Bandhan - 49 in Hindi Fiction Stories by Maya Hanchate books and stories PDF | बंधन (उलझे रिश्तों का) - भाग 49

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बंधन (उलझे रिश्तों का) - भाग 49

चैप्टर 49 
शिवाय बच्चों को सूलाकर ,छत पर आकर खड़ा होता है इस वक्त वह ठंडी रात में पूर्णिमा के चांद को बड़े गौर से देख रहा था। उसके आंखों में बहुत सारे सवाल थे,  शिकायत थे, पर खुद के लिए?
उसकी आंखों में नमी थी पर उसने अपने आंखों में से आंसुओं को बहाने नहीं दिया। 
उसके आंखों के सामने एक-एक कर कर बच्चों के साथ, परिवार के साथ, दोस्तों के साथ बिताए हुए हर पल याद आ रहे थे। 
तभी उसके पीछे कोई आकर खड़ा होता है।  "आखिर कब तक शिवाय ,हम लोग इतना बड़ा सच को सबसे छुपाते रहेंगे  की आरोही तुम्हारे बच्चों की बायोलॉजिकल माँ है।
उसे इंसान की बात सुनकर शिवाय उसे इंसान की तरफ मुड़ता है तो यह कोई और नहीं दुर्गा होती है। 
शिवाय दुर्गा की तरफ मुड़कर उसके आंखों में आंखें डालकर इमोशनल बट गहरी और कॉन्फिडेंट आवाज में बोला जिंदगी भर के लिए। 
ना मैं चाहता हूं कि कभी किसी को यह सच पता चले कि आरोही ही मेरे बच्चों की बायोलॉजिकल मदर है और ना ही यह चाहता हूं कि कभी मेरे बच्चों को भी अपनी मां के बारे में पता चले।

शिवाय की बात सुनकर दुर्गा  फीकी मुस्कान के साथ बोलती है, तुम ऐसा लगता है कि तुम सच को छुप लगो तो सच छुप जाएगा नहीं तुम जितना सच को छुपाने की कोशिश कर रहे हो उतना सच सबके सामने आने के लिए अपना रास्ता ढूंढ रहा है। 
तुम्हें पता है बच्चो और आरोही के बीच जाने अनजाने में कितना गहरा रिश्ता जुड़ चुका है जिसे तुम चाह कर भी नहीं तोड़ पाओगे। तुम्हें पता है जब तुम अमेरिका चले गए थे आरोही ने घर आना बंद कर दिया था लेकिन जब से तुम लोग आए हो तब से आरोही का घर आना लगातार रहता है वह कोई ना कोई बहाना ढूंढ लेती है जहां पर उसे कुछ  समय बच्चों के साथ मिल जाए।

जब तुमने सबको यह बताया था कि संवि के दिल में छेद है ,तो तुम्हें पता है वह कितना फूट फूट कर रोई थी वह भगवान से यह प्रार्थना कर रही थी कि एक छोटी सी बच्ची की जिंदगी में इतना बड़ा बीमारी कैसे दे दिया, उसकी जगह उसे दे देते। तुम्हें पता है उसने संवि के लिए भगवान के सामने क्या मन्नत मांगी थी।
(दुर्गा की बात सुनकर शिवाय सवालिया नजरों से दुर्गा को देखता है) 
आरोही ने भगवान से यह कहा था कि अगर संवि जल्दी ठीक हो जाएगी उसे इस बीमारी से छुटकारा मिल जाएगा तो वह हर सोमवार गुरुद्वारे में लंगर लगवाएगी। इस बात से अनजान की वह जो मन्नत मांग रही है वह खुद की बेटी के लिए मांग रही थी। वह अपने ममता भरे रिश्ते से अनजान होकर भी मां का रिश्ता निभा रही थी। 
उसके पापा का एक्सीडेंट हुआ था उनकी सर्जरी हुई थी लेकिन उसने उनसे ज्यादा संवि पर ध्यान दिया आर्य को संभाल।

जब वह लोग अपने रिश्ते से अंजान है तब उनका रिश्ता इतना गहरा है तो जब सच पता चलेगा तो कितना गहरा रहेगा इस चीज को मुझे तुम्हें बताने की जरूरतों नहीं है।
जानता हूं पर तुम फ़िक्र मत करो जल्दी मैं यहां से वापस अमेरिका जा रहा हूं अपने बच्चों के साथ। कभी भी मैं अपने बच्चों पर आरोही या उसके परिवार का छाया तक पढ़ने नहीं दूंगा। 

यह अभी जानता हूं कि एक न एक दिन सच सबको पता चलेगा लेकिन हर दिन में इसी कोशिश में रहता हूं कि जब यह सच्चाई पता चले तब मेरे बच्चे इतने काबिल हो कि वह लोग सही और गलत को अच्छे से समझ सके, मेरी बातों से तुम्हें सेलफिशनेस फील हो रही होगी लेकिन मैं क्या करूं हूं मैं सेल्फिश अपने लिए? अपने बच्चों के लिए?
तुम जानती हो अगर आरोही को सच पता चला तो उसका रिएक्शन कैसा होगा? नहीं ना !फिर क्यों यह सवाल मुझसे बार-बार पूछते रहती हो? आरोही की नजरों में, मैं अपने लिए नफरत देख सकता हूं, क्योंकि मैंने इस चीज के लिए खुद को हमेशा से तैयार किया है ,पर अपने बच्चों के लिए नफरत नहीं देख पाऊंगा। ना ही अपने बच्चों की आंखों में ममता के लिए तड़प। इससे अच्छा तो  उन दोनों को कभी पता ही ना चले कि आरोही उनकी मां है।

तुम्हें क्या लगता है अगर आरोही को सच पता चलेगा तो वह हस्ती  खुश होकर मुस्कुरा कर मेरे बच्चों को अपना लेंगी। नहीं उसे जब-जब आर्य और संवि को देखेगी तो उसे मेरा दिया गया धोखा याद आएगा। जिसकी वजह से वह मेरे बच्चों को कभी मां वाला प्यार नहीं दे पाएगी।।
शिवाय की बात सुनकर दुर्गा उम्मीद भरे लेजा में बोलिए अगर वह उन दोनों को अपना लेगी तो, तुम कहानी का एक ही पहलू क्यों देख रहे हो दूसरा भी तो देख सकते हो ना।

शिवाय दुर्गा को ऐसे देख रहा था जैसे वह किसी बेवकूफ से बात कर रहा हो, तुम्हें लगता है कि वह अपना लेंगी। चलो सोच लेते हैं ;अगर वह अपना भी लेगी तो , क्या वह मुझसे उन दोनों को अलग नहीं कर देगी?
तुम जानती हो मैं सब कुछ बर्दाश्त कर सकता हूं पर आर्य और संवि का खुद से दूर रहना नहीं।
और यह जो खयाल तुम्हारे , दिमाग में आ रहा है कि हम सबको एक करने का तो सोचना भी मत क्योंकि अगर सच सामने आएगा तो मेरी या आरोही  कि ही नहीं बल्कि तरुण और बाकी सबकी भी जिंदगी में तूफान आएगा। सबकी खुशियां बिखर जायेगी।।

यह दोनों यहां बात कर रहे थे वहीं दूसरी तरफ स्टडी रूम में। 

रुचिता और रमन जी एक दूसरे के आमने-सामने थे, रुचिता जी की नज़रे नीचे झुकी हुई थी वही रमन जी व्हीलचेयर पर बैठे हुए थे। 
रुचिता जी धीरे से कहती है पापा जी आपने कहा था कि मेगा कभी उनकी जिंदगी में नहीं आएगी। लेकिन आज वह मेरे घर में है उसे मेरे पति ने अपनी बाहों में घर लाया है। 
अभी जाकर मेरा और इनका रिश्ता संभला है, क्या मेघा के आने की वजह से यह ,मेरे से दूर हो जाएंगे। 
प्लीज पापा जी मेरी गृहस्ती को बचा लीजिए, मैं उनके बिना जीना तो दूर सांस भी नहीं ले सकती हूं। 
अगर मेगा को होश आते ही, इन्हें सब कुछ बता देगी तो मेरा रिश्ता टूट कर बिखर जाएगा। वह सब अपनी कांपते हुए होठों ,से आंखों में आंसू लेकर बोल रही थी। 
रमन जी नरम पर सख्त लहजे में बोले तुम चिंता मत करो रुचिता भाऊ मैं तुम्हारा और वनराज का रिश्ता कभी टूटने नहीं दूंगा। रही बात उसे लड़की की तो वह कल भी मेरे बेटे के लिए गलत थी और आज भी है।
मगर पापा जी अगर कभी इन्हें पता चला की, मेघा ने उन्हें कभी धोखा नहीं दिया था? बल्कि यह सब (हकलाते हुए)हमारा किया हुआ है उन दोनों को अलग करने के लिए?
रमन जी रुचिता की बात सुनकर उन्हें खामोश होने का इशारा करते हुए बोले रुचिता बहू तुम्हें कितनी बार बोलना होगा कि अतीत को अतीत में रहने दो वर्तमान में लाना मत।
उनकी बात सुनकर रुचिता खामोश होती है और अपनी नजरों को नीचे कर कर बिना आवाज कर ही रोने लगती है।।
और उसे लड़की की चिंता मत करो उसे होश आने से पहले ही में उसे यहां से भेज दूंगा। 
आखिर किस बारे में बात कर रहे हैं रुचिता और रमन कपाड़िया। 
क्या मेगा की एंट्री लेगी रुचिता की गृहस्थी में तूफान। 
आखिर कब पता चलेगा आरोही को अपने बच्चों के बारे में जाने के लिए परी अगला चैप्टर।

Please comment or review dena mat bhulna.
Aaj ka chapter kaisa laga yah jarur bataiyega. 
Aaj ka sawal agar Aarohi ki jagah aap hote aur Aisa Dhokha aapko milta to aap kaise react karte please comment mein jarur bataiyega.