रात की ठंडी हवा अब भी हवेली के गलियारों में सरसराती फिर रही थी। नीली और सुनहरी लपटों की झिलमिलाहट दीवारों पर अजीब से साए बना रही थी — जैसे हवेली खुद अब किसी रहस्य को कहने को बेचैन हो।
राज़ और अनाया छत पर खड़े थे। उनके बीच खामोशी थी, मगर उस खामोशी में भी एक गहरी मोहब्बत बह रही थी। आसमान में सुनहरा निशान अब धीरे-धीरे फैलता जा रहा था, और उसमें से हल्की फुसफुसाहटें सुनाई दे रही थीं — जैसे कोई रूह बोलने की कोशिश कर रही हो।
अनाया ने धीमे स्वर में कहा,
“राज़… ये आवाज़… सुन रहे हो तुम?”
राज़ ने अपनी आँखें बंद कीं। हवा उसके चारों ओर घूमी, और तभी उसे वो जानी-पहचानी आवाज़ सुनाई दी — रूहानी की!
> “राज़… अनाया… शक्ति का अंत प्रेम से नहीं, बल्कि सत्य से होगा। अगली परीक्षा, तुम्हारे अतीत की होगी…”
आवाज़ धीरे-धीरे हवा में गुम हो गई।
अनाया का चेहरा पीला पड़ गया।
“अतीत की परीक्षा? मतलब…?”
राज़ ने गहरी साँस ली, “मतलब ये कि अब जो आने वाला है… वो हम दोनों में से किसी एक की सच्चाई को उजागर करेगा।”
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🔮 हवेली की पुरानी गाथा
अगली सुबह हवेली के नीचे पुराना तहखाना खुला। वो तहखाना, जो पिछले 100 सालों से बंद था। वहाँ दीवारों पर पुराने प्रतीक बने थे — वही सुनहरे और नीले चिह्न जो अब आसमान में दिख रहे थे।
अनाया ने एक दीवार को छुआ। जैसे ही उसकी उँगलियाँ उस प्रतीक पर गईं, दीवार पर धूल हटी और एक छिपी हुई पेंटिंग सामने आई।
वो पेंटिंग किसी और की नहीं, बल्कि अनाया की ही थी — लेकिन सदियों पुरानी वेशभूषा में!
राज़ ने हैरानी से कहा,
“ये… ये तुम हो?”
अनाया ने धीमे स्वर में कहा, “नहीं… ये मैं नहीं… शायद मेरा कोई पिछला जन्म।”
राज़ की आँखें ठहर गईं। अब सब कुछ समझ में आने लगा था।
रूहानी की बात, विहार का आना, शक्ति का बढ़ना — सब किसी अधूरी कहानी की परतें थीं।
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💫 सच्चाई का उद्घाटन
अचानक, दीवार कांपी। हवा में सुनहरी लपटें उभरने लगीं और उनमें से एक स्त्री की आकृति बनी — वही चेहरा जो पेंटिंग में था।
उसने धीमे स्वर में कहा,
> “मैं अन्विका हूँ… और मेरा अधूरा इश्क़ अब भी इसी हवेली में बंधा है।”
अनाया ने कांपते हुए पूछा, “अन्विका… क्या तुम ही मेरी पिछली रूह हो?”
अन्विका मुस्कुराई, “हाँ… और राज़…” उसने उसकी ओर देखा, “तुम वही हो जिसने मुझे इस हवेली में अधूरा छोड़ दिया था।”
राज़ की आँखें चौंधिया गईं।
“मैं…?”
“हाँ,” अन्विका की आवाज़ अब ठंडी हो चली थी, “तुमने वादा किया था कि मृत्यु के पार भी साथ दोगे। लेकिन तुम लौट आए किसी और रूप में… किसी और नाम से।”
अनाया ने राज़ का हाथ पकड़ा, “ये सच नहीं हो सकता।”
राज़ के भीतर अजीब सा तूफ़ान उठ रहा था। जैसे उसकी यादों के पीछे कोई छिपा दरवाज़ा धीरे-धीरे खुल रहा हो।
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🌒 विहार की वापसी
अचानक हवेली की खिड़कियाँ खुद-ब-खुद खुलीं। हवा में गड़गड़ाहट गूंजी। और उसी के साथ — विहार लौट आया।
पर इस बार उसके चेहरे पर मुखौटा नहीं था। उसकी आँखों में सिर्फ आग थी।
“राज़! तुम फिर वही गलती दोहरा रहे हो!”
राज़ ने उसे देखा, “तुम फिर आ गए… अब क्या चाहते हो?”
विहार ने ठंडे स्वर में कहा,
> “सिर्फ तुम्हारा सच। तुम जो कहते हो कि प्रेम तुम्हारी ताकत है, तो देखो… क्या प्रेम अतीत के पापों को मिटा सकता है?”
उसने हाथ उठाया और हवेली की दीवारें चमक उठीं। पेंटिंग की आकृति — अन्विका — अचानक जीवंत हो गई।
“यह रही तुम्हारी रूह की गवाही!” विहार चिल्लाया।
राज़ के सामने अब दो चेहरे थे — एक अनाया का, दूसरा अन्विका का।
दोनों की आँखों में वही मोहब्बत… वही अपनापन… पर दो जन्मों का फर्क।
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❤️ दिल की दुविधा
राज़ की सांसें भारी हो गईं। उसके सामने दो दुनियाएँ थीं —
एक, वर्तमान की अनाया;
दूसरी, अतीत की अन्विका।
अनाया बोली, “राज़, मुझ पर भरोसा रखो। अतीत बीत चुका है।”
अन्विका की आवाज़ आई, “नहीं… जो अधूरा रह गया, वही शक्ति को जन्म देता है। और वही इस हवेली को बार-बार जलाता है।”
विहार ने ठंडी हँसी के साथ कहा, “अब देखेंगे… क्या सच्चा प्रेम वास्तव में सब पर भारी पड़ता है।”
वो तीनों लपटों के घेरे में आ गए। नीली और सुनहरी ऊर्जा फिर से टकराने लगीं।
राज़ ने आँखें बंद कीं, और धीरे से कहा —
“अगर मेरी मोहब्बत सच्ची है, तो उसे किसी जन्म का प्रमाण नहीं चाहिए।”
उसके दिल से एक सुनहरी किरण उठी — जिसने पहले अन्विका को, फिर अनाया को छुआ।
और तभी, दोनों के चेहरे एक पल के लिए एक-दूसरे में घुल गए।
जैसे अतीत और वर्तमान एक हो गए हों।
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✨ सत्य का प्रकाश
लपटें बुझ गईं। हवेली शांत हो गई।
अनाया जमीन पर गिर पड़ी, और राज़ ने उसे अपनी बाँहों में थाम लिया।
“अनाया… आँखें खोलो…”
धीरे-धीरे उसने साँस ली। उसकी पलकों पर हल्की रोशनी थी — वही सुनहरी चमक जो रूहानी की थी।
विहार एक कोने में खड़ा सब देख रहा था।
उसकी आँखों में अब ना आग थी, ना नफ़रत… बस एक स्वीकारोक्ति।
> “शायद मोहब्बत सच में शक्ति से बड़ी है…”
इतना कहकर वह धीरे-धीरे धुंध में विलीन हो गया।
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🌅 सुबह की नई शुरुआत
अगली सुबह हवेली में पहली बार शांति थी।
दीवारों पर अब कोई लपट नहीं थी, बस धूप की सुनहरी किरणें थीं।
अनाया ने कहा, “राज़… अब अगली राह क्या है?”
राज़ ने मुस्कुराकर कहा,
“अगली राह वही है, जहाँ से रूहानी की आखिरी चेतावनी शुरू होती है — मोहब्बत और शक्ति के बीच चुनाव…”
अनाया ने उसका हाथ थाम लिया,
“तो फिर, चलो इस इम्तिहान का जवाब साथ में ढूंढते हैं।”
राज़ ने उसकी आँखों में गहराई से देखा,
“जब तक तू साथ है… कोई भी अंधकार मुझे नहीं जीत सकता।”
दोनों हवेली की छत पर जा खड़े हुए।
हवा में हल्की सुगंध थी — और उस सुनहरे निशान के नीचे अब एक नया प्रतीक चमक रहा था।
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✨ हुक लाइन (Suspense Ending)
नीले आसमान में वो प्रतीक अचानक दो हिस्सों में बंट गया —
एक सुनहरी, दूसरी काली लपट में।
और हवेली की गहराई से एक नई आवाज़ आई —
> “अब चुनाव का समय है… एक दिल, दो रूहें, और एक शक्ति जो सबको बाँध देगी।”
राज़ ने सिर उठाकर आसमान की ओर देखा।
उसे पता था — अगली परीक्षा अब रूहानी नहीं, बल्कि खुद उसकी आत्मा से होगी…