फिल्मोका रिव्यू होता हे but kya कभी ऐसा सोचा हे कि हमारे फ्यूचर का अगर किसने रिव्यू किया तो केस होगा becous how much your फ्यूचर life koi kese डिसाइड karega तुम्हारे फ्यूचर को। समथिंग like that की जानकारी सभी चीजों की नहीं रखी जाती ।कुछ चीजों इतना suspensli रखा जाता हे कि उसका रिव्यू लिखनेके लिए बहुत critecal होता है।जरूरी नहीं कि उसको सभी जाने।हम अपने तर से सभी चीजों एक हमारी कहानी या फिर कह सकत हे कि हमारी एक human pcyacilogi देते हे जो उसे हमारे समझने और समझानेमे हमे हेल्प करती हे।उसे हम एक तरीके से एक अनॉफिसिल एक ऐसा रिव्यू बोल सकते हे जोकि हमारे समझने खातिर ही सही हे जो ओरोको भलेही सही न लगे ।जिसका onli on हमारी life में कोई इंप्येक्ट होना चाहिए ।हम उसे अपनी analyaysing से coumpeyer करते हे जोकि हमे लगता हे । अगर कोई हमारी लाइफ को इसे एक रिव्यू में कम्पेयर करे तो how much that की आपको कैसे लगेगा और उसकी समझीहुवी मिथ के सहारे अगर कोई हमे चलनेकी या फिर वो पर्सन हमे ट्रेन करनेकी कोशिश करे तो केस लगेगा कि उसमें हमारा कोई इंपैक्ट ही नहीं रहेगा कोई हमे चला रहा हे किसको हमारे पर्सनल डिसीजन की पड़ी ही नहीं हे । इसे लिए हमारे लाइफ के रिव्यू सबको समज आने नहीं चाहिए जैसे लोग हमे बदलनेके लिए ट्रेन करने लगे।हमारी लाइफ कभीभी किसे और के रिव्यू पर नहीं चलनी चाहिए जोकि हमे एक कठपुतली की तरह नाचते जाए ।अभिकी जनरेशन सभी चीजोपर अपनी अपनी राय दे ने लगती हे जिसकी कोई मूवी रिलीज हुई की लोग अपना उसफिल्म पर का रिव्यू शेयर करते है ।और हम उसेही सच मानने लग जाते हे ।जबकि हमने उसे सामनेसे देखाभी नहीं उसे अपनी analyaysing से देखाही नहीं जैसे लोगोंने दिखाना चाहा वैसेही हम देखने लगे ।कभीभी दूसरोके रिव्यू पर नहीं चलना चाहिए हमे अपना anyelaising करना चाहिए hosakta हे हमे उसमें कुछ नया सीखने मिले yafhir किसे और की कहानी से अलग हो उसे जो पसंद न आए वो हमे। पसंद आए ।हमे इस बात पर गोर करना चाहिए जैसे हमे हमारे अंदरमे झांकने को मिलता हे हमे कौनसी खूबियां हे । हम कैसे बात करते हे कैसे सोचते हे ये हमारे रिव्यू पे डिपेंड करता हे। जिसे हमारी मेमोरी स्ट्रॉन्ग हो जाती हे । अक्सर हम किसे और की कहानी से हम उस इंसान को बुरा कहने लग जाते हे पर हमे उसे इस तरा जज नहीं करना चाहिए ।हमे अपनी analyaysing से उसे एक अपनी कहानीसा उसको देखना चाहिए जैसे उसमें हमे बदलाव नजर आते हे ।हमे अपने रस्ते खुद ढूंढने होते हे। हम दूसरोके कहनेपे चलते चलते एक गुलाम होने लग जाते हे इसे लिए हमारे डिसीजन हमे खुद लेने चाहिए। यही मेरा हमारी और मेरी लाइफ एक अच्छा रिव्यू होगा जो हमे एक होशियार और अच्छा इंसानके रूप में रिव्यू करेगा i know ap ko समझ आएगा कि में क्या कहना चाहता हु तो इसे सोचो कुछ गलत लगा तो बताओ में आपके सवलोके जवाब जरूर दे ने आऊंगा ok सी यू बाय and मिलते हे next आर्टिकल में बाय
@ .Kartik