अदाकारा। 12*
बेहराम,मेहर और उर्मिला बेडरूम से लिविंग रूम में आ गए। लेकिन लिविंग रूम में काला घुप्प अँधेरा था।
और उस अँधेरे का फ़ायदा उठाकर किसी ने उर्मिला को अपनी बाँहों को उसे कसकर जकड़ लिया था।
उर्मिला डर गई।उसने उस व्यक्ति की बाँहों से खुद को छुड़ाने की बहुत कोशिश की। लेकिन उस व्यक्ति की मज़बूत पकड़ के आगे वह कमज़ोर साबित हुई।
उस व्यक्ति की बाँहों में उर्मिला की साँसें घुटने लगीं। उसे लगा कि वह अभी बेहोश हो जाएगी। तभी उसे लगा कि उस व्यक्ति के होंठ उसके कानों कोजैसे छू रहे हैं।
एक धीमी सी फुसफुसाहट उसके कानों में पड़ी।
"जन्मदिन मुबारक हो डार्लिंग।"
ओर उर्मिलाने उस आवाज़ को पहचान लिया। और अब उसने उस व्यक्ति को पूरे जी जान से से धकेला।पूरी ताकत से।
"छोड़ मुझे यह क्या तमाशा लगा रखा है?"
वह गुस्से से चीखी।
और उसकी चीख के साथ ही लिविंग रूम की लाइटें एक साथ जल उठी,जिससे कमरा रोशन हो गया।
और तालियों की गड़गड़ाहट के साथ-साथ यह गीत भी गूंज उठा।
हैप्पी बर्थ डे टू यू
हैप्पी बर्थ डे टू यू
हैप्पी बर्थ डे उर्मिला
हैप्पी बर्थ डे टू यू
उर्मिला ने हॉल में इधर-उधर चारों ओर नज़रे फिरा कर देखा तो उसकी बड़ी ननद भावना भी अपने परिवार के साथ लिविंग रूम में मौजूद थी।और वह भी बेहराम और मेहर के साथ ताली बजा रही थी और जन्मदिन की शुभकामनाओं वाला गीत गा रही थी। इस समय,उसका पति सुनील,जिसकी बाहों से उसने बड़ी मुश्किल ओर पूरी ताकत से अपने आप को छुड़ाया था वो भी उसके बगल में खड़ा था और ताली बजा रहा था।
उर्मिला ने अपने दोनों कानों पर हाथ रखे और ज़ोर से चिल्लाई।
"बस करो।बस करो।यह सब बंद करो।"
और फिर उसने सुनील की छाती पर दो-चार मुक्के मारते हुवे कहा।
"यह क्या है सुनील?"
"सर प्राइस।मेरी जान...."
"सर प्राइस? माय फूट,,... मैं शाम पाँच बजे से अब तक तेरा इंतज़ार कर रही हूँ। तेरी फिकर मे में आधी हो गई।और तु ईसको सर प्राइज़ नाम दे रहा हे?"
उर्मिला का गुस्सा सातवें आसमान पर था। सुनील ने शाम पाँच बजे तक आने को कहा था।और अब रात के साढ़े बारह बज रहे थे। तो उसका गुस्सा होना भी जायज़ था।लेकिन सुनील कोई छोटा मोटा खिलाड़ी नही था। उसने फौरन अपने दोनों कान पकड़े और उर्मिला के सामने घुटनों के बल बैठ गया।
"प्लीज माफ़ करदें उर्मि। प्लीज़।मुझे माफ़ कर दो।
सुनील के कान पकड़कर घुटनों के बल बैठने की हरकत देखकर उर्मिला का गुस्सा हवा में कपूर बन उड़ गया।
उसने लिविंग रूम की तरफ़ देखा और लिविंग रूम की सजावट देखकर समझ गई कि बेहराम भाई और मेहर भाभी ने मुझे आधे घंटे तक बेडरूम में बिठाकर जो टाइम पास किया था, कभी पानी पिलाने का बहाना कभी कपड़े चेंज करलो बहन खाना खाया या नहीं वो सब इसी के लिए था?
उसे वो मंज़र भी याद आ गया। जब उसने बेहराम से कहा कि चलो पुलिस स्टेशन जाकर सुनील की गुमशुदगी की एफ़आईआर लिखवाते है के तो उसके चेहरे पर कितना पसीना आ रहा था।
उसे यह भी याद आया बेहराम भाई जब फ्रिज से पानी की बोतल लेकर आए तो बेडरूम में घुसते ही उन्होंने अपने पैरों से बेडरूम का दरवाज़ा बंद कर लिया था।और तभी,सुनील और उसकी बड़ी बहन ने मिलकर ये सजावट की होगी?
उसने बेहराम को खा जाने वाली नजरों से घूरते हुए देखा।
"तो तुम भी इस साज़िश में शामिल थे ना भाई?"
"अरे मेरी बहन। इसे तुम साज़िश कहती हो? इसे तो कहते हैं जीजाजी का तुम्हारे प्रति प्रेम की पराकाष्ठा।और हमने तो बस इसमें उनका सिर्फ साथ दिया।"
बेहराम ने अपना बचाव करते हुए कहा।और अब उर्मिला ने अपना गुस्से को झटकते हुए कहा।
"ठीक है।ठीक है।तुम सब मेरा जन्मदिन मनाने आए हों।तुमने आधी रात को सुनील का साथ दिया।और यहाँ आने के लिए आप सभी का शुक्रिया।"
उर्मिलाने सभी का आभार व्यक्त किया। फिर उसने सुनील की ओर रुख किया।
"सुनील।तुमने मेहमानों के लिए क्या इंतज़ाम किया है?"
"मैं बिरयानी और कोल्ड ड्रिंक लाया हूँ।"
सुनील ने कहा।
उन लोगों का खाने-पीने का कार्यक्रम रात के दो बजे तक चलता रहा।और फिर सब अपने-अपने घर चले गए।
अब उर्मिला और सुनील अकेले रह गए।
"पाँच बजे से बारह बजे तक तुमने क्या किया?"
"दीदी घर पर ही बैठा था।और वहीं से बेहराम भाई से फ़ोन पर बात की और यह योजना बनाई।"
"योजनाएँ बनाने में तेरा कोई जवाब नहीं है।"
उर्मिला अपनी भंवे नचाते हुए बोली।
"और हाथ चलाने में तेरा कोई जवाब नहीं। मेरी छाती अभी तक दर्द कर रही है।"
सुनीलने उर्मिला को अपने पास खींचते हुए कहा।और उर्मिला सुनील की ओर ऐसे खिंची चली गई जैसे लोहा चुम्बक की ओर खिंचा चला आता है।
और उसने काँपती आवाज़ में कहा।
"जन्मदिन तो तुम्हें ठीक याद है।लेकिन मेरा तोहफ़ा कहाँ है?"
"यह रहा तुम्हारा तोहफ़ा।"
यह कहते हुए सुनील उर्मिला के चेहरे पर झुक गया।
(उर्मिला और शर्मिला दोनों का जन्मदिन एक ही दिन पड़ता है।अगले एपिसोड में पढ़ें कि यह संयोग क्या है)