लेता है।

यह कीस तरह से तुम आरोही से बात कर रहे थे, और यह अपना गुस्सा उसे बेचारी पर क्यों उतार रहे थे। वनराज अपने सर्दी लहजे में मगर बड़ी धीमी आवाज में कार्तिक से सवाल करता है। 

कार्तिक -मुझे आरोही पर गुस्सा ना आएगा तो क्या आएगा भैया आप जानते हो ना की शिवाय की ऐसी हालत आरोही की वजह से हुई है अगर वह हमारी जिंदगी में नहीं आती तो शिवाय की ऐसी हालत नहीं होती । कार्तिक नीचे आंखें झुका कर ही मगर अपने आवाज में भारीपन लाते हुए कहता है। 

वनराज उसकी आवाज में गुस्सा और कप-कप आहट साफ-साफ महसूस कर रहा था।

कार्तिक की बात सुनकर वनराज कार्तिक से सवाल करता है। अच्छा चलो मान लिया कि , जो शिवाय के साथ हो रहा है उसमें सारी गलती आरोही की है ,
,
तो बताओ क्या गलती है उसकी क्या उसने कहा था शिवाय को उससे प्यार करने के लिए क्या उसने कहा था शिवाय को धोखे से उसके ओवरी से उसके एग निकालो, क्या उसने कहा था कि उससे नफरत करो कि वह सक्षम की बेटी है।

अरे उसे बिचारी लड़की को तो यह भी नहीं पता कि जिसे वह पिछले 24 साल से अपना मां बाप समझ रही है जिसे अपना परिवार समझ रही है वह उसे परिवार की खून नहीं है।

अब बोलो की शिवाय की यह हालत आरोही के वजह से हुई है?

वनराज का गुस्सा और उसके सवाल सुनकर कार्तिक के पास कोई जवाब नहीं होता है। 

वनराज कार्तिक पर और गुस्सा कर पाता उससे पहले ही सर्वेंट हाउस से सभी लोग आते हैं। लेकिन उन सब में रुचिता नहीं थी। 

उन सबको आते देखकर वनराज अपने गुस्से को कुछ गहरी गहरी सांस लेकर काम करने की कोशिश करता है। 

तो वही कार्तिक अपने एक्सप्रेशंस को नार्मल करने की। 


उन दोनों को यूं बाहर देख कर रमन जी कहते हैं "तुम दोनों को कोई काम नहीं है यहां बाहर ठहरकर बातें कर रहे हो,,।


वनराज कहता है कुछ नहीं पापा मुझे कार्तिक से कुछ अर्जेंट बात करनी थी ।
जिसकी वजह से हम लोग यहां बात कर रहे थे मगर आप लोग बाहर आ गए हो क्या कहा है डॉक्टर ने वह लड़की यूं इस तरह से अजीब सी बातें क्यों कर रही थी?

वनराज की बात सुनकर खुशी जी अपने सर को पकड़ कर कहती है पता नहीं अभी भी उसे लड़की की चेकअप हो रहा है। हम लोग कितनी देर डॉक्टर का वाह खड़े होकर इंतजार करते इससे अच्छा तो हम घर पर जाकर खाना खा लेते वैसे भी उसे लड़की की वजह से नाश्ता तो हमारा नहीं हो पाया। और देर तक डॉक्टर का इंतजार करते तो हमारा लंच भी नहीं हो पाता इससे अच्छा तो हम खाना खा लेते।


जिसकी वजह से हम लोग घर के तरफ जा रहे हैं उसे लड़की का चेकअप खत्म होते ही डॉक्टर हमें आकर बता देगा कि वह लड़की यू बहकी बहकी सी बातें क्यों कर रही है। वैसे भी उसे लड़की के पास तुम्हारी बीवी है उसका ध्यान रखने के लिए इतना बोलकर वह अरनव की और बाकी सब को वहां से चलने का इशारा करती है। 

वनराज भी उनकी बात को समझ कर उनसे आगे कुछ नहीं कहता है। 


वह लोग मेंशन के अंदर जा ही रहे थे कि तभी फिर से एक बार मेंशन का दरवाजा खुलता है। तो वह लोग देखते हैं कि मेंशन के अंदर लगातार तीन सी ए आर कार आ रही है जिसका रंग सफेद था ।

तीनों कार लाइन से एक साथ रूखा ता है। कपाड़िया परिवार को तो समझ नहीं आ रहा था कि अब कोना कर टपक गया है। 

तीनों कर का दरवाजा एक सिक में खुलता है और तीनों कर से कुछ लोग बाहर आते हैं। 
उन लोगों के चेहरे पर एंजेल ऑर्गेनाइजेशन का मास्क था। तो उन लोगों ने हरे रंग का कोर्ट और व्हाइट कलर का पेंट और शर्ट पहना हुआ था। 

उन लोगों के हाथों में मेडिकल किट था। कार्तिक उन लोगों को देखकर समझ जाता है कि वह लोग कौन है। 

तो वही वनराज कुछ समझने की कोशिश करता है। 
 यह लोग एंजेल आर्गेनाइजेशन के डॉक्टर थे। इन लोगों के पास दुनिया की हर चीज का इलाज था। 

एंजेल आर्गेनाइजेशन के डॉक्टर्स एशिया के नंबर वन डॉक्टर में से आते थे। तो वही दुनिया के बेस्ट फाइव डॉक्टर टीम में से एक थे। इस आर्गेनाइजेशन के डॉक्टर को हायर करना कोई छोटा मोटा खेल नहीं है यहां तक की आर्गेनाइजेशन के डॉक्टर को पैसे वाले लोग भी अफोर्ड नहीं कर सकते थे। 

यह डॉक्टर बस कुछ चुनिंदा लोगों का ही इलाज करते थे। यूं कह सकते हैं कि जिसे सच में इन डॉक्टर की जरूरत हो उन्हें का इलाज करते थे।

कार्तिक उन लोगों के पास जाता है और उन लोगों से अपना हाथ मिलाता है क्योंकि वह तो इन लोगों को पहले से ही जानता था।

बाकी सब लोग कार्तिक के पीछे आकर खड़े हो जाते हैं। 

कार्तिक हेड डॉक्टर से पूछता है आप सब लोग यहां क्या कर रहे हो।?

जिस पर हेड डॉक्टर कार्तिक से कहते हैं 
हमें यहां हमारी प्रिंसेस ने भेजा है, अपनी किसी दोस्त की मदद करने के लिए। तो क्या तुम बता सकते हो कि यहां हमारे पेशेंट कौन है?

उनकी बात सुनकर कार्तिक सब कुछ समझ जाता है और उन को घर के अंदर लेकर जाता है। 
तो वह अंदर जाते-जाते डॉक्टर को पेशेंट की हिस्ट्री बाता ने लगता है तो वह डॉक्टर दो टीम में बठ जाते हैं टीम एक तेजी का इलाज करते हैं तो टीम दो सिमरन जी का। 


तो वही बाकी सब भूत बनकर खड़े थे। 

कार्तिक डॉक्टर को सिमरन जी और तेज़ जी का कमरा दिखाकर बाहर आता है। 

तो बाकी सब कार्तिक से सवाल करते हैं कि यह लोग कौन है यहां क्यों आए हैं। 

जिस पर कार्तिक सबसे कहता है यह एंजेल आर्गेनाइजेशन के डॉक्टर्स है, यह लोग बूआ और तेज दादा जी का चेकअप करने आए हैं। 
अब आप लोग जल्दी उन दोनों कि होश में आने की खुशखबरी का इंतजार करिए। 

क्योंकि एंजेल आर्गेनाइजेशन के डॉक्टर का वर्ल्ड रिकॉर्ड है कि यह लोग अपने मरे हुए पेशेंट के अंदर भी जान डाल सकते हैं। 

कार्तिक की बात सुनकर सभी लोग बहुत खुश होते हैं और भगवान को शुक्रिया कहने लगते हैं।

सभी के चेहरे पर उम्मीद भरी हुई थी। 

वनराज कार्तिक के बातों पर सोचते हुए कहता है"लेकिन जहां तक में एंजेल आर्गेनाइजेशन के डॉक्टर को जानता हूं वह लोग किसी का भी इलाज इतनी आसानी से नहीं करते हैं, चाहे वह इंसान इन डॉक्टर को कितना भी पैसा दे दे। तो यह डॉक्टर हमारी मदद करने के लिए कैसे मान गए? 
 

"आम खाइए गुठलियां क्यों गीन रहे हैं,, कार्तिक अपने मन ही मन सोच रहा था। 

कार्तिक के सोच को रोकते हुए वनराज आगे कहता है वैसे भी मैंने सुना है कि एंजेल आर्गेनाइजेशन की प्रिंसेस बड़ी ही घमंडी है वह किसी की भी मदद इतनी आसानी से तो नहीं करती है।

तो यह घमंडी प्रिंसेस हमारी मदद क्यों कर रही है?

वनराज की बात सुनकर कार्तिकेय आंखों में एक पल के लिए माया का चेहरा गुजरता है। उसे लग रहा था कि कौन ऐसी अफवाह फैला रहा है कि एंजेल आर्गेनाइजेशन की प्रिंसेस घमंडी है जहां तक वह जानता है कि एंजेल आर्गेनाइजेशन की प्रिंसेस बहुत ही ज्यादा क्यूट है।

वनराज की बात सुनकर सभी लोग कार्तिक की तरफ सवालिया निगाहों से देखते हैं। 

तो कार्तिक सभी से कहता है भाई आपको किसने कहा कि एंजेल आर्गेनाइजेशन की प्रिंसेस घमंडी है वह तो (बातों में खोते हुए) बहुत ही ज्यादा प्यारी क्यूट इनोसेंट है। रही बात उसकी मदद करने की तो वह अपने दोस्त की मदद कर रही है।

दोस्त आखिर यहां कौन है एंजेल प्रिंसेस का दोस्त? 

वनराज का सवाल सुनकर कार्तिक फ्लो फ्लो में बता देता है कि शिवाय दुर्गा और वही एंजेल ऑर्गेनाइजेशन प्रिंसेस की दोस्त है यहां तक की वह और दुर्गा भी एंजेल ऑर्गेनाइजेशन के डॉक्टर टीम में से एक है। 

अचानक कार्तिक अपनी बात बोलते बोलते रुक जाता है क्योंकि उसे समझ आ गया कि इस बार फिर से उसने फ्लोर फ्लोर में कुछ ज्यादा ही बता दिया है।


कार्तिक की बात सुनकर वहां पर खड़े सभी आंखों से उनकी पुतलियां बाहर आने को तैयार थी।

किसी को नहीं पता था कि यह तीन तिगड़ी इतने बड़े आर्गेनाइजेशन को जानते हैं सिर्फ जानते ही नहीं बल्कि आर्गेनाइजेशन के मेंबर्स है। 

वनराज और सवाल कर पाता उससे पहले ही कार्तिक खुशी जी की तरफ मुड़कर कहता है देखिए दादी वनराज भाई कैसे एंजेल प्रिंस को घमंडी कह रहे हैं। और वैसे भी आप कहती है ना जो हमारी मदद करता है उनकी पीठ पीछे बुराई नहीं करनी चाहिए देखिए भाई इस तरह से प्रिंसेस की पीठ पीछे बुराई कर रहे हैं। वह यह सब बिना पैर की बातें बस वनराज का ध्यान हटाने के लिए कह रहा था। 

जिसे दादी अच्छे से समझती थी, तो वह भी झूठ-मुट का वनराज को डांटती है।

वनराज उनकी डांट को समझ कर समझ जाता है कि दादी यह कहना चाहती है कि वह कार्तिक से आगे सवाल ना करें। जिसकी वजह से वह खामोश होकर हाल में बैठ जाता है तो वही सब लोग अपनी भूख को भूलकर डॉक्टर का बाहर आने का इंतजार करते हैं।

इस समय उर्मिला जी और बाकी सब घर वालों तो भगवान के मन ही मन याद कर रहे थे। 

कुछ देर बाद मेघा के डॉक्टर सर्वेंट हाउस से मेंशन के अंदर आते हैं उनके पीछे-पीछे रुचिता जी भी आती है। 

डॉक्टर को आते देखकर अर्णव जी कड़क आवाज से पूछते हैं "बताइए डॉक्टर आखिर क्या हुआ है उसे लड़की को वह अचानक से यूं इस तरह बेहोश क्यों हुई है,,?

डॉक्टर एक पल के लिए अरनव जी की कड़क आवाज सुनकर घबरा जाते हैं जिसकी वजह से वह अपना पसीना पहुंचने , हकलाते हुए कहते हैं ...... श्री कपाड़िया मिस मेघा की याददाश्त जा चुकी है उन्हें अपनी जिंदगी के 10 साल के बारे में भूल चुकी है। 

इस समय वह अपने अतीत में है जहां वह सिर्फ 18 या 19 साल की थी। 

डॉक्टर की बात सुनकर वनराज की तो हाथ मुट्ठी में कस गई उसे गुस्सा आ रहा था क्योंकि वह मेघा से सवाल करना चाहता था कि आखिर ऐसा क्या कमी थी उसके प्यार में जो वह उसे इस तरह छोड़ कर चली गई। 

आखिर क्यों उसने उसे धोखा दिया। 
उसे की आंखों के सामने एक धुंधला सी तस्वीर आती है जहां पर वह मैरिज ब्यूरो के बाहर बड़े बन डन कर खड़ा था उसके आंखों से ख़ुशी छुपी नहीं चुप रही थी वह इतना खुश था कि उसकी खुशी उसके चेहरे की चमक पैर साफ-साफ दिखाई दे रही थी।

लेकिन उसे दिन वह लड़की जिसे वह अपना जीवनसाथी बनाना चाहता था वह नहीं आई वह कोर्ट के बाहर तब तक खड़ा रहा जब तक कोर्ट बंद ना हो। 

वह पूरा बारिश में भीग चुका था लेकिन उसने मेघा का इंतजार किया था। लेकिन उसे पूरे दिन में गा नहीं आए थी। 

यहां तक कि उसने उसे दिन के बाद से कई दिनों तक मेघा को ढूंढने की कोशिश की थी । लेकिन मेघा उसे नहीं मिली। उसका नामो और निशान तक नहीं था। 

वनराज के मन में तो यह सारी चीज चल रही थी। उसे अपने जवाब चाहिए थे।

डॉक्टर की आवाज सुनकर, वनराज अपने खयालों से बाहर आता है। 

डॉक्टर आगे अपनी बात आगे बढ़ते हैं उनकी अभी की हालत बहुत ही ज्यादा नाजुक है, जिसकी वजह से आप में से कोई भी चाह कर भी उन्हें जबरदस्ती से कुछ भी याद नहीं दिला सकते हैं। अगर आप‌ उनकी यादें जबरदस्ती लाने की कोशिश करोगे तो उनकी जान पर बात बन सकती है।




डॉक्टर की बात सुनकर वहां पर किसी को कुछ समझ नहीं आता है। क्योंकि अभी भी सबका ध्यान सिमरन और तेजी के इलाज पर था। 

   अजीब से सन्नाटे को तोड़ते हुए सांची और पालकी आते हैं। 

सांची उर्मिला जी के पास आकर पूछता है बा अपने आर्य और संवि को देखा है, क्या? मैं उन दोनों को कब से ढूंढ रही हूं वह लोग मिल ही नहीं रहे हैं। 

सांची की बात सुनकर सबको ध्यान आता है कि सुबह से उन लोगों ने भी बच्चे या शिवाय को नहीं देखा है। 

उर्मिला जी तो सांची को अपने सर को नाम हिलाते हुए जवाब देती है कि मैं बच्चों को नहीं देखा है देख देखो यही कही खेल रहे होंगे। 

 सांची की बात सुनकर खुशी जी अपने मन में रहती है सुबह से मैं दुर्गा और शिवाय को भी नहीं देखा है ।। फिर उन्हें सुबह का सीन याद आता है जहां कार्तिक मायूस चेहरा बनाकर नीचे आया था। 

वह कार्तिक के पास जाती है और उसे पूछती है शिवाय कहां है कार्तिक? 

सुबह तुम गए थे उनके कमरे में , ऐसा क्या हुआ कि तुम अपना मुंह लटका के नीचे आए थे।

खुशी जी की बात सुनकर सबको सुबह का सीन याद आता है जिसकी वजह से वह भी अब क्यूरियस होकर कार्तिक को देख रहे थे। 

लेकिन कार्तिक कोई जवाब नहीं देता वह अपने नजरों को नीचे कर कर जमीन को देख रहा था। 




कार्तिक यो सबके सामने सवालों में गिरा देखकर वनराज कहता है" वह जा चुका है,....... एक बार फिर से हमें बिना बताए। 

वनराज की यह चंद शब्द ही काफी थे सबको समझने के लिए आखिर वनराज कहना क्या चाहता है। 


आखिर कैसा रहेगा सबका रिएक्शन। शिवाय के जाने की बात सुनकर।

नेक्स्ट एपिसोड में होगा सक्षम की एंट्री कपाड़िया हाउस में। 

रीडर कमेंट और रिव्यू देना मत भूलना। 

और यह भी बताना आपको कहानी कैसी लग रही है।