अगली रात …
जान्हवी विला के गेट पर खड़ी आरोही के हाथ कांप रहे थे।
“क्या सच में मुझे सारे जवाब यहीं मिलेंगे?” उसने खुद से पूछा।
गेट खुलते ही ठंडी हवा के साथ पुराने राज जैसे आरोही को छू कर जा रहे थे, आरोही को वो खौफनाक रात याद आ रही,, ठीक इसी तरह उस रात वो आदित्य के पास आई थी,, अपने सवालो के जवाब मांगने,, पर उस रात आदित्य को हमेशा के लिए खो देने का गम आज भी उसकी आंखो साफ दिख रहा था,,
विला पुरी तरह सुनसान था,, आरोही धीरे धीरे आगे बढ रही थी…
उसे वो दिन याद आ रहा था, जब आदित्य उसे शादी करके यहां लेकर आया था,,
Flashback ….
वेलकम आरोही आदित्य सिंह…
तुम तो ऐसे विहेव कर रहे हो जैसे मै पहली बार आ रही हूं…
हां तो बीवी बनकर पहली बार ही आ रही हो न !!
तुम्हारे विला मे तुम्हारा वेलकम है,, “आदित्य ने कहा”
ये विला मेरा नही है, ये विला तुम्हारी मां का है, जान्हवी विला ,, और हमेशा उन्ही का ही रहेगा…
आरोही एम साॅरी यार,, मैने तुम्हे प्रोमिस किया था, हम एक ग्रेंड वेडिंग करेगे और मैने अपना प्रोमिस तोडा,,
इटस ओके आदि मै बहुत खुश हूं…थोडे दिनो बाद वैसे भी हम सबको, सब सच बता देगे…
ये बेडरूम तुम हमेशा लाॅक क्यूं रखते हो ?? “आरोही ने पूछा”
बस ऐसे मै नही चाहता कि मेरे कमरे मे मेरे अलावा कोई और जाये… “आदित्य ने कहा”
फिर मै अंदर आऊं या नही??
तुम अंदर आ सकती हो, तुम वाइफ हो मेरी…
न जाने क्या राज छिपा रखे है, तुमने यहां?? “वो आदित्य को तिरछी नजर कर बोली”
Present Time....
आदित्य का रूम हां मुझे वहां जरुर कुछ मिलेगा…
एक हवालदार गहरी नींद मे कुर्सी पर सो रहा था,, आरोही धीरे-धीरे सीढियो से उपर जाने लगी,,
उफ इस कमरे मे तो लाॅक लगा है,, वो इरिटेट होकर बोली…
मै तो चाबियां घर पर भूल आई… अब क्या करूं?? “वो मन ही मन सोचने लगी”
विंडो.. आय होप ये गैलरी वाली विंडो खुली हो तो मै किसी भी तरह अंदर चली जाउंगी,,
वो धीरे-धीरे विंडो की ओर आगे बढ़ी…उसने धीरे से खिडकी को खोल कर देखा, खिडकी खुली हुई थी,,
अब वो बिना देरी किए, अंदर जाना चाहती थी,, उसने अपनी चप्पल उतार कर.. अंदर फेक दी इस आवाज से कुर्सी पर सोया हवालदार उठ गया..
आरोही डर के कारण जल्दी से अंदर कूद ग ई..
हवालदार ने नींद मे इधर उधर देखा, कुछ ना समझ आने पर वो फिर से जाकर कुर्सी पर सो गया..
आरोही ने चैन की सांस ली..और खिडकी लगाकर कमरे की लाइट ऑन की…. उसने कमरे के चारो ओर देखा…इस कमरे के हर कोने मे आदित्य की यादे थी…जो आरोही देख पा रही थी, फिर एक पल को उसे आदित्य से मिला धोका याद रहा था…
आज वो इस कमरे मे आदित्य के हर उस राज को ढूंढने आई थी, जिसके बारे मे शायद आरोही खुद भी नही जानती थी,,
वो सबसे पहले आदित्य की अलमारी की ओर बढी उसने अलमारी पर रखी एक एक चीज को देखा… आदित्य के हर एक कपडो को चैक किया…तभी उसकी नजर एक लाॅकर पर पडी..
डिजिटल लाॅकर ??? इसे आदित्य ने कब इंस्टाल किया??? आखिर ऐसा क्या रखा है यहां?? शायद वो हर चीज जो मै यहां ढूंढने आई हूं…
पर इसमे तो पिन डाला हुआ है… अब पिन मै कहां से लाऊं… अगर गलत पिन बार बार डाला तो अलार्म बज जायेगा..और बाहर बैठे कांस्टेबल को पता लग जायेगा.. कि मै यहां हूं !!
मै क्या करूं?? पर रिस्क तो लेना पडेगा…शायद फोन पर जो पासवर्ड था, वही पासवर्ड तो नही??
उसने वही वाट्स एप वाला पिन ट्राय किया पर पासवर्ड रांग था !!
अब क्या करू?? अगर ज्यादा बार पासवर्ड ट्राय किया तो लाॅकर हमेशा के लिए लाॅक हो जायेगा…
क्या पासवर्ड हो सकता है?? आरोही इतना सोच ही रही थी कि उसकी नजर अलमारी पर कपडो की नीचे रखी एक फोटो पर पडी.. फोटो आदित्य और आरोही की थी…
ये तो हमारी शादी की फोटो है,, आरोही ने कहा..
उसने उस फोटो को हाथ मे लिया…
4 फरवरी हमारी शादी.. फोटो देखकर उसके चेहरे पर मुस्कान आई…फोटो पर से हाथ घुमाते हुए..
अगर फोन का पासवर्ड मुझसे रिलेटेड था तो शायद ये भी रिलेटेड हो सकता है,, हमारी शादी की तारीख?? क्या सच मे आदित्य इस तारीख को पासवर्ड बना सकता है??
उसने जल्दी से ये तारीख पिन मे डाली… ये आखिरी मौका है, इसके बाद आलर्म बज जायेगा… वो मन मे सोच ही रही थी, डर के कारण उसने आंखे बंद कर रखी थी,, उसने धीरे से अपनी आंखे खोली..लाॅकर खुल चुका था..
आरोही ने लाॅकर से सारी चीजे निकाली,,
पेनड्राइव??? क्या ये वो ही पेनड्राइव है, जो राजवीर मुझसे मांग रहा था,,
उसने सारा सामान जल्दी से अपने बैग मे रखा,,
और लाॅकर फिर से लाॅक किया, वो किसी भी तरह जल्द से जल्द वहां से निकलना चाहती थी…
वो कमरे की लाइट बंद करके जैसे ही खिडकी के पास आई… उसे किसी के चलने की आवाज आई… वो चुपचाप वही छिप ग ई आवाज किसी आदमी की थी…
मै जान्हवी विला पहुंच चुका हूं, तुम कहां हो ??? “वो आदमी किसी से फोन पर बात कर रहा था…
तुम जल्दी आओ… यहां उस आदित्य ने हमारे खिलाफ जरुर कुछ न कुछ छिपा कर रखा होगा… हवालदार बहुत गहरी नींद मे सो रहा है, क्योकि मैने उसके पानी मे नींद की गोली मिला दी थी, लगता है गोलियो का असर हो चुका है!!
इस आवाज से आरोही चौकन्नी हो गई… आवाज जानी पहचानी थी…थोडे देर वो आदमी वहां से चला गया… आरोही मौका देखकर वहां से निकल गई….
थैंक गाॅड मै वहां जल्दी पहुंच गई और मैने सीक्रेट लाॅकर से सारा सामान निकाल लिया…
पर वो वहां पर क्या कर रहा था???
आरोही का फोन रिंग करता है, स्क्रीन पर एक अननौन नंबर फ्लैश हो रहा था…
कौन ??? उसने फोन उठाकर पूछा…
मुझे नही जानती?? तुम जान्हवी विला क्यूं गई थी??? उस आदमी ने फोन पर पूछा…
मै कही नही गई… समझे तुम “आरोही ने गुस्से मे कहा”
अच्छा तो फिर तुम्हारे कंगन यहां क्या कर रहा है?? आरोही....
आरोही ने अपने हाथ की तरफ देखा…
वो कंगन शायद हडबडी मे आरोही के हाथ से गिर चुका था…
तुम कौन बोल रहे हो??
क्यूं इतने जल्दी अपने आशिक को भुल गई ??? “समर चौहान इस नाम को तुम कैसे भुल सकती हो आरोही?? तुम तो मुझसे प्यार करती थी न???
To be continue…..
कौन है समर चौहान क्या समर आरोही का अतीत है???