chapter 58
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पिछले चैप्टर में हम पढ़ते हैं की वनराज शिवाय से सवाल करता है तभी दरवाजा धड़ाम से खुलता है और दुर्गा और कार्तिक शिवाय के साथ घुटनों के बाल बैठते हैं और वनराज को यह बताते हैं कि आरोही के गुनहगार सिर्फ शिवाय अकेला नहीं बल्कि वह दोनों भी है।
अब आगे
कपाड़िया कॉरपोरेशन; वनराज के केबिन में।
पूरे केबिन में इतनी खामोशी थी कि अगर एक पीन भी नीचे गिरता तो उसकी आवाज साफ-साफ सुनाई दे सकता था। यहां तक की सभी को एक दूसरे की दिल की धड़कनों की आवाज भी सुनाई दे रही थी।
दुर्गा ,कार्तिक ,शिवाय एक साथ सोफे पर बैठते हैं। उनके चेहरे पर गिल्ट साफ़-साफ़ देखा जा सकता था । वनराज के गुस्से का तपिश इतना ज्यादा था कि उन तीनों में से किसी एक ने भी अपना सर ऊपर कर कर वनराज की आंखों में आंखें मिलाकर नहीं देखा।।
वनराज अपने टेबल को टीककर पैरों को क्रॉस करते हुए अपने हाथों को फोल्ड करता है और अपनी पैनी नजरों से तीनों को देखने लगता है। जैसे वह अपने नजरों से ही कहना चाहता हो कि सच बोलोगे या नहीं।
उसकी(वनराज) नजरों तपिश को कार्तिक और ज्यादा देर तक बर्दाश्त नहीं कर पाता और सच बताने के लिए अपना मुंह खोलता है...............
भाई आप को याद है कि हमारे लास्ट सेकंड सेमेस्टर में आप सब लोग यूरोप घूमने गए थे। और हम सब (दुर्गा ,कार्तिक ,शिवाय ,तरुण ,आरोही शशांक) अपने एग्जाम की वजह से यही थे ।इस सब की शुरुआत उस वक्त से हुआ।
फ्लैशबैक 5 साल पहले।
सब लोग दिल्ली यूनिवर्सिटी से अपना एग्जाम देकर बाहर निकलते हैं। सभी के चेहरे में थकावट और एक्साइटमेंट दोनों थे थकावट इसलिए क्योंकि वह लोग पिछले तीन घंटे से एग्जाम लिख रहे थे एक्साइमेंट इसलिए कि आज का पेपर लास्ट था। उसके बाद उन लोगों को वेकेशन हॉलिडे था जो लगभग 15 से 20 दिन के लिए था जिसके लिए वह बहुत ही ज्यादा खुश थे।
आरोही सबको एक नजर देखते हुए बोली "दोस्तों मुझे ना बहुत जोर से भूख लगी है। प्लीज चलो कैंटीन में कुछ खाते हैं। क्योंकि घर जाकर खाने की हिम्मत मुझ में अभी बाकी नहीं है वह अपने पेट पर हाथ रख कर दुखी चेहरा बनाकर बोलती है। दुर्गा , कार्तिक और शशांक भी उसका साथ देते हैं क्योंकि उन तीनों को भी बहुत जोर से भूख लगी थी एग्जाम की टेंशन में उन तीनों ने कुछ नहीं खाया था।
जिसकी वजह से शिवाय और तरुण भी उनकी बातों को मान जाते हैं। और वह लोग कैंटीन की ओर बढ़ जाते हैं।।
कैंटीन खचाखच भरा हुआ था जिसकी वजह से उन लोगों को एक कॉर्नर की टेबल मिलती है और साब टेबल पर जाकर बैठ जाते हैं। उसके बाद शशांक और तरुण सभी से पूछते हैं कि वह क्या खाना चाहते हैं।। क्योंकि यहां कोई वेटर काम नहीं करता था।यहां बस सेल्फ सर्विस था जिसकी वजह से उन लोगों को खुद जाकर खाना ऑर्डर कर कर टेबल पर खुद ही लाना पड़ता था।।
आरोही : चाऊमीन,कोका-कोला और एक बर्गर।
दुर्गा: कचोरी समोसा और एक चाय।
कार्तिक : पनीर पिज़्ज़ा,एक चीज़ सैंडविच, और एक कोई भी ड्रिंक।
जब शिवाय उन तीनों को इतना आर्डर करते देखा है , तो उसे समझ आता है कि इतना सारा ऑर्डर यह दोनों अकेले नहीं ला सकते तो वह तरुण और शशांक को ज्वाइन करता है और आर्डर लाने चला जाता है। उन तीनों की जाते ही यह तीनों लोग एक दूसरे के साथ एग्जाम और वेकेशन के बारे में डिस्कशन कर रहे थे ।
कुछ देर बाद वह लोग उन तीनों को ऑर्डर लाते हैं और साथ में अपना भी जहां तरुण और शशांक में अपने लिए चीज चिकन सैंडविच लिया था ।तो वही शिवाय ने कॉफी लाया था।। क्योंकि शिवाय को बाहर का खाना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था। और उसकी यह आदत सबको पता थी जिसकी वजह से किसी ने भी उसे खाने के लिए फोर्स नहीं किया।
वह सभी लोग एक दूसरे के साथ चिट चैट करते हुए खा रहे थे शिवाय एक ही इंसान था जो सबको ऑब्जर्व करते हुए अपनी कॉफी पी रहा था उसके आंखों में कोई भाव नहीं था। वह किसी डमी की तरह अपने एक्सप्रेशंस को बनाकर रखा था। अगर सांस लेने की वजह से उसका चेस्ट अप एंड डाउन नहीं होता तो सबको लगता कि यह कोई रोबोटिक डमी हो क्योंकि काफी भी वह इसी तरह पी रहा था एक ही सिंक में ।।
सभी लोग एक दूसरे के साथ बात करने में इतने मशरूफ थे, की दुर्गा इस चीज का मौका लेते हुए वह धीरे से अपने बैग से एक दवाई निकलती है और किसी की नजरों में आए बिना ही आरोही के कोल्ड ड्रिंक में डालती है।
वह दवाई कोल्ड ड्रिंक में जाते ही 3 सेकंड के अंदर मिल गया था। दुर्गा दवाई मिलाने के बाद वापस उन लोगों के साथ ऐसे बीएफ करने लगती है जैसे उसने कुछ देर पहले कुछ नहीं किया हो।
कुछ वक्त बाद वह सभी लोग अपना खाना खत्म कर कर घर के लिए निकलते हैं। वह लोक पार्किंग में जाकर अपना कार निकलते हैं और सभी लोग कर में बैठ जाते हैं शिवाय ड्राइव कर रहा था, कार्तिक उसके बगल वाले सीट में बैठा हुआ था पीछे दुर्गा आरोही और शशांक बैठे हुए थे।
तरुण उन लोगों के साथ नहीं आया क्योंकि उसे प्रिंसिपल ने बुलाया था जिसकी वजह से वह उनके साथ नहीं जा पाया।।
🚗 कार बैठकर घर के लिए निकल जाते हैं। आज सड़क पर कुछ ज्यादा ही ट्रैफिक था जो उन्हें रोज कॉलेज से घर जाने के लिए लगभग एक घंटा लगता था । आज उन्हें दो घंटे से ज्यादा हो गया वह लोग अभी भी ट्रैफिक में ही फंसे हुए थे। दुर्गा ट्रैफिक की वजह से बहुत छिड़ी हुई थी।
शशांक और कार्तिक इतनी ट्रैफिक की वजह जानने के लिए कार से बाहर निकल जाते हैं। आरोही सबको अनदेखा कर कर टाइमपास के लिए गाड़ी की गिनती करने लग गई थी कि कौन सी गाड़ी कितनी है कितने बाइक्स कितने ऑटो और कितने कार्स है।
आरोही की ऐसी बचकाना हरकत ,car ki फ्रंट मिरर से देकर शिवाय के चेहरे पर एक अनकहा सा सुकून नजर आता है। वह बड़ी गौर से आरोही को देख रहा था उसने एक बार भी अपनी पलक को झपकाने की जहमत भी नहीं उठाई थी।। तभी आरोही की नजर गोलगप्पे वाले के पास जाती है जिसे देखकर वह एक्साइटेड होती है और दुर्गा को गोलगप्पे खाने के लिए पूछती है तो दुर्गा भी वक्त गवाई बिना हा बोलती है जिसके बाद दोनों कार से उतरकर गोलगप्पे खाने के लिए चली जाती है शिवाय अकेला ही कार में बैठा हुआ था वह चाहा कर भी कार को यूं बीच सड़क पर नहीं छोड़ सकता था।
तभी कार्तिक और शशांक वहां आते हैं जब वह दोनों ,दोनों लड़कियों को कार में नहीं देखते हैं तो वह शिवाय से पूछते हैं तो शिवाय उन्हें गोलगप्पे वाले के पास इशारा करता है तो वह दोनों गोलगप्पे वाले के पास देखते हैं। और उन दोनों को मजे में गोलगप्पे खाते देखकर मुस्कुराकर कर में बैठ जाते हैं।
कुछ देर बाद दोनों लड़कियां भी गोलगप्पे खाकर कार में आ जाते हैं।
आरोही शशांक से पूछती है ।"भाई आज इतना ट्रैफिक क्यों है"।
शशांक बोला "कुछ नहीं बस दो शराबियों ने इस ट्रैफिक को जाम बना कर रख दिया है बिना वजह का बहस कर रहे हैं। अभी ट्रैफिक पुलिस वाले आए हैं उन दोनों को हटा दिया है अब धीरे-धीरे ट्रैफिक चट जाएगा।
आरोही अपनी गर्दन को ऊपर नीचे करते हुए हम्म्मम्म्म्म्म्म्म जवाब देती है।
ट्रैफिक धीरे-धीरे छटने लगता है। यहां कर में अचानक से आरोही को uneasy फील होने लगता है उसके पेट में दर्द होने लगता है उसके माथे पर पसीना आने लगता है, उसकी सांसे गहरी हो रही थी, उसको अपना सर घूमते हुए लग रहा था।
उसे पहले तो समझ नहीं आया कि उसे ऐसा क्यों हो रहा है फिर उसने अपना दिमाग लगाया की एग्जाम की टेंशन की वजह से उसने खाना, पीना सोना कम कर दिया था। और ऊपर से उसके अभी तक पीरियड्स नहीं आए थे शायद इसलिए उसे ऐसा हो रहा है। वह जैसे तैसे कर कर अपने दर्द को बर्दाश्त करने की कोशिश कर रही थी उसने कसकर अपनी मुट्ठी बंद कर ली थी और साथ में आंखों को भी। शशांक किसी से फोन पर बातें कर रहा था, वही दुर्गा अपने नोटबुक में कुछ लिख रही थी तो वही का कार्तिक शिवाय के कान पाक रहा था और शिवाय का पूरा फोकस सामने ड्राइविंग पर था।
सभी लोग अपने-अपने काम में बिजी थे कि उनके कानों में आरोही की दर्द भरी आवाज पड़ती है.....अ्अ्अ।
तो सभी का ध्यान आरोही की तरफ जाता है।
आखिर क्या हुआ है आरोही को? दुर्गा ने क्या मिलाया था आरोही के ड्रिंक में?
जानने के लिए पढ़िए अगला चैप्टर। तब तक के लिए बाय टेक केयर।
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Niche chat gpt se editKiya hua chapter hai., यह एडिटर वाला चैप्टर पढ़कर अब बताना कि मैं डायरेक्ट कुछ चैप्टर लिखकर अपलोड करूं या लिखने के बाद चैट गुप्त से डिलीट करवा कर अपलोड करो?
**(Scene: Kapadia Corporation – Vanraj’s Cabin)**
कमरे में ऐसी खामोशी थी कि घड़ी की टिक-टिक भी किसी बम की तरह सुनाई दे रही थी।
दुर्गा, कार्तिक और शिवाय सोफ़े पर बैठे थे – तीनों के चेहरे झुके हुए, जैसे गुनाह का बोझ उनके कंधों पर पत्थर बनकर बैठ गया हो।
वनराज अपनी कुर्सी पर पीछे टिके, हाथ बाँधे, आँखें तरेरते हुए उन पर नज़रें गड़ाए बैठा था।
उसकी नज़रों का दबाव ऐसा था जैसे सिर्फ़ देख कर ही सच उगलवा लेगा।
कुछ सेकंड… भारी खामोशी।
फिर कार्तिक का गला सूखता है, होंठ काँपते हैं और वह धीरे से बोल पड़ता है –
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**कार्तिक:**
"भाई… याद है ना, पाँच साल पहले… जब आप सब यूरोप गए थे, और हम सब – दुर्गा, शिवाय, तरुण, आरोही, शशांक – कॉलेज में रह गए थे?
वहीं से सब कुछ शुरू हुआ…"
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### **फ्लैशबैक – पाँच साल पहले**
दिल्ली यूनिवर्सिटी का कैंपस।
आख़िरी पेपर का दिन।
क्लासरूम से बाहर निकलते ही सबके चेहरों पर दो रंग थे – थकान और छुट्टी मिलने की खुशी।
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**आरोही (हंसते हुए):**
"दोस्तों… मैं तो भूख से मर रही हूँ। सीधा घर जाने की हिम्मत नहीं है। पहले कैंटीन चलते हैं!"
वो अपने पेट पर हाथ रख कर मासूम सा चेहरा बनाती है।
दुर्गा और कार्तिक तुरंत हां में सिर हिलाते हैं। शशांक भी हामी भरता है।
शिवाय और तरुण चुपचाप साथ चल पड़ते हैं।
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### **कैंटीन**
कैंटीन खचाखच भरी हुई थी।
किसी कोने में एक टेबल मिलते ही सब धप्प से बैठ जाते हैं।
**ऑर्डर:**
* आरोही – “चाऊमीन, कोल्ड ड्रिंक और एक बर्गर।”
* दुर्गा – “कचौरी, समोसा और चाय।”
* कार्तिक – “पनीर पिज़्ज़ा, चीज़ सैंडविच और जो भी ड्रिंक मिले।”
बाकी तीन लड़के ऑर्डर लेने जाते हैं।
टेबल पर बैठे-बैठे आरोही और दुर्गा हँसते हुए अपने वेकेशन प्लान्स बताने लगती हैं।
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कुछ देर बाद खाना आ जाता है।
सब खाते हुए बातें कर रहे थे।
केवल **शिवाय** अलग था – चुप, गहरी आँखों से सबको देखता हुआ, धीरे-धीरे कॉफी पी रहा था।
उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं – जैसे कोई रोबोट, सिर्फ़ उसकी साँसें उसे ज़िंदा साबित कर रही थीं।
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और ठीक उसी समय…
दुर्गा धीरे से अपने बैग से एक **छोटी सी शीशी** निकालती है।
चारों तरफ नज़र घुमा कर, पलभर में **कोल्ड ड्रिंक में दवा मिला देती है।**
बुलबुले उठते हैं और गायब हो जाते हैं।
चेहरे पर मासूमियत ओढ़कर वो ऐसे बात करने लगती है जैसे कुछ हुआ ही नहीं।
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### **कार ड्राइव**
खाने के बाद सब कार में बैठ जाते हैं।
शिवाय ड्राइव कर रहा था, कार्तिक आगे बैठा। पीछे – दुर्गा, आरोही, शशांक।
तरुण को प्रिंसिपल ने रोक लिया था, वो साथ नहीं आ पाया।
सड़क पर भयंकर ट्रैफ़िक जाम था।
एक घंटा बीत गया, फिर भी कार आगे नहीं बढ़ी।
दुर्गा झुँझला रही थी।
शशांक और कार्तिक उतर कर आगे हालात देखने चले गए।
पीछे, खिड़की के बाहर झाँकते हुए **आरोही बच्चों की तरह गाड़ियों की गिनती कर रही थी।**
शिवाय ने रियर मिरर से उसे देखा।
उसकी मासूम हरकत देखकर पहली बार उसके होठों पर हल्की सी मुस्कान आई।
वो नज़रें हटाए बिना उसे देखता रहा।
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तभी अचानक…
आरोही गोलगप्पे वाले को देखती है और चहकते हुए बोलती है –
"दुर्गा! चलो, गोलगप्पे खाते हैं!"
दोनों लड़कियाँ उतर जाती हैं।
शिवाय खामोश बैठा रहता है।
थोड़ी देर में शशांक और कार्तिक लौटते हैं।
शिवाय बस उंगली से गोलगप्पे वाले की ओर इशारा करता है।
वो दोनों मुस्कुरा कर वापस बैठ जाते हैं।
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कुछ देर बाद दोनों लड़कियाँ भी लौट आती हैं।
शशांक समझाता है –
"ट्रैफ़िक दो शराबियों की वजह से है, अब पुलिस हटा रही है।"
आरोही बस हम्म कहती है और सीट पर टिक जाती है।
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### **आरोही की तबियत बिगड़ती है**
जैसे-जैसे कार आगे बढ़ती है, **आरोही का चेहरा पीला पड़ने लगता है।**
उसकी सांसें भारी हो जाती हैं।
पेट में तेज़ दर्द, माथे पर पसीना।
वो अपने होंठ भींच कर चुपचाप सहने की कोशिश करती है।
हाथों की उंगलियाँ सीट को कसकर पकड़ लीं, आँखें बंद।
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बाकी सब अपने-अपने काम में व्यस्त थे।
अचानक… एक **दर्द भरी चीख** सुनाई देती है –
**“आह्ह…”**
सब चौंक कर उसकी तरफ मुड़ते हैं।
**दृश्य जम जाता है।**
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**क्या हो गया है आरोही को?
दुर्गा ने आखिर क्या मिलाया था उस ड्रिंक में?**
*(To be continued…)*
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