Adakaar - 21 in Hindi Crime Stories by Amir Ali Daredia books and stories PDF | अदाकारा - 21

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अदाकारा - 21

अदाकारा 21*

     मुनमुन में एक ही रात में आए इतने बड़े बदलाव से उत्तम मन ही मन बहुत खुश था। उसने मन ही मन सोचा कि चलो मुनमुन को अपनी बेटी की भलाई किसमें है ये बात आखिर समझ आ ही गई।
देर आए दुरुस्त आए 
नाश्ता करने के बाद उर्मिला ने सुनील को फ़ोन मिलाया।
"गुड मॉर्निंग सुनील।खुशखबरी सुनो।"
"क्या तुम्हारे मम्मी-पापा मान गए?"
"ये मैं पूरी तरह से नहीं कह सकती।लेकिन जितनी जल्दी हो सके यहां आ जावो। मम्मी-पापा तुमसे मिलना और तुम्हें जानना चाहते हैं।"
"अच्छा?तो क्या तुमने घर पर हमारे बारे में बात की?"
"हाँ।मम्मी तो रात तक मना ही करती थी। लेकिन सुबह उठकर बोली।उर्मि,उस लड़के को फ़ोन करो और उसे बुलाओ।मैं उसे परखना चाहती हूँ।"

"तो क्या मम्मी मेरी परीक्षा लेंगी?"

सुनील के स्वर में थोड़ी घबराहट थी,जिसे उर्मिला ने भी भाप लिया।सुनील का डर कम करने के लिए उसने कहा।

"इतना डरने की ज़रूरत नहीं है,सुनील।सब ठीक हो जाएगा।मुझे तुम पर पूरा भरोसा है कि तुम किसी भी परिस्थिति से पार पा सकते हो।"

"अरे!लेकिन यह तो तुम्हारे माता-पिता से मिलने की बात है यार।थोड़ा डर तो लगेगा ही ना?लेकिन मैं तुझे पाने के लिए कुछ भी करूँगा।"

"ओह माय लव।"

उर्मिला के मुँह से ऐसा ही उदगार निकला।

"ठीक है,मुझे अपना पता भेज दो।मैं कल सुबह तुमसे वहां आकर मिलता हु।"

सुनील उर्मिला से फ़ोन पर बात करके बहुत खुश था,लेकिन साथ ही थोड़ा घबराया हुआ भी था।कौन जाने उर्मिला के माता-पिता उसकी किस तरह से परीक्षा लेंगे?पता नहीं कैसे उसे परखेंगे?और क्या वह उनकी परीक्षा में पास हो पाएगा?अगर नहीं हुआ तो क्या होगा?थोड़ी सी गभराहट तो उसे जरूर हो रही थी।लेकिन अगर उसे अपना प्यार पाना है तो उसे मुंबई जाना भी होगा।और उसे उर्मिला के माता-पिता की परीक्षा भी पास करनी होगी।

        सुनील सुबह-सुबह छह बजे वाली शिवनेरी बस में सवार हुआ जो स्वारर्गेट से बोरीवली जाती थी।और वह दस बजे चकला सिग्नल के सामने उतर गया।वहाँ से उसने रिक्शा लिया और उर्मिला द्वारा भेजे गए पते पर स्क्वायर गार्डन नामक इमारत के पास उतर गया।उसके पास बिल्डिंग का नाम और फ़्लैट नंबर नहीं था।

   इसलिए वह रिक्शा से उतरा और इधर-उधर अपनी नज़रे फिराई इस उम्मीद से कि शायद उर्मिला सड़क पर खड़ी उसका इंतज़ार कर रही होगी।लेकिन उसे उर्मिला कहीं दिखाई नहीं दी।इसलिए उसने उर्मिला को फ़ोन करने के लिए अपनी जेब से अपना स्मार्टफ़ोन निकाला।तभी उसकी नज़र इमारत के गेट से बाहर आती शर्मिला पर पड़ी।

     शर्मिला अपनी फिल्म की शूटिंग के लिए निकली थीं और चूँकि वह और उर्मिला जुड़वाँ थीं,इसलिए वह भी बिल्कुल उर्मिला जैसी ही दिखती थीं।

   सुनील को लगा कि यह उर्मिला है और उसने उसे पुकारा।

   "उर्मिला।"

और शर्मिला ने भी उसकी आवाज़ सुनकर उसकी तरफ़ देखा।लेकिन उसे साफ़-साफ़ समझ नहीं आया कि उसने क्या कहकर पुकारा।सुनील ने अपना हाथ हवा में हिलाया। लेकिन शर्मिला तो उसे पहचानती नहीं थी। और शूटिंग के लिए पहले ही उसे देर हो चुकी थी।इसलिए सुनील की परवाह न करते हुए, शर्मिला वहीं खड़े एक रिक्शे में बैठ गईं और चली गईं।

सुनील को यह देखकर हैरानी हुईं और वह स्तब्ध होकर रह गया,यह क्या है?उर्मिला मुझे देखकर भी अनदेखा सा व्यवहार करके कैसे चली गई?जैसे उसने मुझे देखा ही न हो?या जैसे मुझे पहचानती ही न हो? 
उसने उर्मिला को फ़ोन किया।फ़ोन बजते ही, दिल हथेली पर लिए इंतज़ार कर रही उर्मिला ने तुरंत फ़ोन उठाया और खुशी भरे स्वर में पूछा।

"सुनील,तुम कहाँ पहुँचे?मैं कब से तुम्हारा इंतज़ार कर रही हूँ।"

"मैं तुम्हारे भेजे पते पर स्क्वायर गार्डन पहुँच गया हूँ।लेकिन तुम रिक्शे में बैठ कर कहाँ जा रही हो?"

सुनील को अब भी लग रहा था कि उर्मिला रिक्शे में कहीं चली गई है।

"मैं कहीं नहीं गई,मैं घर पर हूँ। दो मिनट वैट करो में आ रही हूँ।"

और सुनील आश्चर्य से देख रहा था जब थोड़ी देर पहले जैसे शर्मिला स्क्वायर गार्डन के गेट से निकली थी उसी तरह उर्मिला को उसने स्क्वायर गार्डन के गेट से बाहर आते हुए देखा।

(उर्मिला के माता-पिता सुनील को किस तरह परखेंगे?सुनील अपने होने वाले सास-ससुर का किस तरह से सामना करेगा?पढ़ते रहिए)