The journey of your memories in Hindi Poems by Ritik Sandilya books and stories PDF | तेरी यादों का सफ़र

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तेरी यादों का सफ़र

1.तेरे दर्द में दिन-रात तड़पता है ये दिल,
आँसू भले न निकले,
पर खून उबलता है ये दिल।
तेरे जाने का ग़म तो कब का भुला दिया मैंने,
फिर भी तुझे याद करके
क्यूँ मचलता है ये दिल।

2.मेरी मोहब्बत के फनकार को वो भी सुन रही होगी,
आगोश में ही सही, मेरे प्यार को चुन रही होगी।
जब भी कोई उनके जज़्बात का इस्तेमाल कर रहा होगा,
मेरी आशिकी को कहीं न कहीं महसूस कर रही होगी।

3.तेरी याद में जीना अच्छा लगता है,
तुझे शराब समझकर पीना अच्छा लगता है।
ग़मों पर मरहम की तरह काम करती हैं तेरी यादें,
आँसुओं से तकिए भिगोना भी अच्छा लगता है।

4. ख़्वाहिशों के महल की शहज़ादी हो आप,
आपकी पलकें उठें तो दिन, झुकें तो रात।
मैं आपसे चकोर की तरह आशिकी करता रहूँ,
नींद में ही सही, पर बेहद ख़ूबसूरत हो आप।

5.लबों ने लबों की मुखबिरी की है,
आपकी खुशबू ने ज़ेहन तक सुरसुरी की है।
मैं पलकें थोड़ी देर बंद रखना चाहता हूँ,
क्या पता ये ख़्वाब है या हक़ीक़त—
आपके हाथों ने मेरी रूह में गुदगुदी की है।

6.आपके प्यार में परवाना बना बैठा हूँ,
दिन-रात तेरा नाम लेता हूँ,
दीवाना बना बैठा हूँ।
जब से आपकी आँखों ने
अपनी छाप दिल पे छोड़ी है,
आँखों में नींद नहीं,
ख़्वाबों का ताना-बाना बुने बैठा हूँ।

7.जाने किस उम्मीद में तेरे लौटने की आस झलक रही है,
मन में उत्तेजना है, तेरे होने का एहसास झलक रहा है।
मैं पल भर तेरे बग़ैर रह नहीं सकता,
तू जल्दी घर आ—
तेरी याद में मेरी आँख छलक रही है।

8.किस क़दर तेरा ज़िक्र करूँ अपनी यादों में,
हर साँस तेरे नाम की आहें भरती है फ़िज़ाओं में।
तेरे बिना ये ख़्वाब अधूरा सा लगता है,
तेरी तस्वीर भी जैसे बात करती हो यादों में।
किस क़दर तुझे चाहूँ अपने ख्वाबों में,
हर रात तू नज़र आती है सितारों में।
चाँदनी भी तेरे नूर से फीकी पड़ जाती है,
तेरे बिना रोशनी अधूरी लगती है उजालों में।

9.तेरी महक आज उस ओर से आ रही है,
तू हवा के हर दिशा में है शायद।
जहाँ भी चलूँ, तेरा एहसास साथ नज़र आता है,
तेरी मौजूदगी दिल को सुकून दिलाती है शायद।
तेरे बिना ये फ़िज़ा सूनी लगती है,
तेरे संग ही तो रूह में रौनक सजती है।
मैं पल भर को भी तुझसे जुदा रह न पाऊँगा,
तू मेरी दुआओं में है, तू ही मेरी हक़ीक़त लगती है।

10.ओ मेरे ख़्वाबों की रानी,
यूँ न दिखाओ अपनी जवानी।
मचलकर रंग छोड़ देगा मेरा इश्क़,
फिर कैसे लिखूँगा हमारी प्रेम कहानी।

11.इश्क़ का रंग लाल हो तो अच्छा है,
जीवन संगिनी कमाल हो तो अच्छा है।
हँसते-हँसते कटे जवानी,
बुढ़ापे तक आप साथ हों तो अच्छा है।

12.मैं कैसे लिखूँ अपने महबूब को,
मेरी धड़कनें उन्हीं के नाम से धड़कती हैं।

मैं कैसे लिखूँ...
उनकी आँखें जैसे कमल की पंखुड़ियाँ,
उनकी मुस्कान जैसे सुबह की पहली किरण।

मैं कैसे लिखूँ...
उनकी आवाज़, मानो कोई रागिनी हो,
जो दिल की गहराई तक उतर जाती है।

मैं कैसे लिखूँ...
बस उनकी आहट से रूह सिहर उठती है,
और उनका एहसास अंगार-सा जला देता है।

उनके होने से ही ठहराव है मेरी ज़िंदगी में,
मैं कैसे लिखूँ...
मेरे महबूब तो मेरे ख्वाब का जहां हैं।

13.मेरी उम्मीद भर तुम से,
मेरी हद का ठिकाना तुम हो।
हर ख्वाब की वजह तुम हो,
हर साँस का तराना तुम हो।
तेरे बिना सब अधूरा है,
तेरे संग ही हर सफ़र पूरा है।
तू मेरी दुआओं का हासिल है,
तू मेरी चाहत का जुनून है।
मेरी दुनिया का सारा नूर,
बस तुम ही तुम हो।